ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना

Axis Mutual Fund के दो फंड मैनेजरों पर फ्रंट-रनिंग से पैसे बनाने के आरोप, जानिए क्या होता है यह?
Axis Mutual Fund: एक्सिस ने अपने दो फंड मैनेजरों को सस्पेंड कर दिया है. इन पर फ्रंट-रनिंग से पैसे बनाने का आरोप है. जानिए क्या ये इनसाइडर ट्रेडिंग ही होती है या कुछ अलग?
By: ABP Live | Updated at : 10 May 2022 02:00 PM (IST)
Axis Mutual Fund: देश के सातवें सबसे बड़े फंड हाउस, एक्सिस म्यूचुअल फंड (Axis Mutual Fund) ने अपने दो फंड मैनेजरों को सस्पेंड कर दिया है, जिसमें से एक उनका मुख्यडीलर था. कंपनी अब दोनों फंड मैनेजरों की देखरेख वाले फंड्स में अनियमितताओं की जांच कर रही है.
दोनों फंड मैनेजरों ने किस तरह की अनिमयमितता की है, इसके बारे में सटीक जानकारी जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगी. हालांकि सूत्रों का दावा है कि दोनों फंड मैनेजर्स फ्रंट-रनिंग (Front-Running) करते थे.
आइए समझते हैं कि ये फ्रंट-रनिंगक्या होता है और यह इनसाइडर ट्रेडिंग से कैसे अलग है?
फ्रंट रनिंग और इनसाइडर ट्रेनिंग दोनों ही मामलों में अपराधियों का मकसद कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग करके शेयर बाजार में पैसा बनाना है. हालांकि यहां फ्रंट-रनिंग, इनसाइडर ट्रेनिंग से थोड़ा अलग मामला होता है. इसमें, किसी फाइनेंशिनेंयल इंस्टीट्यूशन या म्यूचुअल फंड्स या किसी बड़े शेयर ब्रोकर के यहां काम करने वाला डीलर या मनी मैनेजर्स अपने संस्थान की तरफ से दिन में खरीदे जाने वाले ऑर्डर की जानकारी फा फायदा उठाकर उससे मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं.
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क्या है इनसाइडर ट्रेडिंग?
वहीं इनसाइडर ट्रेनिंग तब होती है, जब किसी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी को कुछ ऐसी जानकारी पता चल जाएं, जिससे फर्म के शेयरों पर असर पड़ सकता है और और वह उसका फायदा उठाकर शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर मुनाफा कमाने की कोशिश ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना करे.
कैसे बनता है पैसा?
शेयर बाजार का बिल्कुल सीधा गणित है कि अगर किसी कंपनी के शेयरों की भारी मात्रा में ऊंचे दाम पर खरीदारी होती है, तो इससे उसके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है. साथ ही अगर किसी कंपनी के शेयरों में भारी बिकवाली हो रही होती है, तो उसकी कीमत घट जाती है.
म्यूचुअल फंड के डीलर इसी जानकारी का फायदा उठाते हैं. म्यूचुअल फंड्स आमतौर पर बड़ी मात्रा में खरीदारी या बिकवाली करते हैं. यह खरीदारी या बिकवाली कब होने वाली है, डीलर को इसकी पूरी तरह से जानकारी रहती है.
म्यूचुअल फंड्स जिन शेयरों को खरीदने वाले होते हैं, उसे डीलर ठीक कुछ मिनट पहले ही खरीद लेते हैं. बाद में म्यूचुअल फंड्स के बड़ी मात्रा में खरीदारी से उस शेयर का दाम कुछ मिनटों में उपर चढ़ जाता है और इससे उन्हें फायदा उठा लेते हैं.
ठीक इसी तरह वह म्यचूअल फंड्स की तरफ से किसी शेयर में बिकवाली करने से कुछ मिनट पहले उसके शेयर बेचकर फायदा कमाते हैं.
सेबी के नियम-कानून
अभी तक सेबी ने ऐसे मामले पाए जाने पर हमेशा आर्थिक जुर्माना लगाया है. आमतौर पर जो डीलर, ब्रोकर और फंड मैनेजर्स इसमें शामिल होते हैं, उन पर जुर्माना लगता है.
हालांकि एक मामले में सेबी फंड हाउस के सीईओ पर भी जुर्माना लगा चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सेबी को फंड हाउस के ट्रस्टियों और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को फटकार लगाने के लिए भी जाना जाता है.
एक्सिस ने लिया ये ऐक्शन
जानकारी के मुताबिक एक्सिस म्युचुअल फंड ने अपने दो फंड मैनेजर्स- विरेश जोशी और दीपक अग्रवाल को सस्पेंड कर दिया है. वहीं अपनी 7 स्कीम के फंड मैनेजर्स को बदल दिया है. ऐसी जानकारी भी मिली है कि अब इस मामले की जांच सेबी कर रही है.
