रणनीति विकास

कम न्यूनतम जमा

कम न्यूनतम जमा

बैंक खातों में न्यूनतम जमा राशि से कम होने पर स्टेट बैंक लगायेगा जुर्माना

भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने ग्राहकों के लिए खातों में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने को अनिवार्य बनाते हुए कहा है कि ऐसा न करने वालों पर 1 अप्रैल से जुर्माना लगाया जायेगा। महानगरीय इलाकों में खातों के लिए न्यूनतम 5,000 रुपये, शहरी क्षेत्रों में 3,000, अर्ध शहरी क्षेत्रों में 2,000 तथा ग्रामीण इलाकों में 1,000 रुपये न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होगा।

खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रहने पर 1 अप्रैल से जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की यह राशि तय की गई न्यूनतम बैलेंस और खातों में कम रह गई रकम के अंतर के आधार पर तय की जाएगी। एसबीआई (SBI) ने इस बाबत एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि महानगरों में अगर खातों में उपलब्ध राशि न्यूनतम बैलेंस के मुकाबले 75 फीसदी से अधिक कम होगी तो 100 रुपये जुर्माना और इस पर सर्विस टैक्स जोड़कर वसूला जाएगा।

इसी तरह अगर खातों में उपलब्ध राशि न्यूनतम बैलेंस के मुकाबले 50 से 75 फीसदी के बीच कम रहती है, तो बैंक इस पर 75 रुपये पेनल्टी वसूलेगी और इसमें सर्विस टैक्स अलग से शामिल होगा।

File photo of a State Bank of India branch.

50 फीसदी से कम बैलेंस होने पर 50 रुपये का जुर्माना और सर्विस टैक्स भरना होगा. वहीं ग्रामीण इलाकों के ग्राहकों पर 20 रुपये से 50 रुपये कम न्यूनतम जमा के बीच पेनल्टी लगाई जाएगी और उसमें भी सर्विस टैक्स अलग से लगेगा।

स्टेट बैंक ने कहा है कि 1 अप्रैल से यह अपने ब्रांच में तीन से अधिक कैश ट्रांजेक्शन करने पर ग्राहकों से 50 रुपये का शुल्क वसूलेगा। यह नियम अभी भी लागू है. हालांकि नकद लेनदेन की ऊपरी सीमा अभी तय नहीं की गई है।

एक अधिकारी ने कहा कि ब्रांचों में कैश ट्रांजेक्शन पर शुल्क पहले कम न्यूनतम जमा से मौजूद है। इसे 1 अप्रैल से अगले वित्त वर्ष के लिए भी लागू करना तय किया गया है। ग्राहकों को ब्रांच में कम से कम आने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है, लेकिन जो शुल्क वह भी नाम मात्र के ही हैं।

चूंकि एटीएम से एक महीने में हम 10 बार मुफ्त निकासी की सुविधा दे रहे हैं, ऐसी स्थिति में ग्राहकों को ब्रांच में आने की ज्यादा जरूरत नहीं रह जाती है।

कम न्यूनतम जमा

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रस्ताव रखा है कि भारतीय कंपनियों को बैंकों को अल्पकालिक ऋण देने की मंजूरी दी जाए। इससे बैंकों के चालू एवं बचत खाता (कासा) पोर्टफोलियो पर असर पड़ सकता है। फंड की कम लागत के लिए बैंक कासा पर निर्भर होते हैं। इसके अलावा कम नकदी की स्थिति में कंपनियां अपने सरप्लस फंड से कॉल रेट की दरों को प्रभावित कर सकती हैं। अब तक कंपनियां बैंकों को कम से कम 7 दिन के लिए धन उधार दे सकती थीं। आरबीआई के मुताबिक इससे उनकी भागीदारी में रुकावट पैदा होती है। इसलिए आरबीआई ने प्रस्ताव रखा है कि ऐसी कंपनियों को रीपो बाजार के जरिये उधारी देने की मंजूरी दी जाए, जिसमें कोई अवधि की सीमा या काउंटरपार्टी प्रतिबंध नहीं होगा।

गुरुवार को अपने दिशानिर्देशों में आरबीआई ने कहा कि अब सूचीबद्ध कंपनियां रीपो के तहत एक रात सहित सात से कम दिन के लिए पैसा ऋण के रूप में दे सकती हैं या उधारी ले सकती हैं। वहीं गैर-सूचीबद्ध कंपनियां रीपो के तहत केवल उधारी ले सकती हैं। वे यह उधारी उन्हें भारत सरकार द्वारा जारी विशेष प्रतिभूतियां गिरवी रखकर ले सकती हैं। सरकार के बॉन्डों की नीलामियों की एक अंडरराइटर एसबीआई डीएफएचआई लिमिटेड में उपाध्यक्ष (ट्रेजरी) रामकमल सामंत ने कहा, 'फंड के अतिरिक्त स्रोत से अंतरबैंक बाजार में नकदी की स्थिति सुधरेगी। इसके अलावा यह कंपनियों के ट्रेजरी प्रबंधन के लिए भी अच्छा है क्योंकि अब वे ज्यादा प्रभावी तरीके से यह फैसला ले सकेंगे कि अपने सरप्लस फंड का क्या करें।'

