रणनीति विकास

मार्केटिंग चाल

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हरजिंदर

असहिष्णुता की मार्केटिंग

नयी नवेली वैश्विक ,बाजारीकृत और सोशल नेटवर्क से सजी-धजी भारतीय बाजार पर ,शायद बाजार और अर्थशास्त्र के नियम काफी सटिकता से बैठ रहे हैं|”मांग और पूर्ति “का नियम हमारे नूतन बाजार को ना सिर्फ नचा रहे हैं वरन सबकी दुकानो को भी इन त्योहारों चाहे वो धार्मिक होया चुनाव सरीखा राजनितिक ,चकाचौध की बरसात करा रहे हैं चाहे वो “दाल “हो या असहिष्णुता|i

सभी मिल इसे बिभिन्न मशालों के साथ किसी व्यंजन की तरह परोसे जा रहे हैं |

बाजार अटा पड़ा हैं ,कमेंट ,वक्तव्य ,मार्च ,विरोध ,ट्वीट ,ब्लॉग ,और ना जाने क्या क्या सबको बेचने का अवसर मिल रहा है …कोई दशको बाद सत्ताशीन होने पर टीवी पर कथाकथित विवादित पर “प्रचारक “,विकाऊ कंमेंट द्वारा अपना face बेच रहा हैं ,कोई आलाकमान की नज़रों में आने हेतु अपनी वफ़ादारी बेच रहा है ,कोई गुमनामी और कलम की थकाऊ-उबाऊ दुनिया छोड़ने का मोल बेच रहा ,तो कोई TRP के लिए प्राइम टाइम बेच रहा …कही लडखडाती पार्टी का मार्च करा उसकी दुरुस्त मार्केटिंग चाल चाल होने का भान बेजा जा रहा ,तो कुछ चुनावों की गर्मी में नए-नए पैतरें ,जुमले यहाँ तक की “धुत्त बुरबक “का गरम बोल बेच रहा …

इन सभी के बीच आम आदमी काम से थका -हारा ,शाम को श्रीमती की मीठी चाय लिए सुकून के दो पल दुनिया से दो-चार होने न्यूज़ देखने बैठता है तो खुद को जंग के मैदान में ,ऐंकरों के हुंकार ,पक्ष-विपक्ष के तर्कों के तलवार और जयघोषों के बीच पाता है ऐसा प्रतीत होता हैं मानो कोई धर्म युद्ध चाल रहा हो….पूरा देश गृह -युद्ध जैसी भयावह स्थिति में हो..कोई ना कुछ बोल पा रहा ना ही स्वतंत्र महसूस कर पा रहा..सारा संगठन चरमरा चूका हो | चाय कषैली और जिंदगीअचानक “दूभर ” और असुरक्षित लगने लगती है |

मन करता हैं कहीं ना चला जाये, कुछ ना करे ,कुछ ना सुने ,बस दुनिया से खुद को छुपा कर यों कहें तो बचा कर “खोल ” में पड़ा रहे ..

अनायाश ही मुख परमेश्वर को याद करने लगता है और ज्ञात हो आता है की आज के दौर में भी शताब्दियों पहले लिखी गयी कबीरवाणी “दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे ना कोई ” कितनी प्रशांगिक है |

पर “मरता क्या नहीं करता ‘,आजीविका और पापी पेट की खातिर सुबह होते ही बिना किसी पशोपेश ,बिना किसी “कवच-कुण्डल “निकल पड़ता है ,शाम की चिंताओं और घबराहट को छोड़ ,समाज ,देश और खुद की भय से दो-चार होने |

यहाँ उसे ना कोई मजहब दीखता है ,ना कोई धर्म-घोष …ऑफिस ,बाजार ,या फिर सड़क कहीं भी मार्केटिंग चाल उसे धर्म आधारित खरोज भी नहीं लगती |

चाहे वो अपने बाल कटवाए ,चिकन की दूकान पर मांस कटवाए ,अथवा किसी कपडे की दुकानपर कैची से कपडे काटते देखे ,कभी भी यह भय नहीं सताता की कही वो भी ना कट जाये या कोई आघात हो |

वो तो आज भी हर संप्रदाय के मित्रों ,जानने वालो ,ठोकर लगते ,चलते ,यात्रा के दौरान अजनबियों तक से सहृदयता से मिल लेता हैं ,क्षमा मांग लेता हैं ,उनके त्योहारों में शरीक हो जाता हैं |

तो फिर इतना हल्ला क्यों …किस बात पर …क्या ऐसा होता आया है या फिर कभी हुआ है .