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Published at : 10 May 2022 02:ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना 00 PM (IST) Tags: Money SEBI trade axis bank share MF हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
इनकम टैक्स ने कैसे पकड़ा शेयर ब्रोकर्स के बड़े नेटवर्क का काला कारोबार
मुंबई के इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम ने पूरे देश में फैले शेयर ब्रोकर्स के ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. शेयर बाजार में ब्रोकर्स कई कंपनियों के घाटे और लाभ को फर्जी वायदा कारोबार के जरिए एडजस्ट कराते थे. ऐसे फर्जी कारोबार को रिवर्सल ट्रेड भी कहते हैं.
दीपू राय
- नई दिल्ली,
- 09 दिसंबर 2019,
- (अपडेटेड 09 दिसंबर 2019, 12:47 PM IST)
मुंबई की इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम ने पूरे देश में फैले शेयर ब्रोकर्स के ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी ट्रेड करके अपने कस्टमर के घाटे और लाभ के साथ कालेधन को भी साफ करते थे. टैक्स विभाग ने देशभर में ब्रोकर्स के कई ठिकानों पर छापे मारकर करीब 6,000 करोड़ रुपये की फर्जी ट्रेडिंग को पकड़ा है.
टैक्स अधिकारी ने कहा, ''अभी तो यह शुरुआत भर है, हम जल्द ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना ही बड़ी मछलियों तक पहुंचने वाले हैं. शेयर बाजार को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी है कि ऐसे लोगों को इससे बाहर किया जाए.'' टैक्स अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर इंडिया टुडे से कहा कि इसमें बुलियन कारोबार से जड़ी कंपनियों के अलावा कई बड़े ब्रोकरेज हाउस भी हैं. इस ऑपरेशन के बाद हमें कई बड़े सुराग मिले हैं.
दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी
टैक्स विभाग ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, मुंबई, कानपुर, कोलकाता जैसे शहरों में ब्रोकर्स और ट्रेडिंग मेंबर्स के कुल 39 ठिकानों पर छापेमारी की. छापेमारी की कार्रवाई मंगलवार सुबह से शुरू होकर शनिवार को खत्म हुई. वित्त मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि ये ब्रोकर्स टैक्स चुराने वालों को मदद करते हैं.'' ब्रोकर्स खुद और दूसरे अन्य ब्रोकर्स के साथ साजिश करके खुद ही सौदा काट लेते थे. सबकुछ पहले से तय होता था कि किस क्लाइंट के ट्रेड को घाटा दिखाना है किसे फायदा. ज्यादातर ये जालसाजी का ट्रेड वायदा कारोबार के तहत ईलिक्विड ऑप्संस में हो रहा था.''
ट्रडिंग को किया मॉनिटर
छापेमारी से पहले छह महीने तक इन ब्रोकर्स के ट्रेडिंग को मॉनिटर किया. उसके बाद संदेहास्पद ट्रेडिंग से जुड़े आंकड़ों को लेकर मुंबई टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम के नेतृत्व में करीब 90 टैक्स अधिकारियों ने पूरे देश में ऐसे ब्रोकर्स के ठिकानों पर धावा बोल दिया. टैक्स अधिकारी ने कहा कि जिन ब्रोकर्स के यहां छापेमारी हुई है उनमें से करीब 80 फीसदी ब्रोकर्स ने अपने शुरुआती बयान में ये मान लिया कि क्लाइंट के लिए ये गलत काम कर ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना रहे थे.
शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी ने भी समय-समय पर वादी करोबार से जुड़े सिंक्रोनाइज्ड ट्रेडिंग के जरिए गलत काम करने वालों पर सवाल उठाया है.
कैसे काम करता है डेरिवेटिव मार्केट?
आम लोग यही समझते हैं कि पैसे देकर शेयर खरीद लिए जाते हैं और बेचने वालों को पैसा मिल जाता है. लेकिन बड़ा कारोबार इससे अलग होता है, जिसे वायदा कारोबार या डेरिवेटिव कहते हैं. इसमें शेयरों की डिलिवरी नहीं होती. यहां शेयर का दाम कहां तक पहुंचेगा इस सपने का कारोबार होता है. इसे अंग्रेजी में 'अंडरलाइंग एसेट वैल्यू' कहते हैं.
शेयर खरीदने-बेचने के लिए कॉन्ट्रैक्ट
खरीदने और बेचने वाले में एक समझौता होता है कि एक तय समय सीमा और कीमत पर दूसरी पार्टी इन शेयर को खरीदेगी. इसे फ्यूचर डेरिवेटिव कहते हैं. मान लीजिए रमेश और सुरेश एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट करते हैं. कॉन्ट्रैक्ट की शर्त ये है कि रमेश XYZ बैंक के 100 शेयर 500 रुपये प्रति शेयर के रेट से अगले दो महीने के भीतर खरीद लेगा. इस बीच शेयर की कीमत 450 रुपये पर आ जाती है. ऐसे में रमेश को कॉन्ट्रैक्ट पर तय कीमत से 50 रुपये का नोशनल घाटा होने लगा. अब रमेश के पास दो विकल्प (ऑप्शन) हैं. या तो वो कॉन्ट्रैक्ट को दो महीने की एक्सपायर तारीख से पहले सेटल कर ले और सुरेश को 50 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से पैसा दे दे.
