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वित्त ट्रैकिंग

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वस्तु एवं सेवा शुल्क का प्रदर्शन और इससे जुड़े कुछ प्रश्न

आज देश की अर्थव्यवस्था जिस भारी संकट से गुजर रही है, उसके मूल में मौजूदा सरकार की जो नाकामियां हैं, उनमें से प्रमुख है वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को समुचित ढंग से तैयार करने और क्रियान्वित करने में नाकामी। जीएसटी को एकल कर दर होना था जिससे करदाताओं का बोझ काफी कम होता, कागजी कार्रवाई कम होती, अनुपालन की लागत में गिरावट आती, इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग आसान होती और अनुपालन बढ़ता। इसके साथ ही कर दायरे में इजाफा होता और पहले बाहर रहे उत्पादों पर कर लगने से सरकार का राजस्व बढ़ता। इसके कारण पूरी कर व्यवस्था में जो किफायत आती वह सकल घरेलू उत्पाद में इजाफा करने के साथ-साथ आर्थिक वृद्घि और जीवन स्तर सुधारने में सहायक होती।

हम आज कहां हैं? सबसे पहली बात, जीएसटी राजस्व के मोर्चे पर अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा। गत वित्त वर्ष में कुल राजस्व सकल घरेलू उत्पाद के एक फीसदी तक कम रहा। हालांकि केंद्रीय बजट में इस तथ्य को जनता से छिपाने का प्रयास किया गया। यह कमी पूरी तरह जीएसटी के कारण रही जो गत वर्ष के बजट अनुमान से कम संग्रह कर सका। ऐसा क्यों हुआ? एक वजह तो यह हो सकती है कि शायद कर वंचना अनुमान से अधिक रही। ऐसा इसलिए क्योंकि जीएसटी काफी हद तक इनवॉइस मिलान पर निर्भर रहा। परंतु ऐसे मिलान के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सही तरीके से बनाया ही नहीं गया था। जीएसटी अपने आप में अत्यंत जटिल है और इसके चलते इनवॉइस मिलान का काम उचित तरीके से नहीं हो सका। इससे फर्जी इनवॉइस सामने आने लगे। परिणामस्वरूप भुगतान सुगम होने और चतुराईपूर्ण तकनीकी निस्तारण के जरिये अनुपालन में सुधार से इतर सरकार अब इस बात पर नजर रख रही है कि कर अधिकारियों को ज्यादा अधिकार कैसे दिए जाएं। यह जीएसटी की मूल भावना के प्रतिकूल है।

एक अन्य समस्या कर दरों की है जो बहुत ज्यादा हैं या बेहद कम हैं। हमें यह समझना होगा कि राजस्व निरपेक्ष कर दर आखिर क्या हो सकती है। अगर यह 18 फीसदी है और शराब और ईंधन इसमें शामिल हैं तो हमें यह दर बरकरार रखनी होगी। अगर हमें अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं को कम कर दर के दायरे में रखना है और यदि जीएसटी परिषद अपना पूरा समय दरों में बदलाव या कमी करने में लगा देती है तो स्वाभाविक है कि हम राजस्व लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाएंगे। अगर हमें कम कर दर वाला देश बने रहना है तो यह ठीक है लेकिन तब हमें यह मानना होगा कि हम जीएसटी क्रियान्वयन से राजस्व निरपेक्षता नहीं हासिल कर रहे हैं। ऐसे में हमें व्यय में कटौती करनी होगी। परंतु उस स्थिति में हमें अपना रुझान बदलना होगा और कुछ कड़े फैसले लेने होंगे।

उदाहरण के लिए यह मानना होगा कि बीते दशक में व्यय में सबसे अधिक इजाफों में से एक अद्र्धसैनिक बलों में हुआ। रक्षा पर आगे होने वाले व्यय में स्थायी रूप से इजाफा हो सकता है। व्यवहार में ऐसा बदलाव सरकारी व्यय को तयशुदा सीमा में रखने के लिए आवश्यक हो सकता है। हम उतना व्यय नहीं कर सकते न ही कर लगा सकते हैं। ऐसे में हमारे पास उक्त काम करने का कोई स्थायित्व भरा तरीका नहीं है। समस्या यह है कि अगर हम अनुमान से कम जीएसटी संग्रह करते हैं और सरकार का यह कहना सही है कि दरों में कटौती आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए की गई है तो वह बढ़ोतरी कहां है? कारोबारियों में उत्साह की भावना क्यों नहीं नजर आ रही है? अगर लोगों के पास इतनी अधिक धनराशि है तो खपत में इजाफा क्यों नहीं आ रहा है और निवेश बढ़ता हुआ क्यों नहीं दिख रहा?

