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राज्यों की चीनी मिलों ने निर्यात कोटे में से पांच लाख टन चीनी अधिक मूल्य पर बेची

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 3 दिन पहले

नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) निर्यात करने के लिए बंदरगाह से दूरी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने मजबूत वैश्विक कीमतों के बीच अपने निर्यात कोटा में से करीब पांच लाख टन चीनी 2,500-4,000 रुपये प्रति टन के प्रीमियम यानी ऊंचे मूल्य पर बेची है।

पांच नवंबर को घोषित वर्ष 2022-23 की चीनी निर्यात नीति में 31 मई तक कोटा के आधार पर 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी गई थी।

चीनी मिलों को खुद से या निर्यातकों के माध्यम से निर्यात करने या किसी अन्य मिल के घरेलू बिक्री कोटा के साथ अदला-बदली करने की अनुमति थी।

अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के अध्यक्ष प्रफुल विठलानी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में स्थित चीनी मिलों के पास निर्यात करने के लिए पास में कोई बंदरगाह नहीं हैं, और वे किसी और बंदरगाह से निर्यात करना चाहें भी तो उसमें परिवहन की भारी लागत आती है।

उदाहरण के लिए बंदरगाहों तक चीनी ले जाने की औसत परिवहन लागत महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में लगभग 1,000 रुपये प्रति टन है, जो उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को प्रति टन 2,200 रुपये यानी दोगुनी से भी अधिक बैठती है।

परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों की चीनी मिलों ने प्रीमियम दर पर अपने निर्यात कोटा का लगभग पांच लाख टन का कारोबार किया है।'

विठलानी ने कहा कि चीनी की वैश्विक कीमतों में तेजी को देखते हुए इन चीनी मिलों ने 2,500-4,000 रुपये प्रति टन के प्रीमियम पर चीनी की बिक्री की है।

दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक और दूसरे सबसे बड़े निर्यातक देश भारत द्वारा वर्ष 2022-23 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के लिए अपनी निर्यात नीति की घोषणा के बाद से वैश्विक चीनी की कीमतों में मजबूती आई है।

चीनी मिलों ने 60 लाख टन के कुल निर्यात कोटे में से अबतक 41 लाख टन की ढुलाई का अनुबंध किया है। उन्होंने कहा कि इसमें उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में चीनी मिलों के लिए आवंटित निर्यात कोटा से 5,00,000 टन की अदला-बदली की गई मात्रा शामिल है।

TATA की कारें खरीदना हुआ महंगा, जानें किस कार की कीमत कितनी बढ़ी

Tata Motors ने 7 नवंबर 2022 से अपनी सभी कारों की कीमत में 0.9 फीसदी इजाफा कर दिया है और बढ़ी हुई कीमत खरीदे गए वेरिएंट पर निर्भर करती है. कंपनी ने लागत मूल्य में लागत औसत बढ़ोतरी का हवाला देकर कारों के दाम बढ़ाए हैं.

Updated Nov 7, 2022 | 10:20 AM IST

Tata Motors Price Hike Tiago EV

टाटा ने टिआगो से लेकर हैरियर और नैक्सॉन से लेकर सफारी तक सबके दाम में 0.9 फीसदी औसत इजाफा किया है

  • टाटा कारों की कीमत में इजाफा
  • 0.9 प्रतिशत तक महंगी हुईं कारें
  • 7 नवंबर से लागू की नई कीमत

Tata Motors Price Hike: भारतीय ऑटो मार्केट की धुरंधर खिलाड़ी और भारतीय ग्राहकों की चहेती कंपनी टाटा मोटर्स ने अपनी सभी कारों की कीमत में बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. टाटा ने टिआगो से लेकर हैरियर और नैक्सॉन से लेकर सफारी तक सबके दाम में 0.9 फीसदी औसत इजाफा किया है. 7 नवंबर से कंपनी ने नई कीमतें लागू कर दी हैं. बता दें कि लागत मूल्य में बढ़ोतरी का हवाला देकर लगभग सभी वाहन निर्माता कंपनियां आए-दिन अपने वाहनों की कीमतें बढ़ा रही हैं और नए साल और नए वित्त वर्ष की शुरुआत में तो ये एक ट्रेंड सा बन गया है.