दूसरा ऑप्शन ये है कि रमेश एक्सपायरी तारीख (दो महीना) तक इंतजार करे. दूसरा- मान लीजिए एक्सापयरी के दिन XYZ की कीमत 475 रुपये पर आ जाती है, यानी तय कॉन्ट्रैक्ट के समय की कीमत से 15 रुपये कम. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायर के समय रमेश को (15 रुपये X 100 शेयर) के हिसाब से सुरेश को 1500 रुपये देना होगा. गौर करिए, यहां वास्तव किसी फिजिकल शेयर का लेन-देन नहीं है. इस फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में रमेश ये कह कर कन्नी नहीं काट सकता है कि शेयर की कीमत उसके उम्मीद के मुताबिक नहीं है.
ये भी हैं विकल्प
लेकिन शेयर बाजार ने रमेश जैसे लोगों के लिए दो और विकल्प ढूंढ निकाले, जिसे ऑप्शन डेरिवेटिव कहते हैं. इसमें आपके पास ऑप्शंस होता है कि आप कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को पूरी तरह नहीं मानें. बस इस न मानने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के वक्त सुरेश को थोड़ा पैसा दें दे. इसे घूस नहीं, शेयर बाजार इसे ‘प्रीमियम’ कहते हैं. ये ऑप्शन भी दो तरह के होते हैं अगर आप खरीदने का विकल्प लेते हैं तो इसे 'कॉल ऑप्शन' कहा जाएगा और बेचने के का विकल्प चुनते हैं तो ‘पुट ऑप्शन’. इस प्रीमियम को देकर रमेश XYZ के शेयर की कीमत में होने वाले घाटे के जोखिम को कम कर सकता है और अगर दो महीने में (एक्सपायरी तक ) शेयर की कीमत 500 से ऊपर हो जाती है तो पूरा फायदा रमेश को मिलेगा क्योंकि तय शर्त के मुताबिक उसे केवल हर शेयर के लिए 500 रुपये चुकाने हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत सहित शेयर बाजार के कुल टर्नओवर का बड़ा हिस्सा डेरिवेटिव में होता है. उदाहरण के लिए हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बांबे स्टॉक एक्सचेंज को पिछले पांच दिनों के मार्केट टर्नओवर को देखा. 97 फीसदी से ज्यादा कारोबार डेरिवेटिव यानी फ्यूचर एंड ऑप्शन जिसे बाजार में एफ एंड ओ भी कहा जाता है. डेरिवेवटिव या वायदा कारोबार आज की तारीख में हर बाजार में होता है चाहे वो शेयर बाजार हो या फिर करेंसी हो या कमोडिटी.
आखिर शेयर ब्रोकर्स कैसे फायदा पहुंचाते थे?
टैक्स विभाग ने देखा कि कुछ ब्रोकर्स खुद दो पार्टी बनकर या अपने जैसे ब्रोकर्स को पार्टी बनाकर सौदे को अंजाम दे रहे हैं. ये सौदे उन शेयरों हो रहे है जो ईलिक्विड है यानी जहां सौदे बहुत कम हो रहे थे. उदाहरण के लिए रमेश का क्लाइंट Z है जिसे चालू साल में घाटा हुआ है और वो चाहता है कि उसका काला धन इस बाजार के जरिए सफेद हो जाए. दूसरी ओर Y है, जिन्हें बिजनेस गेन यानी मुनाफा हुआ है और वो चाहते हैं कि उन्हे लॉस यानी नुकसान हो जाए ताकी फायदे को एडजस्ट किया जा सके. कुल मिलाकर टैक्स न देना पड़े. तीसरा ऐसा क्लाइंट है जिन्होंने भारी भरकम बैंक लोन लिया है लेकिन उनका बिजनेस ठीक नहीं चल रहा है. उन्हें डर है कि बैंक लोन को वापस ले सकता है या फिर चार्ज बढ़ा देगा. उन्हें फर्जी मुनाफा चाहिए.
ये ब्रोकर्स कमीशन लेकर इन तीनों जरूरतों को डेरिवेटिव मार्केट से पूरा कर रहे थे.
मान लीजिए Z और Y एक ऐसे ही ब्रोकर के क्लाइंट हैं, जिसमें से एक को (Z) नुकसान दिखाना है और दूसरे (Y) को मुनाफा. ब्रोकर ने एक ऐसे शेयर को चुना जहां बहुत ज्यादा ट्रेड नहीं हो रहा है और खुद ही बायर और सेलर बनकर ट्रेड को अंजाम दे गया. रिवर्स बाय एंड सेल यानी खरीद-बिक्री के उल्टे ट्रेड के जरिए दोनों क्लाइंट Y और Z की जरूरत को पूरा कर दिया. यही काम दो से अधिक ब्रोकर ने मिलकर भी किया है. टैक्स विभाग ने पाया कि देश भर में कुछ ब्रोकर्स अपने क्लाइंट को इस तरह की सुविधा दे रहे हैं.
