अस्थिरता के दो प्रकार हैं

नरेश कुमार
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बारिश के दौरान क्यों ठप हो जाता है इंटरनेट?
जैसे ही मानसून का महीना शुरू होता है, वैसे ही बारिश के कारण इंटरनेट कनेक्शन अस्थिर हो जाते हैं और सेल फोन नेटवर्क बिगड़ जाते हैं। इतना ही नहीं, सेट टॉप बॉक्स भी सिग्नल रिसीव नहीं कर पाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? यह समझने के लिए हमें सबसे पहले विद्युत बल की मूलभूत प्रकृति को समझना होगा।
संचार में इलेक्ट्रॉन्स की भूमिका
वैसे तो प्रकृति तीन खंडों का प्रयोग कर सभी पदार्थ बनाती है - दो प्रकार के क्वार्क और एक इलेक्ट्रॉन। लेकिन हम केवल इलेक्ट्रॉन पर चर्चा करेंगे।
सभी पदार्थों में भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉन होते हैं। अन्य खंडों की तरह, इलेक्ट्रॉन्स में द्रव्यमान नामक एक गुण होता है,जो इंगित करता है कि गुरुत्वाकर्षण बल कितनी मजबूती से उन पर कार्य करता है, और इसलिए सीधे उनके वजन से संबंधित है।
इलेक्ट्रॉन्स का एक अन्य गुण जिसे विद्युत आवेश कहा जाता है वो ये इंगित करता है कि विद्युत बल उन पर कितनी प्रबलता से कार्य करता है। इलेक्ट्रॉन्स का आवेश उन अन्य वस्तुओं पर लागू होने वाले विद्युत बल की शक्ति को तय करता है, जिनके पास चार्ज है। यह बल, गुरुत्वाकर्षण बल की तरह, दूरी पर कार्य करता है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि लंबी दूरी तक अलग किए गए दो इलेक्ट्रॉन बिना संपर्क बनाए विद्युत बलों को लागू करते हैं। चूंकि एक इलेक्ट्रॉन चार्ज होता है, इसलिए इसके चारों ओर का स्थान एक विद्युत क्षेत्र से भर जाता है।
ऑप्टिकल फाइबर और बारिश
तरंगों को परिवहन करने के दो प्राथमिक तरीके हैं - पहला ऑप्टिकल फाइबर द्वारा और दूसरा सेलुलर टॉवर (सैटेलाइट के माध्यम से)। ऑप्टिकल फाइबर लंबे और मनुष्य के बालों से भी पतले कांच के छड़ होते हैं। टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन के कारण रॉड में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग कैद हो जाती है। इन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की वजह से ही हम एक कोने से दुनिया के दूसरे कोने तक संचार कर पाते हैं।
भारत में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की शुरुआत VSNL ने की थी और वर्तमान में इसका स्वामित्व और विकास टाटा कम्युनिकेशंस द्वारा किया जाता है। सभी इंटरनेट सेवा प्रदाता किसी तरह से इस 'टियर 1' नेटवर्क से जुड़कर आप तक इसे पहुंचाते हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि माध्यमिक कनेक्शन में कई विद्युत घटक शामिल हैं और ऐसा जरूरी नहीं की ये भी ऑप्टिकल ही हों। विद्युत घटकों की आवश्यकता पूरे ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क द्वारा डिजिटल संचार को चालू और बंद करने में होती है।
बारिश में सेल फोन
जब आपका सेल फोन इंटरनेट से जुड़ा होता है, तो विद्युत चुम्बकीय तरंगें आपके डिवाइस से हवा के माध्यम से एक सेल टॉवर तक जाती हैं। आप इसे एक विशाल एंटीना के रूप में सोच सकते हैं। इस एंटीना में इलेक्ट्रॉन ऊपर और नीचे उछलते हैं। जब वे ऐसा करते हैं, तो वे अपनी विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उत्पादन करते हैं, जो आपके सेवा प्रदाता द्वारा प्रबंधित एक केंद्रीय स्थान तक जाते हैं। इस स्थान पर तरंगों को किसी तरह से 'संसाधित' किया जाता है, और या तो ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (इंटरनेट) या किसी अन्य फोन (फोन कॉल, पाठ संदेश, आदि) के लिए भेजा जाता है।
विभिन्न प्रकार के प्रसंस्करण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपके फोन द्वारा और उससे प्राप्त रेडियो तरंगें लगभग एक मीटर लंबी होती हैं। इसके विपरीत, फाइबर नेटवर्क के माध्यम से यात्रा करने वाली अवरक्त तरंगों की लंबाई लगभग एक मिलियन मीटर होती है। लेकिन ये वेवलेंथ आपकी आंखों में इलेक्ट्रॉन्स को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि ये वेवलेंथ (एक मीटर लंबे लगभग 500 बिलियन) हमें दिखाई नहीं देती है।
श्रीलंका में अस्थिरता से बाग़-बाग़ हुआ भारत का लिबरल समाज, की भारत के लिए भी ऐसी ही कामना?
