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फैलाव स्थिति

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Delhi Airport

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महामारी संक्रमण रोकने हेतु सरकार से मांग

वाटिकन सिटी, सोमवार, 23 अगस्त 2021 (रेई) श्रीलंका में कोरोना महामारी की बढ़ती स्थिति को देखते हुए विभिन्न धर्मों के अगुवों ने सरकार से निवेदन किया है कि सरकार महामारी के प्रसार को कम करने हेतु देश को बंद करे।

श्रीलंका में महामारी की स्थिति बदतर होती जा रही है। देश भर के अस्पतालों की स्थिति विकट होती जा रही है। जल्द ही, अस्पताल कर्मियों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण, कोरोनोवायरस से पीड़ित कई रोगियों की देख-रेख करना असंभव हो जायेगा, उक्त बातें ऑल सीलोन मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के ऊका न्यूज की दिये गये रिपोर्ट कही। यदि देश की स्थिति यथावत रही तो रोगियों को सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया जा सकता है।

देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए काथलिक पुरोहितों, बौद्ध भिक्षुओं, व्यपारिक संगठनों और स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों ने सरकार की ओर रूख करते हुए इस बात हेतु निवेदन किया है कि देश को एक या दो सप्ताह के लिए बंद किया जाये ताकि कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोका जा सके।

कोरोना का फिर से फैलाव रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने तीव्र, निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया

कोविड-19 महामारी की वर्तमान स्थिति और देश भर में कोरोना के खिलाफ जारी टीकाकरण के सिलसिले में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से डिजिटल माध्यम से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना के मामले बढ़े हैं जबकि देश के 70 जिलों में पिछले कुछ हफ्तों में सकारात्मक मामलों की दरों में 150 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम इस बढ़ती हुई महामारी को यहीं नहीं रोकेंगे तो देशव्यापी संक्रमण की स्थिति बन सकती है। हमें कोरोना की इस उभरती हुई ‘सेकंड पीक (दूसरी शीर्ष स्थिति)’ को तुरंत रोकना ही होगा। इसके लिए हमें तीव्र ओर निर्णायक कदम उठाने होंगे।’’

Patrika Opinion: खसरा-रूबेला का फैलाव चिंताजनक

प्रतीकात्मक चित्र

इस सदी की सबसे दुसाध्य व विनाशकारी महामारी की वजह बना कोरोना वायरस भले ही अब निस्तेज अवस्था में पहुंच गया है, पर इसके दुष्परिणाम दुनिया भर को अब भी अलग-अलग क्षेत्रों में भुगतने पड़ रहे हैं। भारत में खसरे के फैलाव को इसी का दुष्परिणाम समझा जा सकता है। इसकी भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी भी सामने आ गई है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी केंद्र शासित प्रदेशों व राज्यों को संवेदनशील क्षेत्रों में नौ महीने से पांच साल तक के फैलाव स्थिति सभी बच्चों को खसरा और रूबेला के टीके की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने को कहा है तथा एहतियाती उपाय करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो आंकड़ा दिया है, वह वर्ष 2021 में खसरे के टीके से वंचित रहे दुनिया के चार करोड़ बच्चों का है। कोरोना की दस्तक वर्ष 2020 में ही आ गई थी। खसरे समेत पूरा टीकाकरण कार्यक्रम देश और दुनिया में उसी समय अस्त-व्यस्त हो गया था। उस साल के आंकड़े भी मिला लेंगे तो खसरे के टीके से वंचित बच्चों की संख्या इससे बहुत अधिक मिलेगी। अभी देश में महाराष्ट्र में दस बच्चों की मृत्यु का मामला सामने आया है और बिहार, गुजरात, हरियाणा, केरल व झारखंड जैसे कुछ राज्यों के इसके प्रभाव में आने की सूचनाएं हैं। खसरे के टीके पूरे भारत में ही कम लगे हैं। पोषण के लिहाज से भी सजगता जरूरी है। खसरे के लिए सर्वविदित तथ्य है कि कुपोषित व अत्यधिक कुपोषित बच्चों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियाती कदम उठाते हुए बच्चों में खसरे के मामलों में वृद्धि के आकलन व प्रबंधन के लिए उच्च स्तरीय दल तैनात किए हैं, पर ये देश के आकार को देखते हुए नाकाफी हैं। ये उच्चस्तरीय दल रांची, अहमदाबाद और मलप्पुरम में तैनात हैं। कम से कम एक राज्य में एक उच्च स्तरीय दल तो जरूरी है, तभी खसरे के फैलाव की सही तस्वीर सामने आ पाएगी और तभी इसे नियंत्रित करने के पर्याप्त कदम उठाए जा सकेंगे। इन उच्च स्तरीय फैलाव स्थिति दलों को खसरे तक सीमित रखना भी सही कदम नहीं होगा। उन्हें पूरे टीकाकरण की स्थिति जानने और तदनुरूप भरपाई के कदम उठाने का दायित्व सौंपना चाहिए ताकि भविष्य में कोई और बीमारी भी अपना सिर नहीं उठा पाए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में कोविड स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में कोविड स्थिति की समीक्षा के लिए कल एक उच्च स्तरीय वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं की वर्तमान तैयारी, टीकाकरण अभियान की स्थिति और कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के फैलाव तथा जन स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव की समीक्षा की गई।

प्रधानमंत्री ने कोविड प्रबंधन में स्वास्थ्यकर्मियों की अनवरत सेवा के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को मिशन मोड पर एहतियाती डोज लगाये जाने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने जिला स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

जरूरी था फॉर्म भरना

सरकार ने कोरोना महामारी के समय ट्रेवल से लेकर हर जगह कई तरह की पाबंदियां लगाई थीं. लेकिन जैसे-जैसे महामारी नर्म पड़ी कई फैलाव स्थिति प्रतिबंध हटा दिए गए. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को यात्रा से पहले कोविड वैक्सीनेशन के लिए एक सेल्फ-डेक्लेरेशन फॉर्म भरना होता था. सरकार ने इसके लिए एयर सुविधा पोर्टल बनाया था. लेकिन अब महामारी का खतरा कम होने की वजह से अब विदेश से भारत आ रहे यात्रियों को इस फॉर्म को भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह फैसला आधी रात से लागू हो जाएगा.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक नोटिस में कहा गया है, "कोविड-19 के फैलाव में निरंतर गिरावट और वैश्विक स्तर पर और साथ ही भारत में कोविड-19 टीकाकरण कवरेज में महत्वपूर्ण प्रगति के को देखते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय आगमन के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किया है.उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के संशोधित दिशानिर्देशों के तहत, ऑनलाइन एयर सुविधा पोर्टल पर स्व-घोषणा पत्र जमा करना बंद कर दिया गया है. हालांकि, इसमें एक वैधानिक चेतावनी भी जोड़ी गई है जिसमें कहा गया कि कोविड की स्थिति को देखते हुए जरूरत पड़ने पर नियम की समीक्षा की जा सकती है.

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