आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है

Health Tips: क्या आप जानते है एक दिन में कितनी चीनी का सेवन करना है उचित? जानिए अधिक चीनी के नुकसान
Health Tips: ठंडे और कार्बोनेटेड पेय आज के समय में युवाओं में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इनमें चानी की अधिक मात्रा के कारण यह आपकी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं, तो आइए आज हम आपको लिक्विड शुगर के सेवन के कुछ नुकसानों के बारे में बताने जा रहे हैं.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 05 Sep 2020 11:29 PM (IST)
Health Tips: अगर आप अपने चीनी के सेवन को कंट्रोल में करने की सोच रहे हैं, तो आपको अपने पेय पदार्थों का भी सावधानी के साथ चुनाव करना चाहिए. अगर आप सिर्फ चॉकलेट, कैंडी या अन्य चीनी से बने खाद्य पदार्थों के सेवन को नियंत्रित कर रहे हैं तो केवल इतना करना आपके लिए पर्याप्त नहीं होगा. ज्यादातर पीने वाले पदार्थों में चीनी का अधिक मात्रा पाई जाती है. ठंडे और कार्बोनेटेड पेय आज के समय में युवाओं के बीच भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. कई लोग तो इनका सेवन इंस्टेंट एनर्जी के लिए करते हैं. लेकिन इनमें चानी का अधिक मात्रा के कारण यह आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं.
इसके साथ ही पैक्ड फ्रूट जूस भी चीनी से भरे होते हैं. अगर आप तरल शुगर का सेवन अधिक कर रहे हैं तो यह आपकी सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है, तो आइए आज हम आपको लिक्विड शुगर के सेवन के कुछ नुकसानों के बारे में बताने जा रहे हैं.
तरल चीनी आपकी हेल्थ के लिए क्यों ज्यादा खराब है? अगर आप शुगर का तरल रूप में सेवन करते हैं तो इससे ज्यादा शुगर का सेवन करने की संभावना होती है. अगरल आप कुछ मीठा खा लेते हैं तो इससे आपका पेट जल्दी भर जाने की संभावना होती है. लेकिन अगर आप शुगर से भरपूर किसी चीज का सेवन कर लेते हैं तो इससे आपका पेट आसानी से नहीं भरता है क्योंकि आप तरल चीनी का अधिक सेवन करने की क्षमता रखते हैं. अधिक मात्रा में तरल चीनी का सेवन करने के कुछ नुकसान हो सकते हैं. 1. वजन बढ़ने की समस्या अगर आप ज्यादा मात्रा में चीनी का सेवन करते हैं तो इससे आपका वजन बढ़ने की संभावनाएं होती हैं. इसके साथ ही अगर आप तरल चीनी का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं तो यह आपके फैट को बढ़ाने में योगदान दे सकता है. अगर आप मोटोपे के जोखिम से बचना चाहते हैं तो आपको चीनी के सेवन को कंट्रोल करने की जरूरत है.
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2. हार्ट रोगों का बढ़ाता है खतरा अगर आप तरल चीनी का सेवन बहुत अधिक करते हैं तो यह आपके दिल की सेहत को बहुत ही प्रभावित कर सकती है. यह आपके मोटापे और खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में योगदान देती है. साथ ही हार्ट रोगों के जोखिमों को बढ़ाने का काम करती है. 3. डायबिटीज के खतरे को देती है बढ़ा यदि आप तरल शुगर का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं तो यह आपके खून में शुगर के स्तर को बढ़ा देती है. यह टाइप-2 डायबिटीज के जोखिमों को बढ़ाने में योगदान दे सकती है. तरल चीनी के सेवन को कम करने के लिए आपको सोडे का सेवन छोड़ना होगा और हेल्दी विकल्प अपनाना होगा. ऐसे में आप हर्बल चाय, नींबू का पानी, डिटॉक्स पानी या साधारण पानी का ही सेवन करें तो बेहतर होगा. एक दिन में कितनी चीनी का सेवन करना चाहिए? अगर आप ज्यादा मात्रा में चीनी का सेवन करते हैं तो आपको इसके आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है सेवन को कम करने की यथासंभव कोशिश करनी चाहिए. ऐसे में आप हमेशा उन उत्पादों का सेवन करें जिनमें चीनी की कम मात्रा पाई जाती हो.
