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चलती औसत तुलना

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चीन में कोविड लहर के पीछे क्या हैं वजहें, जीरो कोविड पॉलिसी की जरूरत भी है?

बीजिंग: पिछले एक हफ्ते से चीन में कोविड-19 का प्रकोप सुर्खियों में है. मामलों में रिकॉर्ड उछाल के बाद, बीजिंग और शंघाई सहित सभी प्रमुख शहरों में किसी न किसी रूप में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है, जिससे सरकार को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुए हैं. देश में कोविड के मामले अब तक के रिकॉर्ड में सबसे अधिक हैं, फिर भी मौतें नहीं हैं. यह एक चलती औसत तुलना ऐसी प्रवृत्ति है, जिससे आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए. क्योंकि कई देशों ने इस वर्ष ओमिक्रॉन वेव के दौरान इसका अनुभव किया है. इससे यह सवाल उठता है कि जब दुनिया भर के अनुभव से पता चला है कि टीकाकरण ने कोरोनोवायरस संक्रमण को अप्रासंगिक बना दिया है, तो बीजिंग कठोर लॉकडाउन क्यों पसंद करता है? हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इसका विश्लेषण किया गया है…

कोविड मामलों ने रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया है, फिर भी मौतें निचले स्तर पर बनी हुई हैं

रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को, पूरे चीन में 38,503 नए संक्रमण दर्ज किए गए- एक दिन में अब तक का सबसे अधिक. यह संख्या शनिवार को 31,928 नए मामलों और शुक्रवार को 34,398 (उस समय तक एक रिकॉर्ड उच्च) से अधिक थी. दैनिक संक्रमणों का सात-दिवसीय औसत (एक संख्या जो केस कर्व को दर्शाता है) अब 27,620 को छू गया है- अप्रैल में छूए गए 26,570 के शिखर को पार कर गया, जब शंघाई एक आउट-ऑफ-कंट्रोल उछाल के बीच बंद हो गया था. जबकि दैनिक संक्रमणों की वर्तमान संख्या सबसे अधिक हो सकती है, मौतों की संख्या बहुत कम दिखाई देती है. पिछले सप्ताह में तीन मौतें हुई हैं, और पिछले 30 दिनों में सात मौतें हुई हैं. मौतों का 7 दिन का औसत वर्तमान में एक दिन में 0.4 है. संदर्भ के लिए, अप्रैल के उछाल में यह संख्या एक दिन में औसतन लगभग 53 मौतों तक पहुंच गई थी.

चीन भारी प्रतिबंधों के अधीन है, भले ही दुनिया टीकों की बदौलत मुक्त हो

सख्त तालाबंदी के खिलाफ विरोध अब तीसरे दिन में पहुंच गया है, और तेजी से पूरे देश में फैल रहा है. नोमुरा होल्डिंग्स की संख्या के अनुसार, कम से कम 49 शहरों में लॉकडाउन के विभिन्न स्तर हैं, जो लगभग 412 मिलियन लोगों और गतिविधियों को प्रभावित करते हैं जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक चौथाई हिस्सा है. इसे समझने के लिए, किसी को भी कोविड लॉकडाउन की लंबी अवधि पर प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है, जिसे चीन के लोगों ने अनुभव किया है- विशेष रूप से इस तुलना में कि बाकी दुनिया ने उन्हें कैसे अनुभव किया है. महामारी के लगभग 3 तीन साल बाद, चीन प्रतिबंधों को लागू चलती औसत तुलना करने के साथ अटक गया है, जिसे अन्य देशों ने महीनों (यदि वर्षों नहीं) पहले खत्म कर दिया था.

यदि ऑक्सफोर्ड कोविड-19 गवर्नमेंट रिस्पॉन्स ट्रैकर के डेटा पर एक नजर डालें, जो स्कूलों, कार्यालयों, यात्रा प्रतिबंधों सहित नौ संकेतकों के आधार पर सरकार की नीतियों की सख्ती को रिकॉर्ड करता है, चीन में पाबंदियों की लंबी प्रकृति पर प्रकाश डालता है. इससे पता चलता है कि चीन में वर्तमान में 0 से 100 के पैमाने पर 62.5 के प्रतिबंध हैं (100 सबसे सख्त हैं). डेढ़ साल से भी पहले मार्च 2021 में, दुनिया के बाकी हिस्सों में इसी तरह के सख्त प्रतिबंध थे- ऐसे समय में जब कोरोना की डेल्टा लहर अधिकांश देशों को तबाह कर रही थी.

