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किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना

किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना

5paisa से समझें इंडेक्स कैसे कराएंगे शेयर बाजार में कमाई, समझ जाएंगे कहां जा रहा स्टॉक मार्केट

बाजार में कई इंडेक्स मौजूद हैं जो निवेशकों को निवेश के बेहतर फैसले लेने में मदद करते हैं। 5paisa शेयर बाजार के सभी सेक्टर और इंडेक्स से जुड़ी जानकारियां देने के अलावा बेहद आसान तरीके से इंडेक्स की चाल को समझने में मदद करता है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या फिर करना चाहते हैं तो आपको एक बात हर हाल में पता होगी कि शेयर बाजार का गिरना या उसका चढ़ना ही तय करता है कि आपको बाजार में कमाई होगी या नुकसान होगा। अब सवाल उठता है कि किसी निवेशक या आम आदमी को कैसे पता चलता है कि किसी दिन शेयर बाजार गिरा है या चढ़ा है। इसी सवाल का आसान जवाब देने के लिए शेयर बाजार ने सेंसेक्स और निफ्टी की शुरुआत हुई थी जो कि अब भारतीय शेयर बाजार का चेहरा बन गए हैं। बाजार पर हल्की नजर रखने वाले भी जानते हैं कि जब सेंसेक्स और निफ्टी गिरते हैं तो माना जाता है कि भारत का शेयर बाजार गिरा है, वहीं ये इंडेक्स अगर बढ़ते हैं तो माना जाता है कि घरेलू बाजार बढ़ रहा है। हालांकि इंडेक्स की दुनिया इतनी आसान और छोटी नहीं है। सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा बाजार में कई इंडेक्स मौजूद हैं जो न केवल बाजार के कई अलग अलग हिस्सों के प्रदर्शन की जानकारी देते हैं। साथ ही निवेशकों को निवेश के बेहतर फैसले लेने में मदद भी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी चाहते हैं कि बाजार से आप ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें तो आपके लिए ये जानना जरूरी होगा आखिर ये इंडेक्स होते क्या हैं।

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क्या होते हैं इंडेक्स

शेयर बाजार अपने तेजी से लिए जाने वाले फैसलों के लिए जाना जाता है। किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना हालांकि फैसले लेने के लिए आपको पता होना चाहिए कि शेयर बाजार की दिशा क्या है। सभी जानते हैं कि किसी की भी दिशा जानने के लिए भले ही वो शेयर बाजार क्यों न हो आपके पास कम से कम दो रिफ्रेंस प्वाइंट होने जरूरी हैं। क्योंकि इसी से आप दोनों प्वाइंट की तुलना कर कोई निष्कर्ष निकाल सकते हैं। इसी नियम को देखते हुए शेयर बाजार में इंडेक्स की शुरुआत की गई है। ये इंडेक्स इस आधार पर डिजाइन किये गए हैं कि वो शेयर बाजार के अधिकांश हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हों और कई स्टॉक के प्रदर्शन के असर को किसी खास वक्त के लिए एक रिफ्रेंस प्वाइंट के रूप में दर्शा सकते हों। इसका फायदा ये है कि सूचकांक के पिछले रिफ्रेंस प्वाइंट्स की आपस में तुलना कर बाजार में निवेशक जान सकते हैं कि इस इंडेक्स में शामिल कंपनियों का कुल प्रदर्शन पहले से बेहतर हुआ या नीचे गिरा है। निवेशक ऐसे ही कई प्वाइंट की मदद से बाजार की चाल का अंदाजा भी लगाते हैं। यानि इंडेक्स बाजार में किसी एक खासियत के आधार पर चुनी गई कंपनियों का समूह होता है जिसका किसी खास वक्त पर मूल्य उन कंपनियों के उसी वक्त पर स्टॉक के प्रदर्शन के आधार पर तय होता है।