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Published at : 05 Sep 2020 11:29 PM (IST) Tags: Sugar Side Effects sugar side effects human body Health Tips हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
Health Tips: झारखंड में बदलते मौसम में लोग हो रहे बीमार, सेहत का रखें ऐसे ख्याल
मौसम परिवर्तन के साथ बढ़ते प्रदूषण का स्तर लोगों की सेहत को बिगाड़ रहा है. इस मौसमी बदलाव के कारण 60-70 प्रतिशत लोगों को सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार और सांस संबंधी शिकायतें होने लगी हैं. ऐसे में सावधान रहने की सख्त जरूरत है.
Jharkhand News: दिवाली के बाद से जिला में सुबह और शाम हल्की ठंडक महसूस होने लगी है. बदल रहे मौसम के साथ सर्दी-जुकाम और खांसी के मरीजों में भी इजाफा होने लगा है. बुधवार की सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे. चल रही हवाओं ने ठंडक का एहसास कराया. घर-घर में लोग बीमार पड़ रहे हैं. मौसम विभाग की मानें तो बुधवार को अधिकतम तापमान जहां 30 डिग्री रहा है, न्यूनतम तापमान 18 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. बादल छंटने के बाद तापमान में गिरावट के आसार हैं.
एसएनएमएमसीएच के मेडिसीन के विभागाध्यक्ष डॉ यूके ओझा ने बताया कि मौसम बदलने पर मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. मौसम परिवर्तन से संक्रमण संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. पिछले कुछ दिनों से मरीजों में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे मौसम में शरीर में विटामिन सी और बी-कांप्लेक्स का स्तर कम हो जाता है. फलत: सर्दी, खांसी, बुखार, सिर दर्द सहित अन्य समस्या तेजी से बढ़ती है. यह जरूरी नहीं कि सभी मरीजों को कोरोना के लक्षण ही हों, पर समय रहते चेकअप कराने और जांच कराने पर बेहतर उपचार दिया जा सकता है. ठंडे मौसम में खान-पान, पहनावा एवं साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. अगर किसी प्रकार के संक्रमण जैसे लक्षण दिखें तो चिकित्सक से तत्काल सलाह लें और नियमित उपचार कराएं.
सावधानी बरतने की जरूरत : डॉ एनके सिंह
फिजीशियन डॉ एनके सिंह का कहना है कि बदलते मौसम और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्पतालों में सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, सांस और दमा के मरीज बढ़े हैं. इन दिनों जितना वायरल फैल रहा है, उतना कोरोना संक्रमण नहीं. कहा कि बदलते मौसम में लोगों को बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतने की आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है जरूरत है. घर से निकलते समय गर्म कपड़ा साथ जरूर रखें. गले में खराश हो रही हो और गार्गेल करने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा है तो चिकित्सक से सलाह जरूर लें.
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ऐसे रखें स्वास्थ्य का ख्याल
आसपास की टंकियों और कूड़ेदानों में पानी जमा न होने दें. जमे हुए पानी से डेंगू और मलेरिया का खतरा होता है.
दिन में तुलसी के तीन-चार पत्ते खाना भी बहुत फायदेमंद होता है. तुलसी इम्यूनिटी बूस्टर का काम करते हुए सर्दी और वायरल से लड़ सकती है.
गरारे करना, भाप लेना, आराम करना, पर्याप्त पानी लेना फायदेमंद है. गर्म सूप, पौष्टिक आहार और हर्बल चाय पीना चाहिए.
बाहर से लौटने पर हाथ धोएं और अगर आप किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आए हों तो घर आकर जरूर नहाएं.
