भारत की खुद की डिजिटल करेंसी

Digital Currency in India: डिजिटल मुद्रा जल्द होगी लॉन्च, बिटकॉइन से अलग कैसे?
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ( rbi ) ने चरणबद्ध तरीके से भारत में डिजिटल करेंसी जल्द लॉन्चिंग की तैयारी तेज कर दी है। आरबीआई की 2021 के अंत तक खुद की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा ( Central Bank Digital Currency ) शुरू करने की योजना है। सीबीडीसी ( CBDC ) की शुरुआत भारत के लिए ऐतिहासिक साबित होने की संभावना है। इसे परंपरागत बैंकिंग सिस्टम से अलग आरबीआई की एक नई पहल के तौर पर लिया जा रहा है। खास बात यह है कि भारत में डिजिटल करेंसी शासकीय निकाय का हिस्सा होगा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सीएनबीसी को एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर तक अपना पहला डिजिटल मुद्रा ट्रेल कार्यक्रम ( trail programmes ) शुरू कर सकता है। डिजिटल करेंसी की लॉन्चिंग को लेकर हम अभी से बेहद सावधान हैं। यह न केवल हमारे लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नया उत्पाद है।
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सीबीडीसी क्रिप्टोकरेंसी से अलग कैसे?
क्रिप्टोकरेंसी ( Cryptocurrency ) को एक करेंसी की बजाय एक वस्तु के रूप में ज्यादा आंका जाता है। ऐसा इसलिए कि किसी को बिटकॉइन में निवेश करने के लिए पहले मुद्रा खरीदना होता है। क्रिप्टोकरेंसी बेहद अस्थायी करेंसी है। फिर क्रिप्टोकरेंसी का कोई कानूनी जारीकर्ता नहीं है। जबकि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा यानि सीबीडीसी ( CBDC ) को आरबीआई जारी करेगा। इसलिए केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा को रियल करेंसी के तौर पर देखा जाएगा।
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सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी क्या है?
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा मूल रूप से एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है जो आरबीआई द्वारा निविदा के रूप में जारी की जाती है। यह मौजूदा डिजिटल या फिएट करेंसी के समान हैं। खास बात ह है कि यह एक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त मुद्रा है जिसे वित्तीय निकायों का समर्थन हासिल है।
आ गया डिजिटल रुपया
आखिरकार भारत में डिजिटल करेंसी यानि वर्चुअल करेंसी की शुरूआत हो गई। आरबीआई ने अभी इसे पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर शुरू किया है। अभी डिजिटल रूपी का इस्तेमाल थोक लेनदेन में होगा। डिजिटल रुपी अब आप की पॉकेट में नहीं होगा लेकिन वर्चुअल वर्ल्ड में इसका इस्तेमाल आप कर सकेंगे। दुनिया भर में बिटकाॅइन और दूसरी क्रिप्टो करेंसी के उदय के कारण तमाम वित्तीय संस्थान डिजिटल करेंसी लाने को विवश हुए हैं। कुछ लोग डिजिटल करेंसी को क्रिप्टो करेंसी की काट मान रहे हैं। लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। सैंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी मूल रूप से एक वर्चुअल करेंसी है जो केन्द्रीय बैंक द्वारा टेंडर के रूप में जारी की जाती है। यह एक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त करेंसी है और इसे देश की सरकार द्वारा जारी किया जाता है, जबकि क्रिप्टो को किसी भी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। क्रिप्टो करेंसी डिजिटल वॉलेट में रखी जाती है। क्रिप्टो करेंसी में जबरदस्त उतार-चढ़ाव होते हैं जबकि डिजिटल करेंसी में उतार-चढ़ाव नहीं होते। पायलट प्रोजैक्ट की शुरूआत के समय कई बड़े बैंकों ने भाग लिया और काफी बड़े लेनदेन किए। पायलट प्रोजैक्ट फिलहाल चुुने हुए ग्राहकों और कारोबारियों के बीच एक महीने तक चलेगा। बाद में इसे डिजिटल रुपए के तौर पर शुरू किया जाएगा। आरबबीआई की तरफ से डिजिटल मुद्रा जारी करने वाला भारत पहला देश बन गया है। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात, रूस, स्वीडन, जापान, ऐस्टोनिया और वेनेजुएला जैसे देश खुद की क्रिप्टो करेंसी लांच कर चुके हैं।
