बिटकॉइन वास्तव में क्या है

रोचक तथ्य: 2008 में पहली बार ब्लॉकचेन के लाइव होने पर माइनिंग रिवॉर्ड 50 बिटकॉइन (BTC) था। 210,000 ब्लॉक जोड़े जाने तक भुगतान अपरिवर्तित रहा, जिसके बाद इसे आधा बिटकॉइन वास्तव में क्या है कर दिया गया (आधा बना दिया गया)। अगले 210, 000 ब्लॉक जोड़े जाने के बाद, प्रक्रिया दोहराई जाती है। इसे बिटकॉइन विभाजन के रूप में जाना जाता है ।
बिटकॉइन (Bitcoin)
बिटकॉइन दुनिया की सबसे पहली विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी या कहें कि डिजिटल कॉइन है. इसे विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि दुनिया की कोई भी फाइनेंशियल रेग्युलेटरी अथॉरिटी इस पर नियंत्रण नहीं रखती है. ये पीयर-2-पीयर सॉफ्टवेयर और क्रिप्टोग्राफी पर काम करती है.
बिटकॉइन के क्रिएशन को करीब एक दशक बीत चुका है. इन 10 सालों में ये दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बन चुकी है. इस बिटकॉइन वास्तव में क्या है लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के लिए बिटकॉइन ब्लॉकचेन का इस्तेमाल किया जाता है.
प्रत्येक बिटकॉइन 10,00,00,000 सैटोशिस से बना होता है, ये बिटकॉइन की सबसे छोटी इकाई है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि 1 रुपये में 100 पैसे होते हैं. ये यूनिट्स एक बिटकॉइन को 8 डेसिमल प्लेस में विभाजित करने लायक बनाती हैं. इसलिए लोग एक बिटकॉइन को कई टुकड़ों में खरीद पाते हैं.
ये बात ध्यान रखने वाली है कि बिटकॉइन जैसा वास्तव में कोई सिक्का या नोट नहीं होता. इसे एक सार्वजनिक खाते में केवल बैलेंस रिकॉर्ड के तौर पर रखा जाता है. बिटकॉइन से जुड़े सभी लेनदेन को रजिस्टर करने में भारी मात्रा में कंप्यूटिंग पावर इस्तेमाल होती है. इसी प्रोसेस को ‘माइनिंग’ कहा जाता है.
जैसे पहले बताया गया है कि बिटकॉइन को दुनिया के किसी देश की सरकार या वित्तीय संस्था, बैंक इत्यादि जारी नहीं करते हैं. बल्कि दुनिया के कई देशों में इसे वैध मुद्रा तक नहीं माना जाता है. लेकिन एक बात है कि बिटकॉइन के लोकप्रिय होने के बाद से ही दुनिया में कई और क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की गईं.
बिटकॉइन जैसी करेंसी का भविष्य भारत में कब तय करेगी सरकार?
पिछले कुछ सालों से डिजिटल मुद्राओं की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है जिन्हें ब्लॉकचेन सॉफ़्टवेयर के ज़रिए इस्तेमाल किया जाता है. ये डिजिटल मुद्रा इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती हैं इसलिए उन्हें क्रिप्टोकरेंसी भी कहते हैं.
दुनिया भर में मुद्राओं को देश के केंद्रीय बैंक नियंत्रित करते हैं लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा नहीं है, इसका नियंत्रण इसकी ख़रीद-बिक्री करने वाले लोगों के हाथों में सामूहिक तौर पर होता है.
यही वजह है कि ज़्यादातर देशों की सरकारें या तो इन्हें ग़ैर-कानूनी मानती हैं या इन्हें किसी न किसी रूप में नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं.
भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों के विपरीत दक्षिण अमेरिका के देश अल सल्वाडोर ने अब इसके इस्तेमाल पर क़ानूनी मुहर लगा दी है.