कॉफी, नींबू की चाय, सूप जैसी गर्म चीजों से खुद को हाइड्रेटेड रखें. कोल्ड ड्रिंक या बाहर के जूस से बचें, इनमें बैक्टेरिया हो सकते हैं.
वायु की गुणवत्ता हो रही प्रभावित
पीएम 2.5 बढ़ा : वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार शहर में पीएम 2.5 (पर्टिक्यूलेट मैटर, ठोस पदार्थ व तरल बुंदों का मिश्रण) में अधिक वृद्धि हुई है. बुधवार की सुबह 11.45 बजे पीएम 2.5 को 113 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया. यह 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहना चाहिए. ये आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है महीन धूलकण होते हैं, जो परिवहन के कारण हवा में उड़ते हैं और लंबे समय तक हवा में घुली रहती है. इससे श्वास संबंधी बीमारी होती है.
पीएम 10 हो गया है दो गुणा
प्रदूषण में पीएम 10 की भूमिका निर्णायक होती है. रिपोर्ट के अनुसार शहर में पीएम 10 बढ़कर 208 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया है, जबकि इसे 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए. यह मोटे धूलकण होते हैं, जो खनन समेत अन्य कारणों से हवा में ऊपर आते हैं. हालांकि यह लंबे समय तक हवा में नहीं रहते, पर यह फेफड़े को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं.
पशुओं व पक्षियों में भी दिख रहा असर
ठंड के शुरुआती दिनों में मौसम बदल रहा है. ऐसे में जहां प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर मौसम में बदलाव का असर लोगों के साथ ही पशुओं व पक्षियों में भी दिख रहा है. हालांकि यह मौसम पशुओं के लिए हेल्दी है. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ प्रवीण कुमार की मानें तो प्रदूषण से मनुष्य की तरह ही पशु भी प्रभावित होते हैं. प्रदूषण से उनका फेफड़ा प्रभावित हो जाता है. इसका सर्वाधिक असर कोलियरी इलाकों में दिखता है.
पशुओं को भी होती है दिक्कत
पशुओं की मौत के बाद पोस्टमार्टम होने पर देखा जाता है कि उनका फेफड़ा काला हो गया है या फिर खराब हो गया है. वातावरण दूषित होने पर पक्षी एक से दूसरी जगह जाते हैं. यही कारण है कि साइबेरिया में ठंड अधिक होने पर वहां के पक्षी तोपचांची के आसपास दिखते हैं, पर पशुओं में यह नहीं होता है. बताया कि पशुओं में बदलते मौसम में सर्दी-खांसी व कोल्ड डायरिया होती है. इससे घबराने की जरूरत नहीं. पशु रखे जाने की जगह को स्वच्छ रखें.
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'Radiation'
साल 2011 में आई सुनामी (Tsunami) में फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट (Fukushima Nuclear Plant) खतरनाक तरीके से प्रभावित हुआ था. यहां से रेडिएशन लीक (Radiation Leak) होने लगा था और लाखों की संख्या में लोगों को विस्थापित होना पड़ा था.
कनाडा के ओंटारियो में वाटरलू यूनिवर्सिटी के एक साइंटिस्ट किंग-बिन लू ने इस ऑल सीजन ओजोन होल का खुलासा किया है।
अगर आप रात को सोते समय मोबाइल फोन तकिए के नीचे रखकर सोते हैं तो इस आदत को छोड़ दें, क्योंकि ये आपके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं. रात के समय मोबाइल पास रखकर सोने से दिमाग पर भी नकारात्मक प्रभाव होते हैं.
Protect Skin By Computer Radiation: क्या आपको पता है फोन और लैपटॉप से निकलने वाली रेडिएशन (Laptop Radiation) आपकी आंखों व स्किन (Protect Eye And Skin) के लिये कितनी खतरनाक हो सकती है. अगर आपके इसके दुष्परिणामों से बेखबर हैं तो ये आर्टिकल जरुर पढ़ें.