टाटा मोटर्स ने अपनी सबसे सस्ती टिआगो हैचबैक को करीब 6,400 रुपये से 8,800 रुपये तक महंगा कर दिया है जो वेरिएंट पर निर्भर करता है. टाटा टिआगो के पेट्रोल और सीएनजी वेरिएंट्स की कीमत 6.42 लाख से 8.88 लाख रुपये के बीच है. कंपनी ने हाल में टिआगो ईवी भी मार्केट में उतारी है जिसकी कीमत में 0.9 प्रतिशत के हिसाब से करीब 8,800 रुपये से 12,500 रुपये तक इजाफा दर्ज किया गया है.

ग्राहकों के बीच इंजन वाली टाटा नैक्सॉन और नैक्सॉन इलेक्ट्रिक दोनों खासी पसंद की जा रही हैं और टाटा मोटर्स की बिक्री में ये जोरदार योगदान देती है. एसयूवी की कीमत में 0.9 प्रतिशत के हिसाब से 8,800 रुपये से लेकर 15,000 रुपये तक बढ़ोतरी की गई है जो वेरिएंट पर निर्भर करता है. इसका डीजल वेरिएंट 11,500 रुपये से 14,310 रुपये तक महंगा हो गया है, वहीं नैक्सॉन ईवी प्राइम और नैक्सॉन ईवी मैक्स की कीमत क्रमशः 16,000 रुपये और 19,000 रुपये बढ़ाई गई है.

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टाटा मोटर्स ने अपनी प्रीमियम एसयूवी टाटा हैरियर और सफारी की कीमत में भी 0.9 फीसदी इजाफा कर दिया है. हैरियर पर नजर डालें तो हालिया बढ़ोतरी के बाद एसयूवी की कीमत करीब 16,000 रुपये से 26,000 रुपये तक महंगी हो गई है. इसी लागत औसत तर्ज पर टाटा सफारी के दाम भी 17,000 रुपये से 27,000 रुपये तक बढ़ा दिए गए हैं. खबर में बताई गई ये सभी बढ़ी हुई कीमतें 0.9 फीसदी इजाफे के हिसाब से केल्कुलेट की गई हैं, ये टाटा मोटर्स की ओर से जारी आधिकारिक लिस्ट नहीं है.

सिंचाई सब्सिडी : किसानों को डिग्गी निर्माण पर 3.40 लाख रुपए, खत्म होगी सिंचाई की समस्या

सिंचाई सब्सिडी : किसानों को डिग्गी निर्माण पर 3.40 लाख रुपए, खत्म होगी सिंचाई की समस्या

नहर का पानी इकट्ठा करने के लिए डिग्गी निर्माण पर सरकार दे रही है अनुदान

पिछले कुछ दशकों से देश के कई राज्य में भूमिगत जल के लगातार दोहन के कारण जल स्तर नीचे चला गया है। लगातार गिरते भूजल स्तर के संकट का सामना मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे कृषि प्रधान राज्य करते नजर आ रहे है। जिनमें से राजस्थान राज्य का तो वर्तमान समय में ऐसे हाल है कि खेती के लिए पर्याप्त जल भी नहीं मिल रहा है। जिससे किसानों की फसल उत्पादन पर असर पड़ रहा है। राज्य में फसल उत्पादन औसत में हर साल गिरवाट आ रही है। कृषि के क्षेत्र में लगातार आ रही सिंचाई की नई पेरशानीयों को देखते हुए किसान खेती छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे है। परिणाम स्वरूप राजस्थान की ज्यादातर जमीन बंजर और रेगिस्तान के अधीन हो चुकी है। राज्य की इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने किसानों से खेती की पद्धति में बदलाव करने की अपील की है। और कृषि में भूमिगत जल के दोहन को कम करने एवं कम पानी से ज्यादा उत्पादन हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना चला रही हैं। किसान इस योजना के तहत सिंचाई के लिए नहर का पानी इकट्ठा करने के लिए डिग्गी निर्माण करा सकते है। इसके लिए राज्य सरकार किसानों को योजना के अंतर्गत तय प्रावधान के अनुसार 85 प्रतिशत तक सब्सिडी या अधिकतम 3.40 लाख रुपए की आर्थिक मदद देगी। इससे किसानों की फसलों को पानी उपलब्ध होगा और जल का संचय से भू-जल स्तर को सुधारने में भी बढ़ावा मिल सकता है। ट्रैक्टगुरु के इस लेख के माध्यम से योजना का लाभ उठाने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है।

