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2022 तक 50 अरब डॉलर का हो सकता है पर्यटन उद्योग: नीति आयोग के सीईओ

India tourism industry should target 50 arab dollar revenues by 2022 says Shaktikanta Das

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2022 तक भारत में पर्यटन उद्योग की सालाना कमाई 50 अरब डॉलर (करीब 3.56 लाख करोड़ रुपये) होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। विकास और रोजगार बढ़ाने में भी इसकी बड़ी भूमिका होती है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के ‘15वें सालाना पर्यटन सम्मेलन-2019’ में कांत ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में पर्यटन क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो काफी रोजगार के अवसरों का सृजन कर सकता है। देश में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोजगार बढ़ते हैं। यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। भारत को आज वृद्धि और रोजगार की सबसे अधिक जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि 2018 में पर्यटन से भारत को 28.6 अरब डॉलर की कमाई हुई थी। हमें इसे 2022 तक 50 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखना चाहिए।

पर्यटकों की संख्या बढ़ाने पर हो जोर

कांत के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर पर्यटन से होने वाली कमाई में भारत की हिस्सेदारी महज 1.97 फीसदी है, जबकि पर्यटकों की आवाजाही में भारत का हिस्सा सिर्फ 1.2 फीसदी है। यह भारत जैसे विशाल देश के लिए बहुत मामूली है। उन्होंने कहा कि हमें इस हिस्सेदारी को 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी के स्तर पर ले जाना होगा, तभी 50 अरब डॉलर की कमाई के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। नीति के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि सरकार ने पर्यटन क्षेत्र को मदद दी है। होटल कमरों पर जीएसटी दरें घटाई गई हैं। होटल के 7,500 रुपये तक किराये वाले कमरों पर जीएसटी की दर को 18 से घटाकर 12 फीसदी किया है। 7,500 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों पर जीएसटी दर को 28 से घटाकर 18 फीसदी किया गया है। 1,000 रुपये के किराये वाले कमरों पर कोई जीएसटी नहीं लगता है।

विकास में उद्योग और राज्यों की मदद जरूरी

नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र पूरी तरह निजी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में पर्यटक के आने से लेकर उसके जाने तक की सभी गतिविधियां निजी क्षेत्र की ओर से की जाती हैं। पर्यटक ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंट, टूरिस्ट गाइड, कैब परिचालक, रिजॉर्ट से लेकर होटल तक सभी निजी क्षेत्र चलाते हैं। सरकार केवल एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र उद्योग और राज्य सरकारों के सहयोग से आगे बढ़ेगा। ऐसे में सीआईआई इन दोनों के साथ मिलकर काम करने के साथ पर्यटन उद्योग के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) मॉडल बनाए।

विदेशी मुद्रा लाने वाला तीसरा बड़ा क्षेत्र

सीआईआई के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पर्यटन क्षेत्र का योगदान 9.2 फीसदी बढ़कर 240 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह देश में विदेशी मुद्रा लाने वाला तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र 4.2 करोड़ लोगों को नौकरियां देता है, जो कुल रोजगार का 8.1 फीसदी है। वहीं, पर्यटन सचिव योगेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इस क्षेत्र में 2014 से 2018 के बीच 1.3 करोड़ लोगों को नौकरियां मिलीं। इसके अलावा, विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने वीजा और ई-वीजा प्रणाली को सुविधाजनक बनाया। हालांकि, देश में टूरिस्ट गाइड के संबंध में बड़ी चुनौती है। सरकार उनके प्रशिक्षण और प्रमाणन के लिए प्रयास कर रही है।

विस्तार

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2022 तक भारत में पर्यटन उद्योग की सालाना कमाई 50 अरब डॉलर (करीब 3.56 लाख करोड़ रुपये) होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। विकास और रोजगार बढ़ाने में भी इसकी बड़ी भूमिका होती है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के ‘15वें सालाना पर्यटन सम्मेलन-2019’ में कांत ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में पर्यटन क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो काफी रोजगार के अवसरों का सृजन कर सकता है। देश में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोजगार बढ़ते हैं। यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। भारत को आज वृद्धि और रोजगार की सबसे अधिक जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि 2018 में पर्यटन से भारत को 28.6 अरब डॉलर की कमाई हुई थी। हमें इसे 2022 तक 50 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखना चाहिए।

