जोखिम विश्लेषण

कई निश्चितताओं में, अधिकांश निवेशक उस समय अति आत्मविश्वास में थेनिवेश और वे बेहद नर्वस हो जाते हैंमंडी अस्थिर हो जाता है। इसलिए, अपने जोखिम प्रोफाइल को जानना किसी भी निवेश के केंद्र चरण में रहता है।
जोखिम प्रोफाइल क्या है?
एक जोखिम जोखिम विश्लेषण प्रोफ़ाइल निवेश करने से पहले विश्लेषण करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। आदर्श रूप से, अनुभवी निवेशक अपनी जोखिम क्षमता को जानते होंगे, लेकिन एक नौसिखिया को इसमें शामिल जोखिम के बारे में बहुत कम जानकारी होगीम्यूचुअल फंड्स या उनकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार सही म्यूचुअल फंड।
कई निश्चितताओं में, अधिकांश निवेशक उस समय अति आत्मविश्वास में थेनिवेश और वे बेहद नर्वस हो जाते हैंमंडी अस्थिर हो जाता है। इसलिए, अपने जोखिम प्रोफाइल को जानना किसी भी निवेश के केंद्र चरण में रहता है।
विशेष रूप से म्यूचुअल फंड निवेश के मामले में, किसी उत्पाद की उपयुक्तता काफी हद तक की विशेषताओं पर निर्भर करती है:इन्वेस्टर. निवेशकों को अपने निवेश का उद्देश्य पता होना चाहिए कि वे कितने समय तक निवेश करना चाहते हैं, जोखिम सहन करने की क्षमता, न्यूनतम निवेश राशि आदि।
जोखिम प्रोफाइलिंग प्रक्रिया
जोखिम- निवेश के संबंध में- कीमतों और/या निवेश रिटर्न की अस्थिरता या उतार-चढ़ाव है। तो जोखिम मूल्यांकन या जोखिम प्रोफाइलिंग निवेश गतिविधि में शामिल सभी संभावित जोखिमों का व्यवस्थित मूल्यांकन है। जोखिम प्रोफाइलिंग आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता की एक स्पष्ट तस्वीर देता है, यानी आपकी जोखिम क्षमता, आपके आवश्यक जोखिम और आपकी जोखिम सहनशीलता का मूल्यांकन करना। हम प्रत्येक शब्द को अलग से विस्तृत करेंगे।
जब कोई निवेशक अपनी जोखिम प्रोफाइलिंग करता है, तो उन्हें विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किए गए प्रश्नों के एक सेट का उत्तर देना होता है। प्रश्नों का सेट अलग-अलग के लिए अलग हैम्यूचुअल फंड हाउस या वितरक। प्रश्नों का उत्तर देने के बाद निवेशक का स्कोर उनका निर्धारण करता हैश्रेणी जोखिम लेने का। एक निवेशक उच्च जोखिम लेने वाला, मध्य जोखिम लेने वाला या कम जोखिम लेने वाला हो सकता है।
जोखिम पहचान और जोखिम विश्लेषण
एक बार जब जोखिम मूल्यांकन प्रक्रिया द्वारा जोखिम की पहचान कर ली जाती है, तो उस जोखिम का विश्लेषण किया जाता है। इसे तीन व्यापक श्रेणियों में बांटा गया है -
जोखिम क्षमता
जोखिम क्षमता जोखिम लेने का मात्रात्मक उपाय है। यह आपकी वर्तमान और भविष्य की वित्तीय स्थिति को मैप करता है जिसमें कारक शामिल हैं:आय, बचत, व्यय और देनदारियां। इन कारकों के मूल्यांकन के साथ, आप तक पहुंचने के लिए आवश्यक रिटर्न की दरवित्तीय लक्ष्यों निर्धारित किया जाता है। सरल शब्दों में, यह का स्तर हैवित्तीय जोखिम आप वहन करने के बारे में सोच सकते हैं।
जोखिम जोखिम विश्लेषण आवश्यक
आवश्यक जोखिम आपकी जोखिम क्षमता से निर्धारित होता है। यह उपलब्ध संसाधनों के साथ आपके वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए आवश्यक रिटर्न से जुड़ा जोखिम है। जोखिम की आवश्यकता आपको इस बारे में शिक्षित करती है कि आप एक निश्चित निवेश के साथ संभावित रूप से क्या कर सकते हैं। यह आपको एक ईमानदार धारणा और जोखिम के प्रकार के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर देता है जो आप लेने वाले हैं।
जोखिम सहिष्णुता
जोखिम सहनशीलता जोखिम का वह स्तर है जिसके साथ आप सहज हैं। यह केवल बाजार में उतार-चढ़ाव को स्वीकार करने की आपकी इच्छा है जो आपके वित्तीय उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हो सकता है या नहीं भी हो सकता है। जोखिम सहनशीलता को मोटे तौर पर तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है
सयंत्र प्रचालन एवं सुरक्षा