एक दिक्कत यह हो सकती है कि जीएसटी की निवेश अनुकूलता का लक्ष्य भी हासिल नहीं हुआ है। कारोबारी समूहों के जीएसटी चुकाने को लेकर कई तरह के सुधार किए गए हैं और अन्य सुधार प्रक्रियाधीन हैं। यह कहा जा सकता है कि देश में अभी भी निवेश की दृष्टि से बहुत अनुकूल माहौल नहीं है। दरों में बार-बार बदलाव हो रहा है। न केवल जीएसटी दर बल्कि सीमा शुल्क दरों पर भी यही बात लागू होती है। कर आतंक एक हकीकत है। कर निरीक्षकों को जीएसटी लागू होने के बाद बहुत अधिक अधिकार दे दिए गए हैं। इन सारी वजहों से निवेश सामान्य स्तर से भी नीचे चला गया। जीएसटी के कारण आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होने का अनुमान इस बात पर निर्भर था कि कर व्यवस्था कम आक्रामक हो। हालांकि कर भुगतान व्यवस्था में सुधार की योजना है वहीं इसे लेकर कहीं अधिक इच्छाशक्ति से काम करने की जरूरत है। अधिकांश करदाताओं के लिए जीएसटी फॉर्म स्वत: तैयार होने चाहिए और उन्हें तीसरे पक्ष की इनवॉइस और बिल निस्तारण ऐप के माध्यम से वित्त ट्रैकिंग जमा करने की व्यवस्था होनी चाहिए, जिन्हें मोबाइल से संचालित किया जा सके। अगर इनवॉइस मिलान का काम नहीं हो पाता तब हमें दूसरी दिशा में प्रयास करते हुए अनुपालन को आसान बनाना होगा। इसके लिए श्रम की बचत वाले तकनीकी नवाचार करने होंगे। वित्त मंत्रालय को निजी क्षेत्र के वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग के लोगों को साथ लेकर इसे अंजाम देना चाहिए। कर भुगतान सुगम बनाने को लेकर सार्वजनिक मशविरा भी किया जाना चाहिए।

सरकार निरंतर यह दावा कर रही है कि वह बुनियादी वस्तुओं पर अधिक कर दर नहीं रख सकती लेकिन जीएसटी के पीछे की अवधारणा यही कहती है कि गरीबों की क्षतिपूर्ति का सबसे बेहतर और किफायती तरीका अप्रत्यक्ष करों के साथ छेड़छाड़ करना नहीं बल्कि प्रत्यक्ष सब्सिडी में बदलाव है। सरकार उसका तरीका पहले ही निकाल चुकी है और सब्सिडी देने में अपनी सक्षमता पर उसे गर्व भी है। ऐसे में सरकार को विविध दरों का बचाव त्याग देना चाहिए और किफायत और उन लाभों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो उसे देश के गरीबों की सब्सिडी जारी रखने के संसाधन देंगे। आज सरकार के पास न तो सब्सिडी के लिए पैसा है और न ही अर्थव्यवस्था में गति है।

Google वित्त पोर्टफोलियो का उपयोग कैसे करें

चाहे आप एक पेशेवर निवेशक वित्त ट्रैकिंग हों या कोई व्यक्ति अपने पैसे को थोड़ा कठिन बनाना चाहता है, निवेश की एक श्रृंखला को ट्रैक करना दर्द का थोड़ा सा हो सकता है। यदि आप एकाधिक वित्त ट्रैकिंग दलालों, धन या खातों का उपयोग करते हैं, तो उन सभी का ट्रैक रखने से भी अधिक श्रमिक हो सकता है। Google वित्त दर्ज करें। एक ही स्थान जहां आप आसानी से अपने पोर्टफोलियो का प्रबंधन कर सकते हैं। यदि आप अपनी वित्तीय ट्रैकिंग को सरल बनाना चाहते हैं, तो यह Google वित्त पोर्टफोलियो मार्गदर्शिका आपके लिए है!

