एस एंड पी 500

सरकार ने दरें की निर्धारित, किसानों को इस भाव पर मिलेगा यूरिया, डीएपी, एनपीके और एसएसपी खाद
यूरिया, डीएपी, एनपीके तथा एसएसपी खाद के दाम
फसलों की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को खाद की आवश्यकता होती है, ऐसे में फसलों को लागत को कम किया जाए इसके लिए सरकार द्वारा उर्वरकों के मूल्य को स्थिर रखने के लिए कंपनियों को भारी सब्सिडी दी जाती है। केंद्र सरकार ने रबी सीजन- 2022-23 (01 अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक) के दौरान नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी), पोटाश (के), सल्फर (एस) जैसे विभिन्न पोषक तत्वों से युक्त फॉस्फेट और पोटास (पी एंड के) उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) की प्रति किलोग्राम दरों से सम्बन्धित उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इससे रबी 2022-23 के दौरान सभी फॉस्फेट और पोटास उर्वरक रियायती/किफायती कीमतों पर किसानों को आसानी से उपलब्ध होंगे। छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय उर्वरक क्रय समिति एवं रासायनिक उर्वरक प्रदायकों के मध्य निगोसियेशन बैठक में यह फैसला लिया गया है।
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किसानों को इन दामों पर मिलेगा खाद Fertilizer Rate-2022
छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2022 के रबी सीजन के लिए रासायनिक उर्वरक का मूल्य जारी कर दिए हैं। यह मूल्य उर्वरक के पैकेट पर लिखा रहता है, किसान इन दामों पर ही खरीद सकते हैं। निर्धारित दर के अनुसार एनपीके (20:20:0:13) उर्वरक की कीमत में प्रति बोरी 50 रुपए की कमी हुई है, वहीं शेष उर्वरकों की दरें यथावत है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी निर्धारित MRP इस प्रकार है:-
- डीएपी- 1350 रूपए प्रति बोरी,
- एनपीके- 1350 रुपए प्रति बोरी,
- एसएसपी पावडर- 494 रुपए प्रति बोरी,
- एसएसपी दानेदार- 635 रुपए प्रति बोरी,
- जिंकटेड एसएसपी पावडर- 514 रुपए प्रति बोरी,
- नीम लेपित यूरिया- 266.50 रुपए प्रति बोरी।
वहीं किसानों की समृद्धि और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए इफको ने नैनो तरल यूरिया की कीमत 240 रुपए से घटाकर 225 रुपए प्रति 500 मिली. बोतल कर दी है। जिससे किसानों को अब इफको नैनो तरल यूरिया की 500 मिली. एक बोतल 225 रुपए में मिलेगी।
राज्य में इस वर्ष 4.80 लाख मीट्रिक टन खाद वितरण का लक्ष्य
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस रबी मौसम में कुल 4 लाख 80 हजार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक वितरण का लक्ष्य रखा है, जिसमें यूरिया 2 लाख 24 हजार मीट्रिक टन, डीएपी एस एंड पी 500 70 हजार मीट्रिक टन, एमओपी 21 हजार टन, एनपीके 35 हजार टन एवं एसएसपी एक लाख 30 हजार मीट्रिक टन शामिल हैं। वर्तमान में यूरिया एक लाख 85 हजार 349 मीट्रिक टन, डीएपी 43 हजार 64 मीट्रिक टन, एमओपी 18 हजार 642 मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है, जिसमें सहकारी क्षेत्र में कुल एक लाख 49 हजार 265 मीट्रिक टन तथा निजी क्षेत्र में एक लाख 75 हजार 463 मीट्रिक टन उर्वरक शामिल हैं।
निफ्टी 18362 के ऊपर पहुंचा, सेंसेक्स 61630 पर खुला
निफ्टी 18362 के ऊपर पहुंचा, सेंसेक्स 61630 पर खुला : भारतीय शेयर बाजार में आज कारोबार की शुरुआत मामूली बढ़त के साथ हुई। और कल रात अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट के कारण भारतीय बाजारों के लिए भी धारणा खराब दिख रही थी। अमेरिकी बाजारों में बीती रात नैस्डैक और एसएंडपी 500 इंडेक्स करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ खुले।
कैसा रहा बाजार का उद्घाटन
आज के कारोबार की शुरुआत में बीएसई का 30 शेयरों वाला इंडेक्स सेंसेक्स 5.90 अंक की मामूली बढ़त के साथ 61,630.05 पर खुला. एनएसई का 50 शेयरों वाला इंडेक्स निफ्टी 33.60 अंक यानी 0.18 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 18,362.75 पर खुला था.