ईआईएल को संयंत्र सुरक्षा प्रबंधन सेवाएं प्रदान करने में विशेषज्ञता हासिल है। ईआईएल सुरक्षा के सभी पहलूओं को कवर करते हुए एक समग्र सुरक्षा पैकेज उपलब्ध कराने के लिए अपनी क्षमता में सुरक्षा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रचालन करने के रूप में एक इंजीनियरी कंपनी होने का लाभ प्राप्त है। डिजाइन और प्रचालनों में अनुभव होने से सूक्ष्म रूप से समीक्षा सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए इसकी प्रतिष्ठा, लाभों और उत्पादन तथा परियोजना लागत में इसके निहितार्थ भी के लिए अपने इंजीनियरों के लिए उत्कृष्ट आधार प्रदान करते हैं।
ईआईएल द्वारा उपलब्ध संयंत्र सुरक्षा प्रबंधन सेवाओं में शामिल हैं:
आपदा जोखिम न्यूनीकरण
एक प्रतिरोधक भारत के लिए बाल केन्द्रित जोखिम सूचक तैयारी
भारत एक बहु आपदा प्रवण देश है जहाँ दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक आपदाएँ घटती हैं. भारत के 29 राज्यों एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों में से 27में प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और सूखे जैसी आदि का कहर निरंतर रहता है।
जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय क्षति की वजह से आपदाओंकी तीव्रता एवं आवृत्ति भी अधिक हो गई है जिससे जान – माल की क्षति अधिक हो रही है. इसके अतिरिक्त देश का एक तिहाई हिस्सा नागरिक संघर्ष एवं बंद आदि से भी प्रभावित रहता है।
किसी भी आपदा में व आपदा के बाद बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और ऐसी वास्तविकताओं को अक्सर योजनाओं एवं नीति निर्माण के समय में अनदेखा कर दिया जोखिम विश्लेषण जाता है ।
2000-2016के दौरान हुई पांच सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं लगभग में 17,671 बच्चों की जान चली गईथी । 2015-2016के सूखे मेंदस राज्यों मेंअनुमानित 330 मिलियन (33 करोड़) लोग प्रभावित हुए थे,जिनमें पांच साल से कम उम्र के 37 मिलियन (3 करोड़ 70 लाख) बच्चे शामिल थे।
इन आपदाओं का बच्चों के जीवन पर कई प्रतिकूल असर होता है। अन्य प्रभाओं के साथ प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम विश्लेषण दौरान व उसके बाद सबसे अधिक उनका स्कूल प्रभावित होता है क्योंकि स्कूलों को आपदा के समय बतौर आश्रयस्थल इस्तेमाल किया जाता है, इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित होने से टीकाकरण न होना,पोषण आहार साफ पानी और स्वच्छता सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण जोखिम विश्लेषण कुपोषण और बीमारियाँ होती हैं। आपदाओं के दौरान हिंसा, शोषण,बाल विवाह, बाल-तस्करी और बाल-श्रम की घटनाओं में भी वृद्धि होती है।
भारत में निरंतर अलग अलग राज्यों में विभिन्न आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, खराब मौसम तथा संघर्ष आदि का प्रतिकूल असर महिलाओं,बच्चों व अन्य वंचित समुदाय के विकास पर पड़ता है।
यूनिसेफ बच्चों की भलाई और उनके समुदायों पर आघात और तनाव के अद्यतन जोखिम विश्लेषण का संचालन और रखरखाव करता है, जो सेवा प्रदाताओं की कम क्षमता और समुदायों की संवेदनशीलता जैसे अंतर्निहित कारणों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह साक्ष्य सरकार और उसके सहयोगियों को बच्चों को केंद्रित एवं जोखिम सूचक योजनाओं के निर्माण पर और ध्यान देने के बारे में जानकारी देता है जिससे कि बच्चों की आपदा के प्रभाव को सहन करने की शक्ति बढ़ाने, सेवाओं के निष्पादन में आने वाली रुकावटों एवं आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके ।
यूनिसेफद्वारा 2018 – 2022 के लिए देश के लिए बनाए गए कार्यक्रम में प्राथमिकताओं के रूप में आपदा-जोखिम न्यूनीकरण,जलवायु परिवर्तन और सामाजिक सामंजस्य स्थापित करने को शामिल किया गया है।
इसके अंतर्गत राज्य आपदा प्रबंधन प्रशासन प्रणालियों और संस्थानों का क्षमतावर्धन,आपदा जोखिम को कम करने के लिए बच्चों सहित सामुदायिक क्षमता का निर्माण करना ।इसके अतिरिक्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और पानी और स्वच्छता क्षेत्रों में जोखिम न्यूनीकरण की रणनीतियों को समाहित किया गया है । हमारा जोखिम विश्लेषण बच्चों को केंद्रित कर बनाया गया है जिसमें प्राकृतिक और मानव जनित खतरों तथा संघर्षों के बच्चों एवं उनके समुदाय पर पड़ने वाले प्रभाव भी शामिल हैं । यूनिसेफ स्कूलों में बच्चों से सम्बंधित जोखिम को कम करने के लिए व्यापक रूप से स्कूल सुरक्षा कार्यक्रमों के निर्माण में भी सहयोग करता है।