भारत में क्रिप्टो करेंसी का सफर किसी रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं रहा है। क्रिप्टो करेंसी का प्रचलन बढ़ने से काले धन समेत कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बिट कॉयन में पिछले तीन वर्षों से निवेश का ट्रैंड बढ़ा। आंकड़ों से पता चलता है कि 1.5 करोड़ भारतीयों ने इसमें निवेश भारत की खुद की डिजिटल करेंसी किया। क्रिप्टो करेंसी आने से लोगों के निवेश का तरीका बदल गया। जो लोग सोने में निवेश करते थे, उन्होंने इसमें निवेश करना शुरू कर दिया। वर्ष 2008 में सातोशी नाकामोटो के छद्म नाम से एक डिवेलपर ने बिटकॉइन की शुरूआत की थी। धीरे-धीरे कुछ अन्य क्रिप्टो करेंसी भी सामने आई। इसमें किसने कितना निवेश किया, इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आता। भारत में क्रिप्टो करेंसी को लेकर बहुत शोर मचा तो आरबीआई ने सर्कुलर जारी करके वर्चुअल करेंसी को लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर की और वित्त मंत्रालय ने चेतावनी जारी की कि वर्चुअल करेंसी लीगल टेंडर नहीं है। मार्च 2018 में सीबीडीटी ने वित्त मंत्रालय भारत की खुद की डिजिटल करेंसी का वर्चुअल करेंसी पर प्रतिबंध के लिए एक ड्राफ्ट सौंपा। इससे हड़कम्प मच गया। क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगा दी गई, प्रतिबंध एक बड़ा झटका था। इसके चलते क्रिप्टो एक्सचेंजस ने सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल की। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को रद्द कर दिया और आरबीआई के सर्कुलर को गैर कानूनी घोषित भारत की खुद की डिजिटल करेंसी कर दिया। बाद में यह फैसला लिया गया कि क्रिप्टो करेंसी का नियमन किया जाएगा। फ्रॉड रोकने के लिए और सीमा पार लेन-देन की निगरानी के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं।
29 जनवरी, 2021 को भारत सरकार ने घोषणा की कि वह स्वयं की डिजिटल मुद्रा शुरू करेगी और बाद में निजी क्रिप्टो करेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देगी। नवम्बर 2021 में वित्त मंत्रालय की स्थायी समिति ने क्रिप्टो करेंसी के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और निष्कर्ष निकाला कि क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा बल्कि इसे विनियमित किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022 का बजट पेश करते हुए डिजिटल करेंसी जारी करने का ऐलान किया था। सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इससे फायदा क्या होगा? वर्चुअल करेंसी लाने की बड़ी वजह मनी लॉड्रिंग और हवाला पर शिकंजा कसना है क्योंकि क्रिप्टो करेंसी हवाला कारोबार करने और ब्लैकमनी जमा करने का जरिया बन गया है। इसके साथ ही हर वर्चुअल करेंसी जो ऐप और अन्य माध्यम से चल रही है उसकी निगरानी आसान होगी।