सेंसेक्स और निफ्टी के शेयर
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 19 शेयर बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं और बाकी 11 शेयर गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं. वहीं निफ्टी के 50 में से 35 शेयर तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं। वहीं, 15 शेयरों में गिरावट का लाल निशान हावी है।
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एस एंड पी 500, टेक कमाई की लहर के साथ ऊंचाई पर जाने पूरा मामला
एस एंड पी 500 और नैस्डैक सोमवार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुए, इस सप्ताह टेस्ला इंक और अन्य हैवीवेट ग्रोथ स्टॉक्स ने कमाई की रिपोर्ट के एक जलप्रलय से आगे रखा।नैस्डैक के रिकॉर्ड हाई क्लोज ने सूचकांक में 11% सुधार की समाप्ति की पुष्टि की, जो कि पिछले 12 फरवरी को अपने पिछले रिकॉर्ड
एस एंड पी 500 और नैस्डैक सोमवार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुए, इस सप्ताह टेस्ला इंक और अन्य हैवीवेट ग्रोथ स्टॉक्स ने कमाई की रिपोर्ट के एक जलप्रलय से आगे रखा।नैस्डैक के रिकॉर्ड हाई क्लोज ने सूचकांक में 11% सुधार की समाप्ति की पुष्टि की, जो कि पिछले 12 फरवरी को अपने पिछले रिकॉर्ड उच्च के बाद शुरू हुआ था, जिसमें इंडेक्स 8 मार्च को कम था।
जो कंपनियाँ गुरुवार से गुरुवार तक S & P 500 की एस एंड पी 500 बाज़ार पूंजीकरण रिपोर्ट का लगभग 40% हिस्सा बनाती हैं, उनमें Microsoft Corp, Google पैरेंट अल्फाबेट इंक, Apple Inc और Facebook Inc. शामिल हैं।11 प्रमुख एस एंड पी 500 क्षेत्रों में से सात पर चढ़ गए, ऊर्जा सूचकांक 0.6% की बढ़त के साथ, जबकि उपयोगिताओं और उपभोक्ता स्टेपल में गिरावट आई। एस एंड पी 500 में 124 कंपनियों ने अब तक रिपोर्ट की है, 85.5% ने विश्लेषकों की कमाई का अनुमान लगाया है। Refinitiv IBES डेटा के साथ अब लाभ वृद्धि में 34.3% की छलांग लगाने का अनुमान है।”हम अनुमान से ऊपर की आय रिपोर्ट करने वाली फर्मों के लिए औसत से ऊपर हैं। इस तथ्य से अधिक महत्वपूर्ण है कि वे अनुमानों की पिटाई कर रहे हैं कि वे अपनी उम्मीदों और दृष्टिकोणों को आगे बढ़ा रहे हैं
अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने इस पर कुछ प्रकाश डालने की उम्मीद की कि क्या रोजगार परिदृश्य ने एक विस्तारित समय के लिए शून्य के पास ब्याज दरों को छोड़ने और बॉन्ड में $ 120 बिलियन की खरीद जारी रखने की अपनी योजना को प्रभावित किया है। हर महीने।इसके अलावा निवेशकों के रडार पर संयुक्त राज्य अमेरिका में आर्थिक सुधार की गति का अनुमान लगाने के लिए इस सप्ताह के अंत में पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद की रीडिंग है।
Tesla का शेयर इस साल दे चुका है 700% से ज्यादा रिटर्न, आज से S&P 500 में हो रही शामिल, जानें कैसे निवेश कर सकते हैं भारतीय
एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने बिटक्वाइन में तगड़ा निवेश कर दिया है.
अमेरिकी कंपनी टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क (Elon Musk) की संपत्ति में इस साल 139 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा हुआ है. वहीं, टेस्ला के शेयर में 731 फीसदी की बढ़ोतरी (Tesla Share Return) हुई है. कंपनी का शेयर पिछले सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन 695 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर (Tesla Stock Price) एस एंड पी 500 पर बंद हुआ. आज ये कंपनी वॉल स्ट्रीट (Wall Street) के एसएंडपी 500 (S&P 500) में शामिल हो रही है.