पर्यटकों की संख्या बढ़ाने पर हो जोर

कांत के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर पर्यटन से होने वाली कमाई में भारत की हिस्सेदारी महज 1.97 फीसदी है, जबकि पर्यटकों की आवाजाही में भारत का हिस्सा सिर्फ 1.2 फीसदी है। यह भारत जैसे विशाल देश के लिए बहुत मामूली है। उन्होंने कहा कि हमें इस हिस्सेदारी को 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी के स्तर पर ले जाना होगा, तभी 50 अरब डॉलर की कमाई के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। नीति के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि सरकार ने पर्यटन क्षेत्र को मदद दी है। होटल कमरों पर जीएसटी दरें घटाई गई हैं। होटल के 7,500 रुपये तक किराये वाले कमरों पर जीएसटी की दर को 18 से घटाकर 12 फीसदी किया है। 7,500 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों पर जीएसटी दर को 28 से घटाकर 18 फीसदी किया गया है। 1,000 रुपये के किराये वाले कमरों पर कोई जीएसटी नहीं लगता है।

विकास में उद्योग और राज्यों की मदद जरूरी

नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र पूरी तरह निजी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में पर्यटक के आने से लेकर उसके जाने तक की सभी गतिविधियां निजी क्षेत्र की ओर से की जाती हैं। पर्यटक ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंट, टूरिस्ट गाइड, कैब परिचालक, रिजॉर्ट से लेकर होटल तक सभी निजी क्षेत्र चलाते हैं। सरकार केवल एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र उद्योग और राज्य सरकारों के सहयोग से आगे बढ़ेगा। ऐसे में सीआईआई इन दोनों के साथ मिलकर काम करने के साथ पर्यटन उद्योग के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) मॉडल बनाए।

विदेशी मुद्रा लाने वाला तीसरा बड़ा क्षेत्र

सीआईआई के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पर्यटन क्षेत्र का योगदान 9.2 फीसदी बढ़कर 240 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह देश में विदेशी मुद्रा लाने वाला तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र 4.2 करोड़ लोगों को नौकरियां देता है, जो कुल रोजगार का 8.1 फीसदी है। वहीं, पर्यटन सचिव योगेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इस क्षेत्र में 2014 से 2018 के बीच 1.3 करोड़ लोगों को नौकरियां मिलीं। इसके अलावा, विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने वीजा और ई-वीजा प्रणाली को सुविधाजनक बनाया। हालांकि, देश में टूरिस्ट गाइड के संबंध में बड़ी चुनौती है। सरकार उनके प्रशिक्षण और प्रमाणन के लिए प्रयास कर रही है।

खुशखबरी! टेलीकॉम सचिव का बयान, पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट से 3 करोड़ नौकरियां मिलने की उम्मीद

Jobs in Telecom Sector: दूरसंचार सचिव के मुताबिक, इस साल के अंत तक पब्लिक वाई फाई हाटस्पॉट सेक्टर में 3 करोड़ नौकरियां निकलने की उम्मीद है.

Jobs in Telecom Sector: अगर आप नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो इस साल के अंत तक टेलीकॉम सेक्टर में बंपर नौकरियां निकलने वाली हैं. दूरसंचार सचिव के राजारमण ने एक कार्यक्रम के दौरान इस बात की जानकारी दी कि दूरसंचार नीति के मुताबिक, साल के अंत तक 1 करोड़ सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट (Wi-fi hotspot) लगाने से 2-3 करोड़ रोजगार पैदा होने की संभावना है. ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (Broadband India Forum) के एक कार्यक्रम के दौरान दूरसंचार सचिव ने यह बात कही. इतना ही नहीं दूरसंचार सचिव ने वाई-फाई टूल निर्माताओं से कहा कि पीएम की वाई-फाई एक्सिस नेटवर्क इंटरफेस योजना के विस्तार के लिए वाई-फाई प्रोडक्ट्स की कीमतों को कम पर ध्यान दिया जाए.