देश में हजारों करोड़ रुपए के नोट छापने में भी करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। दस साल पहले वर्ष 2012-13 में नोट छापने में 2872 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, वहीं पिछले साल 2021-22 में यह खर्च बढ़कर 4984 करोड़ रुपए हो गया। वहीं नोटबंदी वाले साल में नोट छापने का खर्च 7965 करोड़ रुपए हो गया था। पिछले वर्ष 997 कराेड़ रुपए के नोट खराब हो गए थे। डिजिटल रुपया आने से भारतीय मुद्रा की छपाई में कमी आएगी। दूसरे देशों को पैसा भेजने के शुल्क में 2 फीसदी तक कमी आएगी जो मौजूदा समय में 7 फीसदी से अधिक भुगतान करना पड़ता है। सरकार की योजना इसे भविष्य में यूपीआई से जोड़ने की है। डिजिटल रुपए में कई ऐसे फीचर होंगे, जिनसे ग्राहकों को फायदा होगा। जैसे मौजूदा समय क्रेडिट कार्ड पर ई-कॉमर्स कम्पनियां खरीद पर छूट की स्कीम देती हैं, वैसे ही डिजिटल रुपए पर मिलेगी। इसके इस्तेमाल के लिए किसी बैंक खाते की जरूरत नहीं होगी। विभिन्न स्तरों पर निवेश के लिए इसको इस्तेमाल में लाया जा सकेगा, जिसमे सरकार द्वारा डिजिटल रुपए के निवेश करने पर फायदे या छूट मुहैया होगी। इसके अलावा सेटलमेंट यानी किसी मामले में दो पक्षकार के बीच लेन-देन आसान होगा। यही नहीं, ग्राहकों के लिए इस्तेमाल में सहूलियत होगी। कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक, डिजिटल रुपया रखने की एक निर्धारित सीमा होगी। हालांकि यह मुमकिन है कि सीबीडीसी रखने के लिए बैंक खाता रखने की जरूरत नहीं होगी।
महीने भर के ट्रायल में कई खामियां भी नजर आएंगी। साइबर अपराध रोकने के लिए भी आरबीआई को पुख्ता व्यवस्था करनी होगी। चीन और दक्षिण कोरिया समेत कई देश डिजिटल मुद्रा पेश करने की तैयारी में हैं। 60 देशों की दिलचस्पी भी डिजिटल रुपया लांच करने में है। भारत ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। आज की डिजिटल दुनिया में यह जरूरी भी है।
RBI ला रहा भारत की पहली डिजिटल करेंसी, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो से ये कैसे अलग?
किसी भी देश की डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार या सेंट्रल बैंक रेगुलेट करती हैं
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के इस दौर में कई देश खुद की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) लाने पर काम कर रहे हैं. RBI भी भारत की डिजिटल करेंसी को लॉन्च करने के लिये काम कर रहा है और इसके दिसंबर तक आने की उम्मीद भी है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने CNBC चैनल को इंटरव्यू में बताया कि भारत अपने पहले डिजिटल करेंसी का ट्रायल प्रोग्राम इसी साल दिसंबर में शुरू कर सकता है.
हम इस बारे में बेहद सावधानी बरत रहे हैं क्योंकि भारत समेत पूरी दुनिया के लिए यह पूरी तरह से एक नया प्रोडक्ट है
क्या होती है डिजिटल करेंसी?
मान लीजिये आप एटीएम से पांच हजार रुपये निकालने जाते हैं, वो पैसा आपके हाथ में आने के बजाय सीधा आपकी वॉलेट में चला जाये तो? मतलब आपके पास पैसा है लेकिन उसे आप आपने हाथों से छू नहीं सकते. इसे ही डिजिटल करेंसी कहा जाता है. आसान भाषा में कहा जाए तो डिजिटल करेंसी का रूप डिजिटल होता है. सबसे बड़ी बात ये सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त करेंसी होती है, जिसे देश की सेंट्रल बैंक जारी करता है.
अभी बैंक से विदेश पैसा भेजने में 2 से 3 दिन तक का समय लगता है और उसके लिए आपको बैंक को 500-1000 रुपये तक का एक्स्ट्रा चार्ज भी देना पड़ता है. हालांकि, डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करके लोग चंद मिनटों में पैसा विदेश ट्रांसफर कर सकेंगे.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की क्यों पड़ी जरूरत?