- News18Hindi
- Last Updated : December 21, 2020, 08:41 IST
नई दिल्ली. अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला (Tesla) के संस्थापक एलन मस्क (Elon Musk) की संपत्ति पिछले सप्ताह नए स्तर पर पहुंच गई थी. वहीं, उनकी कंपनी का शेयर साल 2020 में 700 फीसदी से ज्यादा उछाल दर्ज कर चुका है. अब टेस्ला आज यानी 21 दिसंबर 2020 से वॉल स्ट्रीट (Wall Street) के बेंचमार्क एसएंडपी 500 (S&P 500) में शामिल हो रही है. एसएंडपी में कदम रखने वाली टेस्ला अब तक की सबसे मूल्यवान कंपनी है. ब्लूमबर्ग बिलियनियर्स इंडेक्स के मुताबिक, टेस्ला के शेयर में आए उछाल से एलन मस्क की शुद्ध संपत्ति (Net Assets) 9 अरब डॉलर बढ़कर 167.3 अरब डॉलर हो गई है.
अमेजन के जेफ बेजोस ही हैं दुनिया के सबसे अमीर उद्यमी
एलन मस्क की संपत्ति में इस साल 139 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा दर्ज किया गया है. वहीं, इस साल टेस्ला के शेयर में 731 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. कंपनी का शेयर पिछले सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन रिकॉर्ड 695 डॉलर के स्तर पर बंद हुआ. इसके बाद भी अमेजन (Amazon) के फाउंडर जेफ बेजोस दुनिया के सबसे अमीर उद्यमी (Richest Person) के पायदान पर जमे हुए हैं. जेफ बेजोस 187.3 अरब डॉलर के साथ ब्लूमबर्ग बिलियनियर्स इंडेक्स में सबसे ऊपर काबिज हैं.
उत्पादन कम है, फिर भी दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी
एसएंडपी 500 में शामिल होने के बाद टेस्ला के शेयरों (Tesla Shares) की खरीद-फरोख्त का नया दौर शुरू होने की उम्मीद की जा रही है. माना जा रहा है कि कंपनी के शेयरों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया जाएगा. नवंबर 2020 में एडजस्टमेंट की घोषणा के बाद से कंपनी के शेयरों में 70 फीसदी का उछाल आ एस एंड पी 500 चुका है. टेस्ला दुनिया की सबसे वैल्यूएबल ऑटो कंपनी बन गई है, जबकि टोयोटा मोटर (Toyota Motor), फॉक्सवैगन (Volkswagen) और जनरल मोटर्स (GM) की तुलना में उसका उत्पादन कम है.
वॉल स्ट्रीट में सबसे ज्यादा कारोबार करने वाला है शेयर
टेस्ला के शेयर में इस साल 731 फीसदी का उछाल आया है. इससे टेस्ला का शेयर वॉल स्ट्रीट में सबसे ज्यादा कारोबार करने वाला शेयर बन गया है. पिछले 12 महीनों से हर सत्र में औसतन कंपनी के 18 अरब डॉलर मूल्य के शेयरों का कारोबार हुआ है. इस लिहाज से टेस्ला ने टेक कंपनी एप्पल को एक पायदान खिसकाकर पहले एस एंड पी 500 नंबर पर कब्जा कर लिया है. एप्पल का औसत इंट्रा-डे ट्रेड 14 अरब डॉलर का है.
टेस्ला के शेयरों में ऐसे पैसा लगा सकते हैं भारतीय निवेशक
भारतीय निवेशक दो तरीकों से टेस्ला के शेयरों में पूंजी लगा सकते हैं. इनमें पहला, सीधे विदेशी शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. वहीं, दूसरा विकल्प म्यूचुअल फंडों के जरिये पैसा लगाना है. अमेरिकी बाजार में निवेश करने के लिए आपको सबसे पहले अमेरिकी नियामक सिक्योरिटी एक्सचेंज कमिशन (SEC) में रजिस्टर्ड किसी ब्रोकर के पास एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा. ट्रेडिंग अकाउंट खोलने से पहले निवेशक को केवाईसी कराना होता है.
>> अमेरिका में निवेश करने के लिए डॉलर की जरूरत होगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरलाइज्ड रेमीटेंस स्कीम के जरिये भारतीय निवेशक अमेरिका में 2.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं.