डिग्गी निर्माण पर मिलेगी अधिकतम 85 प्रतिशत तक सब्सिडी

बता दें कि राज्य में रबी सीजन फसलों की बुवाई चालू हो चुकी हैं। रबी फसलों में सिंचाई को लेकर किसानों के सामने किसी प्रकार की कोई जलसंकट समस्या न आए और किसानों को फसल की सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिले। इसके लिए राज्य सरकार किसानों को डिग्गी बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। राजस्थान सरकार मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत डिग्गी निर्माण लागत की अधिकतम 85 फीसदी राशि किसानों को सब्सिडी के रूप में देगी। निर्धारित नियमों के अनुसार लघु व सीमांत किसानों को लागत का 85 फीसदी या 3.40 लाख रुपये (जो भी राशि कम हो ) दी जाएगी। वहीं अन्य किसानों को लागत का 75 फीसदी या 3 लाख रुपये (जो भी राशि कम हो ) दी जाएगी। राजस्थान सरकार अपनी इस योजना में 40 प्रतिशत लघु एवं सीमांत किसानों को शामिल करेगी और उन्हें 10 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान भी दे सकती है।

किसान के पास न्यूनतम 0.5 हेक्टेयर सिंचित भूमि होना जरूरी

बता दें कि फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए पानी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि समय पर फसलों की सिंचाई से फसलों का उत्पादन अच्छा होता है। ऐसे में किसान इस योजना के तहत नहरी इलाके में डिग्गी निर्माण के बाद नहर का पानी इकट्ठा कर सकते है। इकट्ठा किए हुए पानी से फसलों की सिंचाई कर सकते है। राज्य सरकार ने इसके लिए कुछ पात्रता निर्धारित की है। इस योजना के निर्धारित पात्रता के अनुसार योजना का लाभ केवल वहीं किसान ले सकता है, जिनके पास न्यूनतम 0.5 हेक्टेयर सिंचित हो। इसके अतिरिक्त किसानों को डिग्गी बनाने के बाद उसमें सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर, ड्रिप, माइक्रो स्प्रिंकलर सयंत्र स्थापित करना होगा। जिसके बाद ही सरकार की तरफ से किसानों को डिग्गी निर्माण के लिए निर्धारित सब्सिडी का लाभ मिल पाएंगा।

किसान ऐसे जुड़ सकते हैं मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना से

राजस्थान के किसान डिग्गी निर्माण के पर मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए किसान को पहले योजना से जुड़ना होगा। योजना में जुड़ने यानि आवेदन करने के बाद ही सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर सकते है। राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना से जुड़ने के लिए ​किसान अपने नजदीकी जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा इच्छुक किसान राजस्थान सरकार की आधिकारिक बेवसाइट राजकिसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। एप्लीकेशन फॉर्म भरते समय किसान को आवश्यक रूप से अपना आधार नंबर दर्ज करना होगा। इसके अलावा फोटो के साथ ही राजस्व अभिलेखों की स्कैन कॉपी देनी होगी। वहीं, अनुसूचित जाति, जनजाति के किसानों को लागत औसत एप्लीकेशन फॉर्म के साथ स्वयं का आधार कार्ड की स्कैन कॉपी भी देनी होगी। वहीं इस योजना की विस्तृत जानकारी किसान अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं।

इन जिलों के किसानों के लिए ही कार्यक्रम

राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के अंर्तगत डिग्री निर्माण के लिए सब्सिडी देने की योजना पूरे प्रदेश के लिए लागू नहीं किया हैं। पत्रकारों की जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने इस योजना को केवल नहरी इलाके वाले जिलों में लागू किया है। जिनमें फिलहाल श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमैर और बीकानेर जैसे जिलों को शामिल किया गया हैं। इन जिलों के किसान योजना में आवेदन कर डिग्गी का निर्माण करवा सकते हैं, ताकि जब नहर से पानी छोड़ा जाए तो अतिरिक्त पानी को इकट्ठा करके सिंचाई के काम में लिया जा सके। सरकार की इस योजना से इन जिलों के किसानों को अकसर परेशान करने वाली जल की समस्या खड़ी नहीं होगी। वहीं, समय पर फसल की सिंचाई करके किसान भी आसानी से बेहतर उत्पादन ले पाएंगे।

