व्यापार के साधन

5. परिवहन : पुराने समय में परिवहन के लिए पर्याप्त और समुचित साधनों का अभाव स्थानीय क्षेत्रो में व्यापार को प्रतिबाधित करता था। केवल उच्च मूल्य वाली वस्तुओ जैसे रत्न , रेशम तथा मसाले का लम्बी दूरियों तक व्यापार किया जाता था। रेल , समुद्री तथा वायु परिवहन के विस्तार और प्रशीतलन तथा परिरक्षण के बेहतर साधनों के साथ व्यापार में स्थानिक विस्तार का अनुभव किया है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का उपयोग, लाभ एवं महत्त्व / Uses, Advantages & Importance of International Trade
सभी राष्ट्रों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सामान महत्त्व नहीं है, फिर भी उन राष्ट्रों के लिए जिनकी अर्थव्यवस्था विदेशी व्यापार प्रधान है या जो अपनी उत्पत्ति का एक चौथाई से अधिक भाग निर्यात करते हैं, औद्योगिक निर्मित माल निर्यात कर कच्चे माल का आयात करते हैं । अपने देश में श्रम-विभाजन का लाभ उठाने के लिए विशिष्टीकरण अपनाते हैं । अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से सभी राष्ट्रों को लाभ मिलता है । केवल मात्रा में अन्तर हो सकता है । सामान्यतः निम्न लाभ मिलते हैं :-
< 1 >प्राकृतिक साधनों का पूर्ण उपयोग :- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा व्यापार के साधन ही सब राष्ट्र अपने प्राकृतिक साधनों का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं, तुलनात्मक लाभ का स्वरूप बहुत-कुछ प्राकृतिक साधनों की व्यापार के साधन उपलब्धि पर निर्भर है, जैसे - भारत में अभ्रक का पूरा उपयोग न होने पर भी विदेशों में निर्यात कर उसका लाभ लेने की चेष्टा की जा रही है । प्रत्येक देश प्रायः उन उद्योगों में ही विशिष्टीकरण अपनाता है, जिसके प्राकृतिक साधन देश में उपलब्ध हैं और कम लागत पर वस्तुओं का उत्पादन करते हैं । इससे साधनों का पूरा-पूरा उपयोग होता है ।
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आर्थिक विकास में विदेश व्यापार का भूमिका क्या है?
विदेशी व्यापार किसी देश के उत्पादन के लिए बाजार का विस्तार करता है। निर्यात से राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और यह विकास का इंजन बन सकता है। किसी देश के विदेशी व्यापार का विस्तार एक अन्यथा स्थिर अर्थव्यवस्था को सक्रिय कर सकता है और इसे आर्थिक विकास और समृद्धि के मार्ग पर ले जा सकता है।
बढ़ी हुई विदेशी व्यापार के साधन मांग से बड़े उत्पादन और कम इकाई लागत वाले पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं हो सकती हैं। निर्यात में वृद्धि से मौजूदा क्षमताओं का अधिक उपयोग हो सकता है और इस प्रकार लागत कम हो सकती है, जिससे निर्यात में और वृद्धि हो सकती है। निर्यात का विस्तार रोजगार के अधिक अवसर प्रदान कर सकता है। निर्यात बढ़ने की संभावनाएं व्यापार के साधन किसी विशेष देश में अंतर्निहित निवेश को भी प्रकट कर सकती हैं और इस प्रकार इसके आर्थिक विकास में सहायता करती हैं।
संचार व दूर संचार में क्या अंतर है ? व्यापार किसे कहते है , अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का इतिहास trade in hindi
1. मोबाइल या टेलीफोन : विश्व की कई कम्पनियों ने पहले टेलीफोन बनाया , फिर मोबाइल इन से हम कही भी बात कर सकते है पहले टेलीफोन को अपने साथ नहीं ले जा सकते थे फिर मोबाइल का आविष्कार हुआ। आज भी विश्व में मोबाइल के बाद टेलीफोन का अधिक उपयोग होता है।