कितनी तरह के होते हैं इंडेक्स

शेयर बाजार में हजारों कंपनियां लिस्टेड हैं, ये कंपनियां बाजार मूल्य के हिसाब से अलग अलग साइज और सेक्टर से आती है। शेयर बाजार के हर हिस्से की सही तस्वीर पाने के लिए अलग अलग साइज और सेक्टर के किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना हिसाब से इंडेक्स बनाए गए हैं। आम तौर पर तीन तरह दो तरह के इंडेक्स होते हैं। पहला इंडेक्स कंपनियों के बाजार मूल्य के हिसाब से बनाया जाता है। इसमें सभी सेक्टर की कंपनियों को शामिल किया जाता है। इसमें सेंसेक्स निफ्टी, निफ्टी नेकस्ट 50, लार्ज कैप, स्मॉल कैप और मिड कैप इंडेक्स आते हैं। वहीं दूसरे इंडेक्स सेक्टर पर आधारित होते हैं। जैसे बैंकिंग सेक्टर इंडेक्स, आईटी सेक्टर इंडेक्स, फार्मा सेक्टर इंडेक्स, रियल्टी सेक्टर इंडेक्स आदि।

क्या होते हैं सेंसेक्स और निफ्टी

Sensex और Nifty शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स हैं। दरअसल भारत के बाजार की चाल इन दो Index से पता चलती है। सेंसेक्स में देश की सबसे बड़ी 30 कंपनियों और निफ्टी में 50 कंपनियों को शामिल किया गया है। ये कंपनियां लगभग सभी प्रमुख sector का प्रतिनिधित्व करती हैं और घरेलू बाजार में कुल कारोबार का अधिकांश हिस्सा इन कंपनियों में होता है। यानि इन कंपनियों का प्रदर्शन तय करता है कि किसी खास दिन पूरे बाजार की चाल क्या होगी।

क्यों जरूरी है इंडेक्स को समझना

Index को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे किसी खास समय पूरे बाजार या किसी खास सेक्टर की दिशा का पता चलता है। वहीं दूसरी तरफ म्युचुअल फंड मैनेजर इन इंडेक्स को बेंचमार्क रखकर रणनीति बनाते हैं। जैसे आईटी सेक्टर पर आधारित म्युचुअल फंड स्कीम आईटी सेक्टर के रिटर्न से ज्यादा रिटर्न पाने की कोशिश करती है। इंडेक्स और स्कीम के प्रदर्शन की तुलना से निवेशक पता कर सकते हैं कि किस स्कीम में निवेशकों को रिटर्न बाजार के रिटर्न से भी ज्यादा मिला है। 5paisa आपको शेयर बाजार के सभी सेक्टर और इंडेक्स से जुड़ी ताजा जानकारियां देता है और बेहद आसान तरीके से इंडेक्स की चाल को समझने में मदद करता है। जिससे आप बाजार में निवेश को लेकर बेहतर फैसला ले सकते हैं।

किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना

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7 रुपये का शेयर 2 साल में 800 रुपये का, क्या पेनी स्टॉक में लगाना चाहिए पैसा?

करीब 600 पेनी स्टॉक में से पिछले चार महीने में में कम से कम 166 मल्टीबैगर्स (अपने दाम से कई गुना रिटर्न देने वाले) हो चुके हैं, और इसी दौरान बिड़ला टायर्स में 1,443 फीसदी की जबरदस्त बढ़त हुई है.

पेनी स्टॉक में कई गुना रिटर्न मिलता है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2020,
  • (अपडेटेड 20 जुलाई 2020, 9:14 AM IST)

पेनी शेयरों में एक बार फिर तेजी का रुख है. पेनी शेयर अपने जबरदस्त रिटर्न की वजह से आकर्षित करते हैं. ऐसा ही एक शेयर दो साल पहले 7 रुपये का था, लेकिन अब 800 रुपये का हो चुका है. लेकिन क्या आपको इनके आकर्षण में फंसना चाहिए? क्या हैं फायदे और जोखिम? आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं

क्या होते हैं पेनी स्टॉक

आप यदि शेयर मार्केट में निवेश करने वाले गंभीर निवेशक हैं तो ऐसे पेनी स्टॉक की तलाश में जरूर रहते होंगे जो आपको बेहतर रिटर्न दिला सकें. ऐसे शेयर जिनकी कीमत 10 रुपये से भी कम होती है किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना उन्हें पेनी स्टॉक कहते हैं. 24 मार्च को निफ्टी इस साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. उस दिन से अब तक देखें तो पेनी स्टॉक की संख्या में 479 किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना की गिरावट गई है. इसकी वजह यह है कि इन शेयरों में 1400 फीसदी की तेजी आई है. इस दौरान 166 पेनी शेयर मल्टीबैगर यानी अपने दाम से कई गुना रिटर्न देने वाले बन गए हैं. इस दौरान बिड़ला टायर्स शेयर के दाम में 1443 फीसदी की जबरदस्त उछाल आई है.