डिग्गी निर्माण पर 387 करोड़ रुपए का किया जा चुका है भुगतान

पत्रकारों द्वारा जारी रिपोर्ट्स लागत औसत के मुताबिक राजस्थान की इस योजना के तहत निर्धारित जिलों में से अब तक 9, 596 किसान लाभ उठा चुके है। इन किसानों को मुख्यमंत्री कृषि साथी योजना के तहत सिंचाई का पानी इकट्ठा करने के लिए डिग्गी निर्माण पर 387 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है। वहीं राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई उपकरणों पर आने वाले 3 सालों में 15 हजार किसानों को 450 करोड़ रुपये का अनुदान देने की योजना सरकार बना रही है। वहीं, मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान सरकार की इस योजना का सर्वाधिक लाभ बीकानेर जिला के किसानों ने उठाया है। यहां कई किसानों ने मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत आवेदन कर डिग्गी निर्माण के लिए 3 लाख रुपए तक की सब्सिडी राशि प्राप्त कर चुके है। जिनमें ग्राम खेरा निवासी किसान ओमाराम प्रजापत भी शामिल है।

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पक्का खाला निर्माण कार्यो का निरन्तर निरीक्षण सुनिश्चित करें अधिकारी

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बैठक में सीएडी एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों को जिला कलक्टर ने दिये निर्देश

पक्का खाला निर्माण कार्यो का निरन्तर निरीक्षण सुनिश्चित करें अधिकारी

श्रीगंगानगर । गंगनहर एवं भाखड़ा परियोजना में सिंचित क्षेत्रा विकास विभाग द्वारा करवाये गये कार्यों/करवाये जाने वाले कार्यो की समीक्षा हेतु बैठक शुक्रवार को जिला कलक्टर श्री सौरभ स्वामी की अध्यक्षता में जिला कलेक्ट्रेट सभागार में हुई।
बैठक में जिला कलक्टर ने निर्देश दिये कि पक्का खाला निर्माण कार्यों के कार्यादेश जारी हो जाने के बाद यदि खाले की निलामी ग्राम पंचायत द्वारा लागत औसत नहीं की जाती है या नीलामी के बाद न्यूनतम बोली दाता द्वारा खाले को तोड़कर नहीं दिया जाता है तो ऐसे चकों की सूचना तुरन्त प्रभाव से उन्हें एवं लागत औसत अधीक्षण अभियन्ता, सिंचित क्षेेत्र विकास, श्रीगंगानगर को प्रस्तुत की जाए। जिला कलक्टर ने सभी अधिशाषी अभियन्ता को निर्देशित किया कि पक्का खाला निर्माण कार्यों का निरन्तर निरीक्षण किया जाना सुनिश्चित करें एवं सहायक अभियन्ता एवं कनिष्ठ अभियन्ता को नियमित रूप से कार्य स्थल पर उपस्थित रहकर गुणवतापूर्वक कार्य सम्पादित करावें। यदि निर्माण कार्र्याे की गुणवता से संबंधित कोई भी शिकायत प्राप्त होती है, तो नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जायेगी।
जल संसाधन वृत्त के अधीक्षण अभियंता श्री धीरज चावला ने बैठक में अवगत करवाया कि वर्तमान में गंगनहर परियोजना फेज-ाा के अन्तर्गत पक्का खाला निर्माण कार्यो की प्रति हैक्टेयर लागत 25050 निर्धारित है। गंगनहर परियोजना फेज-ाा के अन्तर्गत पक्का खाला निर्माण कार्यो में प्रति हेक्टेयर लागत की गणना प्रत्येक चक की अलग-अलग न करके, गंगनहर परियोजना फेज-ाा के खण्ड स्तर/वृत स्तर समस्त चकों की औसत प्रति हेक्टेयर लागत के अनुसार निर्माण कार्य किया जाये। किसी भी स्थिति में कोई भी खाला प्रति हैक्टेयर लागत की वजह से अधूरा नहीं छोड़ा जाए। इसके अलावा जो कार्य प्रगतिरत हैं एवं उनके कुछ मुरब्बों को प्रति हैक्टेयर लागत अधिक होने के कारण छोड़ा गया है तो उन्हें भी उसी कार्य में शामिल करते हुए पूर्ण किया जावे।
उन्होंने बताया कि विभाग को काश्तकारों से अलाइन्मेंट संबधी शिकायतें प्राप्त होती हैं। पक्का खाला निर्माण कार्यो में एलाईमेंट सम्बन्धी विवादों को कम करने के लिए चक प्लान मौके पर चल रहे पुराने खाले के अनुसार ही तैयार किया जावे। यदि खाले की मौका स्थिति एवं जल संसाधन विभाग के चक प्लान में भिन्नता होने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है तो निर्माण कार्य शुरू करने से पूर्व अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त करें।
उन्होंने अवगत करवाया कि पक्का खाला निर्माण कार्यो के दौरान कुछ कार्यों को अंतिम/अपूर्ण कर दिया जाता है, जिससे काश्तकारों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा प्राप्त नहीं हो पाती है। अतः कोई भी कार्य अतिंम/अपूर्ण नहीं किया जावे। यदि किसी खाले को लेकर काश्तकारों का आपसी विवाद है तो उसका निपटारा अनुबंध समय में ही करवाने हेतु स्थानीय जन प्रतिनिधियों से सम्पर्क करें। तत्पश्चात भी यदि कोई निपटारा नहीं होता है या माननीय न्यायालय/जल संसाधन विभाग से स्थगन आदेश या कोई विशेष कारण हो जिसका निवारण संभव नहीं है, की स्थिति में ही अंतिम/अपूर्ण किया जावे।
उन्होंने बताया कि जिन चकांे के अन्दर कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व विवाद अथवा कोर्ट केस हो तो ऐसी स्थिति में कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व विवादों/कोर्ट केस का निपटारा किया जावे एवं स्थानीय जन प्रतिनिधि एवं सम्बन्धित अधीक्षण अभियंता से सम्पर्क करें। उनके अनुसार गंगनहर परियोजना में शामिल चकों को नाकारा करवाने हेतु पंचायत स्तर से प्रस्ताव तैयार करवाकर जिला परिषद को भिजवाएं। इन चकों की सूचना जिला कलक्टर एवं अधीक्षण अभियन्ता, सिंचित क्षेेत्रा विकास, श्रीगंगानगर को प्रस्तुत लागत औसत करें। यदि काश्तकार किसी खाले को नाकारा करवाना नहीं चाहते हैं, तो ऐसी स्थिति में पंचायत स्तर से लिखित में रिपोर्ट प्राप्त करें। अगर किसी कारणवश ग्राम पंचायत लिखित में रिपोर्ट नहीं देती है, तो अधीक्षण अभियन्ता, सिंचित क्षेेत्रा विकास, श्रीगंगानगर को अवगत करावें। इस अवसर पर सीएडी व सिंचाई विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।