अबी 56,000 से ज्यादा Wi-fi hotspot

पीएम-वाणी योजना के तहत देशभर में अबतक 56,000 से ज्यादा वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाए जा चुके हैं. राजारमण के मुताबिक, मैन्यूफैक्चर्स को ज्यादा संख्या में पीएम-वाणी कार्यक्रम से जुड़ना चाहिए. इसी मौके पर बीआईएफ ने मेटा (फेसबुक) के साथ, साझेदारी में बीआईएफ कनेक्टिविटी एक्सिलेटर प्रोग्राम को शुरू करने का भी ऐलान किया है.विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम

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क्या है BIS कनेक्टिविटी प्रोग्राम

दूरसंचार सचिव का कहना है कि लोकल कम्यूनिटी पूरे दिल से पीएम-वाणी योजना में शामिल हो. वहीं स्थानीय उद्यमियों को विशेष रूप से स्थानीय केबल ऑपरेटरों, इंटरनेट सेवा प्रोवाइडर, पर्यटन ऑपरेटरों आदि को आगे आने और देशभर में WANI पहुंच बिंदुओं को बढ़ाने में खुशी होगी.

जैसे ही येलेन ने अमेरिका-भारत के आर्थिक संबंधों की तलाश की, भारत मुद्रा निगरानी सूची से बाहर हो गया

विभाग ने गुरुवार को कांग्रेस को एक रिपोर्ट में निर्णय से अवगत कराया जिसमें कहा गया था कि भारत सूची में बने रहने की कसौटी पर खरा नहीं उतरा। सूची जो निगरानी करती है कि क्या देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुचित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने या भुगतान संतुलन समायोजन का फायदा उठाने के लिए अपनी मुद्रा और अमेरिकी डॉलर के बीच विनिमय दर में हेरफेर करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को भी निगरानी सूची से हटा दिया गया है, जबकि चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान इस पर बने हुए हैं। भारत ने दो रिपोटिर्ंग अवधियों में तीन मानदंडों में से एक को पूरा किया, जिससे यह हटाने के योग्य हो गया, जैसा कि चार अन्य देशों ने किया था।

रिपोर्ट का विमोचन येलन की भारत यात्रा के दौरान व्यापार बंधनों को मजबूत करने के लिए किया गया था क्योंकि चीन पर अधिक निर्भरता से समस्याओं का सामना करने के बाद अमेरिका वैश्विक आर्थिक और विनिर्माण पुनर्गठन चाहता है। येलेन ने फ्रेंडशोरिंग की अवधारणा की बात की – मित्र देशों में आपूर्ति श्रृंखला लाना।

उन्होंने कहा- ऐसी दुनिया में जहां आपूर्ति श्रृंखला कमजोरियां भारी लागत लगा सकती हैं, हमारा मानना है कि भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। भारत हमारे भरोसेमंद व्यापारिक साझेदारों में से एक है। किसी देश को निगरानी सूची में रखने के लिए जिन तीन कारकों पर विचार किया गया है, वह हैं अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष का आकार, चालू खाता अधिशेष और विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार एकतरफा हस्तक्षेप। इसके अलावा, यह मुद्रा विकास, विनिमय दर प्रथाओं, विदेशी मुद्रा आरक्षित कवरेज, पूंजी नियंत्रण और मौद्रिक नीति पर भी विचार करता है।

रिपोर्ट में विशेष रूप से यह नहीं बताया गया है कि भारत किन मानदंडों को पूरा करता या नहीं करता है, लेकिन इसमें संबंधित क्षेत्रों में नई दिल्ली के प्रदर्शन का उल्लेख है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 526.5 अरब डॉलर था, जो सकल घरेलू उत्पाद का 16 फीसदी है। भारत, रिपोर्ट में शामिल अन्य देशों की तरह, मानक पर्याप्तता बेंचमार्क के आधार पर पर्याप्त – या पर्याप्त से अधिक – विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखना जारी रखता है।

रिपोर्ट के अनुसार, इसका अमेरिका के साथ 48 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष भी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने आर्थिक नीति में पारदर्शिता सुनिश्चित की। एकतरफा मुद्रा हस्तक्षेप के लिए विभाग का मानदंड 12 महीनों में से कम से कम आठ में विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद है, जो सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम दो प्रतिशत है। इसने कहा कि चौथी तिमाही में भारत की विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद पिछली अवधि की तुलना में नकारात्मक 0.9 थी, या 30 बिलियन डॉलर कम थी।