1. रेडिओ व टीवी : विश्व की कई बड़ी बड़ी कम्पनियों ने रेडियो व टीवी का आविष्कार किया है पहले रेडिओ था। वह केवल सुनने के लिए होता था लेकिन आज के युग में टीवी का है इसे सुन व देख सकते है इसमें फ़िल्मी व समाचार देख व्यापार के साधन सकते है सुन भी सकते है।
2. दूरसंचार : व्यक्ति द्वारा अपने भावो , विचारो , शब्दों , तथ्यों व संदेशो को एक स्थान से दुसरे स्थान पर प्रत्यक्ष रूप से या न भेजकर अप्रत्यक्ष रूप से भेजना , दूरसंचार कहलाता है।
अन्तराष्ट्रीय व्यापार
राज्य : एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यापार करना राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय और अंत: राष्ट्रीय कहलाता है।
प्राचीन काल : प्राचीनकाल में वस्तुओ की व्यापार के साधन अदला बदली होती थी , यह एक केवल पडोसी देशो को ही वस्तु देते थे।
आधुनिक काल : आधुनिक काल में वायुयान का विकास अधिक गति वाले जहाज आदि का विकास हुआ इससे देशो में सेवा व वस्तुओ का आदान प्रदान अधिक हुआ।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का तीव्रतम विकास हुआ है जिसमे पूरा का पूरा विश्व वैश्विक गाँव में प्रयुक्त हो गया। संचार व दूर संचार के कारण यह संभव हो पाया है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार (कारण)
- संसाधनों में विभिन्नता
- जनसंख्या के कारक
- आर्थिक विकास प्रावस्था
- विदेशी निवेश की सीमा
- परिवहन
उत्तर : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार : एक देश से दुसरे देश में वस्तु या सेवा का आदान प्रदान करना ही अन्तराष्ट्रीय व्यापार व्यापार के साधन कहलाता है।
- संसाधनों का अभाव
- जनसंख्या के कारक
- आर्थिक विकास व्यापार के साधन प्रावस्था
- विदेशो की सीमा
- परिवहन
1. संसाधनों का अभाव या विभिन्नता : भौतिक संरचना जैसे कि भू-विज्ञान , उच्चावच , मृदा व जलवायु में विभिन्नता के कारण विश्व के राष्ट्रीय संसाधन असमान रूप से वितरित है।
भौगोलिक संरचना , खनिज संसाधन आधार को निर्धारित करती है , धरातलीय विभिन्नताएं फसलो व पशुओ की विविधता सुनिश्चित करती है।
भारत की इन जगहों पर आय का एक मात्र साधन है देह व्यापार
India TV News Desk
Updated on: December 15, 2015 19:19 IST
devadasi
नई दिल्ली: हम सभी जानते है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से उभरता हुए देश है, लेकिन तेजी से उभरते हुए इस देश की एक कटु सच्चाई यह भी है कि यहां कुछ चीजें अब भी जस की तस हैं। उनमें से एक देह व्यापार भी है। देश के कुछ हिस्सों में देह व्यापार पीढ़ियों से चला आ रहा है और अब तक अपनी जगह बनाए हुए है। भारत में अशिक्षा, गरीबी, कम उम्र में शादी और अंधविश्वास एवं तमाम परंपराओं के कारण देह व्यापार का धंधा अब तक अपने पांव पसारे हुए है।
सरकार अपनी तरफ से तमाम कोशिशें करती है तमाम शैक्षणिक संस्थान और एनजीओ भी अपने स्तर से कोशिशें करते ही रहते हैं लेकिन आज तक कुछ शहरों के न हालात बदले और न ही वहां रहने वाले लोगों की मानसिकता। आधुनिक युग में इस बात को पचा पाना बिल्कुल भी उचित नहीं है कि तेजी से उभरते हुए एक देश से जुड़ी एक कटु सच्चाई ऐसी भी है जिसे कोई भी जताना नहीं चाहता। लेकिन क्या करें सच्चाई यही है। जानिए भारत के किन स्थानों पर आज भी चलता है देह व्यापार का धंधा और यह धंधा यहां की आय का मुख्य साधन भी है।