क्रिप्टोकरेंसी इन इंडिया

स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें

स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें
Fig.- 4

Which indicators is best with Bollinger Bands?

हर वह व्यक्ति जो शेयर बाजार में काम करना चाहता है या कर रहा है वह हमेशा ऐसे टूल के पीछे समय देता रहता है जिससे कि वह बाजार का पूर्वानुमान लगा सके कि कहां से बाजार ऊपर जाएगा और कहां से बाजार नीचे चला आएगा इस तरीके के भावनाओं के साथ अलग-अलग टूल्स का उपयोग करने के लिए उसे ढूंढता रहता है उसी क्रम में आज हम एक टूल की बात करेंगे जिसका नाम है Bollinger Bands।

जैसा कि हम सभी जानते हैं बाजार हमेशा ऊपर और नीचे होता रहता है यह कभी भी स्थिर नहीं होता और इस स्थिति में हम सभी बाजार का सही प्राइस ढूंढने की प्रयास करते रहते हैं ताकि हम अच्छे जगह पर एंट्री लेकर अपना प्रोफिट बना सके इस जगह की तलाश करने के लिए हम ना जाने कितने इंडिकेटर प्राइस एक्शन टेंडर्स अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।

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हम सभी जो बाजार में काम कर रहे होते हैं सारे लोग मार्केट का भविष्य बताने का काम करते रहते हैं और इस क्रम में हम यह भूल जाते हैं कि भविष्य का वर्णन सटीकता से किया जा सकता है या नहीं।

शेयर बाजार में शेयर का प्राइस को पता लगाने के लिए ही अलग-अलग टूल्स में से Bollinger Bands भी एक टूल्स है। हम इसी टूल्स के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं इसके साथ किस तरीके के ट्रेडिंग करने के लिए कौन से और दूसरे इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं सारी बातों की चर्चा करेंगे।

Bollinger Bands Indicator

Bollinger Bands आमतौर पर वोलेटिलिटी इंडिकेटर स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें होता है। जिसकी खोज 1980 के दशक में जॉन बोलिंजर नामक व्यक्ति ने किया था। इसमें सामान्य तौर पर 20 दिनों का मूविंग एवरेज लगे होते हैं जिससे दो स्टैंडर्ड डेविएशन ऊपर और नीचे लिया जाता है। जो एक चैनल की जैसा दिखता है।

Bollinger Bands काम कैसे करता है?

Bollinger Bands का इस्तेमाल टारगेट और एंट्री के लिए कैसे करें।

जैसा कि हम लोगों ने बात करा की Bollinger Bands में तीन लाइन बने होते हैं एक अपर लाइन दूसरा मिडिल लाइन और तीसरा लोअर लाइन जैसा की fig- में दिया गया है।

Fig.- 1

सामान्य तौर पर Bollinger Band में निचली लाइन से प्राइस अपर साइड मूव करती है और मिडिल लाइन जो 20 दिन के एवरेज को दिखता है वहा तक जाने के कोशिश करता है। उसी तरह से अगर 20 दिन के एवरेज प्राइस से प्राइस ऊपर के साइड मूव करता है तो वह अपने ऊपरी बैंड के लाइन तक जाने का कोशिश करता है।

Bollinger Bands की मुटाई कभी फैलती है तो कभी सिकुड़ती है अगर बाजार में कीमत बढती है तो वॉलेटिलिटी भी बढ़ती है और बैंड के बीच की दूरी भी चौड़ी हो जाती है, जबकि कम वॉलेटिलिटी के दौरान बैंड सिकुड़ जाती है। इसे बैंड का एक्सट्रैक्शन और कांट्रेक्शन कहते हैं। जब बैंड कंस्ट्रक्शन पीरियड में होता है तो उस दौरान मार्केट की वोलैटिलिटी कम होती है और प्राइस 1 रेंज में ट्रेड करता रहता है, जबकि बैंड जब एक्सट्रैक्शन पीरियड में होता है तो प्राइस का मूवमेंट डायरेक्शनल होता है और प्राइस उस निश्चित डायरेक्शन में मूव करती है।

Fig .- 2

Which indicators used with Bollinger Bands?

