रणनीति विकास

किस ब्रोकर का उपयोग करना है

किस ब्रोकर का उपयोग करना है

एल्गो ट्रेडिंग में किस्मत आजमाएं तो कम ही पूंजी लगाएं

शेयर बाजार की तेजी छोटे निवेशकों को इक्विटी की ओर खींच रही है। ऐसे में कुछ निवेशक एल्गोरिदम कारोबार में भी किस्मत आजमा रहे हैं। कंप्यूटर-प्रोग्राम पर आधारित कारोबार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी के कारण ब्रोकर भी उनको इस सुविधा की पेशकश करने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों में 5पैसा, जीरोधा, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज और अपस्टॉक्स जैसे शेयर ब्रोकरों ने किस ब्रोकर का उपयोग करना है अपने प्लेटफॉर्मों पर छोटे निवेशकों को ऑटोमेटेड सौदे करने की सुविधा दी है। 5पैसा के मुख्य कार्याधिकारी प्रकाश गगडानी ने कहा, 'हमने हाल में जब से एल्गोरिदम कारोबार के लिए प्लेटफॉर्म शुरू किया है, तब से हमको एल्गोरिद्म कारोबार के बारे में छोटे निवेशकों से बड़ी तादाद में पूछताछ मिल रही है।' वह कहते हैं कि इनमें से कई निवेशक या तो एल्गो ट्रेडिंग को आजमाना और जानना चाहते हैं कि यह प्रणाली किस तरह काम करती है या फिर उनकी अपनी खुद की रणनीति है और इसके लिए वे इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहते हैं। ब्रोकरों और निवेशकों की मांग को देखते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भी एल्गो ट्रेडिंग में छोटे निवेशकों की भागीदारी के लिए नियमों की योजना बना रहा है। बाजार नियामक एक ऐसे श्वेत पत्र पर काम कर रहा है जो यह स्पष्टï करेगा कि किस हद तक व्यक्तिगत निवेशकों को कंप्यूटर प्रोग्राम पर आधारित सौदों के इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए। इस समय खुदरा निवेशकों के लिए एल्गोरिदम ट्रेडिंग के कोई नियम-कानून नहीं है।

एल्गो ट्रेडिंग एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम है जो निवेशक द्वारा तय नियमों के आधार पर खरीदारी या बिकवाली कर देता है। यदि निवेशक किसी विमानन कंपनी का शेयर तब खरीदना चाहता है जब तेल कीमतों में गिरावट आए तो वे ऐसे अवसरों की पहचान के लिए वे प्रोग्राम तैयार कर सकते हैं। एल्गो कारोबार का ज्यादातर इस्तेमाल डेरिवेटिव सौदों के लिए होता है जिसे मल्टी-लेग स्ट्रेटजी यानी बहुआयामी रणनीति भी कहा जाता है। इसमें एक समय में एक से अधिक सौदे किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, टू-लेग स्ट्रेटेजी यानी दोतरफा रणनाति में निवेशक वायदा खरीद सकता है और साथ ही पुट को भी बेच सकता है। तकनीकी विश्लेषण का इस्तेमाल करने वाले निवेशक चार्ट और पैटर्न के आधार पर भी सौदे कर सकते हैं।

शुरू से ही ऐसे प्रोग्राम मौजूद हैं जो मौके की पहचान में निवेशकों की मदद करते रहे हैं। लेकिन ब्रोकरों ने ऐसे प्लेटफॉर्म की पेशकश नहीं की जो अवसर की पहचान करके अपने आप से सौदे कर सकें। लेकिन अब छोटे निवेशकों पर ध्यान दे रहे ब्रोकर उनके लिए अपने आप हो जाने वाले सौदों की पेशकश कर रहे हैं। एल्गो के इस्तेमाल का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें सौदों से जुड़ी किसी तरह की धारणा नहीं होती है। विश्लेषकों का कहना है कि लगभग 95 प्रतिशत लोग दिन के कारोबार में रकम गंवाते हैं और लगभग 70 प्रतिशत नए डीमैट खाते तीन महीने के अंदर बंद हो जाते हैं। छोटे निवेशकों को एल्गोरिदम ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर मुहैया कराने वाली कंपनी क्वांटइंडिया डॉट इन के संस्थापक रामकृष्णन एस कहते हैं, 'लोग ट्रेडिंग तो शुरू कर देते हैं, लेकिन जब उन्हें नुकसान होता है तो इसे बंद कर देते हैं। लोग बाजार में आते हैं, कुछ पैसा कमाते हैं, फिर बड़े नुकसान का शिकार हो जाते हैं और बाजार से निकल जाते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि इससे उनकी भावनाएं और इच्छाएं जुड़ जाती हैं।'