कोरोना पर भारी पड़ती भारतीय आईटी सेक्टर की रफ्तार

कोरोना काल ने विश्वभर के सभी इंसानों और उद्योग-धंधों को तगड़े आघात दिए। बहुत सारे नौकरीपेशा लोगों के वेतन में कटौती से लेकर लोगों को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ा, तो तमाम उद्योग-धंधे घाटे में बने रहे। उत्पादन और मांग दोनों घटे। यानी स्थिति सबके लिये बेहद कष्टप्रद रही। पर कोरोना रूपी झंझावत के बावजूद भारत का आईटी सेक्टर मजबूती से सीना ताने खड़ा रहा। इधर नौकरियों से लोग निकाले भी नहीं गए। आईटी सेक्टर में तो भारतवर्ष में भर्तियों का दौर जारी रहा। आईटी सेक्टर के जानकारों की मानें तो बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, नोएडा, गुडगाँव वगैरह में आईटी पेशेवरों के लिए लगातार नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत के विकास का रास्ता भी अब भारत के आईटी सेक्टर से होकर गुजरता है।

विकास दर सात फीसद से अधिक
अगर कुछ विश्वसनीय आकड़ों पर यकीन करें तो इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोग देशभर में जुड़े हैं। ये सच में बहुत बड़ा आंकड़ा है। इस सेक्टर की हालिया दशक में औसत विकास दर सात फीसद से अधिक रही है। इससे साल 2025 तक आईटी सेक्टर का राजस्व 350 अरब डॉलर होने की सम्भावना है। 2025 तक डिजिटल इकॉनमी का आकार 1 खरब डॉलर होने का आकलन है। अप्रैल 2000 से मार्च, 2020 के बीच इस सेक्टर में करीब 45 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया।

यकीन मानिए कि आईटी सेक्टर का भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 8 फीसद का योगदान है जो हर साल बढ़ता ही जा रहा है। देश में 32 हजार के आसपास रजिस्टर्ड आईटी कंपनियां हैं। यह सेक्टर देश के लिए सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भी अर्जित करता है। देश के कुल निर्यात में इसका हिस्सा करीब 25 फीसद है और आईटी उद्योग की विशेषता यह है कि इस क्षेत्र में श्रमबल में लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। मतलब साफ है कि आईटी सेक्टर भारत की किस्मत बदल रहा है। ये हिन्दुस्तानी औरतों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बना रहा है। औरतों के स्वावलंबी होने से समाज भी तो बदलेगा। आखिर पढ़ी-लिखी लड़कियां घरों में क्यों रहें, क्या करें। आधुनिक उपकरणों ने रसोई का काम भी तो हल्का कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नासकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम’ को संबोधित करते हुए सही ही कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है और इस क्षेत्र में लीडर बनने के लिये इनोवेशन पर जोर, प्रतिस्पर्धी के साथ उत्कृष्ट संस्थान निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आईटी उद्योग से कृषि, स्वास्थ्य और देश के लोगों की अन्य जरूरतों को ध्यान में रखकर उनके समाधान हेतु संसाधन बनाये जाने का भी आह्वान किया।

संसार के आईटी सेक्टर का नेतृत्व करे भारत
भारतीय आईटी उद्योग की विश्व में गहरी छाप तो है, लेकिन भारत को अब इस क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करना होगा। हमें इनोवेशन, प्रतिस्पर्धी क्षमता और उत्कृष्टता के साथ संस्थान निर्माण पर ध्यान देना होगा। सारे विश्व में भारतीय प्रौद्योगिकी की जो पहचान है, उससे समूचे देश का उज्ज्वल भविष्य जुड़ा हुआ है।