भारत समेत पूरी दुनिया भर में बिटकॉइन और एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी की पॉपुलैरिटी किसी से छिपी नहीं है. चुंकि क्रिप्टो का कांसेप्ट पूरी तरीके से डी-सेंट्रलाइज्ड है, इसको रेगुलेट करने का जिम्मा किसी भी देश की सरकार या बैंक के पास नहीं होता. ऐसे में दुनिया भर के कई सेंट्रल बैंक चिंतित हैं कि क्रिप्टो कि वजह से कहीं उनका फाइनेंशियल सिस्टम पर कंट्रोल ना खत्म हो जाए. इसी समस्या को देखते हुए कई देश अपनी खुद की डिजिटल करेंसी लाने पर काम कर रहे हैं और कुछ तो ट्रायल फेज में भी पहुंच चुके हैं.
इसके अलावा नोटों और सिक्कों को छापने और स्टोर करने में भी सरकार को खर्च उठाना पड़ता है. डिजिटल करेंसी आने से गवर्नमेंट की ये लागत ना के बराबर हो जाएगी.
एंड टू एंड इंक्रीप्शन (encryption) होने के कारण क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन को ट्रैक नहीं किया जा सकता. नतीजन लोग इसका इस्तेमाल आंतकवादी, सट्टेबाजी जैसी गैर-कानूनी चीजों के लिये भी कर सकते हैं, ऐसा डर सरकारें जताती रही हैं.
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी के फर्क को समझिए
क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी सरकार का नियंत्रण नहीं होता है. जबकि किसी भी देश की डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार या सेंट्रल बैंक रेगुलेट करती है.
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के द्वारा विकसित की जाती है जिस वजह से यह लिमिटेड है. जैसे बिटकॉइन की संख्या 21 मिलियन है, ये किसी भी हालत में इससे ज्यादा नहीं हो सकती. वहीं, चूंकि डिजिटल करेंसी पूरी तरीके से सेंट्रल बैंक के कंट्रोल में होती है, सेंट्रल बैंक अपनी भारत की खुद की डिजिटल करेंसी सुविधा अनुसार कितनी भी डिजिटल करेंसी जारी कर सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी की संख्या सीमित है. इसलिए इसके प्राइस में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है. इसलिए भी लोग क्रिप्टो का इस्तेमाल किसी भी सामान की खरीद-बिक्री के लिये जल्दी नहीं करना चाहते हैं. ज्यादातर लोग क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल केवल इन्वेस्टमेंट और ट्रेड करने के लिये कर रहे हैं.
चूंकि डिजिटल करेंसी इसकी तुलना में काफी कम वोलाटाइल होती है और यह सरकार से मान्यता प्राप्त करेंसी होगी, लोग इसका इस्तेमाल किसी भी कमोडिटी की खरीद-बिक्री के लिए कर सकेंगे.
RBI ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर पूरी तरीके से रोक लगा थी. हालांकि मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी.
क्रिप्टोकरेंसी-बिटकॉइन आखिर है क्या? क्यों बन गई हैकर्स की पसंद?
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Digital Currency: जानिए क्यों मास्टरस्ट्रोक है सरकार का 'Digital Rupee' लॉन्च करने का फैसला
भारत सरकार (Government of India) अगले वित्त वर्ष में डिजिटल रुपया (Digital Rupee) जारी करने जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने हाल ही में बजट (Union Budget 2022) में यह घोषणा की है कि सरकार डिजिटल करेंसी (Digital Currency) जारी करेगी। यह डिजिटल रुपया देश के बैंकिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव (Change in Banking System) ला सकता है।
Digital Currency: जानिए क्यों मास्टरस्ट्रोक है सरकार का 'Digital Rupee' लॉन्च करने का फैसला
बजट में हुआ ऐलान
वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया है। इस बजट में वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2022-23 में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की घोषणा की है। यह डिजिटल करेंसी देश के बैंकिंग सिस्टम में बड़े बदलाव कर सकती है। अब सभी लोग यह जानना चाहते हैं कि यह डिजिटल करेंसी रुपये से कितनी अलग होगी।
क्या है RBI की डिजिटल करेंसी?