चूंकि सौदे स्वत: होते हैं। इसलिए निवेशक को अवसर तलाशने और सौदे करने के लिए हर समय कंप्यूटर के सामने बैठे रहने की जरूरत नहीं होती है। प्रोग्राम-आधारित ट्रेडिंग अधिक तेज भी है और इसमें कई सौदे तुरंत और एक साथ किए जा सकते हैं। जीरोधा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत कहते हैं, 'चूंकि इसमें ऑर्डरों का प्रबंधन कंप्यूटर ही करता है, इसलिए ऐसे कारोबार में भावनाएं हावी होने की कम आशंका रहती है।' इसमें अच्छी बात यह है कि यदि निवेशक की अपनी खुद की रणनीति है तो वह यह बहुत अच्छी तरह से समझ सकता है कि विभिन्न बाजार हालात में एल्गो ने किस तरह से काम किया।

निवेशक बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव से स्वयं को बचाने के लिए भी एल्गो का इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, निफ्टी एक दिन में लगभग 15 मिनट के अंदर 300 अंक लुढ़क सकता है। अगर कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर बाजार पर नजर रखे हुए है तो वह अपने आप आपकी पोजीशन खत्म कर देगा। लेकिन यदि कारोबारी पारंपरिक तौर पर कारोबार कर किस ब्रोकर का उपयोग करना है रहा है तो उसे अपनी पूरी पूंजी से हाथ धोना पड़ सकता है।

निवेशकों के पास या तो एक्सचेंज से मान्यता प्राप्त उन रणनीतियों को इस्तेमाल करने का विकल्प होता है जो ब्रोकरों के प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध होती हों या फिर वे अपनी स्वयं की रणनीति बना सकते हैं। अपनी स्वयं की रणनीति बनाने के लिए किसी निवेशक को ब्रोकर के जरिये एक्सचेंज से संपर्क करने और अपनी रणनीति मंजूर करानी होगी। इस वजह से ब्रोकर द्वारा एल्गो ट्रेडिंग के लिए की जाने वाली पेशकश थोड़ी अलग होती है। 5पैसा और एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के पास अपने प्लेटफॉर्मों पर एक्सचेंज-स्वीकृत रणनीतियां हैं। एल्गो ट्रेडिंग को अच्छी तरह से समझने के लिए नए निवेशक इन लोकप्रिय रणनीतियों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

लेकिन जीरोधा जैसे ब्रोकर किसी तरह की रणनीति की पेशकश नहीं करते हैं। वे महज प्लेटफॉर्म मुहैया कराते हैं जहां उनके ग्राहक प्रोग्राम लिख सकते हैं और किस ब्रोकर का उपयोग करना है अपने सौदे अपने आप कर सकते हैं मगर तभी जब उनकी रणनीति एक्सचेंज मंजूर कर दे। चूंकि एल्गो ट्रेड के कारण दुनिया में कुछेक बार बाजार धराशायी हो चुके हैं। लिहाजा एक एक्सचेंज यह जांच करता है कि कोई प्रोग्राम कैसे समूचे कारोबार को प्रभावित कर सकता है। 5पैसा अपने प्लेटफॉर्म और रणनीति मंजूर कराने के लिए सालाना 25,000 रुपये वसूलती है। यदि कोई व्यक्ति यह नहीं जानता है कि कंप्यूटर प्रोग्राम किस तरह लिखा जाए तो ब्रोकर कोडिंग में उसकी मदद करता है और उसका शुरुआती शुल्क 25,000 रुपये है।