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चीन के आंकड़े जवाब से ज्यादा सवाल पेश करते हैं

तो, दैनिक मामलों के मुकाबले करीब न के बराबर मौतें होना क्या बताता है? क्या यह लॉकडाउन की वजह से हुआ है, क्या टीकाकरण में महत्वपूर्ण उछाल आया है, क्या इस लहर के लिए जिम्मेदार वायरस की मारक क्षमता कम है, या कुछ और भी है, जो दिखता नहीं? सबसे पहले, आइए प्रतिबंधों को देखें। चीन वर्तमान में ऑक्सफोर्ड कठोरता सूचकांक पर 62.5 पर खड़ा है. अप्रैल के उछाल के दौरान, जब मौतें सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं, तो कठोरता सूचकांक 79.2 पर था- जिसका अर्थ है कि अभी मौतें कम होने का अंकुशों से बहुत कम लेना-देना है. अब, टीकाकरण. चीन अप्रैल की शुरुआत में प्रति मिलियन 230 खुराक से नवंबर में लगभग 240 हो गया है. मामूली वृद्धि (4.3%) से मौतों में गिरावट की संभावना नहीं है.

कोरोना संक्रमण की वजह से होने वाली मृत्यु के आधिकारिक आंकड़ों से अधिक प्रश्न उठता है. चीन जैसे देश में एक सप्ताह के दौरान तीन मौतें, जहां सबसे अधिक संक्रमण देखा गया है, संदिग्ध रूप से कम हैं, विशेष रूप से देश से डेटा की अपारदर्शी प्रकृति को देखते हुए. आइए केस फैटेलिटी रेट पर नजर डालते हैं. पहले कुछ संदर्भ: 2022 में भारत का सीएफआर लगभग 0.5% रहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका में यह संख्या 0.6% रही है, और ब्रिटेन में यह 0.3% है. अप्रैल के उछाल के दौरान, मौतों की चरम दर पर, चीन का CFR लगभग 0.2% था. और चीन से वर्तमान संख्या अब भी कम है- पिछले सप्ताह में हुई मौतों की सीएफआर की गणना दो सप्ताह पहले रिपोर्ट किए गए मामलों के आधार पर 0.004% है. यहां तक ​​कि अगर देश 0.2% की अपेक्षाकृत आशावादी सीएफआर देख रहा था, तब भी यह एक दिन में कम से कम 22 मौतों की रिपोर्ट कर रहा होगा (वर्तमान में एक दिन में रिपोर्ट की जा रही है लगभग 0.4 मौतों की तुलना में).

क्या जन विरोध के बाद अपनी जीरो-कोविड’ नीति में ढील देगा चीन?

स्पष्ट डेटा तक पहुंच के अभाव में चीन के बारे में कोई भी गहन विश्लेषण अटकलों का विषय बना रहेगा. लेकिन चीन का ‘जीरो-कोविड’ नीति वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से आवश्यकता से कहीं अधिक कठोर प्रतीत होती है. आखिरकार, चीन के कोविड टीकों की कम प्रभावकारिता अब वैज्ञानिक रिकॉर्ड का मामला है, और रिपोर्टों के एक क्रम ने इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि देश में 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में टीकाकरण के लिए उल्लेखनीय अनिच्छा रही है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जन विरोध बीजिंग को अपनी जीरो-कोविड’ नीति में ढील देने के लिए मजबूर करता है या वह अपने अपारदर्शी दृष्टिकोण पर कायम रहता है.

IND vs NZ 2nd ODI: टीम इंडिया के लिए दूसरा वनडे 'करो या मरो' का मुकाबला, जानिए सभी जरूरी बातें

India vs New Zealand 2nd ODI Match Preview: भारत और मेजबान न्यूजीलैंड के बीच रविवार को तीन मैचों की वनडे सीरीज का दूसरा मुकाबला हैमिल्टन में खेला जाएगा। मैच भारतीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू होगा। न्यूजीलैंड ने फिलहाल सीरीज में 1-0 की बढ़त बना रखी है। भारत को पहले वनडे में 7 विकेट से हार मिली थी।

Updated Nov 26, 2022 | 02:02 PM IST

शिखर धवन और केन विलियमसन

हैमिल्टन: भारतीय टीम जब रविवार को यहां ‘करो या मरो’ के दूसरे एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड से भिड़ेगी तो उम्मीद करेगी कि कप्तान शिखर धवन और युवा शुभमन गिल ‘पावरप्ले’ ओवरों में बेहतर रवैया अपनायें। सेडोन पार्क तीनों ओर से खुला मैदान है लेकिन न्यूजीलैंड में बल्लेबाजों के लिये सबसे मददगार मैदानों में से एक के रूप में मशहूर है जिसमें बल्लेबाजों को अपने शॉट के लिये उचित रन मिलेंगे।

पहले वनडे में धवन (77 गेंद में 72 रन) और गिल (65 गेंद में 50 रन) ने पहले विकेट के लिये 123 रन की भागीदारी निभायी थी लेकिन ईडन पार्क जैसे छोटे मैदान पर सात विकेट पर 306 रन का स्कोर कम से कम 40 रन से कम रहा। गेंदबाजों ने महज 47 ओवर में ये रन गंवा दिये जिससे जिम्मेदारी मुख्य बल्लेबाजों पर ही आ जाती है क्योंकि अगर वाशिंगटन सुंदर ने शानदार योगदान नहीं दिया होता तो भारत 300 रन के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाता।

यह काफी हद तक पहले 10 पावरप्ले ओवरों में भारतीय सलामी बल्लेबाजों के सतर्कता भरे दृष्टिकोण की बदौलत ही हुआ जिसमें जरूरत के मुताबिक रन नहीं बने। मोईन अली ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि जो टीमें पहले सफेद गेंद के क्रिकेट में आस्ट्रेलिया के तरीके को अपनाती थीं अब वे इंग्लैंड की ओर देखने लगी हैं जिसने हाल के दिनों में इस प्रारूप में शानदार प्रदर्शन किया है। भारतीय टीम इसी में पिछड़ रही है और ऑकलैंड में टीम पहले पावरप्ले ओवर में कम से कम 40 रन से पिछड़ी।

पहले वनडे में हार के बाद धवन ने बताया कब और कहां फिसला टीम इंडिया के हाथ से मैच?

19 5 23

19 चौके, 5 छक्के, लाजवाब पारीः टॉम लाथम ने 23 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा, भारतीय गेंदबाजों को किया बेहाल

एक और आंकड़े से भारतीय शीर्ष क्रम बल्लेबाजों के सीमित ओवर के प्रारूप में रवैये का पता चलता है (इसमें सिर्फ रोहित शर्मा, केएल राहुल या विराट कोहली ही शामिल नहीं हैं)। धवन ने 77 गेंद में 72 रन बनाये जिसमें 13 चौके जड़े थे। जिससे उन्होंने 13 गेंदों में चौकों से 52 रन जोड़े। जबकि बचे हुए 20 रन के लिये उन्होंने 64 गेंद खेली और इसमें से 44 ‘डॉट’ गेंद रहीं क्योंकि वह पावरप्ले में रन नहीं बना पा रहे थे। जहां कप्तान एक ओर जूझ रहा था, वहीं गिल ने एक और अर्धशतक जड़कर अपने कुल औसत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन उनकी पारी की रफ्तार भी बहस का विषय है।

उन्होंने 65 गेंद में 50 रन बनाये जिसमें तीन छक्के और एक चौका जड़ा था। मतलब चार गेंद में 22 रन बने। उन्होंने बाकी के 28 रन 61 गेंद खेलकर बनाये।

पारी की नींव तैयार करने और तेजी से रन जुटाने का काम अंत की ओर छोड़ने के इसी रवैये से भारत ने टी20 विश्व कप गंवा दिया लेकिन हैरानी की बात है कि इस चलती औसत तुलना श्रृंखला के लिये वनडे में खिलाड़ियों के बदलने के बावजूद बल्लेबाजी दृष्टिकोण वही पुराना वाला बना हुआ है।

IND vs NZ

IND vs NZ: कंसिस्टेंसी का दूसरा नाम श्रेयस अय्यर, वनडे में जारी है बल्ले का धमाल

Shikhar Dhawan IND vs NZ

Shikhar Dhawan, IND vs NZ: शिखर धवन की शानदार कप्तानी पारी, एक खास रिकॉर्ड भी बनाया

पारी का आगाज करने के लिये इतने सारे खिलाड़ी मशक्कत कर रहे हैं तो यह निहायत ही जरूरी है कि खिलाड़ी तेजी से रन जुटाये ताकि 50 ओवर के विश्व कप से तीन या चार महीने पहले नये चयनकर्ता पूल की 20 के करीब छंटनी करें तो रन की संख्या की अनदेखी नहीं चलती औसत तुलना की जा सकती। धवन निश्चित रूप से अगले महीने बांग्लादेश में रोहित के साथ पारी का आगाज करेंगे और कोई गारंटी नहीं है कि शुभमन अंतिम एकादश में अपना स्थान बरकरार रख पायेंगे क्योंकि रोहित सलामी बल्लेबाज के तौर पर वापसी करेंगे। केएल राहुल मध्यक्रम में सूर्यकुमार यादव (अगली श्रृंखला के लिये आराम दिये जाने पर) का स्थान ले सकते हैं।

टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की तुलना में वनडे में ऋषभ पंत का स्ट्राइक रेट और औसत काफी बेहतर है लेकिन इस श्रृंखला के उप कप्तान को और अधिक निरंतर रहने की जरूरत है ताकि विकेटकीपिंग के लिये संजू सैमसन और ईशान किशन से आगे रह सकें जो निश्चित रूप से उनके करीब हैं। ईडन पार्क की पिच पर भारतीय तेज गेंदबाजों ने काफी कम गेंदबाजी की है। उन्हें टॉम लैथम और केन विलियमसन से मुकाबला करने के लिये तरीका ढूंढने की जरूरत है। ये दोनों खिलाड़ी इस प्रारूप में भारत के खिलाफ काफी निरंतर रहे हैं।

उमरान मलिक 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने में प्रभावी रहे, अर्शदीप सिंह स्विंग हासिल करने की काबिलियत के बावजूद जूझते दिखे और शारदुल ठाकुर भी अच्छा नहीं कर पाये। टॉस भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा क्योंकि सेडोन पार्क पर शाम होते होते बल्लेबाजी करना आसान हो जाता है।

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टिम साउदी ने सूर्यकुमार को बताया भारत का सर्वश्रेष्ठ टी20 प्लेयर बनने का फॉर्मूला

अगर किसी को बुरा भी लगे, तब भी मैं. वनडे सीरीज से पहले कप्तान शिखर धवन ने दिया बेबाक बयान

अगर भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा करती है तो उनके लिये अच्छा होगा क्योंकि स्पिनरों को शाम में ओस की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

दोनों टीमें इस प्रकार हैं

भारत: शिखर धवन (कप्तान), शुभमन गिल, सूर्यकुमार यादव, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), संजू सैमसन (विकेटकीपर), दीपक हुड्डा, शाहबाज अहमद, वाशिंगटन सुंदर, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, दीपक चाहर, अर्शदीप सिंह, शार्दुल ठाकुर और उमरान मलिक।

न्यूजीलैंड: केन विलियमसन (कप्तान), फिन एलेन, डेविन कॉनवे, टॉम लाथम, डेरिल मिचेल, ग्लेन फिलिप्स, माइकल ब्रेसवेल, टिम साउदी, मैट हेनरी, एडम मिल्ने, जिमी नीशम, मिचेल सेंटनर और लॉकी फॉर्ग्यूसन।

India vs America: भारत से कितना महंगा है अमेरिका में रहना, समझिए रोटी, कपड़ा और मकान का खर्च

India vs America: भारत से कितना महंगा है अमेरिका में रहना, समझिए रोटी, कपड़ा और मकान का खर्च

डीएनए हिंदी: भारत के नागरिक अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बसने के नाम पर अमेरिका को काफी तरजीह देते हैं. पढ़ाई-लिखाई के लिए भी अमेरिका भारतीयों की पहली पसंद है. यही वजह है कि हर साल लाखों भारतीय अमेरिका जाते हैं. इनमें से बहुत सारे लोग अमेरिका में ही बस जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि रहने और नौकरी के लिहाज से भारत और अमेरिका में से कौन सा देश ज़्यादा महंगा या सस्ता है? यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अमेरिका में डॉलर चलता है और भारत में रुपया. फिलहाल, एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से भी ज़्यादा है.

बीते कई महीनों से अमेरिका समेत दुनिया के कई देश महंगाई और मंदी की दोहरी मार से जूझ रहे हैं. भारत भी इससे बच नहीं सका है. भारत में भी डीजल-पेट्रोल की कीमतें बीते कई सालों की तुलना में सबसे ज़्यादा हैं. इसके बावजूद, भारत, अमेरिका जैसे देशों की तुलना में रहने, खाने-पीने और जीवन जीने के लिए काफी सस्ता देश है. आइए आंकड़ों से समझते हैं.

खाना-पीना सस्ता या महंगा?
भारत में एक किलो चावल की औसत कीमत 31.38 रुपये है जबकि अमेरिका में इसी के लिए आपको 294.68 रुपये चुकाने पड़ते हैं. भारत में एक कप कैपुचीनो कॉफी के लिए औसतन 203.15 रुपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि अमेरिका में इसी कॉफी के लिए आपको 439.06 रुपये देने पड़ेगे. इन दो चीजों की तुलना से आप समझ सकते हैं कि रुपये में देखा जाए तो खाना-पीना भारत की तुलना में कई गुना महंगा है.

इसके अलावा, भारत में सामान्य तौर पर पानी, बिजली, कूड़े वाला का बिल लगभग 3621 रुपये महीने हो जाता है, जबकि अमेरिका में इसी काम के लिए आपको चलती औसत तुलना 13,855 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं. दूसरी तरफ, भारत में गैस का एक गैलन 418.18 रुपये का है जबकि अमेरिका में इसके लिए 398.54 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसकी वजह यह है कि अमेरिका पेट्रोलियम का उत्पादन खुद करता है और भारत को इसका आयात करना पड़ता है.

अन्य चीजों पर कितना खर्च होता है?
भारत में टैक्सी के लिए प्रति किलोमीटर औसतन खर्च 40.23 रुपये है जबकि अमेरिका में यही खर्च 244.56 रुपये है. भारत में मोबाइल टैरिफ का एक मिनट का खर्च 0.93 पैसे और अमेरिका में यही खर्च 8.48 रुपये है. भारत में मूवी टिकट 350 रुपये तो अमेरिका में यही टिकट 1470.42 रुपये है. अमेरिका में बच्चों के स्कूल की पढ़ाई पर हर महीने औसतन दो लाख रुपये का खर्च आता है जबकि भारत में यही खर्च 9,081 रुपये है.

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HAMILTON : श्रृंखला बचाने के लिये भारतीय बल्लेबाजों को बदलना होगा ‘पावरप्ले’ में खेलने का रवैया

Hamilton: To save the series, Indian batsmen will have to change the attitude of playing in

हैमिल्टन: (HAMILTON) भारतीय टीम जब रविवार को यहां ‘करो या मरो’ के दूसरे एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड से भिड़ेगी तो उम्मीद करेगी कि कप्तान शिखर धवन और युवा शुभमन गिल ‘पावरप्ले’ ओवरों में बेहतर रवैया अपनायें।सेडोन पार्क तीनों ओर से खुला मैदान है लेकिन न्यूजीलैंड में बल्लेबाजों के लिये सबसे मददगार मैदानों में से एक के रूप में मशहूर है जिसमें बल्लेबाजों को अपने शॉट के लिये उचित रन मिलेंगे।

पहले वनडे में धवन (77 गेंद में 72 रन) और गिल (65 गेंद में 50 रन) ने पहले विकेट के लिये 123 रन की भागीदारी निभायी थी लेकिन ईडन पार्क जैसे छोटे मैदान पर सात विकेट पर 306 रन का स्कोर कम से कम 40 रन से कम रहा।गेंदबाजों ने महज 47 ओवर में ये रन गंवा दिये जिससे जिम्मेदारी मुख्य बल्लेबाजों पर ही आ जाती है क्योंकि अगर वाशिंगटन सुंदर ने शानदार योगदान नहीं दिया होता तो भारत 300 रन के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाता।यह काफी हद तक पहले 10 पावरप्ले ओवरों में भारतीय सलामी बल्लेबाजों के सतर्कता भरे दृष्टिकोण की बदौलत ही हुआ जिसमें जरूरत के मुताबिक रन नहीं बने।

मोईन अली ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि जो टीमें पहले सफेद गेंद के क्रिकेट में आस्ट्रेलिया के तरीके को अपनाती थीं अब वे इंग्लैंड की ओर देखने लगी हैं जिसने हाल के दिनों में इस प्रारूप में शानदार प्रदर्शन किया है।भारतीय टीम इसी में पिछड़ रही है और ऑकलैंड में टीम पहले पावरप्ले ओवर में केवल 40 रन ही बना सकी।एक और आंकड़े से भारतीय शीर्ष क्रम बल्लेबाजों के सीमित ओवर के प्रारूप में रवैये का पता चलता है (इसमें सिर्फ रोहित शर्मा, केएल राहुल या विराट कोहली ही शामिल नहीं हैं)।

धवन ने 77 गेंद में 72 रन बनाये जिसमें 13 चौके जड़े थे। जिससे उन्होंने 13 गेंदों में चौकों से 52 रन जोड़े। जबकि बचे हुए 20 रन के लिये उन्होंने 64 गेंद खेली और इसमें से 44 ‘डॉट’ गेंद रहीं क्योंकि वह पावरप्ले में रन नहीं बना पा रहे थे।जहां कप्तान एक ओर जूझ रहा था, वहीं गिल ने एक और चलती औसत तुलना अर्धशतक जड़कर अपने कुल औसत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन उनकी पारी की रफ्तार भी बहस का विषय है।उन्होंने 65 गेंद में 50 रन बनाये जिसमें तीन छक्के और एक चौका जड़ा था। मतलब चार गेंद में 22 रन बने। उन्होंने बाकी के 28 रन 61 गेंद खेलकर बनाये।

पारी की नींव तैयार करने और तेजी से रन जुटाने का काम अंत की ओर छोड़ने के इसी रवैये से भारत ने टी20 विश्व कप गंवा दिया लेकिन हैरानी की बात है कि इस श्रृंखला के लिये वनडे में खिलाड़ियों के बदलने के बावजूद बल्लेबाजी दृष्टिकोण वही पुराना वाला बना हुआ है।पारी का आगाज करने के लिये इतने सारे खिलाड़ी मशक्कत कर रहे हैं तो यह निहायत ही जरूरी है कि खिलाड़ी तेजी से रन जुटाये ताकि 50 ओवर के विश्व कप से तीन या चार महीने पहले नये चयनकर्ता पूल की 20 के करीब छंटनी करें तो रन की संख्या की अनदेखी नहीं की जा सकती।

धवन निश्चित रूप से अगले महीने बांग्लादेश में रोहित के साथ पारी का आगाज करेंगे और कोई गारंटी नहीं है कि शुभमन अंतिम एकादश में अपना स्थान बरकरार रख पायेंगे क्योंकि रोहित सलामी बल्लेबाज के तौर पर वापसी करेंगे। केएल राहुल मध्यक्रम में सूर्यकुमार यादव (अगली श्रृंखला के लिये आराम दिये जाने पर) का स्थान ले सकते हैं।टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की तुलना में वनडे में ऋषभ पंत का स्ट्राइक रेट और औसत काफी बेहतर है लेकिन इस श्रृंखला के उप कप्तान को और अधिक निरंतर रहने की जरूरत है ताकि विकेटकीपिंग के लिये संजू सैमसन और ईशान किशन से आगे रह सकें जो निश्चित रूप से उनके करीब हैं।ईडन पार्क की पिच पर भारतीय तेज गेंदबाजों ने काफी कम गेंदबाजी की है। उन्हें टॉम लैथम और केन विलियमसन से मुकाबला करने के लिये तरीका ढूंढने की जरूरत है। ये दोनों खिलाड़ी इस प्रारूप में चलती औसत तुलना भारत के खिलाफ काफी निरंतर रहे हैं।

उमरान मलिक 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने में प्रभावी रहे, अर्शदीप सिंह स्विंग हासिल करने की काबिलियत के बावजूद जूझते दिखे और शारदुल ठाकुर भी अच्छा नहीं कर पाये।टॉस भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा क्योंकि सेडोन पार्क पर शाम होते होते बल्लेबाजी करना आसान हो जाता है।अगर भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा करती है तो उनके लिये अच्छा होगा क्योंकि स्पिनरों को शाम में ओस की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।देखना होगा कि युजवेंद्र चहल की जगह कुलदीप यादव को आजमाया जाता है या नहीं।

टीमें इस प्रकार हैं :

भारत:
शिखर धवन (कप्तान), शुभमन गिल, सूर्यकुमार यादव, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), संजू सैमसन (विकेटकीपर), दीपक हुड्डा, शाहबाज अहमद, वाशिंगटन सुंदर, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, दीपक चाहर, अर्शदीप सिंह, शार्दुल ठाकुर और उमरान मलिक।

न्यूजीलैंड:
केन विलियमसन (कप्तान), फिन एलेन, डेविन कॉनवे, टॉम लैथम, डेरिल मिशेल, ग्लेन फिलिप्स, माइकल ब्रेसवेल, टिम साउदी, मैट हेनरी, एडम मिल्ने, जिमी नीशाम, मिशेल सैंटनर और लॉकी फर्ग्यूसन।मैच भारतीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू होगा।

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