छापेमारी में मिले गोरखधंधे करने वाली कंपनियों के शामिल होने के संकेत
इनकम टैक्स विभाग की सबसे बड़ी बॉडी सीबीडीटी ने कहा कि इस छापेमारी में उनके विभाग को तीन पेनी स्टॉक और कुछ बड़े गोरखधंधे करने वाली कंपनियों के शामिल होने के संकेत मिले हैं. सीबीडीटी ने इस छापेमारी के बाद कहा कि “मुनाफा और नुकसान उठाने वाली कुछ कंपनियों ने इस गलत तरीके का इस्तेमाल किया है. एक अनुमान के मुताबिक इसके जरिए करीब 3500 करोड़ को एडजस्ट किया गया है. हाल के सर्च और सर्वे से गलत तरीके से लबी अवधि वाले यानी लॉग टर्म गेन दिखाने वालों का भी पता चला है, जिन्होंने तीन पेनी स्टॉक्स के जरिए करीब 2000 करोड़ रुपये के मुनाफे में हेराफेरी की है”.
इनकम टैक्स ने कैसे पकड़ा शेयर ब्रोकर्स के बड़े नेटवर्क का काला कारोबार
मुंबई के इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम ने पूरे देश में फैले शेयर ब्रोकर्स के ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. शेयर बाजार में ब्रोकर्स कई कंपनियों के घाटे और लाभ को फर्जी वायदा कारोबार के जरिए एडजस्ट कराते थे. ऐसे फर्जी कारोबार को रिवर्सल ट्रेड भी कहते हैं.
दीपू राय
- नई दिल्ली,
- 09 दिसंबर 2019,
- (अपडेटेड 09 दिसंबर 2019, 12:47 PM IST)
मुंबई की इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम ने पूरे देश में फैले शेयर ब्रोकर्स के ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी ट्रेड करके अपने कस्टमर के घाटे और लाभ के साथ कालेधन को भी साफ करते थे. टैक्स विभाग ने देशभर में ब्रोकर्स के कई ठिकानों पर छापे मारकर करीब 6,000 करोड़ रुपये की फर्जी ट्रेडिंग को पकड़ा है.
टैक्स अधिकारी ने कहा, ''अभी तो यह शुरुआत भर है, हम जल्द ही बड़ी मछलियों तक पहुंचने वाले हैं. शेयर बाजार को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी है कि ऐसे लोगों को इससे बाहर किया जाए.'' टैक्स अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर इंडिया टुडे से कहा कि इसमें बुलियन कारोबार से जड़ी कंपनियों के अलावा कई बड़े ब्रोकरेज हाउस भी हैं. इस ऑपरेशन के बाद हमें कई बड़े सुराग मिले हैं.
दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी
टैक्स विभाग ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, मुंबई, कानपुर, कोलकाता जैसे शहरों में ब्रोकर्स और ट्रेडिंग मेंबर्स के कुल 39 ठिकानों पर छापेमारी की. छापेमारी की कार्रवाई मंगलवार सुबह से शुरू होकर शनिवार को खत्म हुई. वित्त मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि ये ब्रोकर्स टैक्स चुराने वालों को मदद करते हैं.'' ब्रोकर्स खुद और दूसरे अन्य ब्रोकर्स के साथ साजिश करके खुद ही सौदा काट लेते थे. सबकुछ पहले से तय होता था कि किस क्लाइंट के ट्रेड को घाटा दिखाना है किसे फायदा. ज्यादातर ये जालसाजी का ट्रेड वायदा कारोबार के तहत ईलिक्विड ऑप्संस में हो रहा था.''
ट्रडिंग को किया मॉनिटर
छापेमारी से पहले छह महीने तक इन ब्रोकर्स के ट्रेडिंग को मॉनिटर किया. उसके बाद संदेहास्पद ट्रेडिंग से जुड़े आंकड़ों को लेकर मुंबई टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम के नेतृत्व में करीब 90 टैक्स अधिकारियों ने पूरे देश में ऐसे ब्रोकर्स के ठिकानों पर धावा बोल दिया. टैक्स अधिकारी ने कहा कि जिन ब्रोकर्स के यहां छापेमारी हुई है उनमें से करीब 80 फीसदी ब्रोकर्स ने अपने शुरुआती बयान में ये मान लिया कि क्लाइंट के लिए ये गलत काम कर रहे थे.
शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी ने भी समय-समय पर वादी करोबार से जुड़े सिंक्रोनाइज्ड ट्रेडिंग के जरिए गलत काम करने वालों पर सवाल उठाया है.
कैसे काम करता है डेरिवेटिव मार्केट?
आम लोग यही समझते हैं कि पैसे देकर शेयर खरीद लिए जाते हैं और बेचने वालों को पैसा मिल जाता है. लेकिन बड़ा कारोबार इससे अलग होता है, जिसे वायदा कारोबार या डेरिवेटिव कहते हैं. इसमें शेयरों की डिलिवरी नहीं होती. यहां शेयर का दाम कहां तक पहुंचेगा इस सपने का कारोबार होता है. इसे अंग्रेजी में 'अंडरलाइंग एसेट वैल्यू' कहते हैं.