वर्ष 2012 में एक अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी नाइट कैपिटल गु्रप ने ट्रेडिंग में चूक की वजह से 30 मिनट के अंदर 44 करोड़ डॉलर गंवा दिए। यह सही है कि एल्गोरिदम प्रणाली शेयर कारोबार का भविष्य है लेकिन एक्सचेंज, कारोबारी या ब्रोकर के छोर पर छोटी सी चूक भी आपकी पूंजी साफ कर सकती है। लिहाजा, यह जरूरी है कि कोई निवेशक ब्रोकर द्वारा पेश की जा रही प्रौद्योगिकी को अच्छी तरह से समझने में थोड़ा वक्त लगाए। आपको कुछ तकनीकी समझ होना जरूरी है। अगर आप कोई चूक करते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि उसे कैसे दूर करें। निवेश के किसी दूसरे तौर-तरीके की तरह इसमें भी निवेशक को एल्गो ट्रेडिंग समझने के लिए भी अपना वक्त देना पड़ेगा जिससे कि इसका डर खत्म हो जाए। साथ ही उसे इस्तेमाल की जा रही अपनी रणनीति को और बेहतर बनाना होगा। कोई व्यक्ति अगर वाकई सार्थक मुनाफा कमाना चाहता है तो उसे कम से कम 3 से 6 महीने तक अपनी रणनीति का इस्तेमाल करना होगा। यदि आपको शुरू में प्रतिफल नहीं मिले तो शुरुआती महीनों में ही एल्गो को अलविदा न कहें। चेन्नई के 41 वर्षीय प्रोग्रामर राजेश गणेश इस समय एक एल्गो-ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के कोड लिख रहे हैं। गणेश कहते हैं, 'कई प्लेटफॉर्म अपने निवेशकों को ऐतिहासिक डेटा के आधार पर अपनी रणनीतियां आजमाने की अनुमति देते हैं। उन रणनीतियों का इस्तेमाल न करें जो परखी हुई न हों। यदि किस ब्रोकर का उपयोग करना है आप तकनीक के शौकीन हैं और अपने स्वयं के कोड्ïस लिख सकते हैं तो ऐसे परिदृश्य के विपरीत रणनीति को आजमाएं जिसमें बाजार में गिरावट आई हो या बाजार में अचानक बड़ा उतार-चढ़ाव आया हो।' चूंकि छोटे निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग अभी शुरुआती अवस्था में है, इसलिए अपने डायरेक्ट इक्विटी पोर्टफोलियो का छोटा हिस्सा ही इसमें इस्तेमाल करें। कई ब्रोकरों और विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को एल्गो पर आधारित शेयरों में ट्रेडिंग के लिए अपने पोर्टफोलियो का 15-20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं लगाना चाहिए।

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

शेयर बाजार में शेयर खरीदन-बेचना बच्चों का खेल नहीं. इसके लिए आपको जरूरत होती है. ब्रोकर के चयन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान.

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

1. डिस्काउंट ब्रोकर पर दांव!
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. इसलिए यदि आप बाजार की उथल-पुथल और हलचल को समझते हैं, जो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं. अन्यथा फुल सर्विस ब्रोकर ही बेहतर है.

2. फोन या ऑनलाइन कारोबार की सेवा
आप कारोबार के किस ब्रोकर का उपयोग करना है लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. ब्रोकर का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है. हालांकि, हाइब्रिड ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं.

इसे भी पढ़ें: ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए MRP बताना अनिवार्य, सरकार का आदेश

3. ब्रोकिंग चार्जेज पर नजर
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.

4. अन्य सुविधाएं के बारे में जानें
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.

