विदेशी मुद्रा विश्लेषण

बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए?

बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए?

कमर्शल इनवॉइस के लिए ज़रूरी शर्तें

यह पक्का करना वेंडर की जवाबदेही है कि शिपिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कमर्शल इनवॉइस, सही तरीके से फ़ॉर्मैट किया गया हो, ताकि कस्टम में कोई देरी न हो. लॉजिस्टिक से जुड़े नियमों का पालन कराने वाली Alphabet की टीम और कस्टम क्लीयरेंस के लिए जिम्मेदार, नीचे बताए गए कस्टम ब्रोकर तक सही तरीके से जानकारी बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? पहुंचाने के लिए, ये फ़ील्ड ज़रूरी हैं. दिशा-निर्देशों के लिए, एक कमर्शल इनवॉइस टेंप्लेट दी जाती है.

ध्यान दें: कुछ देशों में, भाषा से जुड़ी ज़रूरी शर्तें लागू होती हैं. पहले ही पुष्टि करने के लिए, कृपया [email protected] पर, स्थानीय टीम से संपर्क करें.

यह सुझाव दिया जाता है कि जिन शिपमेंट के कस्टम क्लियरेंस के लिए, Alphabet के नियंत्रण वाली इकाई ज़िम्मेदार है उनके लिए आपको, लॉजिस्टिक से जुड़े नियमों का पालन कराने वाली Alphabet की टीम को [email protected] पर पहले से चेतावनी देनी होगी.
सभी कमर्शल इनवॉइस, पैकिंग लिस्ट, और हाऊस एयर वेबिल (HAWB) या ट्रैकिंग नंबर [email protected] पर भेजें. ईमेल रेफ़रंस को “[Alphabet के नियंत्रण वाली इकाई का नाम] शिपमेंट की पहले से सूचना [परिवहन कंपनी का नाम] [HAWB या ट्रैकिंग नंबर]” के तौर पर नोट करें

Alphabet/Google को होने वाले हर अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट के साथ कमर्शल इनवॉइस होना ज़रूरी है.
कमर्शल इनवॉइस में ये एलिमेंट ज़रूर होने चाहिए :

  1. कंपनी का नाम
  2. कंपनी का पता और फ़ोन नंबर
  3. दस्तावेज़ की पहचान करने के लिए “कमर्शल इनवॉइस”
  4. सेलर या एक्सपोर्टर का नाम और पता
  5. बायर या इंपोर्टर का (जिस कंपनी को बेचा जा रहा है) नाम और पता
  6. कंसाइनी (जिस कंपनी को भेजा जा रहा) का नाम और पता
    1. शिपमेंट पाने वाले कर्मचारी का नाम
    1. सामान का पूरा ब्यौरा, कोई शॉर्ट फ़ॉर्म नहीं
    2. एचएस क्लासिफ़िकेशन कोड (*परचेज़ ऑर्डर बनाते समय, Google में आपके संपर्क से लिया गया)
    3. मूल देश (जहां सामान बना है)

    वैल्यू शून्य नहीं हो सकती . अगर इनवॉइस में ऐसे नमूने या जांच वाले डिवाइस शामिल हैं जो बिल्कुल मुफ़्त में मिल रहे हैं, तो इनवॉइस में नीचे दी गई जानकारी शामिल करें: “ऐसे नमूने या टेस्ट डिवाइसें जिनकी कोई कमर्शल वैल्यू नहीं है या वैल्यू सिर्फ़ कस्टम के लिए लिखी गई है.”

    मुद्रा/भाड़ा/बीमा : कुछ देशों में स्थानीय स्तर पर अलग-अलग शर्तें/ज़रूरतें होती हैं. कृपया [email protected] पर स्थानीय टीम से, पहले ही पुष्टि करें.

    जनधन खाताधारकों को मिलता है डबल इंश्योरेंस, जानें कैसे लिया जा सकता है इसका फायदा

    जिन लोगों के पास जनधन खाता है और वे रूपे डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें 30,000 रुपये का बीमा कवरेज दिया जाता है.

    जनधन खाताधारकों (JanDhan account) के लिए भी सरकार ने एटीएम कार्ड पर बीमा की सुविधा दी हुई है.

    ये तो सभी जानते हैं कि डेबिट या क्रेडिट कार्ड (Debit/Credit Card) के इस्तेमाल पर भी बैंक इंश्योरेंस (Bank Insurance) की सुविधा देते हैं. लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि कई योजनाओं के साथ इस सर्विस का डबल फायदा उठा सकते हैं.