>> अमेरिकी ट्रेडिंग अकाउंट में यह राशि जमा होने के बाद निवेशक अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश कर सकता है. निवेशक अगर भारतीय बैंक अकाउंट में पैसे वापस लाना चाहे तो यह काम एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये हो सकता है. हालांकि, भारतीय बैंक अकाउंट में पैसे वापस लाते समय डॉलर और रुपये की विनिमय दर का असर अंतिम राशि पर पड़ेगा.
>> जिस भी ब्रोकर के पास आपने ट्रेडिंग अकाउंट खोला है, वह अमेरिकी बाजार नियामक एसईसी से रजिस्टर्ड होना चाहिए.
>> अमेरिकी संस्था सिक्योरिटीज इंवेस्टर प्रोटेक्शन कॉरपोरेशन (SIBC) हर ट्रेडिंग अकाउंट को पांच लाख डॉलर तक इंश्योर करती है. निवेशक को यह चेक कर लेना चाहिए कि जिस ब्रोकर के पास उसने ट्रेडिंग खोला है, वह ब्रोकर एसआईबीसी का सदस्य है या नहीं. यह आप एसआईबीसी के वेबसाइट पर चेक कर सकते हैं.
>> वेस्टड सुरक्षित मोबाइल और वेब एप्लीकेशन के जरिये भारतीय निवेशकों को केवाईसी करने तथा पैसे जमा कर अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने में मदद करती है. वेस्टेड की वेबसाइट के मुताबिक, वह अमेरिकी बाजार नियामक सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमिशन में रजिस्टर्ड है. ऐसे में आपका इसका भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
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पूरी दुनिया के शेयर बाजार टूटे : जानें क्या कहना है प्रमुख बिजनेस अखबारों का
दुनियाभर में चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों की चिंता के बीच सोमवार को यूरोपीय व अमेरिकी शेयर बाजार नीचे आ गये. ऐसे में आशंका बनी है कि भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भी 'हाहाकार' जैसी स्थिति रह सकती है. चीन की अगुवाई में एशियाई बाजारों में गिरावट के असर से लंदन से लेकर पेरिस और न्यूयार्क सभी जगह बाजार धराशायी हो गये. दोपहर के कारोबार में प्रमुख यूरोपीय बाजार आठ प्रतिशत तक नीचे चल रहे थे. अमेरिकी शेयरों की भी कमजोर शुरुआत हुई थी. बेंचमार्क 30 शेयरों वाला डाउ इंडेक्स तीन प्रतिशत से अधिक टूट गया था. बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में सोमवार को एक दिन की सबसे बडी गिरावट आयी और यह 1,624.51 अंक टूटकर 25,741.56 अंक पर आ गया. इस बीच, बेंचमार्क यूरोपीय सूचकांक, फ्रांस का सीएसी-40 सात प्रतिशत टूटकर 4,305.95 अंक पर और लंदन का एफटीएसइ-100 करीब पांच प्रतिशत टूटकर 5,906.43 अंक पर आ गया.
अमेरिका में डाउ इंडेक्स शुरुआत में काफी तेजी से नीचे आया लेकिन बाद में संभल गया. शुरुआती कारोबार में यह 310 अंक से अधिक के नुकसान से 16,147.61 अंक पर चल रहा था. एसएंडपी 500 दो प्रतिशत से अधिक टूटकर 1,927.11 अंक पर और नास्डैक करीब तीन प्रतिशत टूटकर 4,594.17 अंक पर आ गया. शंघाई का बाजार 8.49 प्रतिशत के नुकसान से 3,209.91 अंक पर आ गया. जापान का निक्की 225 करीब पांच प्रतिशत के नुकसान से 18,540.68 अंक पर और हांगकांग का हैंगसेंट पांच प्रतिशत से अधिक टूटकर 21,251.57 अंक पर आ गया. यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों में जोरदार गिरावट के मद्देनजर ऐसी आशंका है कि कल भी भारतीय बाजारों में उतार-चढाव रहेगा.