अगर आप Bollinger Bands के साथ और भी दूसरे इंडिकेटर का उपयोग करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह डिसाइड करना होगा कि, आप किस तरीके के ट्रेडर हैं अगर आप इंट्राडे में ट्रेड करना चाहते हैं तो उसके लिए हम अलग इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि इंट्राडे का मूवमेंट को अच्छे से बताने का कोशिश करता है साथ ही अगर आप स्विंग ट्रेडर है तो उसके लिए आप दूसरे इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।

Strategy for Swing trading

जब हम बात करते हैं स्विंग ट्रेडिंग की तो सुन ट्रेडिंग में एंट्री लेने के बाद हम अपने पोजीशन को 3 से 7 दिन या 7 से 15 दिन या 15 से 30 दिन तक के लिए अपने पास रखते हैं और उसके बाद प्रोफिट मिलने के बाद अपने पोजीशन से एग्जिट करते हैं। और इस तरीके के ट्रेडिंग के लिए Bollinger Bands के साथ हम RSI ( Relative Strength Index ) का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Fig. – 3

ऊपर के Fig.-3 में RSI 20 के पास आ गया और Bollinger Bands में प्राइस लोअर बैंड के पास आ कर होल्ड किया तो यहा एक बाइंग का एंट्री का सिग्नल मिल रहा है और प्राइस ऊपर भी गया। इस तरह के चार्ट अगर आप तलाशते है तो एक सही एंट्री आपको बाइंग साइड का मिल सकता है और आप बाय कर के एक अच्छा ट्रेड कर सकते है।

Fig.- 4

अब अगर सेलिंग के लिए एंट्री की बात करे तो उसके लिए आप fig.- 4 को देख सकते हैं जहा आप देख पा रहे होंगे की प्राइस Bollinger Bands के उपरी बैंड में टच किया और हमारा RSI भी 80 को टच कर चुका था। अब अगर बात करे तो RSI और Bollinger Bands दोनो सेलिंग जोन में आ गया है और अब प्राइस को नीचे आना पड़ता है। तो इस तरह से आप देख सकते है की Bollinger Bands और RSI के मदद से बाय और सेल कैसे किया जा सकता है।

Bollinger Bands for intraday with VWAP

सबसे पहले इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए हम टाइम फ्रेम को छोटे टाइम ड्यूरेशन में लेकर जाएंगे जैसे 5 और 15 मिनट का टाइम फ्रेम। जिसके बाद अपने चार्ट पर Bollinger Bands के साथ VWAP इंडिकेटर का उपयोग करेंगे। VWAP सामान्य तौर पर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए उपयोग में लाया जाने वाला सबसे आसान इंडिकेटर है इस इंडिकेटर के ऊपर अगर प्राइस जाता है तो बाइक किया जाता है और अगर इंडिकेटर VWAP के नीचे प्राइस जाता है तो सेल किया जाता है।

जब Bolllinger Bands का मध्य लाइन 20 पीरियड मूविंग एवरेज और VWAP के पास प्राइस आता हुआ और पहले से बैंड सिकुड़ा हुआ है तो VWAP का इस्तेमाल करते हुए बाय या सेल जो भी सिग्नल मिलता है उसका ट्रेड करते है जैसा की Fig.- 5 में दिखाया गया है।

Fig.- 5

इसी तरीके से बाइंग साइड के लिए भी हम पोजीशन बना सकते हैं अगर Bollinger Bands कॉन्ट्रैक्ट हो तथा VWAP के ऊपर प्राइस क्लोज करना स्टार्ट कर दे तो हम बाइंग स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें का पोजीशन इंट्राडे में बना सकते हैं जोकि Fig.- 6 में आपको दिखाया गया है।

Fig.- 6

अड्डामार्केट वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी विभिन्न प्रकार के तथ्य सभी विश्लेषण अनुमान बाजार अध्ययन या अन्य सामान्य मूल्यांकन या जानकारी प्रदान करता है कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले कृपया अपने सेबी रजिस्टर्ड एडवाइजर से सलाह मशवरा कर ले यहां पर प्रदान की गई जानकारी के आधार पर ट्रेड या इन्वेस्ट करने पर होने वाले प्रोफिट या लॉस का जिम्मेदार आप खुद होंगे अतः कोई भी ट्रेड पूरी तरह जिम्मेदारी से करें।

How candlestick charts work and what timeframe to choose

Types of charts

There are two basic types of charts available in Forex: Line and Japanese Candlestick. Let’s look closer at both of them.

Line charts

Line Charts are the simplest, as they only connect closing prices over a given time period and depict the general price trend.

You can use this type of chart as an overlay or for comparing charts when performing an inter-market analysis.

For example, you might compare the prices of the Australian dollar and gold using a line chart.

Candle charts

Japanese Candlesticks offer the most popular form of charting.

The candle chart bears much more information than the line chart and it is represented in an easy-to-grasp visual form.

The real body marks the स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें area between the open and the close price. If price closes above the open, the body is hollow. If the price ends up closing lower, the body is solid.