तो चिंता और मनुष्य जिज्ञासा से मारा भूत की तरफ नज़र फिरता है जहाँ इतिहास के पन्नों की नमी ,उसमे सिमटे आंशूं ,खून और त्रासद की “सीलन” भरी सरांद्ध बू से दो-चार होता है की कैसे”किसी बड़ा पेड़ गिरने से ” हजारों-हजार सिख क़त्ल कर दिए गए थे ,जिनकी चीत्कारों से यदा-कदा आज भी देश का “दिल” डोल उठता है..

या कैसे 1966 – 77 के कालखण्ड में ही 39 बार जनमत को ,उनके अधिकारों को उखाड़ फेंका गया ..कैसे कोई समाजवाद का “प्रहरु”सैकड़ों को “समाजविहीन ‘ कर उन्हें कल के गाल में धकेल देता है और जिनका अता-पाता किसी को नही ..

या फिर साबरमती एक्सप्रेस की आग कैसे “क्रिया की प्रतिकिया “(जिसकी कल्पना शायद न्यूटन महोदय ने भी नही की होगी ) बन जाती हैं और पूरा गुजरात उसमे आहूतिस्वरूप जल उठता है ..

खैर ..भूत हो या वर्तमान डर हमेशा लगता है ..

. कहीं आज की स्थिति भी वैसी ना हो जाये वाली घबराहट पैदा कर ही देती है .और आम आदमी का हाथ अनायास ही सहायतार्थ उठ जाता है..

की कोई आये ..शायद “अंगुलिमालनुमा “परिवर्तन करवा सकने वाला कोई बुद्ध या सही रास्ता दिखलाता कोई पैगम्बर …या फिर ईसा जिसके बलिदान ने विश्व को नयी प्रेरणा और मर्म दिया…नहीं तो हे कृष्णा तुम्ही फिर से “गीता का ज्ञान “से इस अंधकार को उजाले में परिवर्तित कर दो…कोई तो नव निर्माण हेतु पधारो.

भले ,आज की असहिष्णुता भूत जैसी ना दिखे पर असहिष्णुता को यदि “थर्मामीटर” से माप कर इलाज करें तो ये घोर मूर्खता ही होगी ..

भगवान के अवतरण की जरूरत या संभावना भले ना हो ..लेकिन भय जाहे वो अल्प हो या बहुल निवारण जरूरी है |

चाहे घृणा ,असुरक्षा और असहिष्णुता की बैतरणी ना बहती नज़र आये ,पर अगर यह 24 घंटे की मार्केटिंग का “रायता ” भी है तब भी साफ-सफाई (जोकि आज-कल फैशन में भी हैं ) जरूरी है ..

भूत का भय ,वर्तमान की तुलना का नहीं अपितु सिंहावलोकन का मानक होना चाहीये ,नहीं तो समय बदलते देर नही लगेगी जो हमारे “विकास” के गर्भपात का करक होगा ….

अतः”सावधानी हटी दुर्घटना घाटी “को समझने की जरूरत है …

पर ,शायद इन सब का भी “तंत्र “के जाल में उलझे रहने में ही “कुछ ” की भलाई हैं (भाई उनकीभी तो दुकान इसी से चलती है|)

और हमारा क्या ….हम तो इसके आदि हैं ही … !!

तो फिर अंततः अपना हाथ जगरनाथ ,”खुद के सामान की रक्षा स्वयं करें ” असहिष्णुता व्यक्तिगत से ही सामूहिक बनती मार्केटिंग चाल हैं सो स्वयं को सहिष्णु बनाये रखें ..भारत सहिष्णु बना रहेगा ..

विरोध में जंतर-मंतर पहुंचेगे गैस डिस्ट्रीब्यूटर

gas distributor against mdg

इस मौके पर दून सहित हरिद्वार, रूड़की, पौड़ी सभी जगहों से वितरक पहुंचे हुए थे।

कांग्रेस की चाल तो नहीं

इस मौके पर वितरकों ने यह बात भी रखी कि कांग्रेस की सरकार ने एमडीजी 2013 लागू कराने की पहल तो कर दी है लेकिन अब आगे इसे लेकर होने वाले विरोध को आम आदमी पार्टी ही झेलेगी। हो सकता है कि ऐसा कांग्रेस ने जानबूझ कर किया हो, यह उनकी कोई चाल हो।