दिल्ली के वरिष्ठ ट्रेडर विवेक भाउका कहते हैं, 'मुझे पिछले कुछ महीनों में करीब 20 ऐसे व्हाट्सऐप ग्रुप में जोड़ दिया गया है जो कि पूरी तरह से पेनी शेयरों के बारे में टिप्स देने के लिए बनाए गए हैं. ये लोग शेयर बाजार की बुनियादी समझ भी नहीं रखते. इसलिए मुझे चिंता होती है.'

किसे करना चाहिए निवेश

पेनी स्टॉक में सिर्फ उन लोगों को निवेश करना चाहिए जो सबसे पहले तो यह समझते हों कि किसी कंपनी के बुनियादी आंकड़े कितने मजबूत हैं. मसलन कंपनी का कारोबार कैसा है, उसकी टॉपलाइन और बॉटमलाइन यानी बिक्री और मुनाफा कैसा है, वह जिस सेक्टर में है उसमें कारोबार कैसा चल रहा है आदि. और दूसरे वे यह पैटर्न अच्छी तरह समझते हों कि इन शेयरों में पैसा किस तरह से बन रहा है. यह पैटर्न कीमत में उतार-चढ़ाव, शेयरों की खरीद-फरोख्त की मात्रा या कंपनी के नाम या प्रबंधन में बदलाव आदि हो सकता है.

भाउका एक कंपनी Vikas Proppant का उदाहरण देते हैं. वे कहते हैं, 'मैंने यह शेयर 1.5-2 रुपये में खरीदा था. मैंने यह पैटर्न देखा कि कंपनी के शेयर में हर महीने नया अपर सर्किट लग रहा है. कंपनी जब भी कोेई नया ऐलान करती उसमें अपर सर्किट लग जाता. तो तीन महीने में ही यह शेयर 2 रुपये से 15 रुपये पर पहुंच गया. तो मैंने सिर्फ पैटर्न देखकर निवेश जारी रखा.'

इसी तरह इंडिया बुल्स रियल एस्टेट से अलग होने के बाद जब इंडिया बुल्स इंटीग्रेटेड लिस्ट हुआ तो लिस्टिंग के पहले दिन ही इसके 5 करोड़ शेयरों में से 2 करोड़ शेयरों की खरीद-फरोख्त हुई. भाउका ने कहा, 'यह सौदा 5 रुपये में हुआ तो मैंने यह शेयर 7 रुपये में खरीद लिया और 5 रुपये का स्टॉप लॉस लगा दिया. कुछ ही दिनों में यह शेयर 30 रुपये पर पहुंच गया और अगले दो साल में ही इस शेयर के दाम 800 रुपये पर पहुंच गए.'

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क्या है जोखिम? क्या होनी चाहिए सावधानी?

तेजी से अमीर बनने की लालसा निवेशकों को इन शेयरों के प्रति आकर्षित करती है. लेकिन वे यह नहीं समझते कि ऐसे पेनी शेयरों में हेरफेर करना आसान होता है, क्योंकि एक तो इनकी खरीद-फरोख्त बहुत कम होती है, दूसरे इनका बड़ा हिस्सा कुछ निवेशकों या प्रमोटर्स के हाथ में होता है.

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व चेयरमैन और रवि राजन ऐंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर एस. रवि कहते हैं, 'यह बात सच है कि पेनी स्टॉक में हेरफेर होता है और बहुत से निवेशक इनके चक्कर में फंस जाते हैं. छोटे निवेशकों को बहुत सोच-समझकर किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना इनमें निवेश करना चाहिए.'