5. ब्रोकरेज की छवि जान लें
अपने ब्रोकर पर मुहर लगाने से पहले बाजार में उसकी छवि जान लें. ब्रोकर की सेवाओं और सुविधाओं की संतुष्टि के बाद ही उससे जुड़े. सभी ब्रोकरेज के खिलाफ दर्ज शिकायतों का ब्यौरा सेबी के पास मिल जाएगा.

(नोट: यह लेख सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग के विचारों से प्रभावित हैं. इस लेख में गिरिजा गाद्रे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता ने अहम योगदान दिया है.)

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एल्गो ट्रेडिंग में किस्मत आजमाएं तो कम ही पूंजी लगाएं

शेयर बाजार की तेजी छोटे निवेशकों को इक्विटी की ओर खींच रही है। ऐसे में कुछ निवेशक एल्गोरिदम कारोबार में भी किस्मत आजमा रहे हैं। कंप्यूटर-प्रोग्राम पर आधारित कारोबार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी के कारण ब्रोकर भी उनको इस सुविधा की पेशकश करने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों में 5पैसा, जीरोधा, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज और अपस्टॉक्स जैसे शेयर ब्रोकरों ने अपने प्लेटफॉर्मों पर छोटे निवेशकों को ऑटोमेटेड सौदे करने की सुविधा दी है। 5पैसा के मुख्य कार्याधिकारी प्रकाश गगडानी ने कहा, 'हमने हाल में जब से एल्गोरिदम कारोबार के लिए प्लेटफॉर्म शुरू किया है, तब से हमको एल्गोरिद्म कारोबार के बारे में छोटे निवेशकों से बड़ी तादाद में पूछताछ मिल रही है।' वह कहते हैं कि इनमें से कई निवेशक या तो एल्गो ट्रेडिंग को आजमाना और जानना चाहते हैं कि यह प्रणाली किस तरह काम करती है या फिर उनकी अपनी खुद की रणनीति है और इसके लिए वे इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहते हैं। ब्रोकरों और निवेशकों की मांग को देखते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भी एल्गो ट्रेडिंग में छोटे निवेशकों की भागीदारी के लिए नियमों की योजना बना रहा है। बाजार नियामक एक ऐसे श्वेत पत्र पर काम कर रहा है जो यह स्पष्टï करेगा कि किस हद तक व्यक्तिगत निवेशकों को कंप्यूटर प्रोग्राम पर आधारित सौदों के इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए। इस समय खुदरा निवेशकों के लिए एल्गोरिदम ट्रेडिंग के कोई नियम-कानून नहीं है।

एल्गो ट्रेडिंग एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम है जो निवेशक द्वारा तय नियमों के आधार पर खरीदारी या बिकवाली कर देता है। यदि निवेशक किसी विमानन कंपनी का शेयर तब खरीदना चाहता है जब तेल कीमतों में गिरावट आए तो वे ऐसे अवसरों की पहचान के लिए वे प्रोग्राम तैयार कर सकते हैं। एल्गो कारोबार का ज्यादातर इस्तेमाल डेरिवेटिव सौदों के लिए होता है जिसे मल्टी-लेग स्ट्रेटजी यानी बहुआयामी रणनीति भी कहा जाता है। इसमें एक समय में एक से अधिक सौदे किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, टू-लेग स्ट्रेटेजी यानी दोतरफा रणनाति में निवेशक वायदा खरीद सकता है और साथ ही पुट को भी बेच सकता है। तकनीकी विश्लेषण का इस्तेमाल करने वाले निवेशक चार्ट और पैटर्न के आधार पर भी सौदे कर सकते हैं।