The hollow candle is referred to as white, and the solid candle is called black, though, in reality, the chart can be shown in any color.

The narrow line - called a shadow - shows the price range for the set time period.

One Japanese candlestick is basically a linear chart representing a price for a selected timeframe but shown in a more compact form.

Take a look at how a linear chart that represents a growing price converts into a white Japanese five-minute candle.

Now, this is how a linear chart that स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें represents a falling price converts into a black Japanese five-minute candle:

What timeframe to choose for the chart

Traders use monthly, weekly, daily, 4-hour, hourly, 15-minute and even 1-minute timeframes.

Ideally, traders pick the main timeframe they are interested in and then choose a longer and a shorter timeframe to complement the main one.

The longer timeframes typically contain fewer and more reliable signals. The shorter timeframes usually contain more signals with less accuracy.

There are several types of traders, and they have different trading styles.

Swing or position traders prefer holding trades for days or weeks.

They mainly focus on the daily charts for their trades. They can also make use of a weekly chart when defining the long-term trend, as you can see on the example. And track a 4-hour chart when defining the immediate short-term trend.

Intraday traders, who enter and exit the market the same day, pay more attention स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें to shorter timeframes such as the hourly and 4-hour charts for entry signals, and the daily chart for the broader trend.

स्टॉक खरीदने के लिए मूविंग एवरेज का उपयोग कैसे करें

यदि आप शेयर मार्केट से परिचित हैं तो आपने सुना होगा कि इन्वेस्टर, ट्रेडर और मार्केट पर नजर रखने वाले सभी लोग अक्सर स्टॉक की कीमतों का विश्लेषण करने की कोशिश करते हैं। इन उपायों में फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस ध्यान देने लायक हैं। टेक्निकल एनालिसिस के दौरान मूविंग एवरेज (या एमए) का ज़िक्र होता है। मूविंग एवरेज इंडिकेटर समझने के लिए आगे पढ़ें।

मूविंग एवरेज की परिभाषा

मूविंग एवरेज एक जरिया है टेक्निकल एनालिसिस का और लगातार अपडेटेड एवरेज प्राइस के साथ प्राइस डाटा तैयार किया जाता है। यहां जिस एवरेज की बात हो रही है वह ट्रेडर की पसंद के अनुसार लम्बे समय तय किया जाता है। यह अवधि 15 दिन, 40 मिनट या 30 सप्ताह की भी हो सकती है। अपने ट्रेडिंग रूटीन में मूविंग एवरेज को शामिल करना फायदेमंद साबित हो सकता है, खासकर जब आपके पास उस तरह के मूविंग एवरेज को चुनने का विकल्प होता है। मूविंग एवरेज स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें से संबंधित स्ट्रेटेजी काफी लोकप्रिय हैं और किसी भी समय-सीमा के अनुरूप तैयार की जा सकती हैं जो अल्पकालिक ट्रेडर्स के साथ-साथ लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्सों के लिए उपयुक्त है।

मूविंग एवरेज के उपयोग का महत्त्व

मूविंग एवरेज के ज़रिये आप अपने प्राइस चार्ट पर बेवजह के आंकड़े कम कर सकते हैं। मूविंग एवरेज की दिशा देखकर ही यह पता लगाया जा सकता है कि कीमत किस तरह बढ़ रही है। यदि यह ऊपर की तरह है, तो यह संकेत करता है कि कीमत समग्र रूप से बढ़ रही है, और यदि यह नीचे की ओर है, तो इसका मतलब है कि कीमत कुल मिलाकर गिर रही है। यदि मूविंग एवरेज साइडवेज़ चल रही है, तो इसका मतलब है कि कीमत सीमित दायरे में रहेगी।

मूविंग एवरेज सपोर्ट या रेजिस्टेंस के रूप में काम कर सकता है। 50- 100- या 200-दिन के मूविंग एवरेज से जुड़े अपट्रेंड के मामले में, यह सपोर्ट लेवल की भूमिका निभा सकता है क्योंकि मूविंग एवरेज ऐसे स्तर की भूमिका निभाता है जिसके बाद कीमत में उछाल आ सकती है। यदि डाउनट्रेंड है, तो मूविंग एवरेज रेजिस्टेंस की तरह काम कर सकता है और कीमत इस स्तर पर आने बाद लुढ़कने लगती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कीमत के लिए हमेशा इस तरह से मूविंग एवरेज पर गौर करना ज़रूरी नहीं है। ऐसे कई उदाहरण हो सकते हैं जिनमें कीमत कुछ हद तक इसके माध्यम से चल सकती है या फिर उस तक पहुंचने से पहले रुक जाती है और वापस मुड़ जाती है।