एक्ट्रेस जूही चावला ने कहा कि 5G के दुष्प्रभाव से धरती पर कोई भी व्यक्ति, जानवर, पक्षी, कीट या पौधे इत्यादि नहीं बच सकते हैं।
जूही चावला ( Juhi Chawla) ने याचिका में कहा है कि 5G नेटवर्क से इंसानों और धरती के इकोसिस्टम को गंभीर और दोबारा न बदला जा सकने वाला नुकसान पहुंचेगा. लिहाजा उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया है.
HPPSC Recruitment 2020: हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) ने रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर पोस्ट (Radiation Safety Officer) के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं. इच्छुक और योग्य उम्मीदवार अंतिम तारीखों से पहले ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इस पद के लिए उम्मीदवारों को HPPSC की आधिकारिक वेबसाइट www.hppsc.hp.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है करना होगा.
कई एनजीओ, सिविल सोसायटी समूहों, ग्राम पंचायतों के प्रमुखों ने यूरेनियम वेस्ट स्टोरेज टैंक से वेस्ट खासी हिल्स जिले (West Khasi Hills) में रेडियो एक्टिव किरणों के उत्सर्जन की शिकायत की थी. विशेषज्ञों का पैनल खासी हिल्स आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है जिले से आ रहीं ऐसी शिकायतों की जांच करेगा.
ग्रहण के दौरान सोलर रेडिएशन से आंखों के नाजुक टिशू डैमेज हो जाते है, जिस वजह से आखों में विजन - इशू यानि देखने में दिक्कत हो सकती है. इसे रेटिनल सनबर्न भी कहते हैं.
India | Reported by: आशीष कुमार भार्गव, Edited by: संदीप कुमार |गुरुवार अक्टूबर 20, 2016 07:14 PM IST
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि अभी तक ऐसा कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है, जिससे पता चले कि मोबाइल रेडिएशन से लोगों को असर पड़ता है.
क्यों आ जाती है शरीर में सूजन
शरीर में सूजन का सामना कभी न कभी हर किसी को करना पड़ जाता है। स्थिति अधिक गंभीर होने पर इससे असहजता होती है, दर्द होता है और कई बार शर्मिंदगी भी। बहुत अधिक नमक के सेवन के अलावा शरीर में पोटैशियम की.
शरीर में सूजन का सामना कभी न कभी हर किसी को करना पड़ जाता है। स्थिति अधिक गंभीर होने पर इससे असहजता होती है, दर्द होता है और कई बार शर्मिंदगी भी। बहुत अधिक नमक के सेवन के अलावा शरीर में पोटैशियम की कमी सूजन की वजह हो सकते हैं।
एक ही रुटीन होने के बावजूद रातों-रात ऐसा क्या हो जाता है कि हमारे शरीर में सूजन आ जाती है। रोजाना जिस जीन्स को आप बड़ी बेफिक्री से पहन कर चल पड़ते हैं, उसका बटन तक बंद नहीं हो पाता। आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को ओडिमा (आसान शब्दों में सूजन) कहते हैं। शरीर में पानी की अधिकता होना या यूं कह लें कि जब पर्याप्त मात्रा में पानी शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, तभी ऐसी स्थिति बनती है। आज कम से कम 20 से 30 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं।
ओडिमा बीमारी में कभी पूरा शरीर तो कभी सिर्फ कुछ अंगों जैसे कोहनी या चेहरे आदि में सूजन आ जाती है। अधिकांश मामलों में यह आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है स्थाई तौर पर नहीं रहती। कुछ घंटों या दिनों के बाद सूजन खत्म हो जाती है।
वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. अरविंद अग्रवाल के अनुसार, ‘अस्थाई ओडिमा से सेहत को नुकसान नहीं होता, पर पेट या शरीर के किसी भी अंग आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है में एक सप्ताह से ज्यादा सूजन रहने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में वसा का अनुपात ज्यादा होता है और वसा कोशिकाएं अतिरिक्त पानी संचित कर लेती हैं।’
क्यों होता है ऐसा?