लेकिन एक रात की उधारी के बाजार में कंपनियों को मंजूरी देकर आरबीआई ने बैंकों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बैंकों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली न्यूनतम जमा बास्केट सात दिन की है। इस बास्केट का इस्तेमाल मुख्य रूप से कंपनियों द्वारा अपने अतिरिक्त धन को जमा कराने के लिए किया जाता है। इस बास्केट से बैंकों को हर तिमाही के अंत में अपने जमा आाधार को बढ़ाने में मदद मिलती है। इन जमा बास्केट पर ब्याज की दर बैंक तय करते हैं और कंपनी ग्राहकों के पास इसके बारे में सौदेबाजी करने की ताकत नहीं रखते हैं। अगर किसी कंपनी को अपना सरप्लस पैसा बैंक में जमा कराना है तो उसे यह पैसा बैंक के चालू खाते में ही जमा कराना होगा, जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है। अब यह स्थिति बदलने जा रही है। लेकिन कंपनियों के पास कीमत तय करने की ताकत नहीं है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में सहायक निदेशक सौम्यजीत नियोगी ने कहा, 'इससे सौदेबाजी का माहौल बन रहा है और कोई कीमत जोखिम भी नहीं है।'

सागर में लहू जमा देने वाली कम न्यूनतम जमा सर्दी, पारा 2.5 डिग्री

सर्दी का सितमः सागर में अब तक के इतिहास में सबसे न्यूनतम पारा रहा - सर्दी के सारे रिकॉर्ड कम न्यूनतम जमा टूटे, शनिवार-रविवार को अब तक का सबसे कम पारा दर्ज हुआ - दो हफ्ते में सागर में पारे ने तीन दफा खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा - रविवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से 9 डिग्री कम रहा, अधिकतम भी 5 डिग्री नीचे सागर। नवदुनिया प्रतिनिधि शहर में सर्दी कहर ढाने की क

सागर में लहू जमा देने वाली सर्दी, पारा 2.5 डिग्री

सर्दी का सितमः सागर में अब तक के इतिहास में सबसे न्यूनतम पारा रहा

- सर्दी के सारे रिकॉर्ड टूटे, शनिवार-रविवार को अब तक का सबसे कम पारा दर्ज हुआ

- दो हफ्ते में सागर में पारे ने तीन दफा खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा

- रविवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से 9 डिग्री कम रहा, अधिकतम भी 5 डिग्री नीचे

सागर। नवदुनिया प्रतिनिधि

शहर में सर्दी कहर ढाने की कगार पर है। पारे की लुढ़कती चाल ने अब तक के इतिहास में सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। पहली दफा पारा 2.5 डिग्री पर पहुंचा है। यह सामान्य से 9 डिग्री कम है। मौसम विभाग के रिकॉर्ड में इतने कम तापमान का कोई उल्लेख नहीं है। इधर, रात के पारे में लगातार गिरावट से लोग बेहाल हैं, तो फसलों और बागवानी पर पाले ने मुसीबत खड़ी कर दी है। पूरे इलाके में सुबह के समय ओस जमने और पाला पड़ने से फसलें प्रभावित हुई हैं।

पहाड़ों की बर्फबारी और निचले इलाकों की तरफ बर्फीली हवाओं के रुख के चलते रविवार तड़के न्यूनतम पारे ने सागर में नया रिकॉर्ड कायम किया। सर्दी में पहली दफा न्यूनतम तापमान 2.5 डिग्री दर्ज हुआ है। बीते साल जनवरी और इस साल बीते रोज 28 दिसंबर को 4 डिग्री सबसे कम माना जा रहा था, लेकिन महज 24 घंटे में ही पारे ने बर्फीली हवाओं के कारण और नीचे गोता लगा दिया। सुबह 6 बजे से 9 बजे तक सागर घने कोहरे के आगोश में रहा है। सागर की लाखा बंजारा झील कश्मीर की डल झील जैसी लग रही थी। सर्दी के कारण सुबह भी अलसायी सी रही और 9 बजे के बाद से दिनचर्या प्रारंभ हुई। ठंड के कारण शनिवार रात रेलवे स्टेशन और बस स्टेंड से यात्रा करने वालों को हाड़ कंपा देने वाली सर्दी सहन करनी पड़ी। गर्म कपड़े भी राहत देने में नाकाफी साबित हो रहे थे। दिन में चमकदार धूप के बावजूद बर्फीली हवाओं के कारण लोग ठिठुर रहे थे। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 से 48 घंटे मौसम में ज्यादा बदलाव के संकेत नहीं है। शीतलहर की चपेट में समूचा बुंदेलखंड रहेगा। कहीं-कहीं घना कोहरा भी रहेगा।