आम तौर पर आप यह मान सकते हैं कि यदि कीमत मूविंग एवरेज से ऊपर है, तो रुझान बढ़ोतरी का है। दूसरी तरफ, यदि कीमत मूविंग एवरेज से नीचे आती है, तो रुझान गिरावट का है। इसका मतलब यह है कि एमए अलग-अलग हो सकता है और एक एमए यदि रुझान नीचे होने का संकेत दे रहा है तो दूसरा रुझान में तेज़ी का संकेत दे सकता है।

विभिन्न मूविंग एवरेज पर एक नजर

मूविंग एवरेज को कई तरीकों से कैलकुलेट किया जा सकता है, जिनमें से कुछ के बारे में नीचे बताया गया है।

सिंपल मूविंग एवरेज (या एसएमए) को कैलकुलेट करना - यदि आप पाँच दिन के सिंपल मूविंग एवरेज का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको पांच ताज़ा रोज़ाना क्लोजिंग प्राइस को जोड़ना होगा और जो संख्या आती है उसे पांच से भाग देना होगा ताकि आपको हर दिन के लिए एक नया एवरेज मिल सके। हर एवरेज को जोड़कर, आप एक ऐसी सिंपल लाइन जोड़ लेते हैं जो स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ती है।

एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज फॉर्मूला (या ईएमए) - यह कैलकुलेशन अधिक जटिल है क्योंकि सबसे हाल के दिनों कीमत को अधिक महत्त्व दिया जाता है। यदि आपको 50 दिन का ईएमए और 50-दिन का एसएमए एक ही चार्ट में बनाना हो, तो स्पष्ट हो जाएगा कि ईएमए एसएमए के मुकाबले कीमत में बदलाव पर अधिक तेज़ी से प्रतिक्रिया करता है क्योंकि हाल की कीमत को अधिक महत्त्व किया गया है। ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और चार्टिंग सॉफ्टवेयर जिस तरह कैलकुलेट करते हैं, आपको मूविंग एवरेज के लिए अपने दिमाग पर उतना ज़ोर डालने की ज़रुरत नहीं है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मूविंग एवरेज का एक रूप दूसरे से बेहतर नहीं है। इसके बजाय,अलग-अलग हालत में वे सभी महत्वपूर्ण हैं। इसका मतलब यह है कि कुछ हालात में ईएमए स्टॉक या फिनांशियल मार्केट के अनुकूल हो सकता है जबकि अन्य में एसएमए अधिक उपयुक्त हो सकता है। इसके अलावा, मूविंग एवरेज के लिए चुनी गई समय सीमा भी महत्वपूर्ण है और यह प्रभावित करेगी कि यह कितना प्रभावी होगा, भले ही कैसा भी एमए विकल्प चुना गया हो।

मूविंग एवरेज के दायरे निर्धारण

10, 20, 50, 100 और 200 सबसे आम मूविंग एवरेज के दायरे हैं और ट्रेडर की समय-सीमा के अनुसार किसी भी चार्ट टाइम फ्रेम में जोड़े जा सकते हैं। मूविंग एवरेज के लिए चुनी गई समय सीमा को "लुक बैक पीरियड" कहते हैं। यह समय सीमा मूविंग एवरेज की प्रभावशालिता स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें पर असर डाल सकती है। इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, एक एमए लें जिसमें एक शॉर्ट टाइम फ्रेम हो और यह लंबे लुक-बैक पीरियड के एमए घमंड के मुकाबले कीमत में बदलाव पर कहीं अधिक तेज़ी से प्रतिक्रिया करेगी।

निष्कर्ष

मूविंग एवरेज सरल प्राइस डाटा प्रदान करने में मदद करता है क्योंकि यह इसे दुरुस्त करता है और सिंगल फ्लोइंग लाइन बनाता है जिससे रुझान देखना आसान हो जाता है। यदि आप मूविंग एवरेज के बारे में और जानना चाहते हैं और बस एंजेल वन वेबसाइट पर जाएं।

डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है, महज जानकारी प्रदान करना न कि इन्वेस्टमेंट के बारे में कोई सलाह/सुझाव प्रदान करना और न ही किसी स्टॉक को खरीदने -बेचने की सिफारिश करना।

इनसाइड बार क्या है? – What is Inside Bar?

Inside-Bar

इस आर्टिकल क्व माध्यम से आप जानेगे की इनसाइड बार क्या होता है?(What is Inside Bar) और कैसे काम करता है?

इनसाइड बार पैटर्न क्या है?- What is the Inside Bar Pattern?