इसके कई कारण हो सकते हैं। दिल से संबंधित बीमारियों, किडनी की समस्या, असंतुलित हार्मोन और स्टेरॉयड दवाओं के सेवन की वजह से ऐसा हो सकता है। दरअसल इन सभी स्थितियों में हमारी किडनी सोडियम को संचित कर लेती है। हालांकि कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के एक सप्ताह पहले भी कुछ ऐसे ही लक्षण नजर आते हैं। इस दौरान ओइस्ट्रोजेन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से किडनी ज्यादा पानी रोकना शुरू कर देती है। हमारा भोजन और जीवनचर्या भी ओडिमा की वजह बन सकते हैं।
पानी की कमी न हो
ऐसी स्थिति में लोग कई बार कम पानी पीने की गलती कर बैठते हैं। कम पानी पीकर ओडिमा को ठीक नहीं किया जा सकता। सच यह है कि डीहाइड्रेशन होने पर शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। ओडिमा बीमारी में शराब और कैफीनयुक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। कैफीन और शराब पानी अवशोषण की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
मूत्रवर्धक औषधियां
ड्यूरेटिक्स ऐसी औषधि को कहा जाता है, जिसके सेवन से मूत्र का प्रवाह बढ़ जाता है। शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर निकालने के लिए डॉक्टर कई बार इसकी सलाह देते हैं, लेकिन किसी भी हालत में इसका इस्तेमाल वजन कम करने वाली दवाओं के विकल्प के तौर पर नहीं करना चाहिए। प्राकृतिक उपायों को अपनाना बेहतर होगा। हर्बल चाय पिएं, अजवायन की चाय सबसे अच्छी मानी जाती है। दिन में तीन कप तक पी सकते हैं। खान-पान में भी बदलाव कर सकते हैं। गाजर, प्याज, शतावरी, टमाटर और ककड़ी इसमें कारगर रहेंगे।
ज्यादा नमक
शरीर की जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन भी पानी के अवशोषण की समस्या को बढ़ा सकता है। हमारे शरीर में तरल पदार्थों को संतुलित रखने में दो खनिजों सोडियम और पोटैशियम की अहम भूमिका होती है। पर दुर्भाग्य से हम सोडियम की मात्रा तो जरूरत से ज्यादा लेते हैं, पर पोटैशियम की मात्रा का सेवन कम करते हैं। इसकी वजह से रक्तचाप बढ़ जाता है। यह पानी को शरीर में रोके रखने के लिए भी जिम्मेदार है। यही वजह है कि रात में नमक वाले पॉपकॉर्न खाने के बाद सुबह आंखें सूजी रहती हैं। हालांकि डाइट से पूरी तरह नमक गायब करना भी सूजन की वजह बन सकता है। कुल-मिला कर ज्यादा नमकयुक्त चीजें खाने से बचें। पूरे दिन में सिर्फ 2400 मिलीग्राम नमक का ही सेवन करें।
वजन घटाएं
यदि आप मोटापे के शिकार हैं तो थोड़ा वजन घटाएं। मोटापे की शिकार महिलाओं में ओइस्ट्रोजेन का स्तर ज्यादा होता है, क्योंकि शरीर में जमी वसा ओइस्ट्रोजेन का स्राव करने लगती है। ऐसी महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा होता है। ज्यादा वजन वाले लोगों को खूब सारा पानी पीना चाहिए और कम से कम नमक खाना चाहिए। एक कैलोरी चार्ट बनाएं और उसके आधार पर अपने खान-पान की सूची तैयार करें। रोगमुक्त रहना है तो वजन कम करें।
सावधानी बरतें
शरीर का फूलना या पानी का अवशोषण किसी गंभीर बीमारी की शुरुआत हो सकती है। किडनी, फेफड़ों, लिवर से संबंधित बीमारियां जैसे कि सिरोसिस, थकान, अर्थराइटिस आदि रोगों के लक्षण के रूप में भी सूजन हो सकती है। ऐसे में लंबे समय की सूजन को नजरअंदाज न करके चिकित्सक से संपर्क करें।
प्रस्तुति: जय कुमार सिंह
तनाव कम लें