हालांकि जब क़ानूनी तौर पर क्रिप्टोकरेंसी के कार्यान्वयन के लिए अल सल्वाडोर ने विश्व बैंक से तकनीकी मदद मांगी तब विश्व बैंक ने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे ले कर पारदर्शिता और पर्यावरण संबंधी चिंताएं हैं.
इधर दूसरी ओर, चीन ने मनी-लॉड्रिंग के इल्ज़ाम में अब तक क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े 1100 लोगों को गिरफ़्तार किया है.
चीन ने डिजिटल करेंसी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस क्षेत्र में कदम रखा है, हालाँकि क्रिप्टोकरेंसी पर सरकारों का नियंत्रण नहीं होता लेकिन चीन ने जो डिजिटल करेंसी शुरू की है उस पर पूरा सरकारी नियंत्रण है.
दरअसल, डिजिटल युआन परंपरागत युआन करेंसी की ही केवल डिजिटल शक्ल है. इसे चीन के कुछ शहरों में प्रयोग के तौर पर पिछले साल लांच किया गया था. अमेरिका भी डिजिटल डॉलर शुरू करने के बारे में विचार कर रहा है.
इमेज स्रोत, Getty Images
भारत और क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी के ख़रीद-बिक्री के लिए भारत में इस समय 19 क्रिप्टो एक्सचेंज मार्केट हैं जिनमें वज़ीरएक्स का नाम पिछले दिनों सुर्ख़ियों में था.
केंद्र सरकार के एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने वज़ीरएक्स के संस्थापक और निदेशक निश्चल शेट्टी को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 के क़ानून के तहत 2,971 करोड़ रुपये के क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन का हिसाब देने को कहा है.
ईडी ने वज़ीरएक्स पर अपने उपयोगकर्ताओं की 'नो योअर कस्टमर' (केवाईसी) यानी ग्राहक वेरिफ़िकेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ नहीं लेने का आरोप लगाया है. ईडी के अनुसार, वज़ीरएक्स का इस्तेमाल कुछ बिटकॉइन वास्तव में क्या है चीनी नागरिकों ने अपने वज़ीरएक्स वॉलेट में राशि जमा करके किया. वज़ीरएक्स के संस्थापक शेट्टी ने जवाब में तीन ट्वीट किए और इस इल्ज़ाम को नकारते हुए ईडी के साथ पूरा सहयोग का वादा किया.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अभी कोई सरकारी गाइडलाइन या नियम-कानून मौजूद नहीं हैं. यही वजह है कि वज़ीरएक्स जैसे मामलों में अभी सिर्फ़ केवाईसी के नियमों का पालन नहीं करने को लेकर नोटिस भेजा गया है.
भारत सरकार संसद के अगले सत्र में क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी के लिए एक बिल पेश कर सकती है. वर्चुअल करेंसी को रेगुलेट करने पर सरकार की एससी गर्ग समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसके अलावा सरकार के पास कई मंत्रालयों की एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट भी है.
जानकारों का कहना है कि एससी गर्ग समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में पाबंदी लगाने की सलाह दी है. लेकिन मार्च में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए थे कि वर्चुअल करेंसियों को केवल रेगुलेट किया जाएगा, उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा. सरकार इस समय दुविधा में नज़र आती है और इसका आख़िरी फैसला क्या है, इसका पता विधेयक के पेश किए जाने के बाद ही लगेगा.
- ये भी पढ़ें-बिल गेट्स, जेफ़ बेज़ोस, एलन मस्क समेत कई ट्विटर अकाउंट हुए हैक
- ये भी पढ़ें-चीन में ईमेल का चलन क्यों नहीं?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
देश और दुनिया की बड़ी ख़बरें और उनका विश्लेषण करता समसामयिक विषयों का कार्यक्रम.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
दुनिया में रुपए, डॉलर और यूरो जैसे नोटों की तरह पिछले 10-12 सालों में वर्चुअल दुनिया में कई मुद्राएँ सामने आई हैं और इनकी लोकप्रियता और संख्या दोनों तेज़ी से बढ़ती जा रही है. खास तौर पर युवा पीढ़ी में ये काफ़ी लोकप्रिय हैं.