अगर आप भारत के आईटी सेक्टर की शिखर शख्सियतों के नामों पर गौर करेंगे तो आप देखेंगे कि इस क्षेत्र को फकीरचंद कोहली, एन. नारायणमूर्ति, नंदन नीलकेणी, शिव नाडार जैसे अनेक महान पेशेवर मिलते रहे हैं। इन्होंने आईटी सेक्टर को नई दिशा और बुलंदी दी। यदि आज भारत का आईटी सेक्टर 190 अरब डॉलर तक पहुंच गया है तो इसका श्रेय काफी हद उपर्युक्त हस्तियों को देना होगा। ये सब भारत के आईटी सेक्टर के शलाका पुरुष हैं। ये सब विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम ही वे भविष्यदृष्टा रहे जिन्होंने देश में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को खड़ा किया। इन्होंने ही देश में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखी। अगर आज भारत के मिडिल क्लास का विस्तार होता जा रहा है तो इसमें आईटी सेक्टर की निर्णायक भूमिका रही है। आपको लगभग हरेक मिडिल क्लास परिवार का कोई न कोई सदस्य आईटी सेक्टर से जुड़ा हुआ मिलेगा। इन्होंने अपने परिवार का वारा-न्यारा कर दिया है। मैं इस तरह के अनेक परिवारों को जानता हूं जिनके बच्चों ने आईटी पेशेवर बनकर मोटा पैसा कमाया और कमा रहे हैं।

हमारे आईटी पेशेवरों ने देश की सरहदों को पार करके अमेरिका और कनाडा सहित अनेकों देशों में अपने झंडे गाड़ दिए। ये वहां के कॉरपोरेट संसार से लेकर दूसरे क्षेत्रों में अहम पदों पर हैं । इनमें सुंदर पिचाई (गूगल), सत्या नेडाला (माइक्रोसाफ्ट), शांतनु नारायण (एडोब), राजीव सूरी (नोकिया) जैसी प्रख्यात कंपनियों के सीईओ हैं। ये सब फॉच्यून-500 कंपनियों से जुड़े हैं। यही सब नए भारत के नायक हैं। कोरोना काल से कुछ दिन पहले की बात है। हुआ यह कि मैं एकदिन बैंगलोर से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने के लिए हवाई अड्डे पर था। वहां देखा कि कई महिला पुरुष इंफोसिस के फाउंडर चेयरमेन नारायणमूर्ति से बात कर रहे हैं। उनके आटोग्राफ ले रहे हैं। क्या कभी पहले विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम राजनेताओं और फिल्म स्टार को छोड़कर कभी किसी उद्योगपति से भारतीय समाज आटोग्राफ भी लेता था? नारायण मूर्ति जैसी विभूतियों की सज्जनता और उपलब्धियों पर सारे देश को गर्व है। ये हर साल अरबों रुपए कमाने के बाद भी मितव्ययी जीवन गुजार रहे हैं। ये पैसों को फिजूलखर्ची में उड़ाते नहीं हैं। इन्होंने देश के लाखों नौजवानों में ऊँचे सपने देखने की आदत डाली है।

दरअसल आईटी सेक्टर ने हरेक आईटी पेशेवर के मन में अपना खुद का काम शुरू करने का जज्बा भर दिया है। ये इस क्षेत्र की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। नए आईटी पेशवरों के सामने नारायणमूर्ति, शिव नाडार, नीलकेणी जैसे सैकड़ों उदाहरण हैं। इनके परिवार में इनसे पहले कभी किसी ने कोई कारोबार नहीं किया था। इन्होंने ठीक-ठाक नौकरियों को छोड़कर ही अपना काम शुरू किया और फिर आगे बढ़ते ही चले गए।

आईटी सेक्टर ने नोएडा, गुरुग्राम, मोहाली, बैंगलोर, पुणे, चेन्नई समेत देश के दर्जनों शहरों की किस्मत बदल दी। इनमें हजारों-लाखों पेशेवर आईटी कंपनियों में काम रहे हैं। ये सब कोरोना काल के बाद वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लेकिन, इनके काम की गति तनिक भी धीमी नहीं पड़ी है। ये आईटी कम्पनियां अपने पेशेवरों की सैलरी काट नहीं रहे हैं। ये तो उल्टे इनकी सैलरी बढ़ा रहे हैं। भारत की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो ने पहली जनवरी 2021 से अपने जूनियर स्टाफ का वेतन बढ़ाने का फैसला किया है। अजीम प्रेमजी जैसे चमत्कारी चेयरमेन की यह आईटी कंपनी अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्टाफ को प्रमोशन भी देने जा रही है जो 1 दिसंबर 2020 से प्रभावी होगा। ये तो बस एक उदाहरण है बुलंदियों को छूते भारत के आईटी सेक्टर का।

बैंक कर्मचारियों की हड़ताल, ग्राहक हुए बेहाल

निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में बुधवार से दो दिन की हड़ताल पर चले जाने से देश भर में व्यापारिक और वाणिज्यिक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं.