शुरू से ही ऐसे प्रोग्राम मौजूद हैं जो मौके की पहचान में निवेशकों की मदद करते रहे हैं। लेकिन ब्रोकरों ने ऐसे प्लेटफॉर्म की पेशकश नहीं की जो अवसर की पहचान करके अपने आप से सौदे कर सकें। लेकिन अब छोटे निवेशकों पर ध्यान दे रहे ब्रोकर उनके लिए अपने आप हो जाने वाले सौदों की पेशकश कर रहे हैं। एल्गो के इस्तेमाल का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें सौदों से जुड़ी किसी तरह की धारणा नहीं होती है। विश्लेषकों का कहना है कि लगभग 95 प्रतिशत लोग दिन के कारोबार में रकम गंवाते हैं और लगभग 70 प्रतिशत नए डीमैट खाते तीन महीने के अंदर बंद हो जाते हैं। छोटे निवेशकों को एल्गोरिदम ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर मुहैया कराने वाली कंपनी क्वांटइंडिया डॉट इन के संस्थापक रामकृष्णन एस कहते हैं, 'लोग ट्रेडिंग तो शुरू कर देते हैं, लेकिन जब उन्हें नुकसान होता है तो इसे बंद कर देते हैं। लोग बाजार में आते हैं, कुछ किस ब्रोकर का उपयोग करना है पैसा कमाते हैं, फिर बड़े नुकसान का शिकार हो जाते हैं और बाजार से निकल जाते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि इससे उनकी भावनाएं और इच्छाएं जुड़ जाती हैं।'

चूंकि सौदे स्वत: होते हैं। इसलिए निवेशक किस ब्रोकर का उपयोग करना है को अवसर तलाशने और सौदे करने के लिए हर समय कंप्यूटर के सामने बैठे रहने की जरूरत नहीं होती है। प्रोग्राम-आधारित ट्रेडिंग अधिक तेज भी है और इसमें कई सौदे तुरंत और एक साथ किए जा सकते हैं। जीरोधा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत कहते हैं, 'चूंकि इसमें ऑर्डरों का प्रबंधन कंप्यूटर ही करता है, इसलिए ऐसे कारोबार में भावनाएं हावी होने की कम आशंका रहती है।' इसमें अच्छी बात यह है कि यदि निवेशक की अपनी खुद की रणनीति है तो वह यह बहुत अच्छी तरह से समझ सकता है कि विभिन्न बाजार हालात में एल्गो ने किस तरह से काम किया।

निवेशक बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव से स्वयं को बचाने के लिए भी एल्गो का इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, निफ्टी एक दिन में लगभग 15 मिनट के अंदर 300 अंक लुढ़क सकता है। अगर कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर बाजार पर नजर रखे हुए है तो वह अपने आप आपकी पोजीशन खत्म कर देगा। लेकिन यदि कारोबारी पारंपरिक तौर पर कारोबार कर रहा है तो उसे अपनी पूरी पूंजी से हाथ धोना पड़ सकता है।

निवेशकों के पास या तो एक्सचेंज से मान्यता प्राप्त उन रणनीतियों को इस्तेमाल करने का विकल्प होता है जो ब्रोकरों के प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध होती हों या फिर वे अपनी स्वयं की रणनीति बना सकते हैं। अपनी स्वयं की रणनीति बनाने के लिए किसी निवेशक को ब्रोकर के जरिये एक्सचेंज से संपर्क करने और अपनी रणनीति मंजूर करानी होगी। इस वजह से ब्रोकर द्वारा एल्गो ट्रेडिंग के लिए की जाने वाली पेशकश थोड़ी अलग होती है। 5पैसा और एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के पास अपने प्लेटफॉर्मों पर एक्सचेंज-स्वीकृत रणनीतियां हैं। एल्गो ट्रेडिंग को अच्छी तरह से समझने के लिए नए निवेशक इन लोकप्रिय रणनीतियों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