पिछले दो दशकों में एक हजार से ज्यादा लिस्टेड कंपनियां शेयर बाजार से गायब हो चुकी हैं. इनका बड़ा हिस्सा पेनी स्टॉक का ही है. तो इस बात की आशंका बनी रहती है कि आप जिस स्टॉक में निवेश कर रहे हैं वह शेयर बाजार से ही गायब हो जाए. तो आपने अगर पेनी स्टॉक में निवेश तय ही कर लिया है तो आपको इससे बाहर निकलने की रणनीति पहले से ही बनाकर रखनी चाहिए कि इससे कब बाहर निकलना है. सिर्फ मुनाफे ही नहीं नुकसान के लिए भी तैयार रहें और एक कठोर स्टॉपलॉस लगाएं.

भाउका कहते हैं, 'पेनी स्टॉक के मामले में आपको निर्दयी बनना होगा. जब भी आपको इसमें नुकसान होने लगे तो आपको बाहर निकल जाना चाहिए, क्योंकि इसके बाद आपको नहीं पता कि क्या होगा.

कैसे चुनें मल्टीबैगर शेयर

आप यदि एक गंभीर निवेशक हैं और अटकलों पर भरोसा करने की जगह वास्तव में कोई अच्छा पेनी स्टॉक चुनना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. भाउका कहते है, 'उन पेनी शेयरोंं पर नजर रखें जो लगातार 52 हफ्ते की ऊंचाई को छूते रहे हों. लगातार कई बार नई ऊंचाई को छुए बिना कोई भी शेयर मल्टीबैगर नहीं बन सकता. इस सूची को बनाने के बाद आप उनके फंडामेंटल्स यानी बुनियादी आंकड़े देखें.'

StockEdge के को-फाउंडर विवेक बजाज कहते हैं, अवंती फूड्स शेयर साल 2010 में 2 रुपये का था और अब यह करीब 480 रुपये का हो गया है और इस कंपनी का मार्केट कैप 6500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. ऐसे शेयर में मैनेजमेंट क्वालिटी, उनका विजन, सही सेक्टर में है या नहीं और कंपनी के कारोबार का विशिष्ट moat क्या है (यानी प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अपने प्रॉफिट को बनाए रखने की उसकी क्षमता कैसी है) यह बात ध्यान में रखनी चाहिए.

तो आप अगर मौजूदा बाजार में सही पेनी शेयर चुनना चाहते हैं तो बजाज के मुताबिक एनबीएफसी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स, टेलीकॉम, कैपिटल गुड्स, ऑटोमोबाइल्स टूव्हीलर्स जैसे सेक्टर पर भरोसा कर सकते हैं. इन सेक्टर से ऐसे शेयर चुनें जो कई बार 52 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंचे हों और फिर उनमें भी ऐसे शेयरों पर दांव लगांए जिनके बुनियादी आंकड़े मजबूत हों यानी जिनकी आय अच्छी हो, कंपनी मुनाफे में और उसमें प्रमोटर्स की अच्छी हिस्सेदारी हो. उन शेयरों का नजरअंदाज करें जिनमें कंपनी पर भारी कर्ज है और प्रमोटर्स ने बड़े पैमाने पर शेयर गिरवी रखे हों.

इस बात का ध्यान रखें कि शेयर बाजार काफी हद तक एक बड़े जुए के खेल की तरह ही है. कई बार लोगों को बहुत सी चीजों की जानकारी नहीं हो पाती. तो आपके अंदर जोखिम लेने की क्षमता और अनुभव हो तो ही ऐसे शेयरों पर दांव लगाएं. आपके पोर्टफोलियो में ऐसे शेयरों का 5 से 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं होना चाहिए.

Investment Tips: आईटी सेक्टोरल फंड्स ने दिया औसतन 30% का रिटर्न, एक्सपर्ट ने आपके लिए इन दो फंड्स को चुना

Investment Tips: फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि सेक्टोरल फंड के लिए सही टाइम पर एंट्री और एग्जिट जरूरी है. टेक्नोलॉजी सेक्टर ने तीन साल में औसतन 30 फीसदी का रिटर्न दिया है. एक्सपर्ट ने दो फंड का सजेशन दिया है.