Google वित्त विश्व प्रभुत्व पर खोज विशालकाय प्रयास का हिस्सा है और इसके Google ड्राइव दस्तावेज़ प्लेटफ़ॉर्म का हिस्सा बनता है। अनिवार्य रूप से, यह स्प्रेडशीट्स का एक सूप-अप संस्करण है लेकिन इसकी आस्तीन में कुछ अच्छी चाल है।

सबसे पहले, यह मुफ़्त है। यह कुछ व्यावसायिक पोर्टफोलियो प्लेटफार्मों के रूप में शक्तिशाली नहीं हो सकता है, लेकिन इसकी लागत कुछ भी नहीं है। दूसरा, यह आपको कई व्यक्तिगत निवेशों को ट्रैक करने और ऐप्स के भीतर मूल्य, मात्रा और नकदी का चलने वाला स्कोर रखने की अनुमति देता है। यह सूचित निर्णय लेने में सहायता के लिए आपके द्वारा निवेश की गई कंपनियों के लिए विशिष्ट समाचार अपडेट भी प्रदान करता है।

उन्नत उपयोगकर्ताओं के लिए, चार्ट बनाने और उन्हें एक वाणिज्यिक पोर्टफोलियो प्लेटफ़ॉर्म पर निर्यात करने की क्षमता है, जिसकी आपको आवश्यकता होनी चाहिए।

अपने Google वित्त पोर्टफोलियो का निर्माण

Google वित्त पोर्टफोलियो का उपयोग करने के लिए, आपको स्पष्ट रूप से Google खाते की आवश्यकता होगी और उनमें से कोई एक नहीं है? इसके बाद, Google वित्त में लॉग इन करें और आप मुख्य इंटरफ़ेस में हैं। बस बॉक्स में टिकर प्रतीक जोड़ें और अपने पोर्टफोलियो का निर्माण शुरू करें।

  • सत्र के लिए प्रत्येक स्टॉक, प्रतिशत परिवर्तन, वर्तमान पूंजीकरण, मात्रा और उच्च और निम्न के अंतिम मूल्य को देखने के लिए अवलोकन मोड का उपयोग करें।
  • अधिक जानकारी के लिए मौलिक मोड का प्रयोग करें। यह साल के ऊंचे और कम दिखाएगा, प्रति शेयर कमाई, कमाई की कीमत, अग्रिम मूल्य कमाई अनुपात और बीटा दिखाएगा। यह स्टॉक के लिए आपके लेनदेन भी दिखाएगा।
  • स्टॉक के प्रदर्शन के तरीके के त्वरित अवलोकन वित्त ट्रैकिंग के लिए प्रदर्शन मोड का उपयोग करें, इसका बाजार मूल्य, लाभ और दैनिक लाभ।
  • लेनदेन दृश्य आपके व्यक्तिगत खरीद को दिखाएगा या उस स्टॉक के लिए बेच देगा।

पोर्टफोलियो डेटा वास्तविक समय में नहीं है। इसमें लगभग 20 मिनट की देरी है जो अधिकांश अन्य वित्तीय वेबसाइटों के अनुरूप है। चूंकि यह Google है, पृष्ठ के शीर्ष पर खोज फ़ंक्शन जितना शक्तिशाली हो उतना शक्तिशाली है। बस उस कंपनी में टाइप करें जिसे आप शोध करना चाहते हैं और Google को अपना जादू काम करने दें। रिटर्न से कंपनी का चयन करें और फिर आपको परिणामों के साथ एक नई स्क्रीन पर ले जाया जाएगा।

अपने Google वित्त पोर्टफोलियो का प्रबंधन

आप पोर्टफोलियो के विकास के रूप में निश्चित रूप से स्टॉक जोड़, बदल या हटा सकते हैं।

  • उस स्टॉक के बगल में स्थित बॉक्स को चेक करें जिसे आप निकालना चाहते हैं और हटाएं दबाएं।
  • खरीद या बेचने के लिए 'लेनदेन डेटा जोड़ें' पर क्लिक करें।
  • प्रदर्शन ग्राफ और प्रतिस्पर्धी प्रदर्शन सहित स्टॉक के बारे में विस्तृत डेटा देखने के लिए नाम के नीचे स्टॉक वित्त ट्रैकिंग लिंक पर क्लिक करें। यहां आप कंपनी और उसके कार्यक्रम कैलेंडर से संबंधित हालिया समाचार भी देख सकते हैं।

Google वित्त पोर्टफोलियो घर निवेशकों, फंतासी निवेशकों या जो भी निवेश में रुचि रखते हैं और वाणिज्यिक पैकेज के लिए भुगतान नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए आदर्श है। सचमुच कोई सीमा नहीं है कि आप अलग-अलग कंपनियों पर कितना शोध कर सकते हैं, इसलिए सूचित निर्णय लेने में आसान होना चाहिए। इसके साथ गुड लक!

वित्त मंत्री ने कहा- भारत को महामारी से निपटने में सरकारी नीतियों ने की मदद

वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 से सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों ने अर्थव्यवस्था और लोगों को मुश्किल समय का मुकाबला करने में सक्षम बनाया. महामारी के दौरान सरकार के लक्षित दृष्टिकोण ने नागरिकों की मदद की.