    इंश्योरेंस (Insurance) के नियमों के मुताबिक, डेबिट (Debit Card) और क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने यूजर्स को फ्री दुर्घटना बीमा (Accident Insurance) देती हैं. इसके लिए इन कार्ड का ऑनलाइन इस्तेमाल किया जाना जरूरी है.

    यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड पर इंश्योरेंस का फायदा केवल एक ही कार्ड पर मिलेगा. अगर यूजर्स के पास एक से ज्यादा बैंकों के कार्ड हैं तो उनमें से केवल एक ही कार्ड बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? के बीमा का फायदा उठाया जा सकता है. अलग-अलग कार्ड के लिए अलग-अलग बीमा का दावा नहीं किया जा सकता है. कार्ड पर बीमा कवरेज 30,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक हो सकता है.

    जनधन खाताधारकों को फायदा
    जनधन खाताधारकों (JanDhan account) के लिए भी सरकार ने एटीएम कार्ड पर बीमा की सुविधा दी हुई है. जिन लोगों के पास जनधन खाता है और वे रूपे डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें 30,000 रुपये का बीमा कवरेज दिया जाता है. इसके अलावा जनधन खाताधारकों को सरकार 2 लाख रुपये का बीमा कवरेज अलग से देती है. इस तरह जनधन खाताधारकों को कुल 2.30 लाख रुपये का बीमा कवरेज मिलता है.

    यह है इस बीमा कवरेज का फायदा उठाने के लिए आपका कार्ड एक्टिव होना चाहिए. अगर कार्ड यूजर्स के साथ कोई हादसा होता है और उसका नॉमिनी बीमा कवरेज की राशि लेने के लिए बैंक पर दावा करता है तो बैंक यह देखता है कि पिछले 60 दिन में कार्ड से कोई लेन-देन हुआ है या नहीं.

    ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:

    अगर पिछले 60 दिनों से यूजर्स का कार्ड एक्टिव नहीं हैं तो बीमा का दावा रद्द कर दिया जाएगा. यहां यह भी ध्यान रखें कि कार्ड का एटीएम मशीन में इस्तेमाल भी मान्य नहीं होगा. केवल कार्ड बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? से कोई शॉपिंग या पेमेंट के आधार पर भी दावे का भुगतान किया जाएगा.

    इसलिए अगर आप बैंक से डेबिट या क्रेडिट कार्ड लेते हैं तो उसका नियमित इस्तेमाल भी करते रहें.

    जनधन खाताधारकों को मिलता है डबल इंश्योरेंस, जानें कैसे लिया जा सकता है इसका फायदा

    जिन लोगों के पास जनधन खाता है और वे रूपे डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें 30,000 रुपये का बीमा कवरेज दिया जाता है.

    जनधन खाताधारकों (JanDhan account) के लिए भी सरकार ने एटीएम कार्ड पर बीमा की सुविधा दी हुई है.

    ये तो सभी जानते हैं कि डेबिट या क्रेडिट कार्ड (Debit/Credit Card) के इस्तेमाल पर भी बैंक इंश्योरेंस (Bank Insurance) की सुविधा देते हैं. लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि कई योजनाओं के साथ इस सर्विस का डबल फायदा उठा सकते हैं.

    इंश्योरेंस (Insurance) के नियमों के मुताबिक, डेबिट (Debit Card) और क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने यूजर्स को फ्री दुर्घटना बीमा (Accident Insurance) देती हैं. इसके लिए इन कार्ड का ऑनलाइन इस्तेमाल किया जाना जरूरी है.

    यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि क्रेडिट या डेबिट कार्ड पर इंश्योरेंस का फायदा केवल एक ही कार्ड पर मिलेगा. अगर बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? यूजर्स के पास एक से ज्यादा बैंकों के कार्ड हैं तो उनमें से केवल एक ही कार्ड के बीमा का फायदा उठाया जा सकता है. अलग-अलग कार्ड के लिए अलग-अलग बीमा का दावा नहीं किया जा सकता है. कार्ड पर बीमा कवरेज 30,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक हो सकता है.

    जनधन खाताधारकों को फायदा
    जनधन खाताधारकों (JanDhan account) के लिए भी सरकार ने एटीएम कार्ड पर बीमा की सुविधा दी हुई है. जिन लोगों के पास जनधन खाता है और वे रूपे डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें 30,000 रुपये का बीमा कवरेज दिया जाता है. इसके अलावा जनधन खाताधारकों को सरकार 2 लाख रुपये का बीमा कवरेज अलग से देती है. इस तरह जनधन खाताधारकों को कुल 2.30 लाख रुपये का बीमा कवरेज मिलता है.