वितरकों ने जताई नाराजगी
बैठक में आए वितरकों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जहां देखों वहीं हम लोगों को कह दिया जाता है कि तुम तो धंधा करते हो। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अधिकारियों के साथ जब बैठक की जाती है तो वे इस तरह के शब्द बोलकर अपमानित करते हैं।

देहरादून में फेडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स ऑफ इंडिया की पहली बैठक में पदाधिकारियों ने (मार्केटिंग डिसिप्लिन गाइडलाइंस) लगाए जाने का विरोध किया।

बैठक में संगठन के अध्यक्ष चमन लाल ने कहा कि एमडीजी-2013 को मनमाने और अनुचित तरीके से लागू कर दिया गया है।

जब उल्लंघन के मामले में संविधान सम्मत पहले से ही दंड के इतने अधिक नियम, कायदे, काननू हैं तब इस प्रकार के निरंकुश प्रावधानों की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती।

कोषाध्यक्ष विनोद पंवार ने कहा कि इसके विरोध में जंतर-मंतर पर धरना और अनशन किया जाएगा। इस मौके पर पांच जनवरी को अधिक से अधिक वितरकों से दिल्ली पहुंचने की अपील की गई।

इस मौके पर दून सहित हरिद्वार, रूड़की, पौड़ी सभी जगहों से वितरक पहुंचे हुए थे।

कांग्रेस की चाल तो नहीं

इस मौके पर वितरकों ने यह बात भी रखी कि कांग्रेस की सरकार ने एमडीजी 2013 लागू कराने की पहल तो कर दी है लेकिन अब आगे इसे लेकर होने वाले विरोध को आम आदमी पार्टी ही झेलेगी। हो सकता है कि ऐसा कांग्रेस ने जानबूझ कर किया हो, यह उनकी कोई चाल हो।

वितरकों ने जताई नाराजगी
बैठक में आए वितरकों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जहां देखों वहीं हम लोगों को कह दिया जाता है कि तुम तो धंधा करते हो। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अधिकारियों के साथ जब बैठक की जाती है तो वे इस तरह के शब्द बोलकर अपमानित करते हैं।

ढाई चाल : कांग्रेस के हर मर्ज की दवा नहीं है भारत जोड़ो यात्रा

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हरजिंदर

कभी वे किसी बूढ़ी औरत को गले लगा लेते हैं, तो कभी किसी बच्चे की उंगली पकड़ कर चलते दिखाई देते हैं. हालांकि अखबारों और टेलीविजन चैनलों में भले ही उन्हें ज्यादा जगह न मिलती हो, लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोशल मीडिया पर छाई हुई है.

पिछले दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हुआ था जिसमें इस यात्रा के दौरान दक्षिण भारत में राहुल गांधी बारिश में भीगते हुए भाषण दे रहे हैं और लोग भी भीगते हुए उन्हें सुन रहे हैं, बिना किसी भागने और बारिश से बचने की बैचेनी के.

बेशक ये तस्वीरें दिल को लुभाती हैं, लेकिन क्या इनसे कोई बड़ी उम्मीद बांधी जाए ? राहुल गांधी आखिर में एक राजनेता ही हैं .अभी तक की यात्रा को देखकर कोई पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि यह पैदल यात्रा किसी बड़ी राजनीतिक उपलब्धि की ओर बढ़ रही है.

यहां एक बात और ध्यान रखने की जरूरत है कि राहुल गांधी की इस यात्रा का कार्यक्रम तैयार करते समय इसे चुनावी राजनीति से दूर रखा गया. यहां तक कि वे उन राज्यों में भी नहीं जा रहे जहंा चुनाव होने वाले हैं.

हमारे देश में राजनीतिक उपलब्धि का अर्थ होता है चुनाव नतीजों पर असर डालना, जिसके लिए भारत जोड़ो यात्रा का खाका तैयार ही नहीं किया गया.लेकिन इससे अलग होकर देखें तो इस यात्रा ने चुपचाप एक काम तो कर ही दिया है.

राहुल की इस पैदल चाल ने उनके विरोधियों के मुंह बंद कर दिए हैं. अब कोई उन्हें पप्पू नहीं कह रहा. अब उन्हें अगंभीर नहीं माना जा रहा. वे कईं सप्ताह से लगातार चल रहे हैं और अगले कुछ महीनों तक चलते मार्केटिंग चाल रहेंगें, इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि वे हर कुछ समय बाद विदेश भाग जाते हैं.