यूनान के शेयर बाजारों में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट
चीन की अगुवाई में वैश्विक बाजारों में गिरावट तथा घरेलू राजनीतिक मोर्चे पर अनिश्चितता से यूनान के शेयर बाजारों में सोमवार को 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई. एथेक्स एक्सचेंज 10.54 प्रतिशत के नुकसान से तीन साल के निचले स्तर 568.38 अंक पर आ गया. कारोबार बंद होने से करीब आधे घंटे पहले तक बाजार 11.3 प्रतिशत नीचे चल रहा था.
लाइव मिंट
एस एंड पी 500 सूचकांक सोमवार को 10 महीने के निचले स्तर 3.9% गिर गया. अखबार ने लिखा है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद पहली बार इतनी बड़ी गिरावट देखी गयी. यूरो और येन उधार लेने की कुछ निवेशकों की धारणा से बाजार प्रभावित हुआ है. चीन की मुद्रा येन में आयी भारी गिरावट के कारण बाजार हतोत्साहित हुआ है. इसके साथ ही अमेरिकन बाजार में गिरावट की मुख्य वजह कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट को माना जा रहा है. अखबार एस एंड पी 500 ने लिखा है कि यूरो और येन में आयी गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों का असर केवल अमेरिकन बाजार पर ही नहीं, बल्कि एकशयन और यूरोपियन बाजारों में भी देखने को मिली. हालांकि यूएस क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट सोमवार को 42.3 डालर से चढकर 43.20 पर पहुंच गयी है. वैश्विक स्तर पर महंगाई को लेकर भी बाजार प्रभावित है और वैश्विक स्तर पर गिरावट देखने को मिल रही है. शंघाई बाजारों में दर्ज लगभग साढे आठ फीसदी की गिरावट का असर विश्वभर के बाजारों पर देखने को मिला है.
बिजनेस स्टैंडर्ड
प्रमुख भारतीय बिजनेस अखबार का कहना है कि चीन के बाजार में गिरावट को वैश्विक स्तर पर बाजारों में गिरावट की मुख्य वजह बतायी गयी है. अखबार का हेडलाइन है चीन की आह में सात लाख करोड़ स्वाहा. यह भारतीय बाजारों के संदर्भ में कहा गया है. गौरतलब है कि कल 1600 से अधिक अंकों की गिरावट के बाद बीएसई में लगे निवेशकों के 7 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गये. अखबार ने कहा कि चीन की गिरावट की वजह से पूरी दुनिया के बाजार दहशत में आ गये और सिंगापुर से लेकर अमेरिका तक हर तरफ लुढ़कन शुरू हो गयी. पड़ोसी भारत तो इतना परेशान हुआ कि उसके शेयर बाजारों को अब तक की सबसे बड़ी चोट लग गई.
बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स खुलते ही भरभरा गया और कारोबार खत्म होने पर 1624.51 अंक लुढ़कर 25,741.56 पर बंद हुआ. नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 491 अंक टूटकर 7,809 पर बंद हुआ. अंकों के लिहाज से देसी बाजार इतने ज्यादा कभी नहीं लुढ़के थे और 7 जनवरी 2009 के बाद बाजार में पहली बार बड़ी गिरावट आयी है. गिरावट भी इतनी तेज कि करीब साल भर की कमाई एक ही दिन में खाक हो गयी. निवेशकों के 7 लाख करोड़ रुपये फूंकने के बाद दोनों सूचकांक अक्टूबर 2014 के स्तर पर रह गये. इसका असर रुपये पर भी पड़ा और डॉलर के मुकाबले 1.23 फीसदी गिरकर रुपया 66.65 पर बंद हुआ, जो दो साल का न्यूनतम स्तर है. मुद्रा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रुपया 67 के पार लुढ़क सकता है. अखबार का छापा है कि गिरावट भारत तक ही नहीं रही. उसने एशिया और यूरोप के तमाम बाजारों को चपेट में ले लिया. कमोबेश सभी एशियाई बाजार 5 फीसदी से ज्यादा लुढ़के. एफटीएसइ में 5.53 फीसदी की गिरावट दिखी और डीएसी 40 करीब 7 फीसदी गिर गया. हैंगसेंग में भी 5.45 फीसदी चोट लगी. डाउ जोंस भी 5.8 फीसदी गिरावट के साथ खुला. चारो ओर हाहाकार की शुरुआत चीन में हुई, जहां बाजार को सहारा देने के तमाम सरकारी प्रयास धरे के धरे रह गये और शांघाई कंपोजिट सुबह ही 8.5 फीसदी ढह गया.