बैंकों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर वसूली गई पेनल्टी, 2018 से कम रहा आंकड़ा

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने सोमवार को लोकसभा (Lok Sabha) में सराकरी बैंकों (Government Banks) के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकारी बैंकों ने बचत खाते (Saving Accounts) में न्यूनतम जमा राशि बरकरार न रखने के कारण अपने ग्राहको से जुर्माना लिया।

जिसमें बैंकों को वित्त वर्ष 2018-19 में 1,996.46 करोड़ रूपये प्राप्त हुए। वहीं वित्त वर्ष 2017-18 में सरकारी बैंकों ने न्यूनतम जमा राशि पेनल्टी के तौर पर 3,368.42 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे। वहीं ये आंकड़ा 2016-17 में 790.22 करोड़ रूपये प्राप्त किए थे।

BPCL समेत इन 5 कंपनियों को बेच रही सरकार, जानें क्या होंगे परिणाम

न्यूनतम जमा राशि पेनल्टी में आई गिरावट
अनुराग ठाकुर ने एक लिखित जवाब में लोकसभा से कहा कि सरकारी बैंकों को पिछले साल के मुकाबले न्यूनतम जमा राशि पेनल्टी में गिरावट की एक वजह एसबीआई द्वारा बचत खाते में न्यूनतम जमा राशि बरकरार न रखने पर एक अक्टूबर 2017 से कम किया जुर्माना भी है।

देश में कोई मंदी नहीं, भारत 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा: अनुराग ठाकुर

मार्च 2019 तक थे 57.3 करोड़ बीएसबीडी अकाउंट
ठाकुर ने आगे कहा कि बैंक बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स में न्यूनतम जमा राशि बरकरार न रखने पर कोई जुर्माना नहीं लेते हैं। उन्होंने बताया कि आरबीआई के अनुसार मार्च 2019 तक देश में 57.3 करोड़ बीएसबीडी अकाउंट थे, उसमें 35.27 करोड़ जनधन खाते थे।

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।

सुकन्या समृद्धि योजना के ये फायदे जान लेंगे तो आप भी कहेंगे बेस्ट स्कीम? बेटी के लिए ये ऑप्शन है सही- जानें फीचर्स

Sukanya Samriddhi Yojana best scheme: बेटी के भविष्य के लिए अगर आप कोई प्लानिंग कर रहे हैं तो सुकन्या समृद्धि योजना एक बढ़िया ऑप्शन है. इसमें ब्याज भी बढ़िया और टैक्स छूट के साथ रिटर्न भी टैक्स फ्री है.

Sukanya Samriddhi Yojana: रिटायरमेंट प्लानिंग, भविष्य की प्लानिंग हम सब करते हैं. लेकिन, बच्चों की फाइनेंशियल प्लानिंग के वक्त अक्सर चूक हो जाती है. लेकिन, इनकी प्लानिंग भी आपके भविष्य की प्लानिंग में शामिल होनी चाहिए. खासकर बेटियों के मामले में ये और ज्यादा जरूरी हो जाती है. उनकी उच्च शिक्षा हो या फिर शादी का खर्च. अगर समय से प्लानिंग होगी तो कभी चिंता करने की जरूरत नहीं रहेगी. इसके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन है सुकन्या समृद्धि योजना. आइये समझते हैं कैसे.

क्यों है सुकन्या समृद्धि योजना बेस्ट?

‘सुकन्‍या समृद्धि योजना’ 18 साल तक की बेटियों के लिए है. पहले ये सीमा 10 साल थी. लेकिन, हाल ही में सरकार ने इसे बदलकर 18 साल किया है. सुकन्या में फिलहाल सालाना 7.6 फीसदी ब्‍याज (Sukanya Samriddhi Yojana Interest rate) मिल रहा है. ब्याज की समीक्षा तिमाही आधार पर होती है. मतलब हर तीन महीने में इसकी समीक्षा की जाती है कि ब्याज को स्थिर रखना है या बदलना है. इनकम टैक्‍स (Income tax) एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट भी मिलती है. डिपॉजिट, ब्‍याज और मैच्‍योरिटी राशि तीनों टैक्‍स फ्री होती हैं. अधिकतम 1.50 लाख रुपए पर आप टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं.

कैसे खुलता है सुकन्‍या समृद्धि योजना अकाउंट (How to open SSY account)?