मोटे तौर पर क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल या डिजिटल पैसा है जो टोकन या डिजिटल "सिक्कों" के रूप में होता है, क्रिप्टोकरेंसी को डिज़ाइन ही इस तरह किया गया है कि वह सरकारी नियमों और नियंत्रण से मुक्त रहे.
इस तरह की करेंसियों में सबसे चर्चित बिटकॉइन है, पिछले हफ़्ते एक बिटकॉइन की क़ीमत लगभग 30 लाख रुपए थी. दुनिया भर में दो करोड़ के क़रीब बिटकॉइन चलन में हैं जिनमें से दो हज़ार भारत में बताए जाते हैं.
इसकी क़ीमत में लगातार भारी उतार चढ़ाव दिख रहा है, कुछ जानकारों का कहना है कि यह अगले कुछ महीनों में इसकी वैल्यू 50 प्रतिशत गिर सकती है, तो कुछ दूसरे विशेषज्ञों का मानना है बिटकॉइन वास्तव में क्या है कि यह 30 लाख से बढ़कर 75 लाख तक हो सकता है.
इस तरह की इनक्रिप्टेड या कोडेड मुद्राओं की संख्या करीब चार हज़ार है लेकिन आम लोगों को सिर्फ़ बिटकॉइन का नाम पता है.
भारत में अभी आम लोगों को इसकी जानकारी बहुत कम है. दुनिया के कई देशों में भी हाल कुछ ऐसा ही है. अगर गूगल ट्रेंड्स पर नज़र डालें तो 'बिटकॉइन' टर्म सर्च करने वाले लोगों की तादाद तेज़ी से बढ़ती जा रही है यानी लोगों की दिलचस्पी इसमें बढ़ रही है.
- ये भी पढ़ें-क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारत में क्या योजना बन रही है?
क्रिप्टो और ब्लॉकचेन
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन नामक टेक्नोलॉजी पर आधारित है. प्रवीन विशेष सिंगापुर में एक बड़े हेज फंड के पोर्टफ़ोलियो मैनेजर हैं. उनका काम करेंसी व्यापार से जुड़ा है.
बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं, "ब्लॉकचेन भविष्य का टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म है. ये वो मंच है जिस पर क्रिप्टो मुद्राओं का लेन-देन होता है. ब्लॉकचेन जानकारी को रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है जिसमें जानकारी को बदलना या हैक करना लगभग असंभव है."
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में लियोनार्ड कुकोस क्रिप्टोकरेंसी के विकास के समर्थक और निवेशक हैं. इस काम में वो बहुत सक्रिय हैं. वो ब्लॉकचेन जैसी उभरती टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ भी हैं.
उन्होंने बीबीसी के सवालों के जवाब में कहा, "सरल शब्दों में, ब्लॉकचेन एक विशेष प्रकार का डेटाबेस है जिसे डिस्ट्रीब्यूटेड खाता कहा जाता है जो डिजिटल लेनदेन को रिकॉर्ड करता है ताकि इसे बदलना, हैक करना या फ्रॉड करना लगभग असंभव हो. यह विशेष है क्योंकि सभी लेन-देन कंप्यूटरों के विशाल नेटवर्क में एन्क्रिप्टेड, कॉपीड और ड्रिस्ट्रीब्यूटेड होते हैं."
वो आगे कहते हैं, "इन कंप्यूटरों को नोड कहा जाता है, और उनका मुख्य काम हर लेन-देन को मान्यता देना और दर्ज करना होता है. हर कोई एक नोड हो सकता है, फिर भी नेटवर्क पर किसी का पूरा नियंत्रण नहीं हो सकता है इसलिए ब्लॉकचैन एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली है".