यूनिसेफ सभी स्तरों पर राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन प्रशासन प्रणालियों और संस्थानों की क्षमताओं को मजबूत करने और बाल-केंद्रित, जोखिम जानकारी युक्त योजनाओं और रणनीतियों को लागू करने के लिए उनके सहयोग पर बल देता है। यूनिसेफ की जोखिम कम करने की रणनीति सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की मजबूती, जल संरक्षण, बाढ़ और सूखे की तैयारी में सुधार; बाल सुलभ स्थानों का विस्तार; स्कूल सुरक्षाकार्यक्रम;राहत कार्यों के लिए सप्लाइ चेन मैनेजमेंट आदि पर केन्द्रित है। इसके अलावा, यूनिसेफ समुदाय आधारित आपदा जोखिम प्रबंधन कार्यक्रमों पर बल देता है जिसमें बच्चे और किशोर शामिल हैं और जिनमें जिनमें ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर आपदा सुरक्षा सम्बन्धी गतिविधियों को संचालित किया जाता है । यूनिसेफ मानवीय परिस्थितियों जैसे कि नागरिक संघर्ष की स्थिति में भी बच्चों की सुरक्षा एवं जरूरतों पर भी विशेष ध्यान देता है।
हमारे कार्यक्रम बच्चों और किशोरों को उनके वैज्ञानिक स्वभाव को समझने के साथ उन्हें जोखिमों का आकलन करने और समझने के लिए सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाते हैं। परिवर्तन वाहक और भविष्य के नेताओं के रूप में भूमिका निभाने हेतु बच्चों को स्थानीय समुदाय को आपदाओं से सुरक्षित बनाने और आपदा जोखिम की जानकारी और कौशल को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
आपदा पूर्व की सुनियोजित तैयारी से देखा गया है कि आपदाओं से होने वाली क्षति कम होती है। यूनिसेफ अपने जोखिम जानकारी युक्त कार्यक्रमों द्वाराऐसी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए भी कार्य करता है जिससे किसी भी आपदा के बाद बच्चों और उनके परिवारों की स्थिति सामान्य होने में सहायता मिल सके । ग्रामीण और शहरी समुदायों को आपदा से सुरक्षित करने की कोशिश की जा रही है, साथ ही साथ समुदाय का भी जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिएभी क्षमता वर्धन किया जा रहा है जिससे वे बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा कर सकें।
UNICEF/UNI130508/Singh मधुबनी, बिहार के मिडिल स्कूल में अपने क्लासरूम के बाहर भूकंप सुरक्षा बचाओमॉकड्रिल में भाग लेते बच्चे
आपात स्थिति और मानवीय संदर्भों में, बच्चे विशेष रूप से बीमारी, कुपोषण और हिंसा के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। प्राकृतिक आपदाएं कई लोगों को अस्थायी आश्रयों में विस्थापित करती हैं जहाँ उन्हें जीवन रक्षक बहुआयामी सहायता की सख्त जरूरत होती है। आपदा और आपात स्थिति महत्वपूर्ण सामाजिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करती या नुकसान पहुंचाती है, जिसमें काफी बड़े क्षेत्रों में अस्पताल, स्कूल और पानी और सफाई व्यवस्था प्रभावित होते हैं, ऐसे में एक ऐसा वातावरण बनता है जिसमें बीमारी तेजी से फैलती है और शिक्षा आदि बाधित हो जाती है।
आपातकालीन तत्परता और प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय क्षमता और यूनिसेफ के तुलनात्मक फायदे के साथ आने से आपातकालीन तैयारी और राहत एवं बचाव तंत्र द्वारा आपातकालीन एवं मानवीय संकट में प्रभावी रूप से सामना करने में मदद मिलती है । यूनिसेफ बच्चों के लिए अपनी मुख्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और आपातकालीन तैयारियों पर सरकार के अनुरोधों को पूरा करने हेतु अपनी क्षमता को निरंतर विकसित करता है।
रणनीतिक साझेदारी
सरकार में यूनिसेफ की मुख्य समकक्ष संस्था
गृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यूनिसेफ जोखिम विश्लेषण का मुख्य सरकारी समकक्ष है। अन्य रणनीतिक भागीदारों में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, शहरी स्थानीय निकाय, थिंक टैंक, सिविल सोसाइटी संगठन, सेक्टोरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और विकास संगठन शामिल हैं। आपदा जोखिम में कमी पर काम करने वाले बाल-केन्द्रित गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) समुदाय और क्षमता निर्माण गतिविधियों के प्रमुख भागीदार हैं। मीडिया, विशेष रूप से रेडियो, भी यूनिसेफ के एक महत्वपूर्ण भागीदार की भूमिका निभाता है।