बैंक में हड़ताल

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 22 अगस्त 2012,
  • (अपडेटेड 22 अगस्त 2012, 11:22 PM IST)

निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में बुधवार से दो दिन की हड़ताल पर चले जाने से देश भर में व्यापारिक और वाणिज्यिक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं.

हड़ताल से ग्राहक सेवा, विदेशी मुद्रा के लेन-देन, आयात-निर्यात और स्थानीय बिल, चेकों के समाशोधन, बैंक लॉकर से सम्बंधित कार्य, पूंजी बाजारों और बैंक द्वारा चलाई जाने वाली सभी गतिविधियों पर असर पड़ा.

इस दौरान अधिकतर स्थानों पर लोगों को नकदी के लिए एटीएम पर निर्भर रहना पड़ा, तो पश्चिम बंगाल में अधिकतर एटीएम के भी शटर गिरे रहे. बैंकों के नियमन में प्रस्तावित संशोधन और नौकरियों की आउटसोर्सिंग के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों और आठ विदेशी बैंकों के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं.

'यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंकिंग' के रवि शेट्टी ने कहा कि इसके अलावा बैंक कर्मचारी बैंकिंग कानून विधेयक में संशोधन करने के सरकार के कदम का भी विरोध कर रहे हैं. यह विधेयक इस समय संसद में लम्बित है और इस पर 23 और 24 अगस्त को चर्चा होने वाली है. इस हड़ताल की वजह से देश में बैंकिंग गतिविधियों पर असर पड़ा है.

हड़ताल के कारण मध्य प्रदेश में तमाम बैंकों में कामकाज पूरी तरह ठप्प रहा और आम ग्राहक को एटीएम पर निर्भर रहना पड़ा. राज्य में बैंकों के बाहर ताले लटके हैं और कामकाज बाधित है. राजधानी भोपाल में तमाम बैंकों के कर्मचारी ऑरियंटल बैंक ऑफ कामर्स के मुख्यालय के बाहर जमा हुए और उन्होंने जमकर नारेबाजी की. इसके बाद कर्मचारियों ने रैली निकालने के बाद सरकार की मनमानी को जमकर कोसा.

बैंक कर्मचारियों की इस दो दिवसीय हड़ताल में राज्य की साढ़े पांच हजार शाखाओं के कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं. हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह ठप्प हैं. आम आदमी को कोई परेशानी न हो इसको ध्यान में रखकर एटीएम में पर्याप्त राशि जमा कर दी गई थी और ग्राहक एटीएम से ही अपनी जरूरत की राशि निकाल रहे हैं.

पश्चिम बंगाल में अधिकतर सरकारी और निजी बैंकों के एटीएम के भी शटर गिरे देखे गए, क्योंकि मशीन की सुरक्षा में लगे गार्ड भी हड़ताल में शामिल हैं. युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) (पश्चिम बंगाल इकाई) के महासचिव गौतम बोस ने कहा, 'करीब 10 हजार बैंककर्मी आज (बुधवार) हड़ताल में शामिल हुए. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और कॉपरेटिव बैंक की शाखाओं को छोड़कर लगभग सभी बैंकों की शाखाएं सुबह से बंद हैं.'

बोस ने कहा, 'एटीएम बंद हैं क्योंकि मशीन की रक्षा करने वाले गार्ड भी दो विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम संगठनों से जुड़े हुए हैं और वे संगठन भी हड़ताल में शामिल हैं.' उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैंकों में सुबह से ताले लटके हैं और ग्राहक सेवा, चेकों के समाशोधन, बैंक लॉकर से सम्बंधित कार्य, पूंजी बाजारों और बैंक द्वारा चलाए जाने वाली सभी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. नकदी निकालने के लिए लोगों को एटीएम पर निर्भर होना पड़ रहा है. बैंकों की अलग-अलग यूनियनों के पदाधिकारी हजरतगंज स्थित इलाहाबाद की मुख्य शाखा पर एकत्र हुए और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की.

हड़ताल में राज्य के विभिन्न बैंकों की करीब 10 हजार शाखाओं के तकरीबन डेढ़ लाख बैंककर्मी शामिल हैं.

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