Inside-Bar

इनसाइड बार(Inside Bar) पैटर्न(Pattern) एक कैंडलस्टिक पैटर्न(Candlestick Pattern) है, जहां प्राइस(Price) पूरी तरह से पिछले कैंडलस्टिक(candlestick) के अंदर रहता है।

एक इनसाइड बार(Inside Bar) के लिए एक कैंडल(Candle) का हाई(High) और लौ(Low) दोनों तभी मान्य माना जाता है जब वह पिछले कैंडलस्टिक(candlestick) के अंदर होता है

कैंडलस्टिक्स (candlestick) के विक्स (Wicks) को लेकर अक्सर कन्फूजन (Confusion) होता है।

इनसाइड बार कैंडलस्टिक (Inside Bar Candlestick) में विक्स को भी ध्यान में रखा जाता है। इसका मतलब यह है कि कैंडल(Candle) के विक्स सहित हाई और लौ, पिछले कैंडलस्टिक के हाई और लौ के भीतर होना चाहिए।

क्या इनसाइड बार बुलिश या बेयरिश है?- Is the Inside Bar Bullish or Bearish?

इनसाइड बार एक अनिर्णय या इन-डिसिशन (In-Decision) कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Pattern) है।

प्राइस पिछले सेशन के हाई और लौ को तोड़ने में सक्षम नहीं होता है तभी इनसाइड बार बनता है।

क्या इनसाइड बार एक ट्रेंड कॉन्टीनुअशन पैटर्न है? -Is the Inside Bar स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें Trend continuation Pattern?

यह तभी पता चलता है जब –

  1. यदि कोई इनसाइड बार एक स्ट्रांग ट्रेंड में बनता है, उदाहरण के लिए एक हायर हाई या अप ट्रेंड है, तो स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें यह ट्रेंड्स के साथ प्राइस कॉन्टिनुएस(Continues) रखने से पहले एक ठहराव या पॉज(Pause) का संकेत दे सकता है।
  2. इसका सीधा मतलब है की वोलटिलती कंट्रक्शन (Volatility Contraction) होने के कारण प्राइस का मूवमेंट स्माल रेंज में चलता है।

क्योंकि एक स्ट्रांग ट्रेंड में इनसाइड बार प्राइस एक्शन (Price Action) में एक पॉज को रिप्रेजेंट करता है। किसी भी ट्रैड में एंट्री करने के लिए इनसाइड बार(Inside Bar) के ब्रेकआउट के साथ कन्फर्मेशन का वेट करते है। यह तब होता है जब प्राइस इनसाइड बार(Inside Bar) को हाई या लौ की डायरेक्शन में तोड़ती है।

क्या इनसाइड बार एक रिवर्सल पैटर्न है? – Is the Inside Bar Reversal Pattern?

यदि एक इनसाइड बार एक स्विंग पॉइंट(Swing Point) और मेजर सपोर्ट(Support) या रेजिस्टेंस (Resistance) एरिया में बनता है, तो इसका मतलब ट्रेंड में बदलाव या रिवर्सल हो सकता है और प्राइस द्वारा मदर कैंडल के लौ के ब्रेकडाउन पर इसका कन्फर्मेशन हो जाता है।

कहां से ट्रेड करें और किस टाइम फ्रेम पर ?- Where to trade and what time frame ?

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डेली टाइम फ्रेम (Daily Time Frame) पर इनसाइड बार रिवर्सल और साप्ताहिक या वीकली टाइम फ्रेम (Weekly Time Frame) पर ब्रेकआउट (Breakouts) सबसे अच्छा काम करता है।

यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक इनसाइड बार(Inside Bar) का ट्रेड न करें क्योंकि इससे खराब ट्रेड हो सकते हैं।

ट्रेड लेने से पहले अन्य द्वारा भी कन्फर्मेशन कर लेना बेहतर रहता है।

इसे मंथली या मासिक से 1 मिनट के चार्ट तक सभी टाइम फ्रेम पर यूज़ कर सकते हैं। हायर टाइम फ्रेम बेहतर होता है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि इनसाइड बार फोरेक्स मार्किट(Forex market), इक्विटी(Equity), कमोडिटी (Commodity) या किसी अन्य मार्किट का ट्रेड करने का एक लाभदायक या प्रॉफिटेबल तरीका हो सकता है।

हालाँकि, यह एक ऐसा सेटअप नहीं है जो अक्सर मिलता है। यही कारण है कि मार्किट में ट्रेड के लिए केवल इनसाइड बार कैंडलस्टिक पैटर्न का उपयोग करने पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता है।

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