लेकिन जीरोधा जैसे ब्रोकर किसी तरह की रणनीति की पेशकश नहीं करते हैं। वे महज प्लेटफॉर्म मुहैया कराते हैं जहां उनके ग्राहक प्रोग्राम लिख सकते हैं और अपने सौदे अपने आप कर सकते हैं मगर तभी जब उनकी रणनीति एक्सचेंज मंजूर कर दे। चूंकि एल्गो ट्रेड के कारण दुनिया में कुछेक बार बाजार धराशायी हो चुके हैं। लिहाजा एक एक्सचेंज यह जांच करता है कि कोई प्रोग्राम कैसे समूचे कारोबार को प्रभावित कर सकता है। 5पैसा अपने प्लेटफॉर्म और रणनीति मंजूर कराने के लिए सालाना 25,000 रुपये वसूलती है। यदि कोई व्यक्ति यह नहीं जानता है कि कंप्यूटर प्रोग्राम किस तरह लिखा जाए तो ब्रोकर कोडिंग में उसकी मदद करता है और उसका शुरुआती शुल्क 25,000 रुपये है।

वर्ष 2012 में एक अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी नाइट कैपिटल गु्रप ने ट्रेडिंग में चूक की वजह से 30 मिनट के अंदर 44 करोड़ डॉलर गंवा दिए। यह सही है कि एल्गोरिदम प्रणाली किस ब्रोकर का उपयोग करना है शेयर कारोबार का भविष्य है लेकिन एक्सचेंज, कारोबारी या ब्रोकर के छोर पर छोटी सी चूक भी आपकी पूंजी साफ कर सकती है। लिहाजा, यह जरूरी है कि कोई निवेशक ब्रोकर द्वारा पेश की जा रही प्रौद्योगिकी को अच्छी तरह से समझने में थोड़ा वक्त लगाए। आपको कुछ तकनीकी समझ होना जरूरी है। अगर आप कोई चूक करते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि उसे कैसे दूर करें। निवेश के किसी दूसरे तौर-तरीके की तरह इसमें भी निवेशक को एल्गो ट्रेडिंग समझने के लिए भी अपना वक्त देना पड़ेगा जिससे कि इसका डर खत्म हो जाए। साथ ही उसे इस्तेमाल की जा रही अपनी रणनीति को और बेहतर बनाना होगा। कोई व्यक्ति अगर वाकई सार्थक मुनाफा कमाना चाहता है तो उसे कम से कम 3 से 6 महीने तक अपनी रणनीति का इस्तेमाल करना होगा। यदि आपको शुरू में प्रतिफल नहीं मिले तो शुरुआती महीनों में ही एल्गो को अलविदा न कहें। चेन्नई के 41 वर्षीय प्रोग्रामर राजेश गणेश इस समय एक एल्गो-ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के कोड लिख रहे हैं। गणेश कहते हैं, 'कई प्लेटफॉर्म अपने निवेशकों को ऐतिहासिक डेटा के आधार पर अपनी रणनीतियां आजमाने की अनुमति देते हैं। उन रणनीतियों का इस्तेमाल न करें जो परखी हुई न हों। यदि आप तकनीक के शौकीन हैं और अपने स्वयं के कोड्ïस लिख सकते हैं तो ऐसे परिदृश्य के विपरीत रणनीति को आजमाएं जिसमें बाजार में गिरावट आई हो या बाजार में अचानक बड़ा उतार-चढ़ाव आया हो।' चूंकि छोटे निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग अभी शुरुआती अवस्था में है, इसलिए अपने डायरेक्ट इक्विटी पोर्टफोलियो का छोटा हिस्सा ही इसमें इस्तेमाल करें। कई ब्रोकरों और विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को एल्गो पर आधारित शेयरों में ट्रेडिंग के लिए अपने पोर्टफोलियो का 15-20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं लगाना चाहिए।

SEBI ने डीमैट अकाउंट को लेकर किया बड़ा बदलाव, ब्रोकर्स को अब करना होगा यह काम

Demat Accounts: डीमैट खाते खोलने वाले ब्रोकर्स की सही पहचान के लिए सेबी की तरफ से नियम कड़े कर दिए गए हैं.