कभी तनाव की वजह से भी शरीर में सूजन आने लगती है। तनाव के दौरान हमारा दिमाग शरीर की पाचन क्रिया को रोक देता है। चीजें सामान्य होने तक पाचन क्रिया रुकी रहती है। ऐसी स्थिति में तनाव वाले हार्मोन पेट आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है तक जाने वाले रक्त प्रवाह को भी कम कर देते हैं। इसकी वजह से पेट में सूजन महसूस होने लगती है। योग करें, ध्यान लगाएं, व्यायाम करें। जरूरत पड़े तो किसी विशेषज्ञ से मिलें। जहां तक संभव हो, खुद को तनावजनक परिस्थितियों से बाहर निकालने का प्रयास करें।
कसरत करें
कुछ याद है आपको कि आपने पिछली बार पसीना कब बहाया था? नहीं न! रोजाना कसरत करने की आदत विकसित करें। यह आपके शरीर के अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने में मददगार होगी। पसीने के रूप में शरीर का अतिरिक्त पानी निकल जाता है। त्वचा भी अच्छी रहती है। घूमना, टहलना, तैराकी या नृत्य, अपनी सुविधानुसार आप किसी भी व्यायाम का चुनाव कर सकते हैं।
पोटैशियम है जरूरी
शरीर की नसों, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों के कामकाज को नियंत्रित करने में सोडियम के साथ-साथ पोटैशियम का भी योगदान होता है। यह कोशिकाओं से पानी निकालने के अलावा शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने का भी काम करता है। यही वजह है कि डॉक्टर सोडियम के साथ पोटैशियम की उपयोगिता को भी बताते हैं और ऐसी चीजें खाने की सलाह देते हैं, जिनमें पोटैशियम का स्तर ऊंचा हो।
पोटैशियम के साथ-साथ विटामिंस की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने में विटामिन बी-6 सहायता करता है। ब्राउन राइस व रेड मीट विटामिन बी-6 के अच्छे स्रोत हैं।
विटामिन बी-5, कैल्शियम और विटामिन डी शरीर से अतिरिक्त पानी को बाहर करने में मदद करते हैं। विटामिन डी के लिए नियमित धूप का सेवन करें।
1. पोटैशियम के लिए रोजाना कम से कम पांच फल और सब्जियों का सेवन जरूर करें। अखरोट, बादाम, मूंगफली आदि पोटैशियम के अच्छे स्रोत हैं।
2. मैग्नीशियम के लिए बादाम, गेहूं, हरी सब्जियां, आलू, सेब, जामुन, फालसा, आम, आलू बुखारा आंवला, अमरूद और केला खाएं।
3. खाने में कैल्शियम के स्तर की भी जांच करें। रोजाना टोंड दूध पिएं। दही, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां और अंजीर खाएं।
Coronavirus Symptoms in Children: बच्चों में कोरोना का दिखने वाला पहला लक्षण, ये नजर आते ही तुरंत लें एक्शन
Coronavirus Symptoms in Children: कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चों पर संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है है. ऐसे में आपको भी बच्चे में कुछ खास लक्षण दिखाई दें तो तुरंत उसका टेस्ट करवाने में देर न करें.
- बच्चों में शुरू में हल्के होते हैं कोरोना के लक्षण
- गले में दर्द, उल्टी, चक्कर जैसी होती हैं दिक्कतें
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी ये चेतावनी
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Coronavirus Symptoms in Children: कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने के कई मामले देखे गए हैं. ऐसे में हरेक मां-बाप के मन में अपने बच्चों को इस महामारी से बचाने की टेंशन बढ़ती जा रही है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों में कोरोना वायरस का संक्रमण हल्के लक्षणों के साथ शुरू होता है. अगर शुरू में ही इसे गंभीरता से न लिया जाए तो यह गंभीर हो सकता है. नोएडा के मदरहुड अस्पताल में कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ निशांत बंसल ने वे लक्षण बताए हैं, जिनके जरिए आप पता कर सकते हैं कि बच्चों को कब संक्रमण का खतरा हो सकता है.