उन्होंने एक झटके में पिछली सारी तोहमतें झाड़ दी हैं.मार्केटिंग की भाषा में कहें तो इस यात्रा ने राहुल गांधी की एक रीब्रैंडिग कर दी है. इस यात्रा ने राहुल की उस छवि केा बदल दिया है जिसे उनके विरोधियों ने काफी मेहनत से तैयार किया था.

अभी तक राहुल के विरोधी उनकी निजी आलोचना करके ही आधी बाजी जीत लेते थे. अब यह मार्केटिंग चाल मार्केटिंग चाल इतना आसान नहीं रह जाएगा. उन्हें राहुल से राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी.

वैसे कांग्रेस और राहुल गांधी की असली समस्या बाकी आधी लड़ाई ही है. पार्टी का संगठन पिछले कुछ साल में लगातार कमजोर हुआ है. बड़े स्तर के चंद नेताओं ने ही नहीं छोटे स्तर के ढेर सारे कार्यकर्ताओं ने भी इस दौर में पार्टी का दामन छोड़ दिया है. जिनके लिए राजनीति कैरियर है उन्हें कांग्रेस में अब कोई भविष्य नहीं दिखाई देता.

भारत जोड़ो की अभी तक की उपलब्धियां काफी महत्वपूर्ण हैं, आगे हो सकता है कि इससे भी बड़ी उपलब्धियां हाथ लगें. लेकिन पार्टी जिन तकलीफों और मुश्किलों से गुजर रही है, उस सबका इलाज इस एक दवा में नहीं है. कोई भी यात्रा सगंठन को खड़ा करने और उसे हर स्तर पर मजबूत बनाने का विकल्प नहीं हो सकती.

भारत यात्रा माहौल बनाने का एक बहुत बड़ा काम कर सकती है, लेकिन इस माहौल को वोटों में बदलने के लिए जो इन्फ्रास्ट्रचर और जो मेहनत चाहिए, अगर उसके लिए अभी से कोशिश न हुई तो राहुल गांधी की छवि भले ही कुछ निखर जाए, लेकिन पार्टी वहीं पर खड़ी मिलेगी जहां वह भारत जोड़ो यात्रा से पहले खड़ी थी.

विरोध में जंतर-मंतर पहुंचेगे गैस डिस्ट्रीब्यूटर

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इस मौके पर दून सहित हरिद्वार, रूड़की, पौड़ी सभी जगहों से वितरक पहुंचे हुए थे।

कांग्रेस की चाल तो नहीं

इस मौके पर वितरकों ने यह बात भी रखी कि कांग्रेस की सरकार ने एमडीजी 2013 लागू कराने की पहल तो कर दी है लेकिन अब आगे इसे लेकर होने वाले विरोध को आम आदमी पार्टी ही झेलेगी। हो सकता है कि ऐसा कांग्रेस ने जानबूझ कर किया हो, यह उनकी कोई चाल हो।

वितरकों ने जताई नाराजगी
बैठक में आए वितरकों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जहां देखों वहीं हम लोगों को कह दिया जाता है कि तुम तो धंधा करते हो। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अधिकारियों के साथ जब बैठक की जाती है तो वे इस तरह के शब्द बोलकर अपमानित करते हैं।

देहरादून में फेडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स ऑफ इंडिया की पहली बैठक में पदाधिकारियों ने (मार्केटिंग डिसिप्लिन गाइडलाइंस) लगाए जाने का विरोध किया।

बैठक में संगठन के अध्यक्ष चमन लाल ने कहा कि एमडीजी-2013 को मनमाने और अनुचित तरीके से लागू कर दिया गया है।

जब उल्लंघन के मामले में संविधान सम्मत पहले से ही दंड के इतने अधिक नियम, कायदे, काननू हैं तब इस प्रकार मार्केटिंग चाल के निरंकुश प्रावधानों की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती।

कोषाध्यक्ष विनोद पंवार ने कहा कि इसके विरोध में जंतर-मंतर पर धरना और अनशन किया जाएगा। इस मौके पर पांच जनवरी को अधिक से अधिक वितरकों से दिल्ली पहुंचने की अपील की गई।

इस मौके पर दून सहित हरिद्वार, रूड़की, पौड़ी सभी जगहों से वितरक पहुंचे हुए थे।

कांग्रेस की चाल तो नहीं

इस मौके पर वितरकों ने यह बात भी रखी कि कांग्रेस की सरकार ने एमडीजी 2013 लागू कराने की पहल तो कर दी है लेकिन अब आगे इसे लेकर होने वाले विरोध को आम आदमी पार्टी ही झेलेगी। हो सकता है कि ऐसा कांग्रेस ने जानबूझ कर किया हो, यह उनकी कोई चाल हो।