इकोनॉमिक टाइम्स
एक और प्रसिद्ध बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स ने बाजार की गिरावट के 6 बडे कारणो का उल्लेख किया है. अखबार का कहना है कि प्रमुख कारणों में कुछ पुरान कारक शामिल हैं. 2008 की वैश्विक मंदी और 2013 की मंदी का जिक्र करते हुए अखबार का कहना है कि इन्हीं पुराने कारणों से चीन के बाजार लगभग 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी, जिसने सभी बाजारों को प्रभावित किया. दूसरा कारण निवेशकों के डर को बताया गया है. निवेशक चीन के संकट से डर रहे हैं और बाजार से अपना पैसा खींच रहे हैं. तीसरा कारण जापान को बताया जा रहा है. जापान दुनिया के तीन बड़े अर्थवयवस्थाओं में शामिल है. जापान की अर्थव्यवस्था 1.6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से सिकुड़ रहा है.
एक और कारण का जिक्र करते हुए अखबार ने कहा कि चीन की मु्द्रा में भारी गिरावट बाजार को खासा प्रभावित कर सकती है. सोमवार एस एंड पी 500 की गिरावट को भी चीन की गिरावट से ही जोड़कर देखा जा रहा है. अखबार ने चीन को संकट से उबरने के संकेत भी दिये हैं. कुल वैश्विक निर्यात का 13.7 फीसदी भागीदारी चीन की है. ऐसे में येन में आयी गिरावट के कारण वैश्विक बाजार प्रभावित हुआ है. क्रुड आयल की कीमतों में गिरावट को भी बाजार की गिरावट का मुख्य कारण माना जा रहा है. अखबार के अनुसार क्रूड आयल की कीमतें लगभग 40 डालर तक कम हुई हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण ही क्रूड आयल की कीमतों में गिरावट आयी है. इस प्रकार माना जायेगा तो वैश्विक स्तर पर बाजारों में गिरावट का मुख्य कारण चीन ही है.
बाजार में गिरावट पर क्या कहना है विशेषज्ञों को
वैश्विक स्तर पर आयी गिरावट को लेकर उद्योग जगत के बड़े जानकारों ने अलग-अलग राय दी. इस बीच उद्योग जगत भारत के संदर्भ में कहा कि देश में नीति निर्माताओं को जल्द ही जल्द सुधारात्मक उपाय करने की जरुरत है जिससे घरेलू और वैश्विक निवेशकों का भरोसा बहाल किया जा सके.
सीआइआइ के अध्यक्ष सुमित मजूमदार ने कहा, 'सेंसेक्स में गिरावट से निवेश के लिए विश्वास डिगता है. पिछले कुछ महीनों से बहुत अधिक निवेश नहीं आया है. आपको बाजार में निवेशकों का विश्वास बहाल करना होगा.' मजूमदार ने सरकार की भूमिका में भरोसा जताते हुए कहा, 'मेरा विश्वास है कि कदम उठाये जाएंगे और बाजार में सुधार आएगा. मैं आज की गिरावट को एक अस्थायी चरण के तौर पर देखता हूं.'
सीआइआइ के पूर्व अध्यक्ष अजय श्रीराम ने बाजार में गिरावट को 'वैश्विक स्थिति का प्रतिबिंब' करार दिया.
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि जिन देशों के साथ हम मुक्त व्यापार समझौते कर सकते हैं, उनके द्वारा भारतीय बाजारों में सामानों की डंपिंग से भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कदम एस एंड पी 500 उठाने होंगे.
बाजारों में उतार-चढाव आते रहते हैं : जयंत सिन्हा
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने आज कहा कि उतार चढाव शेयर बाजार का हिस्सा है और निवेशकों को बनती-बिगडती स्थितियों के बीच अपनी चाल चलनी होती है. यहां सीबीइसी के एक कार्यक्रम में सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया, 'इस समय बाहरी कारक हैं जिनसे उतार-चढाव हो रहा है. इसका असर खत्म होने में समय लेगा. उतार-चढाव इन पूंजी बाजारों का हिस्सा है.' उन्होंने कहा कि बाजार में काम करने वालों को बाहरी कारकों के मुताबिक काम करना पडता है चाहे वह चीन की अर्थव्यवस्था हो या फेडरल रिजर्व द्वारा दर में संभावित वृद्धि.
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