डिजिटल करेंसी अपनी तरह का एक नया कॉन्सेप्ट (New Concept) है। इस समय हम कार्ड्स (Credit or Debit Cards), नेटबैंकिंग (Netbanking) और पेटीएम व गूगल-पे जैसे पेमेंट एप्स से लेनदेन कर रहे हैं, जो कि कैशलेस लेनदेन में आते हैं। माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी कैशलेस ट्रांजेक्शन से एक कदम आगे होगी और यह बैंकिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव ला सकती है।
कैशलेस हो रहा भारत
भारत में नकदी का उपयोग (Use of Cash) घीरे-घीरे घट रहा है और लोग कैशलेस पेमेंट के विकल्प (Options of Cashless Payment) अपना रहे हैं। महामारी के बाद से भारत की खुद की डिजिटल करेंसी कैशलेस पेमेंट (Cashless Payment) में भारी इजाफा हुआ है। अप्रैल 2021 में हुए RBI के सर्वे के अनुसार 500 रुपये से ज्यादा के अधिकांश लेनदेन में डिजिटल पेमेंट मोड को अपनाया जा रहा है।
क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता भी है वजह
सरकार द्वारा डिजिटल करेंसी लाने के पीछे एक बड़ा हाथ बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता का भी है। नकदी के भविष्य को लेकर भी तरह-तरह की बातें होने लगी थीं। अब सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी जो कि सरकार (Central Government) द्वारा समर्थित है, लोगों को काफी पसंद आ सकती है। इससे देश का बैंकिंग सिस्टम (Banking System of India) और आधुनिक हो सकेगा।
क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग है CBDC
कहा जा रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रा नहीं है, बल्कि डिजिटल एसेट्स है। इन्हें निजी तौर पर जारी किया जाता है और ये सरकार या किसी दूसरी अथॉरिटी द्वारा समर्थित नहीं है। वहीं, यूएस डॉलर और भारतीय रुपया जैसी मुद्राएं केंद्रीय बैंकों द्वारा समर्थित हैं, जो इनकी कीमत की गारंटी लेते हैं। CBDC फिजिकल करेंसी का इलेक्ट्रॉनिक रूप ही होगा। यह आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी की गई वैध मुद्रा होगी।
क्रिप्टोकरेंसी जैसी ही हो सकती है तकनीक
सेंट्रल बैंक (RBI) की डिजिटल करेंसी भी क्रिप्टोकरेंसी में उपयोग होने वाली ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technique) पर आधारित हो सकती है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण (Budget Speech of Nirmala Sitharaman) में कहा था कि CBDC में ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का उपयोग होगा। ब्लॉकचैन एक तरह से डिजिटल बही खाता हैं, जिसमें हर लेनदेन का रिकॉर्ड दर्ज होता है।
CBDC के फायदे
इस समय Reserve Bank of India द्वारा सिर्फ नकदी (Cash or Paper Currency) जारी की जाती है और आपको कैशलेस लेनदेन के लिए बैंक में खाता खुलवाना पड़ता है। CBDC क्योंकि डिजिटल है और RBI द्वारा जारी की गई होगी, जिससे काफी आसानी से सभी लोगों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंच पाएंगी। इसमें आपको कम कीमत में अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन की सुविधा भी मिल सकती है।
CBDC के नुकसान
सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी (Government Supported Digital Currency) निजी क्रिप्टो करेंसीज के लिए बुरी खबर है। CBDC के आने के बाद इनकी कीमतें भी काफी गिर सकती हैं। अगर CBDC आम आदमी को RBI के साथ एक बैंकिंग अनुभव देता है, तो लोग अपना पैसा यहीं रखेंगे। इससे वाणिज्यिक बैंकों की जमाएं घट सकती हैं और उनके पास लोन देने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं रह जाएगा।
नौ देशों में पहले से है डिजिटल करेंसी
दुनिया में जिन 9 देशों के पास डिजिटल करेंसी (Digital Currency) है, उनमें से 8 कैरेबियाई देश (Carrabin Countries) हैं। ये छोटे-छोटे आइलैंड (Island) हैं। इस समय 87 देश सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) अपनाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. इनमें से 14 देशों में इसका ट्रायल चल रहा है. अक्टूबर 2021 में नाइजीरिया ने अपनी डिजिटल करेंसी ई-नाइरा जारी की थी।
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