Sukanya Samriddhi Yojana में खाता आप तब खुलवा सकते हैं जब आप बच्‍ची के प्राकृतिक या कानूनन अभिभावक हों. कुल दो बेटियों के नाम यह खाता खुलवाया जा सकता है. लेकिन अगर दूसरी बच्‍ची के जन्‍म के समय आपको जुड़वां बेटी होती है तो आप तीसरा खाता भी खुलवा सकते हैं. यही नियम तीन बच्‍चे एक साथ पैदा होने पर लागू होता है. अगर तीनों बेटियां हैं.

न्‍यूनतम और अधिकतम जमा की राशि

सुकन्‍या समृद्धि खाते (Sukanya Samriddhi Yojana account) में आप शुरू में 250 रुपए और उसके बाद 100 रुपए के गुणकों में पैसे जमा करवा सकते हैं. एक फाइनेंशियल ईयर (Financial Year) में अधिकतम 1.5 लाख रुपए जमा किए जा सकते हैं. खाता खोलने की तारीख से 14 साल बाद तक आप पैसे जमा करवा सकते हैं. फाइनेंशियल ईयर में एक बार न्‍यूनतम राशि जमा कराना जरूरी है. अगर आप न्‍यूनतम राशि जमा नहीं करवाते हैं तो अकाउंट डिएक्टिवेट हो जाएगा और 50 रुपए की पेनाल्‍टी देकर इसे शुरू कराना होगा.

कौन जमा करा सकता है पैसे?

अकाउंट में बेटी के पैरेंट्स या कोई भी परिवार का सदस्य पैसे जमा करा सकता है. खाते पर मिलने वाला ब्‍याज सालाना क्रेडिट होगा. मतलब, पहले साल मिला ब्‍याज मूलधन में जुड़ जाएगा और अगले साल ब्‍याज पर ब्याज यानी कंपाउंड इंट्रस्ट (Compound Interest) का फायदा मिलेगा. जब तक बच्‍ची 18 साल की नहीं हो जाती तब तक उसके पैरेंट्स ही खाते को ऑपरेट करेंगे. उसके बाद वह खुद भी अकाउंट ऑपरेट कर सकती है. खाता खुलने पर एक पासबुक दी जाएगी, जो बैंक या पोस्‍ट ऑफिस (Post office) में पैसे जमा करवाते समय या कम न्यूनतम जमा ब्‍याज चढ़वाने के लिए पेश करनी होगी. मैच्योरिटी के समय, खाता बंद करवाते समय भी पासबुक (SSY Passbook) की जरूरत होगी.

अकाउंट कब होगा मैच्‍योर?

बच्‍ची के 18 साल के होने से पहले अकाउंट खोल सकते हैं और अगर अकाउंट खुला है तो विड्रॉल 18 की उम्र के बाद ही होगा. बेटी के 21 वर्ष के होने पर सुकन्‍या समृद्धि खाता मैच्‍योर हो जाएगा. हालांकि, ये उस पर भी निर्भर करता है कि आपने अकाउंट कौन सी उम्र में खुलवाया है. बच्‍ची के 18 वर्ष के होने पर आंशिक निकासी की सुविधा मिलती है. मतलब, बच्‍ची के 18 वर्ष के होने पर 50 फीसदी तक राशि निकाली जा सकती है. अगर दुर्भाग्‍यवश, बच्‍ची की मृत्‍यु हो जाती है तो खाता तुरंत बंद हो जाएगा और खाते में जमा रकम पैरेंट्स को सौंप दी जाएगी. इस अकाउंट का कम न्यूनतम जमा ट्रांसफर भारत में कहीं भी करवाया जा सकता है.

कहां खुलवा सकते हैं खाता

पोस्‍ट ऑफिस या किसी बैंक की किसी भी ब्रांच में सुकन्‍या समृद्धि अकाउंट (Post office Sukanya Samriddhi Yojana account) खुलवाया जा सकता है. इसके लिए बच्‍ची का बर्थ सर्टिफिकेट और अन्‍य डॉक्‍युमेंट जैसे आइडेंटिटी और रेजिडेंस प्रूफ देना होता. अकाउंट में पैसा चेक, कैश या डिमांड ड्राफ्ट से जमा हो सकता है. इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांसफर की सुविधा भी है.

PPF और Child Mutual Fund फंड से कैसे अलग है Sukanya Samriddhi Yojana

सुकन्‍या समृद्धि योजना, PPF और चाइल्‍ड म्‍यूचुअल फंडों की तुलना रिटर्न, लिक्विडिटी और टैक्‍सेशन के आधार पर यह जानते हैं कि कौन सी योजना आपके लिए फायदेमंद हो सकती है.

रेटिंग: 4.50
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 142
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *