क्रिप्टोकरेंसी इन इंडिया

बाजार साधन

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5 Main Instruments of Money Market in India

Treasury bills, also known as Zero Coupon Bonds are the instrument of short term borrowing with maturity period of less than one year.

This instrument is issued by Reserve Bank of India on behalf of the Central Government for fulfilling short term requirements of funds. They are issued at discount and are paid at par.

This difference between the issue and the redemption price is the interest payable. They are highly liquid and no risk of default of payment is there. They are issued of Rs.25, 000 or in multiples thereof.

For example, suppose an investor purchases a 108 days Treasury bill for Rs. 138,000 having face value of Rs. 1, 50, 000. On maturity, he receives Rs. 1, 50,000. The difference of Rs. 12, 000 in the issue and redemption price is the interest received by him.

2. Commercial Paper:

Commercial Paper (CP) is a short term unsecured promissory note with maturity period of 15 days to one year. Since it is unsecured, it is issued by the large and creditworthy companies to meet their short term fund requirements.

Commercial Paper is issued at discount and redeemed at par. It is negotiable and transferable by endorsement. The funds raised through Commercial Paper can be used for fulfilling seasonal and working capital need. For example, for meeting the floatation cost at the time of issue of shares and debentures i.e. Bridge Financing.

3. Call Money:

Call Money is short term finance used for interbank transactions. It has a maturity period of one day to fifteen days. All the commercial banks are required to maintain cash balance which is known as Cash Reserve Ratio (CRR).

The Reserve Bank of India keeps on changing this ratio from time to time thus affecting the availability of funds, for providing loans, with the banks. Call money is a facility under which banks borrow money from each other to maintain CRR at rate of interest known as Call Rate.

This rate keeps on changing from day to day and sometimes from hour to hour. The relationship between call rates and other short term instruments such as commercial papers, certificates of deposit etc. is an inverse relationship. An increase in call money rates increases the demand for other short term instruments.

4. Certificate of Deposit:

Certificates of deposit are short term instruments issued by commercial banks and financial institutions to the individuals, corporations and companies. They are unsecured and negotiable. Such instruments are usually issued by banks when they have a tight liquidity position because of slow growth of bank deposits but the demand for credit is high.

5. Commercial Bills:

Commercial bill is a bill of exchange used to finance the credit sales of firms. It is a short term, negotiable and self liquidity instrument. In case of goods sold on credit, the buyer is liable to make the payment on a specific date in future.

The seller could either wait till the maturity date or can draw a bill of exchange. When this bill is accepted by the buyer it becomes a marketable instrument and is called a trade bill. If the seller wants the funds before the maturity date, he can get the bill discounted from the bank. When a commercial bank accepts a trade bill it becomes a commercial bill.

देश में शेयर बाजार का विस्तार हिंदी बनी आधार

बीते कुछ वर्षों में शेयर बाजार तथा वित्तीय बाजारों में आम लोगों की रुचि लगातार बढ़ी है। इसमें हिंदी में बढ़ती सामग्री की काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। बैंकों, ब्रोकरेज हाउस, म्युचुअल फंड और वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा विकसित और इस्तेमाल किए जा रहे ऐ​प्लिकेशन में हिंदी भाषा की उपलब्धता तथा हिंदी में पठनीय सामग्री उपलब्ध होने के कारण देश के दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों को भी निवेश संबंधी निर्णय लेने में सहूलियत हो रही है। यही कारण है कि जिंस से लेकर शेयर बाजार, प्राथमिक और द्वितीयक बाजार, म्युचुअल फंड तथा अन्य वित्तीय उत्पादों में खुदरा निवेशकों का योगदान काफी तेजी से बढ़ा है। पिछले वर्ष विभिन्न कंपनियों की प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश की कामयाबी में भी खुदरा निवेशकों का अहम योगदान था।

बढ़े हिंदी में वित्तीय समझ के साधन

कोरोना काल के दौरान और उसके बाद आम लोगों के बीच बाजार और निवेश को लेकर हिंदी में डिजिटल सामग्री की मांग तेजी से बढ़ी है। पहले जहां लोग ऐसी सामग्री के लिए मुख्यधारा के हिंदी समाचार पत्रों और हिंदी बिज़नेस समाचार चैनलों पर निर्भर थे, वहीं अब यह बाजार साधन निर्भरता अब कम हुई है। अब लोगों के पास यूट्यूब चैनल, ब्लॉग, वेबसाइट, ओटीटी प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से हिंदी भाषा में अत्यधिक विविधतापूर्ण सामग्री पहुंच रही है। विशेषज्ञों के अनुसार बाजार का विस्तार पूरी तरह 3वी यानी वॉयस (आवाज), वीडियो और वर्नाकुलर (देसी भाषाएं) के आधार पर हो रहा है।

कैसे हुआ यह बदलाव?

पिछले कुछ वर्षों में आए इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह लोगों तक इंटरनेट की आसान और सस्ती पहुंच तथा स्मार्ट फोन की घटती कीमत और बढ़ता इस्तेमाल है। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश भर में फिलहाल 69 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं। इनमें 35.1 करोड़ लोग ग्रामीण तथा 34.1 करोड़ लोग शहरी क्षेत्रों के रहने वाले हैं। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2025 तक देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की तादाद 90 करोड़ का स्तर पार कर सकती है।

गूगल की वर्ष 2021 की सालाना सर्च रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल देश में 65 करोड़ से अधिक लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। यह आंकड़ा हर तिमाही में औसतन 2.5 करोड़ की रफ्तार से बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लगभग 40 प्रतिशत उपभोक्ता तब तक ऑनलाइन खरीदारी नहीं करते हैं जब तक कि उन्हें अपनी भाषा में पर्याप्त जानकारी नहीं मिल जाती है। गूगल सर्च में ट्रांसलेशन का बढ़ता इस्तेमाल भी यही बताता है कि लोग अपनी भाषा में जानकारी जुटाने की हरसंभव कोशिश करते हैं।

मोबाइल कंपनियों और ऐप की पहल

मोबाइल कंपनियों और ऐप डेवलप करने वाली कंपनियों की भी हिंदी सामग्री को बढ़ावा देने में अहम भूमिका है। मोबाइल कंपनियां अंग्रेजी के साथ हिंदी तथा अन्य भाषाओं को पर्याप्त तवज्जो दे रही हैं। कंटेंट लोकलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है और ऐ​प्लिकेशन डेवलपर भी हिंदी में विभिन्न प्रकार के ऐप तथा अन्य सामग्री लेकर आ रहे हैं। गूगल इंडिक ऐ​प्लिकेशन की मदद से मोबाइल फोन पर हिंदी टाइप करना अंग्रेजी के समान ही आसान हो गया है। ऑनलाइन लेनदेन के बढ़ते चलन ने भी बाजार की पहुंच को दूर-दूर तक पहुंचाने में सहायता की है।

आईएएमएआई की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में फिलहाल करीब 34.6 करोड़ लोग ऑनलाइन लेनदेन करते हैं। 2019 में यह तादाद केवल 23 करोड़ थी। ऑनलाइन लेनदेन के सुविधाजनक होने के कारण भी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश करने वालों के बीच का अंतर कम हुआ है। निवेश करने के लिए अब लोगों को किसी वित्तीय सलाहकार के पास जाकर तकनीकी जानकारी जुटाने की जरूरत नहीं रह गई है। बल्कि उनके मोबाइल फोन पर ही सारी जानकारी उनकी भाषा में उपलब्ध है। सुविधाजनक ऑनलाइन लेनदेन ने इसे और आसान बनाया है।

वित्तीय योजनाओं और उत्पादों की ओर आम लोगों के बढ़ते रुझान को कई उदाहरणों की मदद से समझा जा सकता है:

डीमैट खातों में बढ़ोतरी

देश में मौजूद ढेरों ब्रोकरेज हाउस जहां पहले अपने ग्राहकों को केवल अंग्रेजी में सलाह तथा रिपोर्ट मुहैया कराते थे वहीं अब मांग को देखते हुए उन्होंने हिंदी में सामग्री उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि हाल के दिनों में ज्यादातर डीमैट खाते दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में खुले हैं। अगस्त 2022 के अंत तक देश में कुल मिलाकर 10.05 करोड़ डीमैट खाते थे। अकेले अगस्त माह में 22 लाख नये डीमैट खाते खोले गए हैं।

नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड (सीडीएसएल) के आंकड़ों के मुताबिक करीब ढाई साल की अवधि में देश में बाजार साधन डीमैट खातों की संख्या में करीब 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2020 तक देश में डीमैट खातों की संख्या 4.09 करोड़ थी। वित्त वर्ष 19-20 में 50 लाख नए डीमैट खाते खुले, 20-21 में 1.5 करोड़ तथा 21-22 में तीन करोड़ खाते खुले।

म्युचुअल फंड के जरिये निवेश में जबरदस्त इजाफा

एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) की मासिक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2022 में म्युचुअल फंड खातों की कुल संख्या पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 29 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 13.55 करोड़ तक जा पहुंची। खुदरा निवेशकों के म्युचुअल फंड खातों (फोलियो) की कुल संख्या भी बढ़कर 10.80 करोड़ की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गयी। खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी की पुष्टि इस बात से भी होती है कि जुलाई में एसआईपी (सिप) की प्रबंधन योग्य परिसंपत्ति का आंकड़ा पहली बार छह लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया। एसआईपी खातों की संख्या भी बढ़कर अब तक के उच्चतम स्तर पर यानी 5.61 करोड़ तक चली गई। ये आंकड़े यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि छोटे-छोटे शहरों के निवेशक म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश को लेकर बहुत अधिक उत्साहित हैं। जाहिर है इसमें हिंदी सामग्री की भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती है।

जिंस बाजार में भागीदारी

जिंस यानी कमोडिटी एक्सचेंजों पर भी कारोबार (खासकर एग्री कमोडिटी) में बढ़ोतरी इस बाजार को लेकर आम लोगों के बढ़ते रुझान को दिखाता है। एनसीडीईएक्स के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में एक्सचेंज के रोज के औसत कारोबार में 47 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह कोविड के पहले के स्तर से ऊपर चला गया। यह स्थिति तब है जब कई अहम जिंस के कारेाबार पर प्रतिबंध लगा हुआ है। कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट के एग्री डेरिवेटिव क्षेत्र में 80 फीसदी कब्जा इसी एक्सचेंज का है। ओरिगो कमोडिटीज़ के सह-संस्थापक सुनूर कौल कहते हैं, ‘पिछले कुछ वर्षों में संचार माध्यमों के विकास के साथ देश में हिंदी को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि कारोबारी गतिविधियों में हिंदी की भागीदारी बढ़ रही है।’

कौल कहते हैं, ‘अगर हम अपने कारोबार की बात करें तो देशभर में हमसे जुड़ा कारोबारी तबका हिंदी बोलता और समझता है। यही वजह है कि हम उनके लिए अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी कमोडिटीज़ की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और साथ ही उनके लिए हिंदी में वीडियो भी बना रहे हैं। कंपनी की बैठकों में भी हिंदी को बढ़ावा दिया जाता है।’

वहीं फिनसेफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक मृण अग्रवाल कहती हैं, 'व्यापक पहुंच के लिए पर्सनल फाइनैंस (पीएफ) सामग्री का हिंदी में होना अनिवार्य है। मुख्यधारा के मीडिया और सोशल मीडिया में बहुत सारी हिंदी सामग्री उपलब्ध है लेकिन बचत, निवेश, उधार और वित्तीय नियोजन पर ऐसी सामग्री की आवश्यकता है जो सरल और समझने में आसान हो।'

कुल मिलाकर बाजार और हिंदी दोनों अब एक दूसरे की आवश्यकता बन गए हैं और एक दूसरे के साथ से दोनों लाभान्वित हो रहे हैं।

बाजार साधन

एक वित्तीय साधन दो या दो से अधिक पार्टियों या कुछ मौद्रिक मूल्य वाले व्यक्तियों के बीच एक अनुबंध को संदर्भित करता है। पार्टियों की जरूरतों के अनुसार उन्हें गठित, व्यवस्थित, व्यापार या संशोधित किया जा सकता है। बुनियादी शब्दों में, एक वित्तीय साधन एक परिसंपत्ति को संदर्भित करता है जो धारण करता हैराजधानी और पर भी ट्रेड किया जा सकता हैमंडी.

Financial Instruments

चेक,बांड, स्टॉक, विकल्प अनुबंध और शेयर वित्तीय साधनों के प्राथमिक उदाहरण हैं।

वित्तीय साधनों के प्रकार

दो सबसे सामान्य प्रकार के वित्तीय साधन इस प्रकार हैं:

1. नकद लिखत

नकद साधन वित्तीय उत्पादों को संदर्भित करते हैं जिनके मूल्य वर्तमान बाजार स्थितियों से तुरंत प्रभावित होते हैं। दो प्रकार के नकद साधन हैं:

प्रतिभूति: एक सुरक्षा किसी भी स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार किए जा रहे मौद्रिक-मूल्यवान वित्तीय साधन को संदर्भित करता है। सुरक्षा किसी भी निगम के एक हिस्से के स्वामित्व को भी इंगित करती है जिसे खरीदा या बेचा जाने पर स्टॉक एक्सचेंज में सार्वजनिक रूप से कारोबार किया जाता है।

ऋण और जमा: इन्हें नकद लिखतों के रूप में वर्गीकृत किया गया है क्योंकि ये संविदात्मक व्यवस्था के अधीन वित्तीय संपदा को दर्शाते हैं।

2. व्युत्पन्न उपकरण

व्युत्पन्न उपकरण वित्तीय उत्पादों को संदर्भित करते हैं जिनके मूल्य निर्भर करते हैंआधारभूत कमोडिटीज, मुद्राएं, स्टॉक, बॉन्ड और स्टॉक इंडेक्स सहित संपत्ति। सिंथेटिक समझौते, वायदा, आगे, विकल्प और स्वैप पांच सबसे लगातार डेरिवेटिव उपकरण हैं। यह और अधिक गहराई में और नीचे आच्छादित है।

विदेशी मुद्रा के लिए सुरक्षित या सिंथेटिक समझौता: यह एक समझौते को संदर्भित करता है जो ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजार में एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए एक विशिष्ट विनिमय दर सुनिश्चित करता है।

आगे: यह दो पक्षों के बीच एक अनुबंध को संदर्भित करता है जिसमें अनुकूलन योग्य डेरिवेटिव शामिल होते हैं और अनुबंध के अंत में एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर एक एक्सचेंज शामिल होता है।

भविष्य: यह एक व्युत्पन्न लेनदेन को संदर्भित करता है जो आपको भविष्य की तारीख में एक पूर्व निर्धारित विनिमय दर पर डेरिवेटिव व्यापार करने की अनुमति देता है।

विकल्प: यह दो पक्षों के बीच एक अनुबंध है जिसमें विक्रेता खरीदार को एक निश्चित समय अवधि के लिए पूर्व निर्धारित मूल्य पर एक विशेष संख्या में डेरिवेटिव खरीदने या बेचने का अधिकार प्रदान करता है।

ब्याज दर पलटें: यह दो पक्षों के बीच एक व्युत्पन्न व्यवस्था को संदर्भित करता है जिसमें प्रत्येक पार्टी विभिन्न मुद्राओं में अपने ऋणों पर विभिन्न ब्याज दरों का भुगतान करने का वादा करती है।

विदेशी मुद्रा लिखत

विदेशी मुद्रा उपकरण किसी भी विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबार किए जाने वाले वित्तीय साधनों को संदर्भित करते हैं। इसमें मुख्य रूप से डेरिवेटिव और मुद्रा समझौते शामिल हैं। मौद्रिक अनुबंधों के संदर्भ में, उन्हें निम्नानुसार तीन प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

एक मुद्रा व्यवस्था जिसमें वास्तविक मुद्रा विनिमय समझौते की मूल तिथि के बाद दूसरे कार्य दिवस के तुरंत बाद होता है। मुद्रा विनिमय "मौके पर" किया जाता है, इसलिए शब्द "स्पॉट" (सीमित समय सीमा)।

एकमुश्त आगे

एक मौद्रिक सौदा जिसमें वास्तविक बाजार साधन मुद्रा विनिमय "समय से पहले" और सहमत-समय सीमा से पहले होता है। यह उन स्थितियों में फायदेमंद होता है जहां मुद्रा दरों में अक्सर उतार-चढ़ाव होता है।

मुद्राओं की अदला बदली

एक मुद्रा स्वैप एक ही समय में विविध मूल्य अवधि के साथ मुद्राओं की खरीद और बिक्री की गतिविधियां है।

वित्तीय साधन संपत्ति वर्ग

वित्तीय साधनों को दो परिसंपत्ति समूहों और ऊपर सूचीबद्ध वित्तीय साधनों के प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। ऋण-आधारित वित्तीय साधन और इक्विटी-आधारित वित्तीय साधन वित्तीय साधनों के दो परिसंपत्ति वर्ग हैं।

1. ऋण आधारित वित्तीय साधन

ऋण-आधारित वित्तीय साधन ऐसी तकनीकें हैं जिन्हें एक कंपनी अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए नियोजित कर सकती है। बांड, बंधक, डिबेंचर,क्रेडिट कार्ड, और ऋण रेखाएं इसके कुछ उदाहरण हैं। वे कारोबारी माहौल का एक अनिवार्य पहलू हैं क्योंकि वे व्यवसायों को पूंजी बढ़ाकर मुनाफे में सुधार करने की अनुमति देते हैं।

2. इक्विटी आधारित वित्तीय लिखत

इक्विटी-आधारित वित्तीय साधन ऐसी संरचनाएं हैं जो किसी व्यवसाय के कानूनी स्वामित्व के रूप में कार्य करती हैं। सामान्य स्टॉक, पसंदीदा शेयर, परिवर्तनीय डिबेंचर और हस्तांतरणीय सदस्यता अधिकार सभी उदाहरण हैं। वे ऋण-आधारित वित्तपोषण की तुलना में फर्मों को लंबे समय तक पूंजी बनाने में मदद करते हैं, लेकिन उन्हें मालिक को किसी भी ऋण को चुकाने की आवश्यकता नहीं होने का लाभ होता है। एक कंपनी जो एक इक्विटी-आधारित वित्तीय साधन का मालिक है, वह या तो इसमें अधिक निवेश कर सकती है या जब भी उपयुक्त हो इसे बेच सकती है।

भारत में फोर्टिस हमारा मुख्य जरिया बना रहेगाः आईएचएच

नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) मलेशियाई कंपनी आईएचएच हेल्थकेयर ने भारतीय बाजार के लिए खुद को दीर्घावधि में प्रतिबद्ध जताते हुए कहा है कि फोर्टिस हेल्थकेयर भारतीय बाजार में वृद्धि के लिए उसका मुख्य साधन बनी रहेगी। आईएचएच हेल्थकेयर ने फोर्टिस में अतिरिक्त 26.1 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए खुली पेशकश लाने पर लगी रोक को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कानूनी लड़ाई जारी रहने से वह अतिरिक्त पूंजी नहीं लगा पा रही है। यह खुली पेशकश दिसंबर 2018 में लाई जानी थी लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश की वजह से ऐसा नहीं हो पाया था। अब भी सिंह बंधुओं

आईएचएच हेल्थकेयर ने फोर्टिस में अतिरिक्त 26.1 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए खुली पेशकश लाने पर लगी रोक को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कानूनी लड़ाई जारी रहने से वह अतिरिक्त पूंजी नहीं लगा पा रही है।

यह खुली पेशकश दिसंबर 2018 में लाई जानी थी लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश की वजह से ऐसा नहीं हो पाया था। अब भी सिंह बंधुओं और डायची सैंको के बीच जारी विवाद की वजह से फोर्टिस का मामला कानूनी अड़चनों में फंसा हुआ है।

आईएचएच हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी केल्विन लोह ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि पिछले चार साल भारतीय कारोबार के नजरिये से खासा निराश करने वाले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति के बावजूद आईएचएच के लिए भारत अहम बाजारों में से एक बना हुआ है। इसमें फोर्टिस हेल्थकेयर ही अग्रणी भूमिका में रहेगी।

आईएचएच भारत, मलेशिया, सिंगापुर एवं तुर्किये समेत 10 देशों में कुल 82 अस्पतालों का संचालन करती है।

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बाजार साधन

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Annual Examination 2019

परिवहन तथा संचार के साधन किसी .

Solution : रेडियो, टेलीविजन, ई-मेल, टेलीग्राम आदि संचार के साधन हैं जबकि रेलवे विमान सेवा, बसें, ट्रक, कारें आदि प्रमुख परिवहन के साधन हैं। (i) संबंध बनाने के लिए- परिवहन के साधन देश की जीवन रेखाएँ है। ये देश के एक भाग को अन्य भागों से जोड़ते हैं तथा सभी स्थानों पर आवश्यक उत्पादों को पहुंचाने में सहायक होते हैं।
(ii) अर्थव्यवस्था का विकास- ये उद्योगों का कच्चा माल लाने तथा तैयार माल को रेलवे तथा सड़कों द्वारा ढोने में सहायक होते हैं। कृषि भी परिवहन पर बहुत अधिक निर्भर करती है। (iii) राष्ट्रीय तथा सांस्कृतिक एकता- भारत एक विस्तृत देश है। परिवहन जाल विभिन्न जातियों, मतों, रंगों, धर्मों, भाषाओं और क्षेत्रों के लोगों को एक दूसरे के निकट लाता है। (iv) प्रौद्योगिकी का स्थानांतरण- ये बेहतर प्रौद्योगिकी का स्थानांतरण एक देश से दूसरे देश तथा एक राज्य से दूसरे राज्य में करने में मदद करते हैं। (v) बाजार से संबंध- संचार के साधन व्यापारियों को अन्य व्यापारियों से संबंध बनाए रखने में मदद करते हैं तथा परिवहन के साधन आवश्यक उत्पाद प्रदान करते हैं।

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