    यह है इस बीमा कवरेज का फायदा उठाने के लिए आपका कार्ड एक्टिव होना चाहिए. अगर कार्ड यूजर्स के साथ कोई हादसा होता है और उसका नॉमिनी बीमा कवरेज की राशि लेने के लिए बैंक पर दावा करता है तो बैंक यह देखता है कि पिछले 60 दिन में कार्ड से कोई लेन-देन हुआ है या नहीं.

    ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:

    अगर पिछले 60 दिनों से यूजर्स का कार्ड एक्टिव नहीं हैं तो बीमा का दावा रद्द कर दिया जाएगा. यहां बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? यह भी ध्यान रखें कि कार्ड का एटीएम मशीन में इस्तेमाल भी मान्य नहीं होगा. केवल कार्ड से कोई शॉपिंग या पेमेंट के आधार पर भी दावे का भुगतान किया जाएगा.

    इसलिए अगर आप बैंक से डेबिट या क्रेडिट कार्ड लेते हैं तो बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? उसका नियमित इस्तेमाल भी करते रहें.

    सलाह जरूरी है! फाइनेंशियल एडवाइज के लिए RIAs से संपर्क करें

    financial advice: वित्तीय सलाह लेने के लिए RIA के पास जाना ही सही विकल्प है. सलाह को मानना, न मानना आप पर निर्भर है.

    • Aprajita Sharma
    • Publish Date - July 6, 2021 / 02:06 PM IST

    सलाह जरूरी है! फाइनेंशियल एडवाइज के लिए RIAs से संपर्क करें

    financial advice: कोविड-19 ने भारत की अर्थव्यवस्था को पिछले 15 महीनों से हिला कर रख दिया है. इसने हजारों लोगों का जीवन बर्बाद करने के साथ-साथ लाखों लोगों को गरीब के मुहाने पर पहुंचा दिया है. कोरोना की सुनामी ने बीते एक साल से ऐसी तबाही मचाई है, जो बीते चार दशकों में कभी नहीं देखी गई. इसका दूसरा पहलू यह है कि इसने लोगों के मन में वित्तीय असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है, यही वजह है निवेशक अपने पर्सनल फाइनेंस को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं.

    इंश्योरेंस और इनवेस्टमेंट अब जबरदस्ती परोसने वाले प्रोडक्ट नहीं रह गए हैं, बल्कि लोग खुद ही इनकी ओर खींचे चले आ रहे हैं. ज्यादातर लोगों को वाजिब वित्तीय सलाह के महत्व की समझ नहीं होती. वे अपने दोस्तों, सहकर्मियों, बैंक मैनेजरों या फिर बीमा एजेंटों या अपने सीए से सलाह ले लेते हैं. अधिकततर लोगों ने तो रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर (RIA), का नाम तक नहीं सुना होगा. बड़ी बात तो यह है कि सेबी में केवल 1300 रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर हैं.

    एक RIA फर्म, ORO Wealth के को-फाउंडर विनय कुप्पा का कहना है, “आरआईए का कॉन्सेप्ट नया है. लोगों को इनके बारे में पता नहीं होता, वे यहां तक नहीं जानते कि उन्हें इनकी जरूरत है. व्यवस्थित फाइनेंशियल प्लानिंग करने वाले अधिकतर लोगों की आमदनी 15 से 20 लाख रुपए सालाना से शुरू होती है.”

    RIAs कौन होते हैं?

    RIA व्यक्तिगत फाइनेंशियल एडवाइजर या एडवाइजरी फर्म होते हैं, जो अपने ग्राहकों में फाइनेंशियल प्लानिंग की सलाह देते हैं. ये बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? सभी सेबी में रजिस्टर्ड होते हैं. बैंक मैनेजर, बीमा, म्यूचुअल फंड या टैक्स सलाहकार या फिर स्टॉक ब्रोकर सलाह देने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत नहीं होते, जबकि ये आरआईए को कानूनी मान्यता मिली हुई होती है.
    RIA का काम इनवेस्टमेंट के मामले में लोगों को सलाह देना है. वे प्रोडक्ट नहीं बेचते. अपनी सलाह के एवज में वे फीस लेते हैं. सलाह बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? का एग्जिक्यूशन करना उन पर निर्भर नहीं करता, यदि वे ऐसा करते भी हैं तो वे जीरो कमीशन पर इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट बेचते हैं. उदाहरण के लिए, ORO Wealth निवेशकों, ऑफलाइन मध्यस्थों और कंपनियों को जीरो कमीशन पर प्रोडक्ट पेश करती है, वो भी निष्पक्ष सलाह के साथ.