30 जून तक ब्रोकर्स को करना होगा यह काम

Demat Accounts: शेयर बाजार के निवेशकों के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है. सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने डीमैट खाते (Demat Account) को लेकर नियमों में कुध बदलाव कर दिए हैं. डीमैट खाते खोलने वाले ब्रोकर्स की सही पहचान के लिए सेबी की तरफ से नियम कड़े कर दिए गए हैं.सेबी के नियम के अनुसार, जिन लोगों के पास डीमैट अकाउंट है उन्हें अब कुछ बातों का खास ख्याल रखना होगा.

सेबी ने ज्यादा ट्रांसपैरेंसी के लिए ब्रोकर्स की अलग पहचान के लिए नियम कड़े किए हैं. सेबी ने सोमवार को जारी किए गए सर्कुलर में कहा कि सभी ब्रोकर्स को सभी कैटेगरी के डीमैट खातों का नामकरण करना होगा. ताकि पता चल सके कि ब्रोकर ने जो डीमैट खाता खोला है वो किस मकसद के लिए है. सेबी ने इसके लिए ब्रोकर्स को 30 जून तक का मौका दिया है.

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30 जून तक ब्रोकर्स को करना होगा यह काम

अगर 1 जुलाई से खातों की टैगिंग या नामकरण नहीं होगा तो उन खातों से किसी भी किस ब्रोकर का उपयोग करना है किस ब्रोकर का उपयोग करना है शेयर की खरीद नहीं हो सकेगी. लेकिन अगर किसी कॉरपोरेट एक्शन यानि बोनस आदि की वजह से शेयर क्रेडिट होते रहेंगे. जबकि ही 1 अगस्त से कंप्लायंस न होने पर इन खातों से शेयर बेचे भी नहीं जा सकेंगे. एक्सचेंजेज और डिपॉजिटरीज को 1 जुलाई को और फिर 1 अगस्त को कंप्लायंस की रिपोर्ट सेबी को सौंपनी होगी. सेबी नियमों के तहत अभी कुल 5 किस्म के डीमैट खाते खोले जाते हैं.

जानिए सेबी ने क्या कहा

सेबी ने आगे कहा कि अगस्त से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में प्रतिभूतियों के डेबिट की भी अनुमति नहीं होगी. स्टॉक ब्रोकर को 1 अगस्त से ऐसे डीमैट खातों को टैग करने की अनुमति देने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों से अनुमति लेनी होगी और बदले में एक्सचेंजों को अपनी आंतरिक नीति के अनुसार जुर्माना लगाने के बाद दो कार्य दिवसों के भीतर इस तरह की मंजूरी देनी होगी. सेबी ने कहा कि स्टॉक ब्रोकरों के सभी डीमैट खाते जो बिना टैग के हैं, उन्हें 30 जून, 2022 तक उचित रूप से टैग करने की आवश्यकता है.

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

शेयर बाजार में शेयर खरीदन-बेचना बच्चों का खेल नहीं. इसके लिए आपको जरूरत होती है. ब्रोकर के चयन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान.

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

1. डिस्काउंट ब्रोकर पर दांव!
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. इसलिए यदि आप बाजार की उथल-पुथल और हलचल को समझते हैं, जो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं. अन्यथा फुल सर्विस ब्रोकर ही बेहतर है.

2. फोन या ऑनलाइन कारोबार की सेवा
आप कारोबार के लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. ब्रोकर का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है. हालांकि, हाइब्रिड ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं.

इसे भी पढ़ें: ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए MRP बताना अनिवार्य, सरकार का आदेश

3. ब्रोकिंग चार्जेज पर नजर
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.

4. अन्य सुविधाएं के बारे में जानें
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.

5. ब्रोकरेज की छवि जान लें
अपने ब्रोकर पर मुहर लगाने से पहले बाजार में उसकी छवि जान लें. ब्रोकर की सेवाओं और सुविधाओं की संतुष्टि के बाद ही उससे जुड़े. सभी ब्रोकरेज के खिलाफ दर्ज शिकायतों का ब्यौरा सेबी के पास मिल जाएगा.

(नोट: यह लेख सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग के विचारों से प्रभावित हैं. इस लेख में गिरिजा गाद्रे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता ने अहम योगदान दिया है.)

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