Under the chairmanship of District Magistrate Yugal Kishore Pant, an important meeting related to the prevention of chemical disasters was held in Dr. APJ Abdul Kalam Auditorium
रूद्रपुर 14 सितम्बर ,2022- जिलाधिकारी युगल किशोर पंत की अध्यक्षता में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में रासायनिक आपदाओं से बचाव सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। जिसमे विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों, सिडकुल, उद्योग विभाग, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, राजस्व आदि विभागों के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिला आपदा प्रबन्धन कार्य योजना आपदा से पूर्व एवं आपदा के पश्चात जिला प्रशासन तथा अन्य हितधारको के बेहतर समन्वय और कार्यान्वयन के लिए मार्गदर्शिका के रूप में उपयोगी होती है। उन्होंने कहा कि कार्य योजना राहत कार्यों मे कार्यरत प्रक्रिया व्यवस्था का मार्गदर्शन करता है और आपदा से निपटने की जोखिम विश्लेषण सामुदायिक क्षमता में वृद्धि करती है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन तंत्र सूचना मिलते ही सक्रिय होता है एवं प्रतिक्रिया की व्यवस्था को बिना कोई समय गवायें क्रियाशील बनाता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद के औद्योगिक क्षेत्रों में संभावित खतरें एवं खतरे के कारणों की पहचान, जोखिम विश्लेषण, संस्थागत व्यवस्थाओं के अंतर्गत आपदा प्रबंधन की संरचनाओं की सम्पूर्ण कार्य योजना व जानकारी आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण कार्यालय में होना नितान्त जरूरी है, ताकि संभावित घटना के घटित होने पर जरूरी उपकरणों एवं सामान के साथ टीमों द्वारा प्रभावी ढंग से राहत एवं बचाव कार्य किये जा सकें। जिलाधिकारी ने औद्योगिक इकाईयों में संभावित खतरे के आधार पर संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक निवारण उपाय, आपदा जोखिम न्युनीकरण योजना, संस्थागत क्षमता निर्माण, कम्पनी का ले-आउट आदि जिला आपदा प्रबन्धनक कार्यालय में एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने के निर्देश सभी कम्पनियों को दिये।
उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि सिडकुल के अन्तर्गत टैंक, एसटीपी आदि की सफाई एवं पेंट मशीनों के माध्यम से कराई जाये और जहॉ पर मशीनें न पहुॅच पाये, उन स्थानों पर मैनुअल सफाई एवं पेंट कार्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन करते हुए कराई जाये। उन्होंने सभी कम्पनियों को अपने-अपने सुरक्षा उपकरणें की जांच एवं प्रत्येक वर्ष नियमानुसार सैफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि हर इण्डस्ट्री का क्राइसिस मैनेजमेंट (इमर्जेन्सी) प्लान बना हुआ होना चाहिए। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि बिना डिस्पोज़ किये कैमीकल उपकरण, एवं गैस सिलैण्डर आदि न बेचे जाये और कबाड अधिकृत व्यक्तियों को ही बैचा जाये। उन्होंने विगत दिवस सिडकुल पन्तनगर में हुई अग्नि दुर्घटना के अनुभव साझा करते हुए कहा कि कम्पनी के कर्मचारियों को एक बार सम्पूर्ण कम्पनी का भ्रमण कराया जाये। उन्होंने औद्योगिक आस्थानों में प्रत्येक सप्ताह आपदा सम्बन्धित मॉकड्रिल सम्पन्न कराने के निर्देश जीएम डीआईसी को दिये।
अपर जिलाधिकारी डॉ.ललित नारायण मिश्र तथा जय भारत सिंह ने भी अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सुरक्षा मानकों में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अन्तर्गत प्रभावी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
बैठक में मुख्य कोषाधिकारी डॉ.पंकज कुमार शुक्ला, नगर आयुक्त काशीपुर विवेक राय, उप जिलाधिकारी प्रत्यूष सिंह, कौस्तुभ मिश्रा, अभय प्रताप सिंह, तुषार सैनी सहित कम्पनियों के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।
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