शेयर खरीदने-बेचने के लिए कॉन्ट्रैक्ट
खरीदने और बेचने वाले में एक समझौता होता है कि एक तय समय सीमा और कीमत पर दूसरी पार्टी इन शेयर को खरीदेगी. इसे फ्यूचर डेरिवेटिव कहते हैं. मान लीजिए रमेश और सुरेश एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट करते हैं. कॉन्ट्रैक्ट की शर्त ये है कि रमेश XYZ बैंक के 100 शेयर 500 रुपये प्रति शेयर के रेट से अगले दो महीने के भीतर खरीद लेगा. इस बीच शेयर की कीमत 450 रुपये पर आ जाती है. ऐसे में रमेश को कॉन्ट्रैक्ट पर तय कीमत से 50 रुपये का नोशनल घाटा होने लगा. अब रमेश के पास दो विकल्प (ऑप्शन) हैं. या तो वो कॉन्ट्रैक्ट को दो महीने की एक्सपायर तारीख से पहले सेटल कर ले और सुरेश को 50 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से पैसा दे दे.
दूसरा ऑप्शन ये है कि रमेश एक्सपायरी तारीख (दो महीना) तक इंतजार करे. दूसरा- मान लीजिए एक्सापयरी के दिन XYZ की कीमत 475 रुपये पर आ जाती है, यानी तय कॉन्ट्रैक्ट के समय की कीमत से 15 रुपये कम. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायर के समय रमेश को (15 रुपये X 100 शेयर) के हिसाब से सुरेश को 1500 रुपये देना होगा. गौर करिए, यहां वास्तव किसी फिजिकल शेयर का लेन-देन नहीं है. इस फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में रमेश ये कह कर कन्नी नहीं काट सकता है कि शेयर की कीमत उसके उम्मीद के मुताबिक नहीं है.
ये भी हैं विकल्प
लेकिन शेयर बाजार ने रमेश जैसे लोगों के लिए दो और विकल्प ढूंढ निकाले, जिसे ऑप्शन डेरिवेटिव कहते हैं. इसमें आपके पास ऑप्शंस होता है कि आप कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को पूरी तरह नहीं मानें. बस इस न मानने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के वक्त सुरेश को थोड़ा पैसा दें दे. इसे घूस नहीं, शेयर बाजार इसे ‘प्रीमियम’ कहते हैं. ये ऑप्शन भी दो तरह के होते हैं अगर आप खरीदने का विकल्प लेते हैं तो इसे 'कॉल ऑप्शन' कहा जाएगा और बेचने के का विकल्प चुनते हैं तो ‘पुट ऑप्शन’. इस प्रीमियम को देकर रमेश XYZ के शेयर की कीमत में होने वाले घाटे के जोखिम को कम कर सकता है और अगर दो महीने में (एक्सपायरी तक ) शेयर की कीमत 500 से ऊपर हो जाती है तो पूरा फायदा रमेश को मिलेगा क्योंकि तय शर्त के मुताबिक उसे केवल हर शेयर के लिए 500 रुपये चुकाने हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत सहित शेयर बाजार के कुल टर्नओवर का बड़ा हिस्सा डेरिवेटिव में होता है. उदाहरण के लिए हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बांबे स्टॉक एक्सचेंज को पिछले पांच दिनों के मार्केट टर्नओवर को देखा. 97 फीसदी से ज्यादा कारोबार डेरिवेटिव यानी फ्यूचर एंड ऑप्शन जिसे बाजार में एफ एंड ओ भी कहा जाता है. डेरिवेवटिव या वायदा कारोबार आज की तारीख में हर बाजार में होता है चाहे वो शेयर बाजार हो या फिर करेंसी हो या कमोडिटी.
आखिर शेयर ब्रोकर्स कैसे फायदा पहुंचाते थे?
टैक्स विभाग ने देखा कि कुछ ब्रोकर्स खुद दो पार्टी बनकर या अपने जैसे ब्रोकर्स को पार्टी बनाकर सौदे को अंजाम दे रहे हैं. ये सौदे उन शेयरों हो रहे है जो ईलिक्विड है यानी जहां सौदे बहुत कम हो रहे थे. उदाहरण के लिए रमेश का क्लाइंट Z है जिसे चालू साल में घाटा हुआ है और वो चाहता है कि उसका काला धन इस बाजार के जरिए सफेद हो जाए. दूसरी ओर Y है, जिन्हें बिजनेस गेन यानी मुनाफा हुआ है और वो चाहते हैं कि उन्हे लॉस यानी नुकसान हो जाए ताकी फायदे को एडजस्ट किया जा सके. कुल मिलाकर टैक्स न देना पड़े. तीसरा ऐसा क्लाइंट है जिन्होंने भारी भरकम बैंक लोन लिया है लेकिन उनका बिजनेस ठीक नहीं चल रहा है. उन्हें डर है कि बैंक लोन को वापस ले सकता है या फिर चार्ज बढ़ा देगा. उन्हें फर्जी मुनाफा चाहिए.
ये ब्रोकर्स कमीशन लेकर इन तीनों जरूरतों को डेरिवेटिव मार्केट से पूरा कर रहे थे.
