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प्रवृत्ति सूचकांक

प्रवृत्ति सूचकांक
Source: The Hindu

Diwali 2022: इस साल दिवाली पर ज्यादा खर्च करेंगे लोग

Diwali 2022: इस साल दिवाली पर ज्यादा खर्च करेंगे लोग

दिवाली पर उपभोक्ताओं की खरीदारी पर नजर रखने वाले सूचकांक दिवाली खर्च सूचकांक के अनुसार कोरोना महामारी के बाद से इस साल शहरी भारतीयों में खर्च करने की प्रवृत्ति 94.45 है, जो 2021 में 90.71 और 2020 में 80.96 थी।

Published: August 19, 2022 01:08:11 pm

Diwali 2022: दिवाली पर उपभोक्ताओं की खरीदारी पर नजर रखने वाले सूचकांक दिवाली खर्च सूचकांक के अनुसार कोरोना महामारी के बाद से इस साल शहरी भारतीयों में खर्च करने की प्रवृत्ति 94.45 है, जो 2021 में 90.71 और 2020 में 80.96 थी। यह अर्थव्यवस्था में रिकवरी को दिखाता है। सूचकांक की गणना दस कारकों के प्रभाव के रूप में की गई है, जो दिखाता है कि इस दीवाली में पिछले दिनों की तुलना में अधिकध्कम खर्च करने के इरादे पिछले साल से किस स्तर पर हैं। दस कारकों में से त्योहार के लिए उनकी प्रत्याशा एक प्रमुख कारक है। एक तिहाई से अधिक ने इस बात से सहमति व्यक्त की, मैं इस साल दिवाली की प्रतीक्षा कर रहा हूं, क्योंकि बाकी साल कोविड-19 के कारण काफी सुस्त रहा है। इसके अलावा, दस में से लगभग तीन शहरी भारतीय इस बात से सहमत थे कि वे सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादी महसूस करते हैं। अन्य 27 प्रतिशत लोगों का दावा है कि उनकी सकल घरेलू आय एक साल पहले की तुलना में अधिक है, जो पिछले साल 19 प्रतिशत से अधिक थी।

दान की प्रवृत्ति सदियों तक याद रखी जाती है

पुरस्कार के साथ विजेता

राजस्थान में अपार प्राकृतिक संसाधन है जिनका समुचित उपयोग करना आवश्यक है। यह कहना था राजस्थान के उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत का। वे रविवार को जयपुर स्थित राजस्थान चैम्बर में राजस्थान राज्य उत्पादकता परिषद्, जयपुर द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय पुरस्कार 2014-15 के वितरण समारोह में बोल रहे थे।

शेखावत ने कहा कि जो समाज को देने की प्रवृत्ति रखता है, उसको सदियों तक याद किया जाता है। उन्होंने इस अवसर पर रानी पद्मावती और दानी भामाशाह का भी उदाहरण दिया। वे बोले राजस्थान में अपार प्राकृतिक संसाधन है जिनका समुचित उपयोग करना आवश्यक है। उन्होंने प्रवृत्ति सूचकांक डिजिटल इण्डिया की चर्चा करते हुए वर्तमान परिदृश्य में आधुनिक तकनीक के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने खुशहाली सूचकांक के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा देश तेजी से प्रवृत्ति सूचकांक प्रगति कर रहा है लेकिन उस अनुपात में भारतीय प्रगति नहीं कर रहे है। हमें जीवन की गुणवत्ता का आनन्द लेना आना चाहिए।

अर्थशास्त्र

खण्ड-1 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी 1. परिचय 2. आँकड़ों का संग्रह 3. आँकड़ों का संगठन 4. आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण 5. केंद्रीय प्रवृत्ति की माप 6. परिक्षेपण के माप 7. सहसंबंध 8. सूचकांक 9. सांख्यिकीय विधियों के …