क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन दोनों एक दूसरे से जुदा हैं लेकिन इनका अटूट रिश्ता भी है. जैसा कि लियोनार्ड कहते हैं, "ब्लॉकचेन एक पसरा हुआ बही-खाता है, जबकि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी उसी खाते के मुताबिक़ डिज़ाइन किए गए हैं. बिटकॉइन अपने ब्लॉकचेन के बिना मौजूद नहीं हो सकता, हालांकि ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी के अलावा दूसरी चीज़ों में भी होता है."
बिटकॉइन अकेली क्रिप्टोकरेंसी नहीं है, इथेरियम, टीथर, कार्डानो, पोल्काडॉट, रिपल और डोजकॉइन जैसी और भी कई क्रिप्टोकरेंसी भी चलन में हैं जिनमें हर साल अरबों डॉलर के लेन-देन होते हैं.
हालांकि क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ार में बिटकॉइन सबसे पहले आने वाली, सबसे महंगी और सबसे प्रचलित क्रिप्टोकरेंसी है. बिटकॉइन को 2009 में लांच किया गया था और आज इसका मार्केट कैप $732 अरब डॉलर है, यानी अकेले बिटकॉइन कई देशों के सकल घरेलू उत्पाद से ज़्यादा है.
इन दिनों एक बिटकॉइन की क़ीमत 30 लाख रुपए है. हाल में जब टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क ने घोषणा की कि उनकी कंपनी कारों के पेमेंट बिटकॉइन करेंसी में नहीं स्वीकार करेगी तो बिटकॉइन की क़ीमत 45 लाख रुपए से 25 लाख रुपये प्रति बिटकॉइन हो गयी. अब धीरे-धीरे इसका मूल्य एक बार फिर बढ़ रहा है.
बिटकॉइन (Bitcoin)
बिटकॉइन दुनिया की सबसे पहली विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी या कहें कि डिजिटल कॉइन है. इसे विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि दुनिया की कोई भी फाइनेंशियल रेग्युलेटरी अथॉरिटी इस पर नियंत्रण नहीं रखती है. ये पीयर-2-पीयर सॉफ्टवेयर और क्रिप्टोग्राफी पर काम करती है.
बिटकॉइन के क्रिएशन को करीब एक दशक बीत चुका है. इन 10 सालों में ये दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बन चुकी है. इस लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के लिए बिटकॉइन ब्लॉकचेन का इस्तेमाल किया जाता है.
प्रत्येक बिटकॉइन 10,00,00,000 सैटोशिस से बना होता है, ये बिटकॉइन की सबसे छोटी इकाई है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि 1 रुपये में 100 पैसे होते हैं. ये यूनिट्स एक बिटकॉइन को 8 डेसिमल प्लेस में विभाजित करने लायक बनाती हैं. इसलिए लोग एक बिटकॉइन को कई टुकड़ों में खरीद पाते हैं.
ये बात ध्यान रखने वाली है कि बिटकॉइन वास्तव में क्या है बिटकॉइन जैसा वास्तव में कोई सिक्का या नोट नहीं होता. इसे एक सार्वजनिक खाते में केवल बैलेंस रिकॉर्ड के तौर पर रखा जाता है. बिटकॉइन से जुड़े सभी लेनदेन को रजिस्टर करने में भारी मात्रा में कंप्यूटिंग पावर इस्तेमाल होती है. इसी प्रोसेस को ‘माइनिंग’ कहा जाता है.
जैसे पहले बताया गया है कि बिटकॉइन को दुनिया के किसी देश की सरकार या वित्तीय संस्था, बैंक इत्यादि जारी नहीं करते हैं. बल्कि दुनिया के कई देशों में इसे वैध मुद्रा तक नहीं माना जाता है. लेकिन एक बात है कि बिटकॉइन के लोकप्रिय होने के बाद से ही दुनिया में कई और क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की गईं.
अगला बिटकॉइन विभाजन – कब, क्या और कैसे? (The Next Bitcoin Halving – When, What, and How?)
