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क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं

क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं
37.63 अरब डॉलर हो गया स्वर्ण आरक्षित भंडार
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां 10.35 अरब डॉलर बढ़कर 490.83 अरब डॉलर हो गईं। रिजर्व बैंक के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण आरक्षित भंडार 1.53 अरब डॉलर बढ़कर 37.63 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में विशेष आहरण क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं अधिकार 1.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 1.48 अरब डॉलर हो गया, जबकि आईएमएफ में देश का आरक्षित मुद्रा भंडार 5.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.64 अरब डॉलर हो गया।

80 के स्तर को लांघा रुपया

सुबह के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निचले स्तर 80.06 तक फिसल गया था। हालांकि कारोबार की समाप्ति पर यह 79.95 पर बंद हुआ। सोमवार को रुपया 79.98 पर बंद हुआ था। डॉलर की तुलना में रुपये में इस साल अब तक 7.01 फीसदी की गिरावट आई है।

स्थानीय मुद्रा 80 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार पहुंच गई थी लेकिन मुद्रा डीलरों का कहना है कि कई कारकों ने रुपये को सहारा दिया जिससे वह थोड़ा संभल गया।

आरबीआई ने 80 के स्तर पर मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया, वहीं डॉलर सूचकांक के कमजोर होने, देसी शेयर बाजार के चढ़ने और निर्यातकों की ओर से बैंकों द्वारा डॉलर की क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं बिकवाली करने से रुपये की गिरावट थामने में मदद मिली।

अमेरिकी डॉलर सूचकांक इस महीने की शुरुआत में 20 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया था लेकिन फेडरल रिजर्व द्वारा इस महीने के अंत तक दरों में 100 आधार अंक के बजाय 75 आधार अंक की बढ़ोतरी के संकेत दिए जाने से पिछले कुछ दिनों से डॉलर सूचकांक में गिरावट आई है। डॉलर सूचकांक से अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले छह प्रमुख मुद्राओं को आंका जाता है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक दोपहर बाद कारोबार के दौरान 106.60 पर था जबकि शुक्रवार को यह 108.06 पर था। इस साल रुपये में जो 7 फीसदी की नरमी आई है, उनमें से ज्यादातर गिरावट बीते एक महीने में दर्ज की गई। कई डीलरों का कहना है कि हाल के समय क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं में वैश्विक जिंसों के दाम घटने से रुपया मौजूदा स्तर से और नीचे नहीं आएगा।

रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?

रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?

रुपया कमजोर या मजबूत क्यों होता है?
रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है. इस पर क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं आयात एवं निर्यात का भी असर पड़ता है. दरअसल हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेन यानी सौदा (आयात-निर्यात) करते हैं. इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं. समय-समय पर इसके आंकड़े रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होते हैं.

विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं मुद्रा मजबूत है या कमजोर.

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आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? क्या तैयार है इंडिया

कागज के नोट छापने पर आरबीआई का बड़ा पैसा खर्च होता है. (फोटो- मनीकंट्रोल)

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 27, 2022, 12:23 IST

हाइलाइट्स

बैंकनोट की परिभाषा और दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता.
वीडीए (VDAs) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा.
कोई भी VDA भारतीय या विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हैं.

नई दिल्ली. अक्टूबर 2021 की बात है. तब भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार को एक खास प्रपोजल दिया था. इसके अनुसार, भारत सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) के इस्तेमाल से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं में से एक बनने के पथ पर आगे बढ़ेगा. सेंट्रल बैंक ने आरबीआई एक्ट, 1934, के “बैंकनोट” की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने और पैसे को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में उतारने की सिफारिश की थी.

अब राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा है कि आरबीआई यूज केसेस को परख रहा है और चरणबद्ध तरीके से सीबीडीसी को लाने की योजना पर काम कर रहा है ताकि कोई दिक्कत न हो. देखा जाए तो CBDC (Central Bank Digital Currency) एक अच्छा ऑप्शन है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा. परंतु यहां सवाल यह है कि क्या भारत को सच में कैश की जगह किसी अन्य विकल्प की जरूरत है?

विदेशी मुद्रा भंडार ने फिर बनाया रिकॉर्ड, जानिए भारत के लिए कैसे है लाभदायक

विदेशी मुद्रा भंडार

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 31 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 11.94 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि के साथ 534.57 अरब डॉलर के रिकॉर्ड सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।

13.4 माह के आयात खर्च के बराबर
गुरुवार को मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 534.57 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार 13.4 माह के आयात खर्च के बराबर है। उन्होंने कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में अभी तक (31 जुलाई तक) मुद्रा भंडार में 56.8 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।

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