वितरकों ने जताई नाराजगी
बैठक में आए वितरकों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जहां देखों वहीं हम लोगों को कह दिया जाता है कि तुम तो धंधा करते हो। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अधिकारियों के साथ जब बैठक की जाती है तो वे इस तरह के शब्द बोलकर अपमानित करते हैं।

Editor's Take: नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट क्यों जरूरी, अनिल सिंघवी ने बताया कैसे बने सफल ट्रेडर

Editor's Take: अनिल सिंघवी ने बताया कि नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट लेना क्यों जरूरी है और शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाला कोई भी शख्स सफल ट्रेडर कैसे बन सकता है.

Editor's Take: मंगलवार के ट्रेडिंग सेशन के दौरान शेयर बाजार में तीन दिनों से हो रही लगातार गिरावट पर ब्रेक लगा था. ये बड़ी बात इसलिए है क्योंकि कल के ट्रेडिंग सेशन में ग्लोबल बाजारों में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली थी. ग्लोबल बाजार एक से डेढ़ फीसदी तक फिसले थे लेकिन उसके बाद भी भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में अच्छी क्लोजिंग देखने को मिली. इस मामले पर ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने कहा कि कल के ट्रेडिंग सेशन में भारतीय बाजारों की चाल और ग्लोबल बाजारों में गिरावट की वजह से कंफ्यूजन पैदा हो रहा था कि ट्रेडर्स को आखिर क्या मार्केटिंग चाल करना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय कई बार इस पर कॉल लेनी पड़ती है कि आप कितना रिस्क ले सकते हो. ऐसे में अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में नए ट्रेडर्स को किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

R2R फैक्टर पर जोर दें

अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में R2R फैक्टर काफी अहम है और ट्रेडर्स के लिए इसकी अलग-अलग परिभाषा है. R2R यानी कि रिस्क टू रिवॉर्ड या रिवॉर्ड टू रिस्क, ये दोनों तरीकों से ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

किन बातों का ख्याल रखने से आप बनेंगे सफल #Trader ?🔥

🎯नए ट्रेडर्स को क्यों जरूर सीखना चाहिए रिस्क मैनेजमेंट?

ओवर नाइट पोजीशन में रिस्क मैनेजमेंट करना कितना अहम?

रिस्क मैनेजमेंट है जरूरी

अनिल सिंघवी ने कहा कि नए निवेशकों को रिस्क और रिवॉर्ड पर खास ध्यान देना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि मान लीजिए कि बाजार में तेजी को देखते हुए ट्रेडर ने मुनाफा वसूल कर लिया है लेकिन अगले दिन मार्केट फिर तेजी के साथ खुला तो इस पर दुख होता है लेकिन कॉल यहां ये लेनी है कि अगर बाजार में तेजी के साथ ना खुलकर गिरावट के साथ खुलता तो इस स्थिति में ओवरनाइट पोजीशन कितनी रखनी है और रिस्क को मैनेज करना है तो कितना करना है.

ट्रेडिंग के समय अनुशासन रखे बरकरार

अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 2 दिनों बाजार में तेजी देखने को मिली तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों के बीच हाहाकार मच गया. लेकिन बाजार में ट्रेडिंग की है तो 30 दिनों में से एक या दो दिन ऐसे आएंगे, जहां ट्रेडिंग आपके विपरीत होगी.

अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 1-1.5 साल में जितने लोगों ने ट्रेडिंग शुरू की है और जो ओवरनाइट पोजीशन ले रहे हैं, उन्हें पहले रिस्क मैनेजमेंट सीखना चाहिए. रिस्क मैनेजमेंट सीखने का एक ही तरीका मार्केटिंग चाल है कि अगर मेरे मार्केटिंग स्ट्रैटेजी के विपरीत बाजार में काम करता है तो आपको क्या करना है. ट्रेडर के तौर पर कितनी पोजीशन होनी चाहिए.

ओवर नाइट रिस्क लेते हैं ट्रेडर्स

अनिल सिंघवी ने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि ट्रेडर्स ओवरनाइट रिस्क लेते हैं. लेकिन इंट्राडे में मौका मिलने पर रिस्क मार्केटिंग चाल नहीं लेते. अनिल सिंघवी ने कहा कि अगर आपको सफल ट्रेडर बनना है तो आपको पता होना चाहिए कि आपको कहां रिस्क लेना है और कितना लेना है.

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