    आपको RIA की जरूरत क्यों है?

    जब आप ऐसे लोगों के पास जाते जो इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट बेचते हैं, उनके सात हितों के टकराव की समस्या होती है, भले ही उनका इरादा गलत न हो. कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? जो महंगे प्रोडक्ट बेच देते हैं, भले ही वह आपके के लिए उपयुक्त हो या न हो, लेकिन इन्हें उस पर मोटा कमीशन मिल जाता है.
    सेबी ऐसे कारोबार के बिलकुल खिलाफ है. इस बारे में उसका कहना है कि प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स सलाह बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? नहीं दे सकते, और RIA प्रोडक्ट नहीं बेच सकते. वित्तीय सलाह लेने के लिए RIA के पास जाना ही सही विकल्प है. सलाह को मानना, न मानना आप पर निर्भर है या फिर जीरो कमीशन प्रोडक्ट पर आप RIA की मदद ले सकते हैं.

    RIAs कितनी फीस लेते हैं?

    RIA की फीस थोड़ी अधिक होती है. कम सैलरी वालों के लिए यह किफायती नहीं होती. सेबी के गाइडलाइन के मुताबिक, फीस लेने के दो प्रकार होते हैं, पहला, असेट अंडर एडवाइज(AUA) और दूसरा फीक्स्ड फीस मोड. फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड बोर्ड के कंट्री हेड राजेश कृष्णामूर्ति बताते हैं, “AUA मोड पर अधिकतम फीस 2.5 फीसदी और प्रति क्लाइंट 1.25 लाख रुपए प्रति वर्ष होती है, हालांकि इनमें कुछ नियम व शर्तें भी शामिल होती हैं.”

    वह आगे कहते हैं, “ये एडवाइजर सलाह देने के लिए घंटे के हिसाब से भी फीस ले सकते हैं, और फाइनेंशियल प्लान तैयार करने के लिए अलग से फीस ले सकते हैं. किसी एक वर्ष में किसी क्लाइंट से कुछ कितनी फीस ली जा सकती है, यह सेबी के नियमों के अनुसार होती है, जो फिक्स्ड फी मोड के तहत आती है.”

    क्या RIA कम-सैलरी वाले ग्राहकों पर अपनी फीस कम कर सकते हैं? इस बारे में नियम ऐसे हैं कि वे ऐसा नहीं कर सकते. कुप्पा कहते हैं, “फीस स्ट्रक्चर में छूट देने की जरूरत है. बहुत कम लोग फाइनेंशियल एडवाइज के महत्व को समझते हैं. मौजूदा स्ट्रक्टर से RIA को अपना बिजनेस बढ़ाने में दिक्कत हो रही है. दूसरी बात यह है कि व्यक्तिगत RIA 150 एक्टिव क्लाइंट मिलने बाद बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? ही कॉरपोरेट लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते है. सेबी ने हायरिंग के लिए योग्यताओं के मानक भी बहुत ऊंचे रखें हैं, बीमा ब्रोकर का नाम क्या होना चाहिए? जिसको पूरा करने में लागत बढ़ती है. इन वजहों से RIA को बड़े ग्राहकों की तलाश करनी पड़ती है.”

    भले ही अभी RIA बहुतों के लिए किफायती न हों, लेकिन चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं. कृष्णामूर्ति बताते हैं, “ सेबी से साथ इस बारे में चर्चा जारी है. जब तक फाइनेंशियल प्लानिंग से संबंधित नए नियम तैयार नहीं हो जाते, रेगुलेटर्स देश में एडवाइज गैप को कम करने की दिशा में काम करेंगे. मुझे लगता है कि फीस के प्रश्न पर हम आगे बढ़ रहे हैं.”
    इस बीच, वित्तीय समझ बढ़ाने की जरूरत है. बच्चों को स्कूल में ही पर्सनल फाइनेंस की शिक्षा देनी चाहिए. वह आगे कहते हैं, “ बच्चों को जानना चाहिए पैसा क्या है, और जब बात पर्सनल फाइनेंस की हो तो उन्हें पता होना चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. वेल्थ तैयार करने के लिए मैं उचित फाइनेंशियल प्लानिंग पर जोर देना चाहूंगा.”

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