रोचक तथ्य: 2008 में पहली बार ब्लॉकचेन के लाइव होने पर माइनिंग रिवॉर्ड 50 बिटकॉइन (BTC) था। 210,000 ब्लॉक जोड़े जाने तक भुगतान अपरिवर्तित रहा, जिसके बाद इसे आधा कर दिया गया (आधा बना दिया गया)। अगले 210, 000 ब्लॉक जोड़े जाने के बाद, प्रक्रिया दोहराई जाती है। इसे बिटकॉइन विभाजन के रूप में जाना जाता है ।
Bitcoin विभाजन हर चार साल में होने वाली सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है और बिटकॉइन इकोसिस्टम में शामिल सभी लोगों पर इसका प्रभाव पड़ता है। अब तक (2012, 2016 और 2020 में) तीन बिटकॉइन विभाजन हो चुका हैं, जिनमें से प्रत्येक की काफी चर्चा हुई। बिटकॉइन विभाजन समग्र सप्लाई को स्थिर रखने के लिए वर्चुअल करेंसी की प्रोग्रामिंग का एक हिस्सा है।
हालांकि, आइए इस बात पर ध्यान दें कि बिटकॉइन वास्तव में क्या है और यह कैसे काम करता है? इसके बारे में जानने के लिए, आपको सबसे पहले यह जानना होगा कि यह कैसे काम करता है। घबराएं मत; आप यहां बिटकॉइन के बारे में पढ़ सकते हैं।
Bitcoin विभाजन क्या है?
Bitcoin नेटवर्क हर दस मिनट में नए बिटकॉइन बनाता है। अस्तित्व में आने के पहले चार वर्षों तक हर 10 मिनट में जारी किए गए नए बिटकॉइन की बिटकॉइन वास्तव में क्या है संख्या 50 थी। यह संख्या हर चार साल में आधी हो जाती है। जब धन को आधा कर दिया जाता है, तो इसे “हाल्विंग” या “हल्वेनिंग” के तौर पर जाना जाता है।
2012 में बिटकॉइन वास्तव में क्या है हर 10 मिनट में जारी किए गए नए बिटकॉइन की संख्या 50 से गिरकर 2013 में 25 हो गई। यह 2016 में 25 से गिरकर 12.5 हो गई। इसके सबसे हाल में 11 मई 2020 को हुई हाल्विंग में रिवॉर्ड को 2016 में 12.5 से घटाकर 6.25 प्रति ब्लॉक कर दिया गया था।
2024 की हाल्विंग के बाद रिवॉर्ड को 6.25 BTC से घटाकर 3.125 BTC कर दिया जाएगा।
अगले BTC विभाजन में क्या हो सकता है?
अधिकांश निवेशकों का मानना है कि Bitcoin का मूल्य अभी और 2024 में इसके चौथे विभाजन के बीच तेजी से बढ़ेगा। यह इसके ऐतिहासिक प्रदर्शन और पहले 3 विभाजन के परिणामों पर आधारित है। इन दोनों ही मौकों पर Bitcoin की कीमत ने आसमान छूआ है।
2012 में शुरुआती विभाजन के एक साल के भीतर, बिटकॉइन की कीमत $12 से बढ़कर $1,150 से अधिक हो गई थी। 2016 में, दूसरे विभाजन में बिटकॉइन की कीमत $20,000 से अधिक हो गई और फिर गिरकर $3,200 हो गई। और 2020 में, बिटकॉइन की कीमत $8,787 से बढ़कर $54,276 हो गई, जो लगभग 517% की वृद्धि दर्शाती है।
यह ध्यान में रखते हुए कि हर 10 मिनट में नए Bitcoin की माइनिंग होती है, अगले विभाजन की संभावना 2024 की शुरुआत में होने की है, एक माइनर का भुगतान 3.125 BTC तक कम हो जाएगा। बिटकॉइन के निवेशकों और व्यापारियों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हाल्विंग-अक्सर कॉइन/टोकन के लिए महत्वपूर्ण अस्थिरता और अशांति का परिणाम होता है।
तथ्य यह है कि कोई भी सटीक रूप से भविष्यवाणी नहीं कर सकता है कि रुकने के बाद क्या होगा और आने वाले हफ्तों और महीनों में, भले ही पारंपरिक रूप से विभाजन की घटनाओं के परिणामस्वरूप काफी मूल्य परिवर्तन हुए हों।