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Chapters

खण्ड-1 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी 1. परिचय 2. आँकड़ों का संग्रह 3. आँकड़ों का संगठन 4. आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण 5. केंद्रीय प्रवृत्ति की माप 6. परिक्षेपण के माप 7. सहसंबंध 8. सूचकांक 9. सांख्यिकीय विधियों के उपयोग खण्ड-2 भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास 1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थशास्त्र 2. भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-1990) 3. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा 4. निर्धनता 5. भारत में मानव पूँजी का निर्माण 6. ग्रामीण विकास 7. रोजगार-संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे 8. आधारिक संरचना 9. पर्यावरण और धारणीय विकास 10. भारत और इसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

मुद्रास्फीति: फरवरी में थोक मूल्यों में 4.7% की वृद्धि हुई और खुदरा विक्रेताओं पर दबाव बढ़ गया

infobae

थोक मूल्य सूचकांक ने फरवरी में 4.7% की वृद्धि प्रवृत्ति सूचकांक दर्ज की, जबकि निर्माण की लागत में उस महीने 3.7% की वृद्धि हुई, जैसा कि मंगलवार को इंडेक्स द्वारा रिपोर्ट किया गया था। सरकार के लिए चिंता के खाद्य मूल्यों में तेजी के बीच, इनपुट मूल्य अक्सर सामान्य मूल्य सूचकांक का क्या होगा, इसके पूर्वानुमान के रूप में कार्य करते हैं।

आईपीआईएम, जो थोक मूल्यों में भिन्नता को मापता है, ने पिछले सप्ताह सीपीआई के रूप में प्रगति की समान दर दर्ज की। सामान्य शब्दों में 4.7% की यह छलांग, समग्र सीपीआई में, भोजन में 7.5% की वृद्धि के साथ थी।

मानव विकास सूचकांक 2022 से जुड़े मुख्य तथ्य

वैश्विक प्रदर्शन

  • स्विट्ज़रलैंड ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. नोर्वे ने दूसरा स्थान लाया और आइसलैंड ने तीसरा.
  • COVID-19 महामारी, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और जलवायु संकट के कारण 90 प्रतिशत देशों में मानव विकास का स्कोर नीचे चला गया है.
  • इस कमी ने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा पहुँचाई है.
  • मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट है, जो 2019 में 72.8 वर्ष से घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है।

hdi 2022

भारत का प्रदर्शन

  1. मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 2021 में भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर है (पिछले वर्ष से दो स्थान की गिरावट दर्ज की गई)।
  2. यह तीन दशकों में पहली बार लगातार दो वर्षों में अपने स्कोर में गिरावट को दर्शाता है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2020 में, भारत 0.642 के एचडीआई मूल्य के साथ 130वें स्थान पर था।
  3. COVID-19 के प्रकोप से पहले, 2018 में भारत का HDI मान 0.645 था।
  4. एचडीआई स्कोर में यह गिरावट वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है जो दर्शाता है कि देश COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से मानव विकास में पिछड़ गए हैं।
  5. 2021 में भारत में एचडीआई में गिरावट को जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो 70.7 वर्ष से घटकर 67.2 वर्ष हो गया है।
  6. भारत में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष है, और स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष 6.7 वर्ष है।
  7. GNI प्रति व्यक्ति स्तर $6,590 है।
  8. COVID-19 महामारी ने लैंगिक असमानता को भी बढ़ा दिया है, जिसमें वैश्विक स्तर पर 6.7% की वृद्धि हुई है।

उपलब्धियाँ (Achievements):

उपलब्धियाँ मानव विकास के प्रमुख क्षत्रों में की नई उन्नति की सूचक हैं. ये सर्वाधिक विश्वनीय माप नहीं है, क्योंकि ये वितरण (distribution) के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं देती.

मानव गरीबी सूचकांक, मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) से सम्बंधित है और मानव विकास में कमियों को मापता है. इनमें कई पक्षों को सम्मिलित किया जाता है, जैसे – 40 वर्ष कम आयु तक जीवित न रह पाने की संभाव्यता (feasibility), प्रौढ़ निरक्षरता दर (adult illiteracy rate), स्वच्छ जल तक पहुँच न रखने वाले लोगों की संख्या और अल्प्भार वाले छोटे बच्चों की संख्या (number of underweight children) आदि. मानव विकास सूचकांक इन पैमानों (measures) द्वारा संयुक्त अवलोकन कर के किसी देश में मानव विकास की स्थिति का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है.

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