Investment Tips: अगर आप म्यूचअल फंड के निवेशक हैं और अग्रेसिव रिटर्न चाहते हैं तो सेक्टोरल फंड स्कीम्स एक शानदार विकल्प है. इस फंड का पैसा एक ही सेक्टर की अलग-अलग कंपनियों में निवेश किया जाता है. उदाहरण के तौर पर टेक्नोलॉजी, बैंकिंग, फार्मा, नैचुरल रिसोर्स जैसे सेक्टर्स की अलग-अलग कंपनियों में आपका पैसा निवेश किया जाता है. जी बिजनेस के खास कार्यक्रम मनी गुरु में बात करते हुए क्रेडेन्स वेल्थ एडवायजर्स के सीईओ और फाउंडर कीर्तन शाह ने कहा कि अगर कोई सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तो इसमें निवेश किया जा सकता है.

कम से कम 80 फीसदी खास सेक्टर में निवेश किया जाता है

सेक्टोरल निवेश के तहत 80% निवेश किसी एक सेक्टर में जरूरी रहता है. बाकी 20% डेट या हाइब्रिड सिक्योरिटी में निवेश किया जाता है. पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए सेक्टोरल निवेश अच्छा तरीका है. हालांकि, इसमें रिस्क ज्यादा होता है. ऐसे में पहले कोर पोर्टफोलियो तैयार करें फिर सेक्टर निवेश की तरफ ध्यान दें. अपने कोर पोर्टफोलियो में लार्ज, मिड और स्मॉल कैप शामिल कर सकते हैं. सेक्टोरल फंड के लिए सही समय पर एंट्री और सही समय पर एग्जिट जरूरी होता है.

IT सेक्टोरल फंड का औसत रिटर्न शानदार

कीर्तन शाह ने कहा कि IT Sector का प्रदर्शन तीन साल में औसतन 30 फीसदी, पांच साल में 25 फीसदी और 7 साल में 17 फीदी का रहा है. उन्होंने कहा कि अगर कोई निवेशक टेक्नोलॉजी सेक्टोरल फंड में किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना निवेश करना चाहता है तो उनकी पसंद Tata Digital और ABSL Digital India है.

Tata Digital India Fund का रिटर्न

Tata Digital India Fund एक आईटी सेक्टोरल फंड है जिसने तीन साल में औसतन 30 फीसदी का रिटर्न दिया है. NAV करीब 36 रुपए का है, जबकि फंड साइज 5888 करोड़ का है. तीन साल पहले अगर किसी ने 5000 रुपए की एसआईपी शुरू की होती तो उसका नेट रिटर्न 2.56 लाख रुपए होता. निवेश की कुल राशि 1.8 लाख रुपए होती, जिसपर 42 फीसदी का रिटर्न मिलता.

ABSL Digital India का रिटर्न

ABSL Digital India यानी आदित्य बिड़ला सन लाइफ डिजिटल इंडिया फंड ने तीन साल में औसतन 31 फीसदी का रिटर्न दिया है. पांच साल का औसत रिटर्न 26 फीसदी के करीब है. इस फंड के लिए NAV 128 रुपए का है और फंड साइज 3035 करोड़ का है. अगर तीन साल पहले कोई 5000 रुपए की एसआई शुरू करता तो उसे कुल 2.53 लाख रुपए मिलते. निवेश की कुल राशि 1.8 लाख होती जिसपर उसे 41 फीसदी का नेट रिटर्न मिलता.

(डिस्‍क्‍लेमर: म्‍यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें)

एक्सपर्ट की सलाह: शेयर बाजार या किसी भी इंस्ट्रूमेंट में अच्छे रिटर्न के लिए निवेश के पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई जरूर करें

याद रखें कभी भी एक ही सेक्टर में निवेश न करें। यह आपके जोखिम को तेजी से बढ़ाता है - Dainik Bhaskar

पोर्टफोलियो में विविधता (डाइवर्सिफिकेशन) ट्रेडिंग के क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध विषयों में से एक है। हालांकि, यह सबसे अधिक उपेक्षित भी है, खासकर नए निवेशकों द्वारा। फिर भी अनुभवी निवेशक अपने पोर्टफोलियो को अच्छी तरह से संतुलित रखते हैं। दुनियाभर के विभिन्न बाजारों में समान संपत्ति निवेश में भी विविधता का पालन होता है। ऐसा करने से उनके समग्र रिटर्न में सुधार के साथ-साथ उससे जुड़े जोखिम भी कम होते हैं।

पोर्टफोलियो में विविधता का पालन क्यों जरूरी है?