Bitcoin की कीमतों बिटकॉइन वास्तव में क्या है पर विभाजन का प्रभाव
Bitcoin की कीमत 2009 में अपनी शुरुआत से अप्रैल 2021 तक धीरे-धीरे काफी बढ़ गई, जब इसका ट्रेड सेंट या डॉलर में होता था, जब एक बिटकॉइन की कीमत $ 63,000 से अधिक थी। इसमें जबरदस्त वृद्धि हुई है।
क्योंकि ब्लॉक रिवॉर्ड को आधा करने से माइनर (या बिटकॉइन उत्पादकों) की लागत प्रभावी रूप से दोगुनी हो जाती है, इसलिए मूल्य निर्धारण पर भी इसका लाभकारी प्रभाव होना आवश्यक है, क्योंकि माइनरों को व्यय होता है, और इसे कवर करने के लिए; वे अपने विक्रय मूल्य में वृद्धि करते हैं।
एम्पिरिकल रिसर्च के अनुसार, वास्तविक तौर पर होने से कई महीने पहले, बिटकॉइन की कीमतें विभाजन की संभावना में ऊपर चढ़ जाती हैं।
मुख्य बात
बिटकॉइन विभाजन आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी के नेटवर्क में मूल्य मुद्रास्फीति का कारण बनता है और उस गति को कम कर देता है जिस पर नए बिटकॉइन प्रसार में आधे से जारी होते हैं। रिवॉर्ड स्कीम 2140 तक चलने का इरादा है, जब बिटकॉइन को 21 मिलियन की निर्दिष्ट सीमा हासिल हो जाती है। उसके बाद, माइनरों को शुल्क के साथ ट्रांजैक्शन को संसाधित करने के लिए मुआवजा दिया जाएगा। जबकि कीमत में उतार-चढ़ाव की उम्मीद है, कुछ व्यक्तिगत माइनर और छोटी कंपनियां भी माइनिंग परिवेश से बाहर हो सकती हैं या बड़ी संस्थाओं द्वारा कब्जा किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप माइनरों के लिए रैंकिंग की एकाग्रता होती है। तो चलिए इंतजार करते हैं और देखते हैं कि आगे क्या होता है।
अस्वीकरण: क्रिप्टोकुरेंसी कानूनी निविदा नहीं है और वर्तमान में अनियमित है। कृपया सुनिश्चित करें कि आप क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करते समय पर्याप्त जोखिम मूल्यांकन करते हैं क्योंकि वे अक्सर उच्च मूल्य अस्थिरता के अधीन होते हैं। इस खंड में दी गई जानकारी किसी निवेश सलाह या वज़ीरएक्स की आधिकारिक स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। वज़ीरएक्स अपने विवेकाधिकार में इस ब्लॉग पोस्ट को किसी भी समय और बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी कारण से संशोधित करने या बदलने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
CryptoCurrency: बिटकॉइन के भाव चढ़ेंगे या गिरेंगे, यह कौन डिसाइड करता है
पिछले 14 अप्रैल को $64,863 का all-time हाई छूने के बाद अब बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमत करीब आधी रह गई है। इसका मतलब यह भी है कि फरवरी से जिन निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी में (CryptoCurrency) निवेश किया है, वह सभी नुकसान उठा रहे हैं।
हाइलाइट्स
- बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों के लिए पिछला दो हफ्ता बहुत खराब बीता है।
- पिछले 14 अप्रैल को बिटकॉइन ने $64,863 का all-time हाई छू लिया था।
- अब बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमत करीब आधी रह गई है।
नई दिल्ली