मान लीजिए Z और Y एक ऐसे ही ब्रोकर के क्लाइंट हैं, जिसमें से एक को (Z) नुकसान दिखाना है और दूसरे (Y) को मुनाफा. ब्रोकर ने एक ऐसे शेयर को चुना जहां बहुत ज्यादा ट्रेड नहीं हो रहा है और खुद ही बायर और सेलर बनकर ट्रेड को अंजाम दे गया. रिवर्स बाय एंड सेल यानी खरीद-बिक्री के उल्टे ट्रेड के जरिए दोनों क्लाइंट Y और Z की जरूरत को पूरा कर दिया. यही काम दो से अधिक ब्रोकर ने मिलकर भी किया है. टैक्स विभाग ने पाया कि देश भर में कुछ ब्रोकर्स अपने क्लाइंट को इस तरह की सुविधा दे रहे हैं.
छापेमारी में मिले गोरखधंधे करने वाली कंपनियों के शामिल होने के संकेत
इनकम टैक्स विभाग की सबसे बड़ी बॉडी सीबीडीटी ने कहा कि इस छापेमारी में उनके विभाग को तीन पेनी स्टॉक और कुछ बड़े गोरखधंधे करने वाली कंपनियों के शामिल होने के संकेत मिले हैं. सीबीडीटी ने इस छापेमारी के बाद कहा कि “मुनाफा और नुकसान उठाने वाली कुछ कंपनियों ने इस गलत तरीके का इस्तेमाल किया है. एक अनुमान के मुताबिक इसके जरिए करीब 3500 करोड़ को एडजस्ट किया गया है. हाल के सर्च और सर्वे से गलत तरीके से लबी अवधि वाले यानी लॉग टर्म गेन दिखाने वालों का भी पता चला है, जिन्होंने तीन पेनी स्टॉक्स के जरिए करीब 2000 करोड़ रुपये के मुनाफे में हेराफेरी की है”.
Axis Mutual Fund के दो फंड मैनेजरों पर फ्रंट-रनिंग से पैसे बनाने के आरोप, जानिए क्या होता है यह?
Axis Mutual Fund: एक्सिस ने अपने दो फंड मैनेजरों को सस्पेंड कर दिया है. इन ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना पर फ्रंट-रनिंग से पैसे बनाने का आरोप है. जानिए क्या ये इनसाइडर ट्रेडिंग ही होती है या कुछ अलग?
By: ABP Live | Updated at : 10 May 2022 02:00 PM (IST)
Axis Mutual Fund: देश के सातवें सबसे बड़े फंड हाउस, एक्सिस म्यूचुअल फंड (Axis Mutual Fund) ने अपने दो फंड मैनेजरों को सस्पेंड कर दिया है, जिसमें से एक उनका मुख्यडीलर था. कंपनी अब दोनों फंड मैनेजरों की देखरेख वाले फंड्स में अनियमितताओं की जांच कर रही है.
दोनों फंड मैनेजरों ने किस तरह की अनिमयमितता की है, इसके बारे में सटीक जानकारी जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगी. हालांकि सूत्रों का दावा है कि दोनों फंड मैनेजर्स फ्रंट-रनिंग (Front-Running) करते थे.
आइए समझते हैं कि ये फ्रंट-रनिंगक्या होता है और यह इनसाइडर ट्रेडिंग से कैसे अलग है?
फ्रंट रनिंग और इनसाइडर ट्रेनिंग दोनों ही मामलों में अपराधियों का मकसद कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग करके शेयर बाजार में पैसा बनाना है. हालांकि यहां फ्रंट-रनिंग, इनसाइडर ट्रेनिंग से थोड़ा अलग मामला होता है. इसमें, किसी फाइनेंशिनेंयल इंस्टीट्यूशन या म्यूचुअल फंड्स या किसी बड़े शेयर ब्रोकर के यहां काम करने वाला डीलर या मनी मैनेजर्स अपने संस्थान की तरफ से दिन में खरीदे जाने वाले ऑर्डर की जानकारी फा फायदा उठाकर उससे मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं.
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क्या है इनसाइडर ट्रेडिंग?
वहीं इनसाइडर ट्रेनिंग तब होती है, जब किसी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी को कुछ ऐसी जानकारी पता चल जाएं, जिससे फर्म के शेयरों पर असर पड़ सकता है और और वह उसका फायदा उठाकर शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर मुनाफा कमाने की कोशिश करे.
कैसे बनता है पैसा?
शेयर बाजार का बिल्कुल सीधा गणित है कि अगर किसी कंपनी के शेयरों की भारी मात्रा में ऊंचे दाम पर खरीदारी होती है, तो इससे उसके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है. साथ ही अगर किसी कंपनी के शेयरों में भारी बिकवाली हो रही होती है, तो उसकी कीमत घट जाती है.
म्यूचुअल फंड के डीलर इसी जानकारी का फायदा उठाते हैं. म्यूचुअल फंड्स आमतौर पर बड़ी मात्रा में खरीदारी या बिकवाली करते हैं. यह खरीदारी या बिकवाली कब होने वाली है, डीलर को इसकी पूरी तरह से जानकारी रहती है.