वित्त मंत्री ने कहा- भारत को महामारी से निपटने में सरकारी नीतियों ने की मदद

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Jun 08, 2022 | 8:23 PM

वित्त मंत्री (Finance Minister) वित्त ट्रैकिंग निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि सरकार की नीतियों और उसके द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों से देश को कोविड-19 महामारी (Covid 19 Pandemic) के कारण पैदा हुई स्थिति से उबरने में मदद मिली. उन्होंने कहा कि इन कदमों में कॉरपोरेट कर में कटौती और अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण जैसे उपाय शामिल हैं. उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत विशेष सप्ताह समारोह में आयोजित कार्यक्रम – ‘भारत की आर्थिक यात्रा @75’ में कहा कि भारत ने अपने मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ चुनौतियों का सामना किया और सफलता पाई. इस कार्यक्रम का आयोजन आर्थिक मामलों के विभाग और सेबी (Sebi) ने मिलकर किया था.

वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 से सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों ने अर्थव्यवस्था और लोगों को मुश्किल समय का मुकाबला करने में सक्षम बनाया. महामारी के दौरान सरकार के लक्षित दृष्टिकोण ने नागरिकों की मदद की.

सीतारमण ने कहा, अर्थव्यवस्था को उबारने और (2014 के बाद से) वृद्धि की सभी बाधाओं को दूर करने के बावजूद चुनौतियां थीं और ऐसे में जो बड़े कदम उठाए गए- कॉरपोरेट टैक्स को कम करना, अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण, आईबीसी कोड (IBC Code), जीएसटी (GST)- उसने हमें ऐसे हालात का सामना करने के लिए तैयार किया, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी.

शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी

उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में कोविड के बावजूद भारतीय खुदरा निवेशकों ने शेयर बाजार तक पहुंचने के लिए ऑनलाइन साधन खोजे हैं और निवेशक शिक्षा में सेबी की भूमिका रही है.

सेबी चेयरपर्सन के जल्द स्वस्थ होने की कामना की

सीतारमण ने बुधवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के कोविड-19 से जल्दी स्वस्थ होने की कामना की है. बुच, इंडियाज इकनॉमिक जर्नी-75 कार्यक्रम में शामिल होने वाली थीं. इस कार्यक्रम को आर्थिक मामलों के विभाग और सेबी द्वारा संयुक्त रूप से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के विशेष सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित किया जा रहा है.

कार्यक्रम में अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने कहा, मैं सेबी चेयरपर्सन के जल्दी ठीक होने की प्रार्थना करती हूं. काश, वह कार्यक्रम में भाग लेतीं। आशा है वह जल्द स्वस्थ हो जाएंगी.

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कार्यक्रम के दौरान सीतारमण ने ‘भारतीय विकास’ और आर्थिक सहायता योजना (आइडियाज) के लिए नया ई-ट्रैकिंग और रिमोट एडमिनिस्ट्रेशन (नेत्र) पोर्टल और मोबाइल ऐप पेश किया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- दुनिया के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर

निर्मला सीतारमण ने हाई इकोनॉमी ग्रोथ हासिल करने के लिए उठाए जाने वाले कदम को लेकर प्रेस क्रॉन्फ्रेंस कर रही हैं. 32 स्लाइड में प्रेजेंटेशन है, जिसे 6 भागों में बांटा गया है. उन्होंने कहा, भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के बड़े देश खराब अर्थव्यवस्था से गुजर रहे हैं. हालांकि, सीतारमण ने कहा, भारत की ग्रोथ दूसरे कई देशों से बेहतर है. कंसल्टेशन में हमने हफ्तेभर से ज्यादा अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों और सचिवों के साथ बैठक की थी, जिससे हालात के बारे में जाना जा सके.

उन्होंने कहा कि 2014 से हम अर्थव्यवस्था में सुधार ला रहे हैं. ग्लोबल मंदी को समझने की जरूरत है. अमेरिका और जर्मनी पर आर्थिक मंदी का असर है. दुनिया के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर है. दुनिया में मांग घटने के आसार हैं. जीएसटी और आसान बनाएंगे. सरकार के एजेंडे में सुधार पहली प्राथमिकता है. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में कारोबार करना आसान हुआ है. उन्होंने कहा कि कंट्रीब्यूशन ESIC को 6.5 फीसदी से 4 फीसदी किया जा चुका है.