एंजल ब्रोकिंग के मुख्य सेल्स अधिकारी संदीप भारद्वाज कहते हैं कि न तो बाजार और न ही इसके अलग-अलग क्षेत्रों में एक-सी प्रतिक्रिया होती है। इस वजह से जब आप किसी विशेष सेगमेंट या बड़े स्तर पर बाजार में कोई घटना देख रहे हों, तो किसी क्षेत्र में ज्यादा रुझान दिखता है तो किसी में कम दिखता है। कभी-कभी इसका उलटा भी हो सकता है। उदाहरण के लिए बाजार की मौजूदा स्थिति पर विचार करें।

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव में होती है मदद

वे कहते हैं कि शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव है और पिछले दो महीनों में सभी शेयर्स ने करीब 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। दूसरी ओर, फार्मा और हेल्थकेयर क्षेत्रों ने इसी समय में वृद्धि दर्ज की है। एफएमसीजी सेक्टर भी अच्छा खासा बढ़ा है। ऐसे में एक बुद्धिमान निवेशक के रूप में आपको बाज़ार के उतार-चढ़ाव की स्थिति में नुकसान कम करने के लिए पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। ऐसे में जब रुझान आपके पक्ष में होगा तो आपका रिटर्न भी कई गुना बढ़ चुका होगा।

आपको निवेश कैसे करना चाहिए?

शुरुआत में यह अच्छे से समझ लीजिए कि पोर्टफोलियो बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। हालांकि, इस पर लागू होने वाले फैक्टर आपको पता होना चाहिए। अलग-अलग उद्योगों, वर्टिकल्स व अन्य प्रासंगिक डायनॉमिक्स जैसे रेगुलेटर स्ट्रक्चर, कंपनी प्रबंधन सप्लाई-डिमांड आदि सभी फैक्टर्स को मिलाकर आसानी से बाजार को समझा जा सकता है। आपकी समझ जितनी ज्यादा होगी, आपका मूल्यांकन उतना ही सटीक होगा।

पोर्टफोलियो में विविधता कैसे लानी चाहिए?

पोर्टफोलियो में विविधता पूरी तरह से आपकी व्यक्तिगत निवेश रणनीति पर निर्भर करती है। सेक्टर्स, बाजार पूंजीकरण (लार्ज कैप / मिड कैप / स्माल कैप), या निवेश साधन के संदर्भ में विविधता लाई जा सकती है। विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो को अच्छा तब कहेंगे जब उसमें सिक्योरिटीज (विभिन्न क्षेत्रों और कंपनी के आकारों से संबंधित) और कमोडिटी (बुलियन और बेस मेटल्स सहित) एवं करेंसी शामिल हो। उदाहरण के लिए भारत में लॉकडाउन 31 मई, 2020 को समाप्त होने वाला है।

एक अच्छे निवेशक के रूप में, आपको हमेशा दूसरे विकल्प पर भी विचार करना चाहिए और अपने पोर्टफोलियो को उसके अनुसार संतुलित करना चाहिए।

लक्ष्य बनाएं और नुकसान को बचाएं

इसमें दिमाग लगाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए लेकिन संबंधित लक्ष्य तय करना और नुकसान को रोकना हमेशा याद रखें। इसमें कोई भी फैसला भावनाओं में आकर न लें। इससे आपको अपने निवेश के साथ लंबा रास्ता तय करने में मदद मिलेगी। आपके अनूठे निवेश पैटर्न और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर विविधीकरण पूरी तरह से आपको तय करना है। याद रखें कभी भी एक ही सेक्टर में निवेश न करें। यह आपके जोखिम को तेजी से बढ़ाता है।

एक निवेशक होने के नाते आपके पास बाजार और अपने प्रमुख शेयरों या संपत्तियों के बारे में जितनी ज्यादा जानकारी होगी, उतना बेहतर होगा। आखिर, ज्ञान और सही नजर ही बाजार में सच्चे गेम-चेंजर हैं।

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