बच्चों में कोरोना वायरस के लक्षण (Coronavirus Symptoms in Children)
- बुखार
- खांसी
-सांस लेने में दिक्कत
- गले में दर्द, बहती नाक
- ठंड लगना
- जोड़ों में दर्द
- सिर में दर्द
- 8 साल से बड़े बच्चों में टेस्ट या गंध की क्षमता कम हो जाना
- उल्टी होना
- दस्त होना
-थकान होना
डॉ निशांत बंसल कहते हैं कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित होने के बाद कुछ बच्चों में आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है सूजन हो सकती है. कुछ मामलों में यह सूजन कई हफ्तों तक बनी रह सकती है, जो गंभीर चिंता की बात है. बच्चों में इस स्थिति को मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) कहा जाता है. ये लक्षण कोरोना वायरस से कैसे संबंधित हैं, इस बारे में फिलहाल रिसर्च चल रही है.
MIS-C में होते हैं ये लक्षण
उन्होंने आगे कहा, अगर आपका बच्चा MIS-C से पीड़ित है तो उसे सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द या दबाव, होंठ या चेहरे का नीला पड़ना, भ्रम या जागने में परेशानी हो सकती है. ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए. अधिकतर मामलों में ऐसे बच्चे इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं.
मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) के लक्षण
- बुखार
- गर्दन में दर्द
- शरीर पर रेशे पड़ जाना
- उल्टी या दस्त होना
- आंखें लाल होना
- बहुत थकान महसूस करना
- होंठ फटना और लाल हो जाना
- हाथ या पैरों में सूजन आ जाना
- गले में सूजन आना
- पेट में दर्द होना
घबराएं नहीं, ये हैं समाधान
- अगर बच्चे में कोरोना वायरस (Coronavirus) के ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. बच्चे के लक्षण देखने के बाद डॉक्टर तय करेंगे कि उसका इलाज घर पर किया जा सकता है या फिर उसे अस्पताल में भर्ती करना है.
- बच्चे की रिपोर्ट आने तक उसके घर के एक कमरे में आइसोलेट कर लें. इसके साथ ही अपना टेस्ट भी करवाएं.
- सुनिश्चित करें कि घर के सभी लोग और पालतू जानवर, बच्चे के आइसोलेशन वाले कमरे में न जाएं.
- सुनिश्चित करें कि परिवार में केवल एक ही व्यक्ति बीमार बच्चे की देखभाल के काम में लगे.
- अगर संक्रमित बच्चा दो साल से ऊपर का है तो उसे कम से कम उस समय के लिए मास्क पहनना चाहिए, जब देखभाल करने वाला कमरे में हो.
- बच्चे का मास्क लगाकर उसे लंबे समय तक अकेला न छोड़ें.
- यदि बीमार बच्चा उसी वॉशरूम का उपयोग कर रहा है तो बाथरूम का उपयोग करने के बाद उसे कीटाणुनाशक से पोंछ दें.
- परिवार के अन्य सदस्यों को नियमित अंतराल पर अपने हाथों को सैनिटाइज करना चाहिए.
- परिवार को घबराना नहीं चाहिए. कोविड -19 के टीके अब 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए उपलब्ध हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन आपके पदों के तरल होने का खतरा कब है ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) किसी संक्रमित व्यक्ति के मुंह या नाक से छोटे तरल कणों में फैल सकता है. ऐसे लोग खांसते, छींकते, बोलते, गाते या सांस लेते हैं तो ये कण आसानी से दूसरों तक पहुंच जाते हैं. ऐसे में लोगों को दूसरों से कम से कम 1 मीटर दूर रहकर, ठीक से फिट किए गए मास्क पहनकर और अपने हाथ धोकर या सैनिटाइजर से रगड़कर खुद को इस वायरस से बचाना चाहिए.