कई सरकारी बैंक कमजोर संपत्ति व उच्च ऋण लागत से परेशान : एसएंडपी

कई सरकारी बैंक कमजोर संपत्ति व उच्च ऋण लागत से परेशान : एसएंडपी

चेन्नई । सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और प्रमुख निजी बैंकों ने अपनी संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों का समाधान किया है, लेकिन अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह बात वैश्विक बैंकिंग परि²श्य पर अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने कही।

रिपोर्ट के अनुसार कई बड़े पीएसबी अभी भी कमजोर संपत्ति, उच्च ऋण लागत और निम्न कमाई से जूझ रहे हैं।

रिपोर्ट में भारतीय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के बारे में कहा गया है, हम वित्त कंपनियों (फिनकोस) के लिए मिक्स्ड-बैग परफॉमेंस की उम्मीद करते हैं। इन फिनकोस की संपत्ति की गुणवत्ता अक्सर प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कमजोर होती है।

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मजबूत रहनी चाहिए।

एस एंड पी ग्लोबल ने कहा, हम अनुमान लगा रहे हैं कि 31 मार्च, 2024 तक बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर ऋण सकल ऋण के 4.5 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक गिर जाएंगे। इसी तरह, हम वित्त वर्ष 2023 के लिए ऋण लागत के 1.2 प्रतिशत के सामान्य होने और अगले कुछ वर्षों के लिए लगभग 1.1 प्रतिशत से 1.2 प्रतिशत पर स्थिर होने का अनुमान लगाते हैं। यह ऋण लागत को अन्य उभरते बाजारों और भारत के 15 साल के औसत के बराबर बनाता है।

एस एंड पी ग्लोबल को उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में भारत में ऋण वृद्धि कुछ हद तक सांकेतिक सकल घरेलू उत्पाद अनुरूप बनी रहेगी, और खुदरा क्षेत्र में ऋण वृद्धि कॉपोर्रेट क्षेत्र से अधिक रहेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉपोर्रेट उधारी भी गति पकड़ रही है, लेकिन अनिश्चित वातावरण पूंजीगत व्यय से संबंधित विकास में देरी कर सकता है।

एसएंडपी ग्लोबल ने कहा, कैपिटल मार्केट फंडिंग से बैंक फंडिंग में बदलाव भी कॉरपोरेट लोन ग्रोथ में तेजी ला रहा है। डिपॉजिट को रफ्तार बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, जिससे क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात कमजोर हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सालों में क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात में सुधार हुआ है।

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