पिछले कुछ समय से क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) के भाव में काफी उतार-चढ़ाव दर्ज किया जा रहा है। अगर पिछले 2 हफ्ते की बात करें तो बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों के लिए यह समय बहुत खराब बीता है। क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) के निवेशकों को यह समझ नहीं आ रहा कि क्या यह बिटकॉइन (Bitcoin) में कमजोरी के ट्रेंड की शुरुआत है या किसी और वजह से इसके भाव में उतार-चढ़ाव दर्ज किया जा रहा है। पिछले 14 अप्रैल को $64,863 का all-time हाई छूने के बाद अब बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमत करीब आधी रह गई है। इसका मतलब यह भी है कि फरवरी से जिन निवेशकों बिटकॉइन वास्तव में क्या है ने क्रिप्टोकरेंसी में (CryptoCurrency) निवेश किया है, वह सभी नुकसान उठा रहे हैं।
आधी हो गई थी कीमत
चीन की तरफ से मिली धमकी के बाद दुनिया की सबसे मशहूर क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) बिटकॉइन (Bitcoin) का भाव $30,000 के करीब पहुंच गया। इसके बाद से यह आशंका जताई जाने लगी है कि भारी बिकवाली की वजह से बिटकॉइन अब अपना निचला लेवल तलाशने में जुटा हुआ है। मई के दूसरे पखवाड़े में बिटकॉइन (Bitcoin) में भारी बिकवाली वास्तव में चीन के नियामक की कार्यवाही की वजह से दर्ज हुई। चीन के नियामक ने क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) की डीलिंग और माइनिंग पर कार्रवाई करने की धमकी दी थी। इसकी वजह से छोटी अवधि के लिए बिटकॉइन (Bitcoin) में निवेश करने वाले लोगों ने अपना निवेश भुनाने में ही भलाई समझी।
एक दिन में मची तबाही
Bybt.com के अनुसार 20 मई को ही 8,87,000 ट्रेडिंग अकाउंट बंद किए गए। इस वजह से निवेशकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इस समय बिटकॉइन (Bitcoin) की सप्लाई का करीब 26 फ़ीसदी शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स के पास है जो इसका भाव क्रैश होने के बाद छुपे हुए हैं।
होल्ड करने वाले हैं निश्चिन्त
दिलचस्प तथ्य यह है कि बिटकॉइन में 155 दिन से अधिक समय के लिए निवेश करने वाले लंबी अवधि के निवेशक पिछले 2 हफ्ते में इसके भाव में आई कमजोरी से बिल्कुल भी परेशान नहीं है। छोटी अवधि के क्रिप्टो करेंसी (CryptoCurrency) निवेशक वास्तव में अपना निवेश भुनाने के लिए उतावले हो गए थे। इससे यह समझ आता है कि $30,000 से कम कीमत पर बिटकॉइन (Bitcoin) खरीदने वाले निवेशकों ने अच्छे वॉल्यूम में क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) होल्ड कर लिया। अगर यह ट्रेंड कंटिन्यू रहता है तो बिटकॉइन (Bitcoin) में आने वाले दिनों में आपूर्ति की दिक्कत हो सकती है। इस वजह से Bitcoin के भाव में दोबारा तेजी दर्ज की जा सकती है।
भरोसा बढ़ाने की कवायद
जिस वक्त बिटकॉइन (Bitcoin) के भाव में कमजोरी दर्ज की जा रही थी, उस समय इसकी माइनिंग करने वाले लोगों ने भी बिटकॉइन (Bitcoin) जोड़ना शुरु कर दिया। बिटकॉइन (Bitcoin) के भाव में तेज गिरावट के बाद दो प्रमुख खिलाड़ियों के अकाउंट में काफी बिटकॉइन (Bitcoin) जमा हो गए। इससे निवेशकों में बिटकॉइन (Bitcoin) को लेकर भरोसा बढ़ा है।