शेयरों का तकनीकी विश्लेषण

शेयरों का तकनीकी विश्लेषण
बाजार के क्षेत्र में तकनीकी विश्लेषण या टेक्निकल एनालिसिस (टीए) का मतलब चार्टों का अध्ययन कर प्रतिभूति की दिशा के बारे में जानना होता है।
अगर आप दिशा जानते हैं तो उसी दिशा में कारोबार कर लाभ कमा सकते हैं। कीमत ही शेयरों का तकनीकी विश्लेषण सबकुछ है, टीए के मूल में यही बात है। अगर आप कीमत जानते हैं तो आपको फंडामेंटल के बारे में जानने या भेदिए, बैंकरों, विश्लेषकों, मौसम विज्ञानियों और नियामकों की बातें सुनने की जरूरत नहीं है।
अगर आप किसी तकनीकी विश्लेषक को कालेपानी की सजा देकर उसे अंडमान निकोबार द्वीप पर भेज देते हैं, जिसके पास अच्छी बैटरी बैक अप वाला कंप्यूटर और इंटरनेट का कनेक्शन है तो वह वहां बैठे-बैठे भी चार्ट का ही अध्ययन करेगा और उसका प्रदर्शन भी वैसे फंडामेंटल विश्लेषक से बेहतर शेयरों का तकनीकी विश्लेषण होगा जो जीजीभाय टावर में बैठा ब्लूमबर्ग टर्मिनल, टेलीविजन, कई तरह के आर्थिक अखबारों के ढेर, ज्यादा स्पीड वाले इंटरनेट और टेलीफोनों का इस्तेमाल कर रहा है।
हालांकि एफएमसीजी शेयरों की जांच करने वाला बुनियादी विश्लेषक के पास इस बात का कोई आइडिया नहीं होगा कि उत्तरी अटलांटिक में उठा तूफान किस शेयरों का तकनीकी विश्लेषण तरह से वेस्ट टेक्सास की कीमतों को प्रभावित कर सकता है लेकिन एक तकनीकी विश्लेषक सभी शेयरों, कमोडिटीज और मुद्राओं की समान योजनाओं की एक साथ जांच कर सकता है।
आखिर यह कैसे संभव है? इसका उत्तर इस बात में निहित है कि कीमतें रुझान में चलती हैं और इतिहास अपने आप को दोहराता रहता है। जब बुनियादी विश्लेषक बाजार में कारोबार की स्थिति को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाते है तो उस स्थिति में टेकि्कल्स से बहुत हद तक सहायता मिलती है।
जब कोई शुरुआती रुझान आ रहे होते हैं तो तकनीकी विश्लेषक ही इसकी दिशा के बारे में सही-सही पता लगाने में सक्षम होते हैं। बुनियादी विश्लेषक बाजार में कारोबार की बेहतर या बदतर हालात की शुरुआत के बहुत पहले या बहुत बाद में घोषणा करते हैं। अगर कोई बुनियादी ज्ञान के साथ तालिका पढने की क्षमता भी विकसित कर लेता है तो फिर इस सम्मिश्रण को पछाड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।
लेकिन इस समय तक जब तक आपने इसमें महारथ हासिल कर ली है तब तक टीए स्टेंडएलोन आधार पर बेहतर परिणाम देगा और कम से कम संसाधनों का शेयरों का तकनीकी विश्लेषण इस्तेमाल करेगा। हालांकि शुरू में तालिका तैयार करने वालों को ग्राफ पेपर पर अपनी तालिका तैयार करनी होती थी लेकिन अब सॉफ्टवेयर तकनीक के उपलब्ध हो जाने से तालिका तैयार करना काफी आसान हो गया है।
काफी मात्रा में पिछले आंक ड़े और पिछली जानकारियां प्राप्त करने की ढेरों संभावनाएं और उन पैटर्नों का अनुभव विश्लेषकों को वास्तविक शेयरों का तकनीकी विश्लेषण अनुभूति प्रदान करता है और इसमें किसी तरह का जोखिम लेने की बात भी नहीं होती है। किसी तालिका में तारीख एक्स अक्ष पर रहता है जबकि कीमतों वाई अक्ष पर होती हैं।
रैखीय तालिका में किसी खास तारीख को बंद होने वाली कीमतों को नुख्ते से दिखाया जाता है और इसे उपयुक्त एक्स-वाई ग्राफ में दिखाया जाता है। इन सभी नुख्तों को बाद में जोड़कर रैखीय ग्राफ बनाया जाता है। इसके बाद चीजें असानी शेयरों का तकनीकी विश्लेषण से दिखने लगती हैं और शेयरों की दिशा के बारे में जानने में काफी आसानी होती है।
हालांकि रैखीय तालिका से प्रत्येक बात की जानकारी नहीं मिलती है क्योंकि शेयरों का तकनीकी विश्लेषण ये सिर्फ बंद होने वाली कीमतों को ही ध्यान में रखती हैं। कारोबार के संपूर्ण आयामों को जानने के लिए हमें बंद होने के समय कीमतों के अलावा खुलने के समय कीमत के साथ शेयरों का तकनीकी विश्लेषण अधिकतम और न्यूनतम कीमतों को भी ध्यान में रखने की जरूरत होती है।