निर्मला सीतारमण ने कहा कि चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर से मंदी का वित्त ट्रैकिंग वित्त ट्रैकिंग खतरा बढ़ गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि आर्डर, नोटिस, सम्मन, लेटर ये सभी अब सेंट्रलाइज तरीके से किसी को भेजें जाएंगे. ताकि इसका गलत इस्तेमाल न हो. टैक्स पेयर्स को हैरेसमेंट न किया जा सके. वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक सुधारों की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है. इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना पहले से काफी आसान हुआ है. जीएसटी को भी और आसान बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि कई देशों की तुलना में हमारी विकास दर भी काफी अच्छी है.

कोई दूसरा नोटिस नहीं माना जाएगा. 1 अक्टूबर तक सभी नोटिस को क्लियर करना होगा. 1 अक्टूबर के बाद सिर्फ सेंट्रलाइज नोटिस चलेंगे. इनकम टैक्स को लेकर किसी को नोटिस 1 अक्टूबर के बाद सिर्फ सेंट्रलाइज सिस्टम से ही भेजा जा सकेगा. सरचार्ज-लांग और शार्ट टर्म केपिटल गेन के लिए एफपीआई पर लगाया गया सर चार्ज वापस लिया गया. शेयर बाजार में विदेशी निवेश के लिए बड़ा बयान दिया है. स्टार्टअप में अगर कोई टैक्स रिलेटेड समस्या है तो उसे जल्द सुलझाया जा सकेगा.

बैंकों को 70 हज़ार वित्त ट्रैकिंग करोड़ की पूंजी उपलब्ध कराया गया. जिससे बैंक ज़्यादा कर्ज़ दे सकें. बैंकों ने तय किया कि ब्याज दर घटाने के लिए MCLR को कम करेंगे. बैंक रेपो रेट लिंक्ड लोन प्रोजेक्ट लेकर आएंगे. जिसमें होम लोन कार लोन शामिल हैं. होम लोन की ब्याज दर से लोन प्रोडक्ट्स की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जा सकेगी. बैंक ऑनलाइन sattlement पालिसी लेकर आएंगे. कार, घर और अलग गुड्स खरीदने के लिए लिक्विडिटी को 20 हज़ार से 30 हज़ार करोड़ किया गया. ब्याज दर घटेगी तो ईएमआई भी कम होगी.

आधार ऑथेन्टिकेशन को यूज करने के लिए NBFC को स्वीकृत किया जाएगा. एमएसएमई की परिभाषा बदलने के लिए एमएसएमई एक्ट में बदलाव होगा. आधार बेस्ड KYC को काफी मजबूत करने की कोशिश, ताकि कस्टमर को समस्या न हो. इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए बड़ा फैसला. सरकार और सरकारी कंपनियों द्वारा देरी से भुगतान की निगरानी एक्सपेंडिचर विभाग नज़र रखेगा और कैबिनेट सेक्रेटरी इसकी समीक्षा करेंगे. ऑटो मोबाइल सेक्टर के लिए बड़ी राहत. बीएस 4 वाहन अब 31 मार्च 2020 तक खरीदा और पंजीकरण कराया जा सकेगा.

यानी रेजिस्ट्रेशन फीस की समीक्षा को जून 2020 तक टाला गया. सरकार ने सरकारी विभागों द्वारा नई गाड़ियों के खरीदने पर लगाए बैन को वापस लिया. वित्त मंत्रालय अलग-अलग सेक्टर के हितधारकों के साथ समय समय पर लगातार बातचीत जारी रखेगी. एनसीआर ओर अन्य शहरों में अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट पर जल्द ही वित्त मंत्रालय जरूरी कदम का एलान करेगी. 31 मार्च 2020 तक खरीदे गए BS-4 वाहन मान्य होंगे.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार की शाम 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू की. उनके साथ वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद हैं. वहीं बैठक में मंत्रालय के सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहे. आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय, वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार, एक्सपेंडिचर सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू मौजूद रहे.

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राजस्थान का वित्त विभाग राज्य में वित्त से संबंधित मामले देखता है। विभाग की संगठनात्मक संरचना, अधिसूचना या परिपत्रों, फाइल की स्थिति इत्यादि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप राज्य बजट, आउटकम बजट, बजट ऑब्जेक्ट कोड एवं बजट पुस्तिका इत्यादि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। बजट की स्थिति, राजस्थान सिविल सेवाओं से संबंधित दस्तावेजों एवं वित्त विभाग के महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में भी जानकारी दी गई है। आप वित्तीय जिम्मेदारियों एवं बजट प्रबंधन, सतर्कता एवं शिकायत, संबंधी नियमों, छठे वेतन आयोग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट भी देख.

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