म्यूचुअल फंड्स जिन शेयरों को खरीदने वाले होते हैं, उसे डीलर ठीक कुछ मिनट पहले ही खरीद लेते हैं. बाद में म्यूचुअल फंड्स के बड़ी मात्रा में खरीदारी से उस शेयर का दाम कुछ मिनटों में उपर चढ़ जाता है और इससे उन्हें फायदा उठा लेते हैं.
ठीक इसी तरह वह म्यचूअल फंड्स की तरफ से किसी शेयर में बिकवाली करने से कुछ मिनट पहले उसके शेयर बेचकर फायदा कमाते हैं.
सेबी के नियम-कानून
अभी तक सेबी ने ऐसे मामले पाए जाने पर हमेशा आर्थिक जुर्माना लगाया है. आमतौर पर जो डीलर, ब्रोकर और फंड मैनेजर्स इसमें शामिल होते हैं, उन पर जुर्माना लगता है.
हालांकि एक मामले में सेबी फंड हाउस के सीईओ पर भी जुर्माना लगा चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सेबी को फंड हाउस के ट्रस्टियों और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को फटकार लगाने के लिए भी जाना जाता है.
एक्सिस ने लिया ये ऐक्शन
जानकारी के मुताबिक एक्सिस म्युचुअल फंड ने अपने दो फंड मैनेजर्स- विरेश जोशी और दीपक अग्रवाल को सस्पेंड कर दिया है. वहीं अपनी 7 स्कीम के फंड मैनेजर्स को बदल दिया है. ऐसी जानकारी भी मिली है कि अब इस मामले की जांच सेबी कर रही है.
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क्या आप विदेशी मुद्रा में पैसा कमा सकते हैं?
विदेशी मुद्रा बाजार और इसे प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक मार्गदर्शन प्राप्त करना।
विदेशी मुद्रा बाजार, या विदेशी मुद्रा बाजार पूरी दुनिया में # 1 सबसे अधिक तरल वित्तीय बाजार ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना है। विदेशी मुद्रा बाजार में हर दिन लगभग 6.6 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार होता है। और यदि आप पर्याप्त समझदार हैं, तो आप इसके लिए एक छोटे से छोटे टुकड़े को रिटेल एफएक्स ट्रेडर के रूप में ले सकते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार एक दिन व्यापारी का वित्तीय बाजार है। विदेशी मुद्रा व्यापार की अस्थिरता अन्य वित्तीय बाजारों को पूरी तरह से पानी से बाहर निकाल देती है। बहुत से लोग सोचते हैं कि अस्थिरता खराब है, लेकिन एक दिन के व्यापारी के रूप में, आपको पैसा बनाने के लिए बाजारों को अपने पक्ष में स्थानांतरित करने के लिए अस्थिरता की आवश्यकता होती है। इसलिए जब हमारे पास नए शुरुआत करने वाले व्यापारी हैं, तो Quora पर हमसे पूछ रहे हैं कि लोग मुद्रा व्यापार को विदेशी मुद्रा बना सकते हैं या नहीं, हम आमतौर पर उन्हें यह प्रतिक्रिया देते हैं .
हां, मुद्रा व्यापार विदेशी मुद्रा बनाना बहुत संभव है। हम कई लोगों को जानते हैं कि उनमें से ज्यादातर हमारे ग्राहक हैं . लेकिन वास्तव में, यह अभी भी बाजार में सभी विदेशी मुद्रा व्यापारियों के 10% से कम है। यह सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई है। ट्रेडिंग फॉरेक्स आसान नहीं है . कम से कम उतना आसान नहीं है जितना कि यह दावा करता है। और हम अन्य सैकड़ों और हजारों विदेशी मुद्रा कंपनियों और सेवाओं की तरह नहीं बनना चाहते हैं, जो दावा करते हैं कि विदेशी मुद्रा व्यापार करना आसान है और आप लाखों लोगों को आसान बना सकते हैं।
विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा बनाने के लिए बहुत मेहनत, बहुत अभ्यास और बहुत सारे धैर्य की आवश्यकता होगी। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात, आपको वहां पहुंचने के लिए कुछ पेशेवर मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी। आप अपनी इच्छा के अनुसार कड़ी मेहनत कर सकते हैं, अपनी इच्छा के अनुसार अभ्यास कर सकते हैं और एक चट्टान की तुलना में अधिक धैर्य रख सकते हैं, लेकिन सही पेशेवर मार्गदर्शन के बिना, आप बहुत दूर नहीं जा रहे हैं।
तीन तरीके आप विदेशी मुद्रा में पैसा बनाना शुरू कर सकते हैं
विदेशी मुद्रा संकेत