श्रीलंका में इन दिनों उथलपुथल मची हुई है। वहां पर जो स्थितियां हैं, उन स्थितियों से कोई भी देश दो चार नहीं होना चाहेगा और न ही उस देश का कोई भी नेता ऐसी स्थिति चाहेगा, जिसमें आर्थिक अस्थिरता हो, दंगे हो, आगजनी हो आदि आदि। नेताओं को गाड़ियों सहित नदी में उल्ट दिया जाए, और प्रधानमंत्री के त्यागपत्र के उपरांत राजनेताओं के घरों को जलाया जा रहा है।
श्रीलंका में जो हो रहा है, वह तो अंतत: शांत हो ही जाएगा क्योंकि कोई भी देश अधिक दिनों के लिए अस्थिर नहीं रह सकता है। फिर भी श्री लंका की इस स्थिति को देखकर भारत में कुछ लोगों के दिल बाग़-बाग़ हुए पड़े हैं और बांछें खिली हुई हैं। दरअसल एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो लगातार इस सरकार को गिराने की फिराक में लगा हुआ है। उसे बस यही चाहिए कि किसी तरह से यह सरकार गिर जाए और उसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
‘चंचल चित्त में क्षण भर ही ठहरता है ज्ञान’
पवन चंद्रा
Updated Thu, 28 Feb 2019 06:18 PM IST
बदायूं। एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा का मंत्र देने वाले बाबा फुलसंदे वालों के दो दिवसीय सत्संग के दूसरे दिन बाबा ने कहा कि चित्त सदा चंचल है। इसमें बहुत से विकार आते रहते हैं। इसमें ज्ञान क्षण भर को ठहरता है। इसमें ज्ञान ज्योति को रोककर रखना कठिन है और इसका निवारण करना भी दुष्कर है। ऐसे चित्त को ज्ञानी पुरुष उसी प्रकार सीधा करता है जैसे बाण बनाने वाला लोहार यत्नपूर्वक बाण को आग में तपाकर अनेक प्रयास करके उसे ठीक करता है।
गुरुवार को उन्होंने कहा कि जिसका मन अस्थिर है, जो धर्म आचरण को नहीं जानता, जिसकी श्रद्धा अस्थिर है, उसकी बुद्धि भी पूर्ण नहीं हो सकती और न ही उसे सुख प्राप्त हो सकता है। मनुष्य क्रोध में बहुत कुछ अनर्थ कर डालता है। अगर वह धैर्य रखें तो बहुत से संकट और आपदा टल जाती हैं।
इससे पूर्व उच्च प्राथमिक विद्यालय उसहैत के शिक्षक सोहराब ककरालवी एवं सविता के निर्देशन में छात्रा तुलसी एवं टीम ने देशभक्ति से ओतप्रोत गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सीपी सिंह, एमपी शर्मा, मीना रानी, राजेश्वरी राठौर, गीता मिश्रा, आयुष भारद्वाज, महेंद्र सिंह, लव मिश्रा, आत्मप्रकाश, प्रभात कुमार, राजेंद्र कुमार आदि मौजूद रहे।
ज्यादा विदेशी निवेश बाजार में लाएगा ज्यादा अस्थिरता
ज्यादातर पश्चिमी मुल्क इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर आधारित सेक्टर पर अस्थिरता के दो प्रकार हैं अस्थिरता के दो प्रकार हैं जोर दे रहे हैं. इसका सीधा अर्थ यह है कि उभरते हुए बाजारों में निजी निवेश कम होने की आशंकाएं हैं. इसके अलावा डेट (बॉन्ड जैसे निवेश इंस्ट्रूमेंट) में भी एफपीआई निवेश पर कुछ अंकुश लगा हुआ है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एफपीआई को कम अवधि वाली सरकारी सिक्योरिटीज और कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करने की अनुमति प्रदान अस्थिरता के दो प्रकार हैं की है. एफपीआई की सीमा को 1 लाख करोड़ रुपये से बढ़ा दिया गया है.
इसके तीन लाभ होंगे. जो इस प्रकार हैं:
- इससे डॉलर आए बढ़ेगी और रुपये में स्थिरता आएगी तथा भुगतान संतुलन में सुधार होगा.
- डेट में अधिक निवेश से कॉर्पोरेट डेट बाजार में तेजी आएगी. इससे कंपनियों की कर्ज की जरूरत कम होगी. साथ ही बैंक के एनपीए की समस्या भी हल हो सकती है. इसके अलावा कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार भी मजबूत होगा
- अधिक फंड होने से सरकारी सिक्योरिटीज की यील्ड कम होगी. मौजूदा सयम में यील्ड काफी अधिक है, जिसका अर्थ यह है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा. इस स्थिति में 10 साल के बॉन्ड की यील्ड 7.7 फीसदी से 7.9 फीसदी तक पहुंच गई है.
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