अधिकांश शुरुआती व्यापारियों के साथ शुरू होता है विदेशी मुद्रा सिग्नल सेवा खोजना। यह विदेशी मुद्रा में पैसा बनाना ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना शुरू करने का सबसे व्यावहारिक तरीका है। आप दुनिया की सभी विदेशी मुद्रा व्यापार पुस्तकों को पढ़ सकते हैं, लेकिन यह आपको बाज़ारों में व्यवसायी होने से बेहतर सीखने का अनुभव कभी नहीं देगा। एक विदेशी मुद्रा सेवा में शामिल होने की तुलना में व्यवसायी बनने के लिए बेहतर तरीका क्या है जो आपको पैसा बनाने के लिए शानदार सेटअप प्रदान करता है। वे व्यापारियों के विशिष्ट प्रवेश मूल्य के साथ उच्च संभावना ट्रेडों के सेटअप प्राप्त करेंगे, लाभ लक्ष्य लेंगे और नुकसान को रोकेंगे। यह अवधारणा सरल है: यदि आप एक ही ट्रेडर के रूप में समान ट्रेडों को लेने का अभ्यास करते हैं और एक ही ट्रेड सेटअप को बार-बार देखते हैं, तो आप धीरे-धीरे सीखेंगे कि इन समान ट्रेड आइडिया को कैसे खोजें और अपने दम पर व्यापार करने में सक्षम हों। हम आपको दिखाएंगे एक बेहतर व्यापारी बनने के लिए संकेतों का उपयोग कैसे करें और कैसे करें एक उपकरण के रूप में संकेतों का उपयोग कैसे करें और न केवल एक कॉपी और पेस्ट समाधान।
व्यापार करने के लिए सीखना
व्यापारियों के लिए एक और विकल्प है व्यापार करना सीखना। आप वास्तविक धन के साथ व्यापार करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। शायद आप अभी के लिए एक डेमो खाते का व्यापार करना चाहते हैं और अपने तकनीकी विश्लेषण का अभ्यास करना चाहते हैं। व्यापारी आमतौर पर विभिन्न व्यापारिक रणनीतियों को खोजने और उनका परीक्षण करने के लिए वेब पर देखते हैं। इसके साथ समस्या यह है कि इनमें से अधिकांश रणनीतियाँ व्यापारिक संकेतकों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। लैगिंग संकेतकों पर भारी निर्भरता मुख्य कारणों में से एक है, क्योंकि अधिकांश विदेशी मुद्रा व्यापारी पैसे खो देते हैं। इसके बजाय, व्यापारियों को ध्यान केंद्रित करना चाहिए मूल्य कार्रवाई और मौलिक विश्लेषण सीखना। इस तरह उन्हें बाज़ारों की चाल की सही समझ मिल जाएगी। ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना पर Forex Lens, हम रोज सुबह 11 बजे ईएसटी में दैनिक ट्रेडिंग सत्र की पेशकश करते हैं, जहां हम अपने सदस्यों के साथ रहते हैं और बाजारों का एक साथ विश्लेषण करें, चार्ट को तोड़ना और व्यापार के अवसरों पर चर्चा करना। शुरुआत के लिए, हम एक की पेशकश करते हैं ट्रेडिंग रूम की सदस्यता का निःशुल्क संस्करण जहाँ आप मुफ्त में सोमवार और शुक्रवार के सत्र देख सकते हैं। आप ऐसा कर सकते हैं यहां क्लिक करे या हमारे पर जाओ यूट्यूब चैनल हमारे लाइव सत्र कैसे दिखते हैं, इसके कुछ उदाहरणों के लिए।
विदेशी मुद्रा प्रबंधित खाते
व्यापारियों के लिए विदेशी मुद्रा में पैसा बनाने का अंतिम विकल्प है प्रबंधित खातों के। यह उन व्यापारियों के लिए अधिक है जिनके पास चार्ट के सामने बैठने और खुद बाजारों का व्यापार करने का समय नहीं है। वे चाहते हैं कि कोई उनके लिए करे। एक विदेशी मुद्रा प्रबंधित खाता एकमात्र ट्रेडिंग समाधान है जो आपको विदेशी मुद्रा बाजार में भाग लेने की अनुमति देता है और आवश्यक न्यूनतम ट्रेडिंग अनुभव के साथ कमाता है। आपके फंड को प्रबंधित करने के लिए ट्रिक एक अच्छा व्यापारी है। पर Forex Lens, हमने खुदरा एफएक्स व्यापारियों को उनके लापता होने का स्वाद देने के लिए संस्थागत व्यापारिक संपत्ति प्रबंधन कंपनियों के साथ भागीदारी की है। हम विशेष पेशकश करके खेल मैदान को समतल करने का लक्ष्य रखते हैं प्रबंधित खाता उत्पाद यह आमतौर पर केवल संस्थागत निवेशकों के लिए उपलब्ध है। यह विकल्प आपको अपने फंड को एक विश्वसनीय ब्रोकर में जमा करने ट्रेडिंग में पैसा बनाने के लिए संकेतों को समझना की अनुमति देता है, और फिर हमें अपनी ओर से इसे व्यापार करने की अनुमति देता है। यह एक तनाव-मुक्त समाधान है और सबसे कठिन हिस्सा वास्तव में प्रबंधित खाता स्थापित और वित्त पोषित है।
तो वहाँ आप यह है, 3 तरीके आप विदेशी मुद्रा में पैसा बनाने शुरू कर सकते हैं।